सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

कहां गई लोक सुनवाई की कार्यवाही


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  63

कहां गई लोक सुनवाई की कार्यवाही

लोकसुनवाई के मामले में पीसीबी मौन!

पीसीबी के साथ भारी लेनदेन की चर्चाएं!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के केंद्र सरकार की छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर के ग्राम बरेला में लगाए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट के दूसरे चरण की लोकसुनवाई हुए लगभग दो माह बीत रहे हैं, फिर भी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रयण मण्डल (एमपी पीसीबी) ने इस मामले में मौन ही साधे रखा है।
गौरतलब है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा लगाए जा रहे पहले चरण के 600 मेगावाट की लोकसुनवाई की अस्पष्ट और अपठनीय प्रति पीसीबी ने अपनी वेब साईट पर डाली गई है। आरोपित है कि पहले चरण की लोकसुनवाई 22 अगस्त 2009 को बड़े ही गोपनीय तरीके से संपन्न करवा दी गई थी। इसमें आई अपत्तियों के बारे में प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने क्या कार्यवाही की यह बात सिर्फ और सिर्फ प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारी ही जानते हैं।
इसके दूसरे चरण की लोकसुनवाई 22 नवंबर 2011 को संपन्न हुई। इस बारे में भी पीसीबी की वेब साईट 22 नवंबर 2011 तक खामोश ही रही। लोकसुनवाई में जब इस मामले में शोर शराबा हुआ तब जाकर 23 नवंबर को वेब साईट को अपडेट किया जाकर लोकसुनवाई 22 नवंबर को होने की सूचना दी गई। आरोपित है कि 22 अगस्त 2009 को संपन्न हुई लोकसुनवाई के बारे में शोर शराबा होने पर इसे 17 अगस्त को अपडेट कर जानकारी इसमें डाली गई थी।
दूसरे चरण की लोक सुनवाई में पहले तो पीसीबी की वेब साईट पर संयंत्र प्रबंधन की ओर से पुराना अर्थात 22 अगस्त 2009 वाला कार्यकारी सारांश ही डाल दिया गया। बाद में जब इस मामले में भी शोर शराबा हुआ तब जाकर एक माह के उपरांत संयंत्र प्रबंधन द्वारा नया कार्यकारी सारांश बनाकर पीसीबी को दिया गया। पीसीबी ने गौतम थापर की देहरी पर कत्थक करते हुए पुराने कार्यकारी सारांश को बदल दिया गया। पीसीबी के सूत्रों के अनुसार करोड़ों रूपयों की चढ़ोत्री के उपरांत ही पीसीबी के अधिकारियों ने इस मामले में मौन साधे रखा गया है।
यक्ष प्रश्न आज भी यही उठ रहा है कि जब कार्यकारी सारांश ही पीसीबी की वेब साईट पर नहीं था, पीसीबी के कार्यालयों में कार्यकारी सारांश पुराना वाला था तो लोक सुनवाई आखिर किस आधार पर संपन्न हो गई। नियमानुसार तो यह लोकसुनवाई ही निरस्त किया जाकर नए सिरे से लोकसुनवाई संपन्न कराना चाहिए। चर्चा है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा प्रदूषण नियंत्रण मण्डलके अधिकारियों के सामने थैलियों के मुंह खोल दिए हैं। संभवतः यही कारण है कि भारी आर्थिक दबाव के चलते प्रदूषण नियंत्रण मण्डल भी झाबुआ पावर के सुर में सुर मिला रहा है।
यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

युवराज के लिए सजाया जाने लगा है पीएमओ


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 85

युवराज के लिए सजाया जाने लगा है पीएमओ

इकबाल बुलंद हो गया है पुलक चटर्जी का

चटर्जी की इज़ाज़त के बिना नहीं हिल रहा पीएमओ में पत्ता



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारत गणराज्य के सबसे ताकतवर संवैधानिक पद पर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की ताजपोशी की तारीख अब करीब ही आने लगी है। सोनिया गांधी ने अपने सबसे विश्वस्त पुलक चटर्जी को मनमोहन सिंह का प्रधान सचिव बनाकर इस बात के संकेत पहले ही दे दिए थे कि प्रधानमंत्री कार्यालय अब अपनी मर्जी से नहीं चल सकता। पुलक चटर्जी अब इतने ताकतवर हो गए हैं कि उनकी मंशा के बिना पीएमओ में पत्ता भी नहीं हिल पा रहा है।
पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि पिछले साल नवंबर में पुलक चटर्जी की राजीव गांधी फाउंडेशन में दो मर्तबा प्रियंका गांधी से लंबा विचार विमर्श हुआ। कैबनेट बैठकों के बारे में भी जनसूचना अधिकारी नीलम कपूर को पाबंद किया गया है कि वे हर जानकारी पुलक चटर्जी को मुहैया करवाएं।
सूत्रों ने बताया कि एक मर्तबा जब गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम अपनी बीमार मां को देखने तमिलनाडू गए थे तब सीसीईए की बैठक पर मीडिया को ब्रीफ करने के लिए नीलम ने अंबिका सोनी का नाम सुझाया तो पुलक चटर्जी की भवें तन गईं और उन्होंने अंबिका के बजाए इसके लिए सलमान खुर्शीद को आगे कर दिया।
पुलक चटर्जी का इकबाल इस कदर बुलंद है कि सुरक्षा से संबंधित एक नस्ती बिना चटर्जी के पास से गुजरे सीधे नेशनल सिक्यूरिटी एडवाईजर के पास चली गई तो चटर्जी का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। सूत्रों के अनुसार चटर्जी ने इसकी शिकायत सीधे सीधे कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी से कर दी कि पीएम उन्हें बायपास कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार सोनिया ने इस मामले में मनमोहन सिंह से अपनी तल्ख नाराजगी का इजहार किया। घबराए मनमोहन सिंह ने तत्काल समस्त एजेंसियों को ताकीद कर दिया कि कोई भी नस्ती भले ही वह कितनी भी गोपनीय या महत्वपूर्ण हो, बरास्ता पुलक चटर्जी ही आगे बढ़ेंगी। कल तक ताकतवर रहे कुट्टी नायर का कद बेहद कम हो चुका है। उन्हें एक छोटा सा कमरा दिया गया है, बैठने के लिए।
जानकारों का कहना है कि पुलक चटर्जी पीएमओ में बैठकर मनमोहन सिंह के बाद कार्यभार संभालने वाले संभावित प्रधानमंत्री राहुल सिंह के रोड़मेप तैयार कर रहे हैं। पीएमओ को राहुल गांधी के हिसाब से व्यवस्थित किया जा रहा है। पीएमओ में कारिंदे भी राहुल गांधी की तासीर के हिसाब से तैनात करने की तैयारियां की जा रही हैं। कहा जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के होते ही राहुल गांधी देश की बागडोर संभाल सकते हैं

(क्रमशः जारी)

समझौता विस्फोट मामले में एक धराया


समझौता विस्फोट मामले में एक धराया

(यशवंत श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में एक और व्यक्ति गिरतार किया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस सिलसिले में इन्दौर के निवासी कमल चौहान को हिरासत में लिया है। समझा जाता है कि वह, मामले के प्रमुख आरोपित रामजी कलसांगरा और संदीप डांगे का निकट सहयोगी है।
मध्य प्रदेश में इन्दौर में देपालपुर तहसील में उसके निवास पर सम्मन भेजकर उसे पूछताछ के लिए नई दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के मुख्यालय में पेश होने को कहा गया था। सरकारी सूत्रों ने बताया कि उससे रामजी और संदीप के बारे में पूछताछ की जा रही है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इन दोनों की जानकारी देने वाले को दस लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की है। एजेंसी ने इस मामले में स्वामी असीमानन्द, साध्वी प्रज्ञा, सुनील जोशी, संदीप डांगे, लोकेश शर्मा और रामजी कालसांगरा को आरोपित बनाया है। गौरतलब है कि फरवरी २००७ में समझौता एक्स्प्रेस में हुए विस्फोटों में ६८ लोग मारे गए थे।

भारत पाक वाणिज्य मंत्रियों की वार्ता आज से


भारत पाक वाणिज्य मंत्रियों की वार्ता आज से

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। भारत और पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रियों की वार्ता आज इस्लामाबाद में शुरू होगी। भारतीय पक्ष का नेतृत्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और पाकिस्तान का, वाणिज्य मंत्री मखदूम अमीन फहीम करेंगे। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए सभी संबद्ध मुद्दों पर बातचीत की जाएगी।
दोनों मंत्री वाघा सीमा पर समन्वित सीमा चौकी के दूसरे गेट के निर्माण की प्रगति की समीक्षा करेंगे। श्री शर्मा, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से मुलाकात करेंगे। वे बृहपतिवार को इस्लामाबाद में साफ्घ्टा मंत्रिस्तरीय परिषद की छठी बैठक को संबोधित करेंगे।
श्री शर्मा के साथ पाकिस्तान यात्रा पर गए उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल  में १२० बड़े उद्योगपति शामिल हैं। श्री आनन्द शर्मा ने कल नई दिल्ली में कहा कि उनकी पाकिस्तान यात्रा से दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए सकारात्मक माहौल बनने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार, भागीदारी, विश्वास तथा भरोसा बढ़ाने के लिए अप्रैल में भारत के वाणिज्य सचिव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान गया था। भारत के निमंत्रण पर पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री सितंबर में भारत आए थे और  चर्चा सार्थक रही थी।

दिल्ली वार्ता का चौथा दौर आज से


दिल्ली वार्ता का चौथा दौर आज से

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। ‘‘भारत और आसियान: शांति, प्रगति और स्थिरता में भागीदार‘‘‘ विषय पर दिल्ली वार्ता का चौथा दौर आज से नई दिल्ली में शुरू हो रहा है। इसकी शुरूआत २००९ में आसियान क्षेत्र के साथ भारत के व्यापक सहयोग के लिए हुई थी।
दो दिन के इस कार्यक्रम में आसियान के सभी दस सदस्य देशों ने या तो अपने प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं या वे वक्ताओं और पैनल के सदस्यों के रूप में भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम में आर्थिक सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा, सुरक्षा संबंधी गैरपरम्परागत खतरों और ज्ञान विज्ञान के बारे में चर्चा होगी। विदेश मंत्री एस एम कृष्णा इसका उद्घाटन करेंगे और पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए पी जे अब्दुल कलाम मंगलवार को समापन भाषण देंगे।

ब्रितानी विदेश मंत्री आज भारत में


ब्रितानी विदेश मंत्री आज भारत में

(धीरेंद्र श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। ब्रिटेन के विदेश राज्य मंत्री जर्मी ब्राउन आज से ५ दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इस दौरान दोनों देश आपसी संबंध मजबूत बनाने पर बल देंगे। मई २०१० में विदेश राज्य मंत्री का पद संभालने के बाद श्री ब्राउन की ये दूसरी भारत यात्रा है। इस दौरान वे आपसी और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
श्री ब्राउन नई दिल्ली में आपदा प्रबंधन और सुरक्षा पर भारत-ब्रिटेन के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन भी करेंगे। यह सम्मेलन भारत और ब्रिटेन के उद्योग जगत और सरकार से संबद्ध प्रमुख विशेषज्ञों को एक मंच पर लाएगा।

डिपो मैनेजर के संरक्षण में बदहाल बस स्टैंड


डिपो मैनेजर के संरक्षण में बदहाल बस स्टैंड



(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। अपने अस्त्वि की समाप्ति की कगार पर खडे मप्र राज्य परिवहन बस स्टेंड अब एक बार फिर सुर्खियों पर आने पर बेताब है यहां कोई अच्छे कामों को लेकर चर्चाओं मंे आने की बजाय एक बार फिर अपनी बुरी कथनी और करनी के लिये चर्चाओं का विषय बना हुआ है किसी समय मंे सभ्य नगर कहलाने वाला सिवनी शहर अब अश्लीलता का पर्याय बन रहा है अव्यवस्थित बसों का खडा होना जाम लगना यहां आम बात है व्यवस्थित बस स्टेंड की बजाय यहा पूर्णतः यह अव्यवस्था का बस स्टेंड बन चुका है।
देखा जाए तो बस स्टेंड मंे अगर नियम अनुसार बसों का आवागम हों तो यहां जाम की स्थिति नहीं बनेगी लेकिन बस संचालकों की मनमर्जी और डिपो मैनेजर की लापरवाही के कारण अब यह बस स्टेंड अव्यवस्थित रूप से संचालित हो रहा है सूत्र बताते हैं कि यहां खडे कई वाहन अपने नंबर पर नहीं होते उसके पश्चात भी यह सरकारी बस स्टेंड परिसर पर बैखोफ खडे रहते हैं और जाम की स्थिति बना देते हैं साथ ही बस ड्रायवर कंडेक्टर और हेल्परों की संख्या के साथ-साथ यह अपने मित्र बंधुओं को खडा कर गप्पेबाजी मंे व्यस्त रहते हैं तो वहीं ट्रेवल्स संचालकांे के द्वारा बस भराने के लिये एजेंटों को नियुक्त किया जाता है लेकिन ये एजेंट भी दो चार सडकछाप मजनुओं को अपने साथ खडे होकर चिडीबाजी करते नजर आते हैं।

क्यांे नहीं होती इन मजनुओं पर कार्यवाही
एजेंटों के साथ सडकछाप मजनुओं के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं बस स्टेंड परिसर पर यात्रा करने व अपने परिजनों को छोडने आए नागरिकों के साथ आए दिन उनकी बहू बेटियों व बहनों के साथ यहां छेडछाड की जाती है । लेकिन इस प्रति प्रशासन मौन रहता है जबकि पास मंे ही यातायात चौकी हैं। यहां अक्सर पुलिसकर्मी व यातायात कर्मी तैनात होते हैं इनकी उपस्थिति के पश्चात भी यहां न तो जाम की स्थिति की छुटकारा नागरिकों को मिल पाता है और न ही सडकछाप मजनुओं से प्रश्न यह उठता है कि क्या हमारा पुलिस प्रशासन इतना पंगु हो चुका है कि ऐसे सडकछाप मजनूं और जाम लगाने वाले बस संचालकों पर के आगे अपने आपको बौना समझ इन्हें अपनी मनमर्जी करने की खुली छूट दे रखी है यह समझ से परे है कि आखिर इन पर कार्यवाही क्यांे नही होती ।

समय पर साफ सफाई का आभाव
सरकारी बस स्टेंड परिसर पर घुसते ही यात्रियों को ऐसा प्रतीत होता है कि मानों किसी बस स्टेड पर नहीं बल्कि जिले के सबसे बडे पेशाबघर पर आ घुसे हैं। बदबू से बजबजाता सरकारी बस स्टेंड परिसर पर गंदगी का अंबार लगा हुआ रहता है यहां साफ सफाई का आभाव अक्सर रहता है जबकि वर्तमान पर सरकारी बस स्टेंड में एक सुव्यवस्थित पेशाबघर की व्यवस्था की गई है उसके पश्चात भी यह यात्रियों की न समझी ही है कि लोग पुराने पेशाबघर पर जाते हैं और साफ सफाई की व्यवस्था पर बटटा लगाते हैं। ऐसे मंे जिला प्रशासन को क्या करना चाहिए कि वह पुराने पेशाबघर को तोडकर उसे समतल कर देना चाहिए और परिसर पर मूत्र त्याग करने वाले पर दंड के रूप मंे जुर्माना लगाकर ऐसे अव्यवस्थित व्यवस्था पर रोक लगानी चाहिए।
कुछ दिनों पहले नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के द्वारा साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया जो काबिले तारीफ थी लेकिन यह पहल भी कुछ दिनों के बाद ठंडी पडती नजर आई ऐसे मंे हमारे शहर के नेताओं को भी नगर की साफ सफाई को लेकर जागरूक रहना चाहिए जिससे शांत शहर के नाम से जाने जाना वाला हमारा सिवनी शहर साफ सफाई के नाम से पहला नंबर गिना जाए।

दोनो गेटों पर अतिक्रमण
संचालित बस स्टेंड परिसर पर अव्यवस्था और जाम का एक कारण यह भी है कि यहां पर बस स्टेंड परिसर पर आने जाने वाले दोंनो गेटो पर अवैध रूप से कुछ छोटे व्यापारियों के द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है जिससे यहां पर यात्री उसी स्थान से आना और जाना करते हैं जहां से वाहनों के प्रवेश और निकासी का रास्ता होता है । सूत्र बताते हैं कि बस स्टेंड के आसपास के परिसर मंे एवं दोनो गेटों मंे जिन व्यापारियों द्वारा अतिक्रमण किया गया है वे प्रतिमाह डिपो मैनेजर को चढोत्री चढाकर इस अतिक्रमण को बरकरार रखे हुए हैं और यही कारण है कि डिपो मैनेजर भी इस अतिक्रमण के प्रति मौन साधे बैठे हैं। यहीं नही विश्वसीय सूत्रो की मानें तो दोनो गेटो को टीन की चादरों से बंद कर चारों ओर से ढक दिया है। बताया जाता है कि यहां पर कुछ आसामाजिक तत्व आए दिन ताश की 52 पत्तियों की महफिल सजा और कुछ अनैतिक कार्यो को अंजाम देते हैं जो कार्यवाही का विषय है।

जुंए की जद में शिव की नगरी!


जुंए की जद में शिव की नगरी!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। वर्तमान समय में तेजी से अमीर बननें की तमन्ना हर युवा अपनें दिल मंे संजोए बैठा है इस  इच्छा को पूरा करने के लिये आज प्रतिस्पर्धा इतनी बढ गई है कि कोई भी यह देखने को तैयार नहीं कि काम जो वो कर रहा है वह सहीं है या गलत। नगर में तो कई जुंए के अड्डे चल ही रहे हैं जहां चाह के बाद भी पुलिस को राह नजर नहीं आ रही है किंतु अचम्भे की बात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी ताश की पत्ती का यह खेल खेत-खेत में खेला जाने लगा है और इतना व्यापक स्वरूप ले चुका है कि शहरी क्षेत्र के जुंआडी भी गांवो मंे जाकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिवनी अडोस पडोस के जिलों में इसलिये ख्यातिलब्ध हो चुका है कि यहां बडे-बडे दांव अंदर बाहर होते हैं। जिसके चलते बालाघाट, छिंदवाडा, मंडला, नरसिंगपुर तक से लोग यहां आ रहे हैं और कभी जीत तो कभी हार कर रहे हैं।
ऐसा भी माना जा रहा है कि ये सब पुलिस की जानकारी मंे तो है किंतु पुलिसया विभाग भी इन पर कोई  कार्यवाही करने से गुरेज रखता है अब उसका कारण जो भी हो पर इतना तो सभी को ज्ञात है कि इन जुंए के फड लगाने वालों ने कई घरों से चिराग अपने हाथो से बुझाए हैं और अगर शीघ्र कार्यवाही करके ये सब काले धंधे बंद नहीं कराए गये तो वह दिन दूर नहीं जब या तो हर दिन कर्जे मंे दबे जुंआरी आत्महत्या करंेगे या फिर जुंआ खिलाने के धंधे के चलते गैंगवार होगा। जिला पुलिस अधीक्षक को अपने विभाग की लगाम कसकर खींचने की अत्यंत आवश्यकता  आन पडी है। लाने वाला बस स्टेंड कई अनैतिक कार्यो का अड्डा है जिसे हम अपने समाचार मंे पहले भी बता चुके हैं यह सारे कारनामों के बाद भी आजतक जिला प्रशासन बस स्टेंड परिसर मंे घूमते आवारा तत्व व अव्यवस्था के प्रति चौकन्ना होता नजर नहीं आया। ऐसा प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन किसी बडी घटना का इंतजार कर रहा है शायद किसी बडी घटना के बाद भी जिला प्रशासन अपनी कुंभकरणीय नींद से जागेगा और उसके पश्चात भी शायद बस स्टेंड पर फैले अनैतिक कार्यो पर अंकुश लग पायेगा।

धनिया में हैं अनेक गुण


हर्बल खजाना ----------------- 23

धनिया में हैं अनेक गुण



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। आमतौर पर सब्जियों में मसाले और सुगंध के लिए इस्तेमाल होने वाले धनिया की खेती भारत के हर हिस्से में होती है। औषधीय गुणों से भरपूर धनिये का वानस्पतिक नाम कोरिएंड्रम सटाईवम है। हरे ताजे धनिया की पत्तियाँ लगभग २० ग्राम और उसमें चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें और रस छान लें।
इस रस की दो बूँदे नाक के छिद्रों में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर हल्का हल्का मलने से नाक से निकलने वाला खून जिसे नकसीर भी कहा जाता है, तुरंत बंद हो जाता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें और इसकी दो बूँदे आँखों में टपकाने से आँखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएँ दूर होती हैं।
धनिया महिलाओं में मसिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यदि मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर पानी में लगभग ६ ग्राम धनिए के बीज डालकर खौलाएं और इसमें शक्कर डालकर पीएं, फायदा होगा। धनिए को मधुमेह नाशी भी माना जाता है। इसके सेवन से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है।
धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। धनिए के जूस में हल्दी का चूर्ण मिलाकर चेहरे पर लगाएं, इससे मुहाँसों की समस्या दूर होती है और यह ब्लैकहेड्स को भी हटाता है। सौंफ, मिश्री व धनिया की समान मात्रा लेकर चूर्ण बना कर ६-६ ग्राम प्रतिदिन भोजन के बाद खाने से हाथ पैर की जलन, एसिडिटी, आँखों की जलन, पेशाब में जलन व सिरदर्द दूर होता है। धनिया के बारे में नवीन शोध बताते हैं कि धनिया की पत्ती खाने से किडनी स्वस्थ्य रहती है।
(साई फीचर्स)
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भईया जी नहीं चाहते मनमोहन रहें पीएम


ये है दिल्ली मेरी जान



(लिमटी खरे)

भईया जी नहीं चाहते मनमोहन रहें पीएम
वज़ीरे आज़म की बिदाई किसी भी वक्त हो सकती है। प्रधानमंत्री के सहयोगी मंत्री ही अब पीएम की बिदाई की कामना में लग गए हैं। अब उनके सहयोगी मंत्री ही भविष्य का संकेत दे रहे है। यूपी कोटे से केंद्रीय इस्पात मंत्री बने बेनी प्रसाद वर्मा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उम्र ज्यादा होने के बारे में विवादास्पद बयान दे डाला। वर्मा ने शनिवार को जौनपुर में कहा कि पीएम मनमोहन सिंह 80 साल के हैं, 2014 में 82 के हो जाएंगे। काम करने की आयु और सीमा होती है। ऐसे हालात में राहुल जी प्रधानमंत्री बनेंगे। बेनी ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के हाथों को मजबूत करने के लिए कहा। बेनी वर्मा की इस कामना से लगने लगा है कि अब मनमोहन सिंह के सहयोगी ही उनकी बिदाई का ताना बाना बुन रहे हैं। संभवतः यह पहला मौका होगा जब किसी मंत्री ने प्रधानमंत्री की इस तरह सीधे सीधे मुखालफत की हो। राहुल गांधी की तारीफों में कशीदे गढ़कर कांग्रेसी नेता राहुल कैबनेट में अपने अपने स्थान पुख्ता करने में लगे हुए हैं।

जनता के धन में आग लगातीं अंबिका!
देश की सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने जनता के गाढ़े पसीने से संचित अरबों खरबों रूपयों को पानी में बहाने की तैयारी पुख्ता कर ली है। इस साल सूचना प्रसारण मंत्रालय के सरकारी कलेंडर में सोनिया गांधी के संदेश और फोटो को वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह से पहले स्थान दिया गया है। इतना ही नहीं करोड़ों की तादाद में छपे इन मंहगे कलेण्डर को देश के छः लाख गांवों में निजी तौर पर भेजा जा रहा है। इसके लिए चार चके के वाहन में जीपीएस लगवाकर काम को अंजाम दिया जा रहा है। इसका ठेका निजी कंपनियों को दिया गया है। मंत्रालय ने जिला कलेक्टर से लेकर ग्राम पंचायत तक इस कलेंडर को बटवाने की व्यवस्था की है। आम चुनावों के पहले कांग्रेस अपनी छवि के निर्माण के लिए जनता के धन के पैसे का सरासर दुरूपयोग किए जा रही है और विपक्ष में बैठी भाजपा मूकदर्शक बनी बैठी है।

कैबनेट के बाहर हो गए अनंत कुमार!
भारतीय जनता पार्टी में अनंत कुमार इन दिनों हाशिए पर ही चल रहे हैं। एल.के.आड़वाणी की रथ यात्रा के उपरांत शिकवे शिकायतों के पुलिंदों ने अनंत कुमार को आड़वाणी की किचिन कैबनेट से हटाकर किनारे लाकर खड़ा कर दिया है। दरअसल, दादा की रथ यात्रा के प्रभारी रहे अनंत कुमार से आड़वाणी का परिवार खासा खफा है। आड़वाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि यात्रा के दौरान उनका अख्खड़ और घमंडी स्वभाव आड़वाणी के परिवार को आहत कर गया। बची खुची कसर निकाली दी रविशंकर प्रसाद और अर्जुन मुण्डा ने। दोनों ही नेताओं को अनंत कुमार ने अपने अपने क्षेत्रों में माईक पकड़ने ही नहीं दिया। अनेक नेता इसलिए भी नाराज थे, क्योंकि अनंत कुमार ने सबको अंडर एस्टीमेट करते हुए किनारे किया था। आड़वाणी जुडांली इस बात से भी खफा है कि अनंत कुमार के चलते आड़वाणी की रथ यात्रा को वांछित कव्हरेज नहीं मिल पाया।

राहुल से तगड़ा है प्रियंका का मीडिया मैनेजमेंट
कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी की पीआर बेहद ही कमजोर लोगों के हाथों में है। यही कारण है कि मीडिया में उनकी छवि उस तरह की नहीं बन पा रही है जैसी कि इतने जतन के बाद बननी चाहिए। आज भी देश भर में राहुल गांधी को परिपक्व नहीं माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर राजनीति के किनारे किनारे चलने वाली उनकी बहन प्रियंका का मीडिया मैनेजमेंट देखकर जानकार दातों तले उंगली दबा लेते हैं। प्रियंका की पीआर संभालने वाले लोगों ने समाचार चेनल्स के साथ ही साथ प्रिंट को भी मैनेज किया। मीडिया में प्रियंका की वढ़ेरा के स्थान पर गांधी वाली छवि को उकेरा जा रहा है। मीडिया को चुनावों के दौरान ही प्रियंका में अपनी दादी यानी प्रियदर्शनी श्रीमति इंदिरा गांधी की छवि दिखाई देने लगती है। फिर क्या है लोग भावनात्मक रूप से प्रियंका और कांग्रेस से अविभूत ही नजर आने लगते हैं।

गड़करी की पीठ पर संघ का हाथ
महाराष्ट्र की सूबाई राजनीति से एकाएक उठकर देश के फलक पर छाने वाले भाजपा के निजाम नितिन गड़करी की लाटरी लग गई है। भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपना वरद हस्त गड़करी की पीठ पर रख दिया है। गड़करी अब दूसरे टर्म के साथ ही देश के आम चुनाव भी करवाएंगे। प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी गड़करी ने न केवल भाजपा में ही अपनी मर्जी के मुताबिक काम किया है वरन् भगवा पार्टी को मनचाहे तरीके से हांका भी है। दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि भाजपा को निर्देशित और मार्ग दिखाने वाला संघ इन दिनों गड़करी का खासा मुरीद हो चुका है। संघ ने गड़करी को साफ साफ कह दिया है कि वह गड़करी की कार्यप्रणाली से संतुष्ट है।

पचौरी की अग्निपरीक्षा आरंभ
वज़ीरे आज़म डॉक्टर मनमोहन सिंह की नाक का बाल बन चुके हरीश खरे को एकाएक प्रधानमंत्री कार्यालय से रूखसत कर उनके स्थान पर लाए गए टीवी एंकर पंकज पचौरी के सामने अब प्रमुख चुनौती यह सामने आ रही है कि क्या वे सरकार की नाकामियों पर पर्दा डालने का जतन कर पाएंगे। सरकार के आलोचकों और समालोचकों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार हरीश खरे को आनन फानन हटाकर सरकार ने अपना चेहरा बदलने का प्रयास अवश्य ही किया है पर वह इस मामले में सफल नहीं हो पाएगी। इसका कारण यह है कि सरकार का चेहरा तो मनमोहन सिंह हैं, हरीश खरे तो बस मेकपमेन की भूमिका में थे। कहा जा रहा है कि हरीश खरे वाकई तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी थे, जिनके मुकाबले पंकज पचौरी पासंग में नहीं बैठ रहे हैं।

सिब्बल नहीं रहे मन के प्यारे
एक समय था जब प्रधानमंत्री आवास और कार्यालय में संचार मंत्री कपिल सिब्बल की तूती बोला करती थी। अब समय बदला है और सिब्बल की पूछ परख पीएमओ में कम हो चुकी है। पीएम के नए मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी ने इशारों ही इशारों में देश भर को बता दिया है कि कपिल सिब्बल की हैसियत और रसूख अब पीएमओ में नहीं बचा है। दरअसल, कपिल सिब्बल के फोटो आदि को फेसबुक और ट्विटर पर जमकर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था। संभवतः यही कारण था कि सिब्बल ने सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर लगाम लगाने की वकालक कर डाली थी। उधर, पचोरी के पीएमओ में आमद देते ही प्रधानमंत्री कार्यालय ही ट्विटर पर आ गया। जानकारों का कहना है कि सिब्बल के सीधे विरोध के बाद इस तरह के कदम उठाने से साफ है कि पचौरी को इशारा दिया गया है वे इशारों में सिब्बल का कद समझा दें।

भट्टा परसौला न बन जाए घंसौर
जिस तरह जमीन के मुआवजे को लेकर उत्तर प्रदेश के भट्टा परसौला में किसानों का आदोलन छेड़ा था, उसी तर्ज पर अब मध्य प्रदेश के सिवनी जिले का केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील जाते दिख रहा है। आदिवासियों की जमीनों पर जबरिया कब्जे के आरोप देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड पर लगने लगे हैं। बताया जाता है कि घंसौर क्षेत्र के आदिवासियों की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि बिचौलियों के हाथों जमीन बेचने के बाद अब आदिवासी रोजगार की तलाश में पलायन को मजबूर हो रहे हैं। जमीन का अधिग्रहण करते वक्त मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा आदिवासियों को जो सब्ज बाग दिखाए गए थे, वे अब तार तार हो रहे हैं। आलम यह है कि भोजन पानी के जुगाड़ में आदिवासी अब यत्र तत्र मेहनत मजदूरी को विवश हैं।

महामहिम बनने की तमन्ना मन में पाले बैठे हैं सेना प्रमुख
विवादों में घिरे सेना प्रमुख जनरल वी.के.सिंह मन ही मन रायसीना हिल्स को अपना आशियाना बनाने की जुगत में दिख रहे हैं। राजग की ओर से उन्हें राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने के सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं। संभवतः यही कारण है कि आत्मविश्वास से लवरेज सेना प्रमुख कांग्रेस से टकराने में भी नहीं हिचक रहे हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि भाजपा की ओर से सेना प्रमुख को इस आशय के संकेत दिए जा चुके हैं। भाजपा को डर वाम दलों का है। वैसे बताते हैं कि प्रकाश करात का इसके लिए साफ्ट कार्नर है। पार्टी की अप्रेल में होने वाली बैठक में वाम दल इस मसले पर विचार कर सकते हैं। जनरल वी.के.सिंह अंदर ही अंदर फूले नहीं समा रहे होंगे, अधर, भाजपा द्वारा इस मामले में ओम प्रकाश चौटाला और अजीत सिंह से भी बातचीत का मन बनाया जा रहा है।

ममता को लेकर कयास
कांग्रेस के साथ ममता बनर्जी की तल्ख बयानबाजी से अब सियासी गलियारों में इस बात को लेकर अंदाजा लगना आरंभ हो गया है कि त्रणमूल कांग्रेस का उंट अगले लोकसभा चुनावों के दौरान किस करवट बैठेगा? कयास लगाए जा रहे हैं कि ममता और कांग्रेस की तल्खी को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। वहीं कुछ का मानना है कि ममता वापस एनडीए के खेमे में जाने को आतुर दिख रही हैं। एनडीए में ममता बनर्जी की वापसी की खबरों का त्रणमूल कांग्रेस का एक धड़ा सिरे से विरोध कर रहा है। कहा जा रहा है कि इस बार पश्चिम बंगाल में मुसलमानों ने त्रणमूल कांग्रेस को जितना समर्थन दिया है उससे कम तो वाम दलों को मिला करता था। इन परिस्थितियों में ममता बनर्जी भला अल्पसंख्यकों को नाराज कर भारतीय जनता पार्टी से हाथ कैसे मिला सकती हैं? वहीं, दूसरी ओर ममता की तल्खी को देखकर कांग्रेस के अंदरखाने में भी उनके खिलाफ रोष उमड़ने लगा है।

शिवराज पर संकट के बादल!
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी संकट के बादल दिखाई पड़ने लगे हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पांच राज्यों की विधानसभाओं के परिणाम आने के उपरांत मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन अवश्यंभावी है। शिवराज सिंह चौहान के राज में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड ध्वस्त हो चुके हैं। सीबीआई, ईओडब्लू और लोकायुक्त छापों में सरकारी कर्मचारियों से अब तक अरबों की संपत्ति वसूली जा चुकी है। शिवराज की स्थित देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसी ही दिख रही है। शिवराज की दूसरी पारी में शायद ही कोई दिन एसा गया होगा जब मीडिया में किसी सरकारी कर्मचारी से लाखों करोड़ या अरबों रूपए मिलने की खबरें सुर्खियां न बनी हों। चुनावों में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने में कांग्रेस इस बार नहीं चूकने वाली। यही कारण है कि शिवराज सिंह चौहान के सक्सेसर की तलाश शिद्दत से की जा रही है। चर्चाओं में भाजपा के एमपी चीफ प्रभात झा, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल और अनूप मिश्रा के नाम सामने आए हैं।

कन्नोज के आलू किसान परेशान
समाजवादी पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में सत्ता बनाने का दावा किया जा रहा है। इसका मतलब साफ है कि मुलायम सिंह यादव के साहेब जादे अखिलेश ही उत्तर प्रदेश नए निजाम होंगे। अखिलेश वर्तमान में कन्नौज से सांसद हैं। कन्नौज के आलू उत्पादक किसान जब अपनी समस्या लेकर मुलायम के पास गए तो मुलायम ने उन्हें पूरी तरजीह दी और मालूमात की कि आखिर आलू उत्पादकों की फसलें मण्डी तक क्यों नहीं पहुंच पा रही हैं। मुलायम सिंह ने राजीव टंडन नामक विशेषज्ञ को बुला भेजा और एक प्रस्ताव तैयार करवाया। टंडन ने आलू प्रोसेसिंग यूनिट का प्रस्ताव बनाकर मुलायम को सौंप दिया। जिसमें कन्नौज में ही एक आलू प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की बात कही गई थी। मुलायम को कन्नौज से ज्यादा प्यार इटावा से है, फिर क्या था अब यह तय किया गया है कि आलू प्रोसेसिंग यूनिट इटावा में खुलेगा और कन्नौज के किसान करम पर ही हाथ रखे बैठे रहेंगे।

पुच्छल तारा
देश में दूसरी बार मौनी बाबा प्रधानमंत्री बने हैं। पहले पी.व्ही.नरसिंहराव ने पांच साल अपना मुंह बंद कर शासन चलाया इसके बाद कांग्रेस के कभी न चुनाव जीतने वाले डॉ.मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षकबनकर मौन हो गए हैं। इसी बात पर रूड़की से अमिता ने एक ईमेल भेजा है। अमिता लिखती हैं कि इंटरनेट की दुनिया में डॉ.मनमोहन सिंह का नाम ही बदल गया है। अब लोग उन्हें मौनमोहन सिंह कहने लगे हैं। इसका कारण भी है। मनमोहन जब भी कोई प्रस्ताव रखते हैं सदा ही उसका विरोध प्रणव मुखर्जी द्वारा कर दिया जाता है। फिर क्या मनमोहन सिंह मौन हो जाते हैं। इसलिए मनमोहन को अब मौनमोहन कहा जाने लगा है।