बुधवार, 12 सितंबर 2012

एक्सपाईरी डेट की दवा खा रहे मरीज!


एक्सपाईरी डेट की दवा खा रहे मरीज!

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। राज्य मानवाधिकार आयोग की छापेमारी में जिला अस्पताल में चल रही भर्राशाही भी सामने आ गई। जब टीम अस्पताल पहुंची तो वहां के दवा काउंटर में एक दर्जन से ज्यादा दवाएं एक्सपायरी डेट वाली, जिनको मरीजों को देने के लिए रखा गया था। आयोग की टीम यह देखकर भौचक रह गई कि 34 में से केवल दो डॉक्टर ही ड्यूटी पर मौजूद थे। इतना ही नहीं, सीएस डॉ. बीके दास भी टीम की दबिश के बाद पहुंचे।
आंबेडकर अस्पताल की तरह ही जिला अस्पताल में भी मरीजों को भी फटी और मैली चादरों पर लिटाया गया था। मानवाधिकार आयोग की टीम की कुछ दिनों पहले ही आंबेडकर अस्पताल से भी दबिश थी। पर जिला अस्पताल में आंबेडकर से ज्यादा बदहाली मिली। 25 बेड के इस अस्पताल में केवल 10 मरीज भर्ती मिले।
पंडरी स्थित जिला अस्पताल बस नाम का है। यहां की अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। डाक्टरों के समय पर नहीं आने और दवाओं की कमी से यहां बहुत कम मरीज आते हैं। अस्पताल में केवल 10 मरीज भर्ती मिले। दूसरी ओर, आंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में मरीजों के लिए जगह ही नहीं है। मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। जिला अस्पताल में अव्यवस्था के कारण यहां मरीज भर्ती होना ही नहीं चाहते। सुबह 930 बजे जब आयोग की टीम अस्पताल पहुंची, तो दो ही डॉक्टर उपस्थित थे। ओपीडी में चार मरीज ही मिले। सिविल सर्जन डॉ। दास बाद में अस्पताल पहुंचे।
वार्डाे में मटमैले और फटे हुए चादर मिले। मरीजों ने लंबे समय तक चादर की सफाई नहीं होने की शिकायत की। पैथालॉजी लैब में मरीज सुबह आठ बजे से ही बैठे थे, लेकिन लैब तकनीशियन का पता नहीं था। कंसल्टेंट डॉक्टर भी अनुपस्थित मिला। निरीक्षण में आयोग के संयुक्त सचिव दिलीप भट्ट, विधि अधिकारी विवेक तिवारी, निरीक्षक केबी द्विवेदी, एसके सिंह, विभोर सिंह, माया शर्मा, आरक्षक शब्रीनाथन मेनन व गिरधर राजपूत शामिल थे।
आयोग की टीम को कई दवाओं के बोतलों से लेवल फटे मिले। टीम के सदस्यों ने बताया कि अगस्त में एक्सपायर होने वाली दवाइयां इस माह मरीजों को दी गई। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर स्वास्थ्य संचालनालय नियर एक्सपायरी डेट की दवाओं की खरीदी क्यों करता है? प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों, पीएचसी व सीएचसी के लिए स्वास्थ्य संचालनालय के माध्यम से दवा खरीदी की जाती है। आयोग को दवाओं के साथ संचालक स्वास्थ्य से पर्चेस रिपोर्ट पर एनालिसिस रिपोर्ट भी नहीं मिली। जिस आलमारी में जीवन रक्षक दवाएं रखी थीं, उसकी चाबी निरीक्षण के दौरान उपलब्ध नहीं हो सकी। इससे आयोग को पता ही नहीं चल पाया कि आलमारी में कौन-कौनसी दवाएं है।
इस छापेमारी में छापामार दल को कैमेक्स सीरप, टिडिलॉन रिटार्ड टेबलेट, ओबीलॉन एलडी टेबलेट, इमनेटिक ओडी टेबलेट, मेटीडॉन सीरप, टुनाविनिटी कैप्सूल, ट्रिक्यूलर टेबलेट, एनीच तीन टेबलेट व मेडिसेफ स्प्रिट दवाएं एक्सपाईरी डेट की मिलीं।
वहीं दूसरी ओर आंबेडकर अस्पताल में मानवाधिकार आयोग की टीम ने छापा मारकर मरीजों की दुर्दशा देखी। कुछ वार्ड में मरीजों गंदी चादर पर लिटाकर इलाज किया जा रहा था, तो कहीं ओपीडी से एचओडी ही गायब थे। जूनियर डॉक्टर्स गंभीर मरीजों की जांच करते मिले। वार्ड में कालातीत दवाओं का स्टॉक देखकर तो आयोग के सदस्य व अफसर हैरान रह गए।
आयोग की टीम अब अपनी रिपोर्ट राज्य शासन के आला अफसरों को सौंपेगी। टीम ने अस्पताल अधीक्षक डॉ। विवेक चौधरी को भी वहां नजर आई बदइंतजामी से अवगत करा दिया है। आयोग की टीम ने दो साल बाद अस्पताल में छापा मारा है। इस वजह से उनके इस निरीक्षण को कई दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मानवाधिकार आयोग की टीम सुबह 9 बजे ओपीडी पहुंच गई थी। 10 सदस्यीय टीम ने अस्पताल में दाखिल होते ही तीन टीमें बनाईं और अलग-अलग बंट गई। एक टीम मेडिसिन विभाग की ओपीडी पहुंची। शुक्रवार को ओपीडी में डॉ। शशांक गुप्ता की ड्यूटी थी। वे अपनी सीट पर नहीं थे। ओपीडी में सीनियर से इलाज कराने की हसरत लेकर पहुंचे मरीजों को मजबूरी में जूनियर डॉक्टरों से उपचार कराना पड़ रहा था। आयोग की टीम ने जब एचओडी के बारे में पूछा तो वहां मौजूद चिकित्सकों ने बताया कि एचओडी वार्ड में भर्ती मरीजों का परीक्षण करने गए हैं। इसके बाद टीम ने पीडियाट्रिक और न्यूरो सर्जरी विभाग की ओपीडी का निरीक्षण किया।
मानवाधिकार आयोग की टीम ने ऑपरेशन थियेटर, ब्लड बैंक, गायनिक वार्ड और एक्स-रे विभाग का भी निरीक्षण किया। इस दौरान आयोग की टीम सफाई व्यवस्था चकाचक देखकर खासी प्रभावित नजर आई। आयोग के सदस्यों ने अधीक्षक और सहायक अधीक्षक से इसकी सराहना की। हालांकि, एनालिसिस रिपोर्ट दवाओं के साथ उपलब्ध नहीं होना अफसरों को खटक गया।

बैठ गई बीस करोड़ी रोड़

बैठ गई बीस करोड़ी रोड़

(आंचल झा)

रायपुर (साई)। राजधानी में भारी वाहनों को आने से रोकने के लिए बनाया गया जोरा-सड्डू-धनेली बायपास दो साल में ही जर्जर हो गया। इस बायपास के रास्ते में आने वाले टेकारी रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण पूरा नहीं होने के कारण इस पर अभी भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से शुरू भी नहीं हुई है।
20 करोड़ की इस सड़क में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। फाउंडेशन मजबूत नहीं होने की वजह से कई जगह सड़क बैठ गई है। इस सड़क को अगले 15 सालों के भारी ट्रैफिक के हिसाब से बनाई गई थी। बलौदाबाजार रोड के पहले पेट्रोल पंप के पास नाले के बहाव के कारण 50 मीटर हिस्सा बह गया है। इसकी मरम्मत भी नहीं कराई गई है।
राज्य शासन के लोक निर्माण विभाग ने 2007-08 में इसका ठेका कोरबा के श्रीकृष्ण एजेंसी को दिया था। 2009-10 में यह सड़क बनकर पूरी हुई, लेकिन टेकारी रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण में देरी होने के कारण इसमें ट्रैफिक शुरू नहीं हो पाया है। आसपास के गांवों के हल्के मालवाहक इस रोड से दो साल से चल रहे हैं। इन्हीं वाहनों के दबाव को सड़क नहीं झेल पाई। जोरा से बलौदाबाजार रोड तक के सड़क के हिस्से की हालत बेहद खराब है। हर 25 मीटर में सड़क खराब हो गई है। ठेकेदार ने तीन साल की परफार्मेंस गारंटी दी है। इसके पहले भी सड़क पर पैचवर्क का काम कराया गया था।
राजधानी की तंग सड़कों में ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए इस बायपास को बनाया गया है। महासमुंद-मंदिर हसौद की ओर से बिलासपुर जाने वाले वाहन इस समय तेलीबांधा होकर गौरव पथ, शास्त्री चौक, जेल रोड, फाफाडीह, भनपुरी, बीरगांव होकर गुजरते हैं। इनके कारण शहर में कई बार जाम की स्थिति बन जाती है। शहर के भीतर सुबह 10 बजे से लेकर रात 10 बजे तक भारी वाहनों का प्रवेश बंद रखा गया है। इस वजह से दिन में शहर के बीच से भारी वाहनों की आवाजाही बंद रहती है। रात 10 बजे के बाद भारी वाहन रायपुर शहर के भीतर होकर बिलासपुर जाते हैं। बायपास तैयार हो जाने के बाद इन भारी वाहनों को शहर के अंदर आने की जरूरत ही नहीं होगी। वे जोरा-सड्डू-धनेली बायपास से होते हुए सीधे बिलासपुर रोड पहुंच जाएंगे।
जोरा-सड्डू-धनेली बायपास में बलौदाबाजार रोड के पास 19 करोड़ की लागत से फ्लाईओवर का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें अभी 30 प्रतिशत काम बाकी है। बायपास शुरू नहीं होने का एक कारण यह भी है। टेकारी ओवर ब्रिज नहीं बनने के कारण बायपास से अभी हल्के मालवाहक ही गुजर रहे हैं। सड़क की हालत देखने के बाद जानकारों को आशंका है कि सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र के भारी वाहनों की आवाजाही शुरू होने के बाद सड़क की स्थिति और खराब हो जाएगी।

कैग मामले में कमल नाथ सिंधिया आमने सामने


कैग मामले में कमल नाथ सिंधिया आमने सामने

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। मध्य प्रदेश के दो क्षत्रप कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रार दिखने लगी है। भारत के महालेखापरीक्षक के मामले में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ का कहना है कि कैग सही काम कर रहा है वहीं दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि कैग का अनुमान गलत है।
केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन मामले में कैग का 186 लाख करोड रुपये का अनुमान गलत है। सिंधिया ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- कोल ब्लॉक आवंटन मामले में कैग ने निजी कंपनियों को 186 लाख करोड़ रुपये के मुनाफे और सरकारी खजाने को चोट का अनुमान लगाया है, जो गलत है। यह अनुमान आगामी 35 वर्ष के आकलन के आधार पर लगाया है और वह भी कोयले की बिक्री को लेक।
उन्होंने कहा कि कंपनियों को कोल ब्लॉक खुले बाजार में कोयला की बिक्री के लिए नहीं बल्कि ऊर्जा उत्पादन करने के लिए दिया गया। कोयला ब्लॉक के मूल्य का आकलन भी नहीं किया गया है। इसलिए नुकसान का आकलन सही नहीं है। कोल ब्लॉक आवंटन में शर्त थी कि कंपनियां कोयले की बिक्री नहीं करेंगी। इसलिए घाटे को बाजार मूल्य से जोड़ना अतार्किक है। कई कोल ब्लॉक में खनन भी शुरू नहीं हुआ है।
कैग की साठ-गांठ बीजेपी के साथ होने के आरोप के संबंध में पूछे जाने पर सिंधिया ने कहा- कैग एक संस्था है और उसका कामकाज का अपना तरीका है। मैं इस प्रकार के आरोप से सहमत नहीं हूं। हालांकि उन्होंने बीजेपी को आडे हाथ लेते हुए कहा- जब अरुण शौरी विनिवेश मंत्री थे उस समय बीजेपी ने कैग रिपोर्ट को पूरी तरह बकवास (कंपलिटली इडियोटिक) करार दिया था।

सोनिया की शवयात्रा निकाली


सोनिया की शवयात्रा निकाली

(अभिषेक पाण्डे)

बस्ती (साई)। कोयला आवंटन घोटाला को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्त्ताओं ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की शवयात्रा निकाली और पुतला फूंका। नेतृत्व भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष हरीश द्विवेदी ने किया। शवयात्रा गांधी नगर चौराहे से निकली और कंपनी बाग होते हुए शास्त्री चौक पहुंची जहां कांग्रेस और सोनिया गांधी विरोधी नारे लगाए गए तथा पुतला फूंका गया।
हरीश द्विवेदी ने कहा कि घोटाला करना कांग्रेस सरकार की कार्यशैली का एक हिस्सा है। देश की जनता ने बोफोर्स घोटाला सामने आने पर केंद्र की सत्ता पलट दी थी। अब समय आ गया है कि जनता कोयला, आदर्श सोसाइटी, राष्ट्रमंडल खेल सहित अन्य घोटालों को लेकर कांग्रेस को करारा जवाब दे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार हर मोर्चे पर विफल है। महंगाई से पूरा देश तबाह है।
भाजपा जिला संयोजक लक्ष्मी प्रसाद शुक्ल, भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री राकेश श्रीवास्तव और भाजयुमो जिलाध्यक्ष भानु प्रकाश मिश्र केंद्र सरकार पर जमकर बरसे। इन नेताओं ने कहा कि संप्रग ने देश का बंटाधार कर दिया है। आम आदमी परेशान है और सरकार घोटाले पर घोटाले कर रही है। देश की जनता अब कांगेस के कुशासन का करारा जवाब देगी।

सत्ता संगठन में तालमेल का अभाव


सत्ता संगठन में तालमेल का अभाव

(खण्डवा से लौटकर नंद किशोर)

भोपाल (साई)। भारतीय जनता पार्टी और मध्य प्रदेश सरकार के बीच सामंजस्य के अभाव की खबरें अब आम होने लगी हैं। आरोप लगाए जा रहे है कि संघ की शह पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा द्वारा शिवराज सिंह चौहान को अंदर ही अंदर खोखला करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी तारतम्य में अनेक विभागों में सत्ता के बजाए संगठन की पसंद के पदाधिकारी बिठाए जा रहे हैं और तूती भी संगठन की ही बोल रही है।
कभी अनुशासन के लिए पहचानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी में अनुशासन का आलम क्या है, यह मंगलवार को प्रदेश भाजपा कार्यसमिति बैठक में देखने को मिला। कई मंत्री, विधायक, पदाधिकारी, कार्यसमिति सदस्य उद्घाटन सत्र में न केवल लेट आए बल्कि राष्ट्रीय महासचिव अनंत कुमार का भाषण खत्म होने तक आते रहे।
कार्यसमिति का यह सत्र सुबह 11 बजे से था। प्रदेश भाजयुमो अध्यक्ष जीतू जिराती, हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष रामपाल सिंह, खनिज निगम अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा, भोपाल जिला अध्यक्ष आलोक शर्मा साढ़े 11 बजे पहुंचे। राज्यसभा सदस्य अनिल माधव दवे इसके बाद और पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा 12 बजे पहुंचे। उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सवा 12 बजे, पूर्व सांसद कैलाश सारंग एक बजे पहुंचे।
-खंडवा शहर में भाजपा के होर्डिंग्स की टक्कर में कांग्रेस के होर्डिंग्स भी दिखे। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया की एमपीसीए में जीत, सांसद अरुण यादव का नेपा मिल को 1100 करोड़ का पैकेज, सज्जन सिंह वर्मा की जयजयकार वाले पोस्टर भी थे।
-उमा भारती की भाजश के भाजपा में विलय के बाद पहली बार कार्यसमिति बैठक में शामिल हुए नरेंद्र बिरथरे, शैलेंद्र प्रधान, सुधीर अग्रवाल प्रसन्नचित नजर आए।
-आयोजन ओरछा और ग्वालियर कार्यसमिति बैठकों की तुलना में बेनूर नजर आया। अव्यवस्था का आलम ऐसा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी प्रसाधन के लिए परेशान होना पड़ा। वे अव्यवस्था को लेकर झुंझलाए भी।

अब चिकित्सक लिखेंगे स्पष्ट पर्चा!


अब चिकित्सक लिखेंगे स्पष्ट पर्चा!

(दीपक अग्रवाल)

मुंबई (साई)। कहते हैं कि चलती बस में कंडकटर और एक चिकित्सक द्वारा लिखी गई इबारत को अंदाज से ही पढ़ा जा सकता है। डॉक्टरों की लिखी गयी दवा की पर्ची को पढ पाना कई बार काफी कठिन होता है। अस्पष्ट लिखावट के कारण कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती है।
अब इन सबसे निजात पाने के लिए डॉक्टरों की बिरादरी ही सामने आयी है और उनके प्रयासों को महाराष्ट्र सरकार ने भी अपना समर्थन दिया है। लिखावट में सुधार को लेकर राज्य भर के वरिष्ठ डॉक्टरों ने काफी सकारात्मक रुझान दिखाया है। उनका मानना है कि दवा की पर्ची पर साफ स्पष्ट और बडे अक्षरों में लिखावट से कई तरह की समस्याओं से बचा जा सकता है।
डॉक्टरों के एक समूह ने स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी को अपने प्रस्तावित कोशिश के बारे में लिखा है जिसे मंत्री ने एक अच्छा संकेत बताया। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल एक स्वायत्त संस्था है और आम आदमी के हित संबंधी किसी भी कोशिशों का सरकार समर्थन करेगी।’’
मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों ने बताया है कि दवा की पर्ची की लिखावट को पढना कई लोगों के लिए मुश्किलों भरा होता है। खासकर छोटे शहरों और गावों में कई दवा दुकानदार इसे समझ ही नहीं पाते और इस कारण से कभी कभी तो गलत दवा दे दी जाती है। कई बार तो यह घातक सिद्ध होता है।

पांच करोड़ का तलाक!


पांच करोड़ का तलाक!

(यशवंत)

नई दिल्ली (साई)। तलाक देने पर पति को पत्नि को गुजारा भत्ता एक मुश्त या हर माह देने के किस्से तो आम हैं पर एक मुश्त पांच करोड़ रूपए के तलाक का किस्सा अपने आप में अनोखा ही है। सबसे महंगा तलाक का एक मामले सामने आया है, जिसमें पत्नी को गुजारे भत्ते के रुप में 5 करोड़ रुपय मिलेंगे।
दिल्ली के ट्रायल कोर्ट ने हाल ही में तलाक का एक मामला सुलझाया है। पति अपनी बीवी और बेटी के गुजारे भत्ते के लिए पांच करोड़ रूपए देने पर सहमत हो गया। समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों की शादी 1992 में हुई थी। फरवरी 2012 में दोनों ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दी।
पहले पति गुजारे भत्ते के लिए सिर्फ एक करोड़ रूपए देने पर राजी था। छह महीने में ही पति चार करोड़ रूपए और देने पर राजी हो गया। तलाक लेने वाली दंपत्ति के एक बेटा और एक बेटी है। दोनों एक एक बच्चे की कस्टडी लेने पर सहमत हुए। पति बेटे का पालन पोषण करेगा जबकि पत्नी बेटी को पालेगी। पति अब तक पत्नी को 50 लाख रूपए दे चुका है।
बीवी को मिलने वाले पांच करोड़ में से ढाई करोड़ बेटी के नाम बैंक में जमा होंगे। शेष 2.4 करोड़ रूपए में बीवी अपने लिए घर खरीदेगी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पांच करोड़ रूपए मिलने के बाद बीवी का पति की संपत्ति पर कोई हक नहीं रहेगा। पति के वकील प्रभजीत जौहर ने बताया कि दोनों के बीच सहमति बनी है कि बच्चों को देखने के लिए दोनों एक दूसरे के घर आ जा सकते हैं। दोनों आगे से एक दूसरे की जिंदगी में कोई दखल नहीं देंगे।

भ्रष्टाचार रोकने वेब साईट की मदद


भ्रष्टाचार रोकने वेब साईट की मदद

(श्वेता यादव)

बंग्लुरू (साई)। केंद्रीय सचिवालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय के दफ्तर तक भ्रष्टाचार के बोलबाले के बीच यह एक राहत भरी खबर की तरह है। बेंगलुरू की एक समाजसेवी संस्था द्वारा संचालित वेबसाइट आइपेडअब्राइव।कॉम की मदद से स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार कम करने में बड़ी मदद मिली है।
महज एक साल पहले शुरू किये गये इस वेबसाइट पर समाचार लिखे जाने तक 20,747 लोगों ने रिश्वतखोरी से जुड़े अपने अनुभव साझा किये हैं। महज एक शहर से शुरू हुआ यह आंदोलन देश के 485 शहरों में फैल गया है। 11 लाख लोगों के इस साइट पर जाने से ही यह आंदोलन एक बड़ा रूप ले चुका है।
इस वेबसाइट की परिकल्पना के बारे में बताते हुए इसके सह-संस्थापक रमेश रामनाथन कहते हैं कि देश में जहां बड़े-बड़े घोटालों के खिलाफ लगातार आंदोलन हो रहे हैं, मगर सरकारी दफ्तरों में होने वाली छोटे स्तर की रिश्वतखोरी को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा। हमारा यह प्रयास इसी तरह के भ्रष्टाचार की भयावहता को उजागर करने का एक प्रयास है।
इस वेबसाइट पर लोगों को स्थानीय स्तर के भ्रष्टाचार से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। एक तो इन अनुभवों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि विभिन्न सरकारी सेवाओं के एवज में कितनी राशि अदा की जाती है और सामूहिक तौर पर यह किस हद तक देश को प्रभावित करता है। इसके साथ ही वेबसाइट पर भ्रष्टाचार को नकारने के अनुभवों को भी साझा किया जा रहा है और उन अनुभवों के आधार पर घूस मांगने वाले अधिकारियों को अंगूठा दिखाने की समझ तैयार करने की कोशिश की जा रही है।
इस वेबसाइट पर साझा अनुभवों के पढ़कर समझा जा सकता है कि राशन कार्ड बनवाने के लिए कितनी घूस दी जाती है और पासपोर्ट बनवाने के लिए लोगों ने कितने पैसे अदा किये। हाइटेक शहर के नाम से मशहूर बेंगलुरू शहर की प्रशासनिक व्यवस्था में इस वेबसाइट के कारण बड़ा बदलाव आया है।
रमेश रामनाथन बताते हैं कि सबसे पहले ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने वाले विभाग के अधिकारी ने उनसे संपर्क किया। अधिकारी ने इस बात को लेकर शर्मिदगी का इजहार किया कि उनका विभाग घूस देने वालों की सूची में दूसरे नंबर पर है। पहला कदम उठाते हुए उन्होंने अपने विभाग के 20 अधिकारियों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।
जमीन रजिस्ट्री करने वाले विभाग ने भी इसी तरह रमेश से संपर्क कर अपने विभाग से भ्रष्टाचार मिटाने के काम में उनकी मदद मांगी। वे अब इन विभागों की मदद कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने सरकार से इजाजत लेकर 30 सरकारी दफ्तरों में अपने पोस्टर लगाये हैं। इन पोस्टरों में एक नंबर प्रकाशित होता है, जिस पर लोग एसएमएस के जरिये सूचना दे सकते हैं कि फलां अधिकारी या कर्मचारी द्वारा उनसे रिश्वत की मांग की जा रही है। इस कदम से भी बड़े बदलाव की उम्मीद बंधी है।
भारत सरकार भी इस वेबसाइट के काम से प्रभावित है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश उनके संपर्क में हैं और मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायतों को खत्म करने के लिए उनकी मदद लेना चाहते हैं। यह वेबसाइट भारत के अलावा पाकिस्तान, केन्या, जिम्बाब्वे और इंडोनेशिया में भी इसी तरह का काम कर रही है।
फिलीपींस और मंगोलिया में बहुत जल्द अपना काम शुरू करने वाली है। इस काम को अंजाम देने वाले रमेश रामनाथन का जन्म 7 नवंबर, 1963 को कर्नाटक के रायलाचेरुवु गांव में हुआ। उनकी पढ़ाई-लिखाई बेंगलुरू में ही हुई। बाद में अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। 1998 तक उन्होंने सिटी बैंक के लिए लंदन और न्यूयार्क में काम किया। 1998 में भारत लौटे और अपनी पत्नी स्वाति के साथ मिलकर 2001 में जनाग्रह नामक एनजीओ की स्थापना की। यही संस्था जनाग्रह आइपेडअब्राइब।कॉम का भी संचालन करती है।

मंहगी शादियों पर केंद्र की नजर


मंहगी शादियों पर केंद्र की नजर

(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। कहते हैं दिल्ली में अमीरजादों की शादी में चुनाव जितना खर्च हो जाता है। जी हां, यह सच है। शादी ब्याह में शानो शौकत दिखाने के चक्कर में जनसेवकों द्वारा पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल, कमल नाथ, नितिन गडकरी और जयललिता के घरों की शादियों को देखकर लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली थी।
अगर आप शादी पर करोड़ों रुपये खर्च करने की योजना बना रहे हैं तो इस योजना पर पानी फिर सकता है। केंद्र सरकार शादियों में फिजूलखर्ची पर पाबंदी लगाने के लिए कानून लाने की तैयारी कर रही है। अगर कानून अमल में आया तो अपनी दौलत का दिखावा करना भारी पड़ सकता है।
शायद ही कोई ऐसा होगा जो सात फेरों में सादगी की ख्वाहिश रखता हो। लेकिन केंद्र सरकार का डंडा चला तो शादियों में शानदार आतिशबाजी, शोरशराबे और फिजूलखर्जी पर लग सकती है रोक क्योंकि सरकार चाहती है कि दूल्हा-दुल्हन सिर्फ फेरे ही फेरे लें, धूम धड़ाका ना करें।
इस सादगी के पीछे महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ की मंशा है कि लोगों की ट्रैफिक की दिक्कत दूर हो, देश का पेट्रोल बचे और इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए कानून बने। ये बात अलग है कि समाज के लिए आईना कहे जाने वाले राजनेताओं का भी कम बुरा हाल नहीं है।
नागरिक उड्डयन मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल ने अपनी बेटी की उदयपुर में शादी में पानी की तरह पैसा बहाया। शादी में आने वाले मेहमानों के लिए पूरा एयरपोर्ट दुल्हन की तरह सजा दिया गया। इसी तरह केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के पुत्र के विवाह में उनके संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में पांच लाख लोगों को आमंत्रित कर रिकार्ड स्थापित किया गया था।
बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने भी अपने सबसे बड़े बेटे की शादी में पानी की तरह पैसा बहाया। बताया जाता है कि उन्होंने अपने बेटे को 9 करोड़ का महल और बीएमडब्लू कार तक भेंट कर डाली। बताया जाता है कि गडकरी के बेटे के रिसेप्शन में एक करोड़ रुपये खर्च किए गए।
एआईडीएमके की मुखिया जयललिता के घर वी सुधाकरण की शादी में एक लाख लोगों ने शिरकत की। 1995 में हुई इस शादी में जयललिता ने 6 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

नेताजी ने दिखाई कांग्रेस को आंखें


नेताजी ने दिखाई कांग्रेस को आंखें

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अचानक ही कांग्रेस की खिंचाई करने वाले बयान देकर सभी को चौंका दिया है। मुलायम सिंह यादव ने एक हैरानी में डालने वाली टिप्पणी करते हुए कहा है कि उनकी समाजवादी पार्टी विपक्ष में है और इस नाते वह अपनी भूमिका को पूर्णता के साथ निभाएगी। सपा संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली प्रमुख पार्टी है।
केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए मुलायम ने कहा कि यह दिशाहीनहै। उन्होंने कहा, ‘इतने घोटाले हो रहे हैं। इतना भ्रष्टाचार है। हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा।उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम विपक्ष में हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी के खिलाफ हैं। हम नीतियों (संप्रग) के खिलाफ हैं जो गलत हैं और उन्हें दुरुस्त किया जाना चाहिए।
मुलायम ने कहा, ‘यह सरकार दिशाहीन है हमारे आगे बहुत चुनौतियां हैं। खासतौर से उनके लिए जो विपक्ष में हैं। वे देश को कहां ले जाना चाहते हैं, हमें कुछ नहीं पता। हम सिद्धांतों के लिए हैं।उन्होंने कहा, ‘यह विपक्ष की भूमिका है और हम इसका निर्वाह कर रहे हैं।
इस बीच, ताजा खबरों के अनुसार, सपा प्रमुख मुलायम सिंह के बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि वे कांग्रेस का समर्थन करेंगे लेकिन उसके गलत कामों का नहीं। रामगोपाल यादव ने कहा, ‘हम कांग्रेस की अच्छी बातों का समर्थन करेंगे। लेकिन उसके साथ ही हम कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं क्योंकि हम उसके गलत कामों का समर्थन नहीं करते। यदि वे सही दिशा में जाते हैं तो हम इसका समर्थन करेंगे।

विदेशी मीडिया के निशाने पर देसी हुक्मरान


विदेशी मीडिया के निशाने पर देसी हुक्मरान

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के बाद अब कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी विदेश मीडिया के निशाने पर है। पीएम को अंडर एचीवर कहने के बाद अब राहुल गांधी को समस्या ही करार दिया है। मीडिया से दूर भागने के आरोप लगाते हुए विदेशी मीडिया ने राहुल की तबियत से खिंचाई की है।
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को सरकार और संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की चर्चा है, वहीं दूसरी ओर विदेशी मीडिया उनकी शख्सियत पर ही सवाल उठा रहा है। कांग्रेसी नेता उन्हें समाधान के रूप में देखते हैं, लेकिन अंग्रेजी पत्रिका द इकोनॉमिस्ट के एक लेख में राहुल को समस्या बताया गया है।
द राहुल प्रॉब्लम शीर्षक से प्रकाशित आलेख में राहुल पर जमकर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है कि राहुल गांधी को खुद नहीं मालूम कि यदि उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां (जिसकी अभी पार्टी में जोरशोर से चर्चा है) मिल जाएं तो वे क्या करेंगे। राहुल गांधी को वर्ष 2014 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदार हैं।
उन्हें पार्टी में उपाध्यक्ष पद (सोनिया के बाद नंबर दो) मिलने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं या फिर वे सरकार में भी बड़ी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। कांग्रेस के छोटे-बड़े नेता आए दिन उन्हें बड़ी जिम्मेदारी निभाने की अपील करते दिखते हैं वहीं खुद प्रधानमंत्री उन्हें मंत्रिमंडिल में शामिल होने का न्योता दे चुके हैं।
द इकोनॉमिस्ट के लेख में कहा गया है कि वे जिम्मेदारियों से बचते हैं। उन्हें 2014 का चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले खुद को साबित करना चाहिए। इसमें राहुल की लीडरशिप क्वालिटी पर भी सवाल उठाया गया है। इसके तर्क में कहा गया है कि वे उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में असफल साबित हुए हैं। इसमें कहा गया है कि राहुल गांधी मीडिया से दूर भागते हैं या फिर पत्रकारों से बातचीत को लेकर अनिच्छुक दिखाई देते हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी विदेशी मीडिया के निशाने पर रह चुके हैं।
पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि केंद्र सरकार में ही शामिल कोई ना कोई लाल बत्तीधारी विदेशी मीडिया को मैनेज कर इस तरह की खबरें प्लांट करवा रहा है। पीएमओ के बाद अब राहुल गांधी के करीबी भी केंद्रीय मंत्रियों के अमरीकि कनेक्शन खोजने में जुट गए हैं।

ईसीबी के नियम उदार किए आरबीआई ने


ईसीबी के नियम उदार किए आरबीआई ने

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी व्यावसायिक ऋण-ईसीबी के नियमों को उदार बना दिया है, जिससे बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए ज्यादा धन मिल सके। अब कंपनियां विदेशी बाजारों से और अधिक धनराशि जुटा सकेंगी। कल जारी अधिसूचना के अनुसार रिजर्व बैंक ने बुनियादी ढांचागत क्षेत्र की कंपनियों को अल्प अवधि के लिए ऑटोमेटिक रूट से विदेशी बाजारों से धन जुटाने की अनुमति दे दी है।
इससे पहले कंपनियों को अल्प अवधि के ऋण की अंतरिम व्यवस्था के लिए रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी पड़ती थी। रिजर्व बैंक ने बुनियादी ढांचागत क्षेत्र की कंपनियों को पूंजीगत सामान के आयात के वास्ते अधिकतम पांच वर्ष के लिए विदेशी व्यावसायिक ऋण लेने की अनुमति भी दे दी है।
बैंक ने २० अरब डॉलर की कुल सीमा के भीतर रूपये के मूल्य में कर्ज के भुगतान के नियम भी उदार कर दिये हैं। इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति या कंपनी समूह अधिकतम ३ अरब डॉलर तक विदेशी व्यावसायिक ऋण ले सकेगा।

तिरूनेलवेली में हड़ताल जारी

तिरूनेलवेली में हड़ताल जारी

(सविता नायर)

तिरूनेलवेली (साई)। तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र की पहली इकाई में परिष्कृत यूरेनियम भरने के फैसले के विरोध में इदिनथकराई में आन्दोलनकारियों की भूख हड़ताल आज दूसरे दिन भी जारी है। हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि तिरूनेलवेली के जिला कलेक्टर सेल्वाराज ने इदिनथकराई क्षेत्र में धारा १४४ के तहत निषेधाज्ञा की अवधि नौ अक्तूबर तक बढ़ा दी है।
समाचार एजेंसी ऑॅॅफ इंडिया को प्राप्त जानकारी के अनुसार तुथुकुडी में काफी समय से हो रहे हिंसक प्रदर्शन के बाद कल रात कोई बड़ी दुघर्टना नहीं हुई। पीपल्स मूमेंट अगेंस्ट न्यूक्लिअर एनर्जी के संयोजक उदयकुमार और पुष्परायन के पुलिस के सामने समर्पण करने की खबरों से इदनथिकराई में तनाव है।
तिरूनेलवेली के पुलिस अधीक्षक विजेन्द्र बिदारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया इदनथिकराई गांव को घेरकर सील कर दिया गया है और उदयकुमार के खिलाफ हिंसा भड़काने तथा हत्या की कोशिश सहित कई मामले दर्ज किए गए है।ं अब सब की नजरे मद्रास उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर मामले पर है। उच्च न्यायालय ने कुडनकुलम परमाणु बिजली घर की सुरक्षा के बारे में दायर जनहित याचिका खारिज कर दी थी।

गुटखे के बाद अब प्लास्टिक बैन की शीला ने


गुटखे के बाद अब प्लास्टिक बैन की शीला ने

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली की निजाम श्रीमति शीला दीक्षित अब पर्यावरण मित्र बनती जा रही हैं। दिल्ली सरकार ने प्लास्टिक के थैलियों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यह फैसला कल मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पर्यावरण और स्थानीय पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है।
ज्ञातव्य है कि पर्यावरण समर्थक संगठन काफी समय से दिल्ली में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते रहे हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सरकार ने जनवरी २००९ में विभिन्न बाजारों, शॉपिंग मॉल्स, होटलों और अस्पतालों में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन इसका अच्छा परिणाम नहीं निकला।
सरकार ने अब पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम १९८६ के अनुसार प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पांच वर्ष तक की सजा के साथ एक लाख रूपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। दोनों सजाए एक साथ भी दी जा सकती है।

एयर इंडिया में बढ़े काम के घंटे


एयर इंडिया में बढ़े काम के घंटे

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। एयर इंडिया के पायलटों और चालक दल के अन्य सदस्यों की उड़ान ड्यूटी का समय बढ़ा दिया गया है। नागर विमानन मंत्री अजीत सिंह ने एयर इंडिया को इस बारे में नियमों का पालन करने के निर्देश दिये हैं। एयर इंडिया की उड़ान ड्यूटी समय सीमा-एफडीटीएल के तुलनात्मक अध्ययन के बाद यह निर्देश जारी किया गया। एफडीटीएल में पायलटों और चालक दल के अन्य सदस्यों की उड़ान ड्यूटी से संबंधित घंटे निर्धारित हैं।
उड्डयन मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अध्ययन में देखा गया कि पायलट घरेलू उड़ानों के मामले में साढ़े छह घंटे और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए सात घंटे की उड़ान ड्यूटी करते हैं जबकि नागर विमानन महानिदेशालय के दिशानिर्देंशों में घरेलू उड़ान ड्यूटी के लिए नौ और अंतर्राष्ट्रीय उड़ान ड्यूटी के लिए दस घंटे निर्धारित हैं।
कम घंटों की उड़ान ड्यूटी का कारण यह है कि पायलटों और विमान कर्मचारियों की यूनियनों ने कई साल पहले एयर इंडिया प्रबंधन के साथ इस तरह के समझौते किये थे। नागर विमानन मंत्री के निर्देश से ये समझौते बेअसर हो जाएंगे। एफडीटीएल के बारे में नागर विमानन महानिदेशालय के दिशानिर्देशों का पालन करने से एयर इंडिया अपने पायलटों और चालक दल के अन्य सदस्यों की सेवाओं का अधिकतम इस्तेमाल कर सकेगी।

बड़े फेरबदल को सोनिया का एप्रूवल!


बड़े फेरबदल को सोनिया का एप्रूवल!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। अपनी रहस्यमयी बीमारी से वापस लौटने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने कांग्रेस संगठन में बड़े और अहम फेरबदल को अपनी सहमति दे दी है। इस बार कांग्रेस का खिला हुआ चेहरा तैयार किया है, कांग्रेस के युवा महासचिव राहुल गांधी ने। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द ही कांग्रेस की सूरत खिली खिली और अपेक्षाकृत जवान नजर आएगी। वहीं सरकार में राहुल के सुझावों को सोनिया ने परीक्षण के लिए फिलहाल अपने पास रख लिया है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अपने इलाज के लिए अमरीका रवाना होने के पहले अहमद पटेल, ए.के.अंटोनी, पलनिअप्पम चिदम्बरम, गुलाम नबी आजाद आदी की उपस्थिति में हुई बैठक में सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस का प्रभार सौंपकर सत्ता और संगठन के संभावित चेहरे का रेखाचित्र खींचने को कहा था।
राहुल के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया के जाने के उपरांत राहुल गांधी ने इस बारे में अपनी सारी कसरत कर ली। टीम राहुल ने अपने सूत्रों से प्राप्त जानकारी को एक सूत्र में पिरोकर भ्रष्ट, उमरदराज, बड़बोले, कांग्रेस विरोधी गतिविधियों को प्रश्रय देने वाले, अपने क्षेत्र में एकाधिकार बनाने के लिए क्षेत्र में खुद को मजबूत किन्तु कांग्रेस को कमजोर करने वाले नेताओं की तीन सूचियां बनाई थीं।
सूत्रों ने कहा कि पहली सूची में मंत्रियों को स्थान दिया गया है। दूसरी सूची में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेेटी क आला नेताओं की जन्म कुण्डली तैयार की गई है। एवं तीसरी सूची में सूबाई आला नेताओं की कारगुजारियों को रेखांकित किया गया है। सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रदेश या देश के जिन नेताओं के प्रभाव वाले जिलों या संभागों में वे तो जीतते आ रहे हैं किन्तु वहां उनकी सीट के अलावा बाकी पर कांग्रेस औंधे मुंह गिर रही है उस बारे में एक सूची अलग से तैयार की गई है।
10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि देश के हृदय प्रदेश में कांति लाल भूरिया के पुअर परफारमेंस को देखकर उन्हें बदला जा सकता है। एमपी की कमान दिग्विजय सिंह अथवा युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपे जाने की चर्चा है। वहीं मंत्रीमण्डल से हटाए गए अरूण यादव का नाम भी पीसीसी चीफ के लिए लिया जा रहा है, किन्तु मंत्री बनने एवं वहां से हटने के बाद उनकी निष्क्रियता उनके आड़े आ रही है। अगर सिंधिया ने प्रदेश में जाने से अनिच्छा जाहिर की तो उन्हें केंद्र में कैबनेट मंत्री बनाया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस को मथने के लिए राहुल गांधी ने प्लान तैयार किया है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विदेश मंत्री सोमन हल्ली मलैया कृष्णा को कम महत्व का मंत्रालय देकर उन्हें वापस कर्नाटक भेजने का प्रस्ताव भी राहुल ने रखा है। पंजाब के लिए परमजीत कौर का नाम सामने आया है।
इधर महाराष्ट्र के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण की कुर्सी खतरे में ही दिख रही है। प्रधानमंत्री चाह रहे हैं कि चव्हाण को वापस केंद्र में लाया जाए। चव्हाण के सक्सेसर के बतौर जो नाम सामने आए हैं उनमें नारायण राणे, माणिकराव ठाकरे, हर्षवर्धन पाटिल, रधाकानत विख्खे पाटिल आदि प्रमुख हैं। कांग्रेस के अंदर यह मंथन जोरों पर है कि जो भी इस सूबे का निजाम बने वह मास अपील वाला हो, जिसके नाम पर अगला विधानसभा चुनाव लड़ा जा सके।
राजस्थान में भी बदलवा के संकेत साफ तौर पर दिख रहे हैं। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शिकायतें बोरों से भरकर राहुल और सोनिया के पास पहुंची हैं। अशोक गहलोत के चिर विरोधी सी.पी.जोशी इस तैयारी में हैं कि वे गहलोत को खिसका कर राजस्थान की सत्ता संभालें। वैसे भी जोशी को राहुल गांधी के नवरत्नों में शुमार माना जाता है। इसी तरह हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा भी राहुल के करीब हैं, पर देखना यह है कि क्या वे अपने पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कुर्सी के पाए सुरक्षित रख पाते हैं।