बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

मनमोहन का विकल्प खोज रहीं सोनिया

पीएम सोनिया में खिची तलवारें
बजट सत्र के बाद हो सकता है धमाका
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। कल तक सोनिया गांधी के आंखों के तारे बने रहने वाले वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह अब कांग्रेस अध्यक्ष की आंखों में खटकने लगे हैं। कांग्रेस सुप्रीमो ने मनमोहन के विकल्प की तलाश तेज कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि बजट सत्र के उपरंात सत्ता और संगठन के व्यापक फेरबदल की आंधी में मनमोहन भी बह सकते हैं।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों टीवी के संपादकों के सामने अपनी लाचारी बताकर मनमोहन सिंह ने कांग्रेस की राजमाता को और खफा कर दिया है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के रणनीतिकारों ने इस बावत संभावनाएं तलाशना आरंभ कर दिया है कि अगर राहुल गांधी के हाथों देश की बागडोर सौंपी जाए तो क्या स्थिति बन सकती है।
सूत्रों का कहना है कि मनमोहन सिंह अब सोनिया गांधी के अंकुश में नहीं रहे, वे अब अपने निजी एजेंडे पर काम करने लगे हैं। अघोषित तौर पर कांग्रेस का मानना है कि मनमोहन सिंह आने वाले दिनों में कांग्रेस के गले की फांस बन सकते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि मनमोहन सिंह की छवि ईमानदार और भले मानस की बनी हुई है, यही कारण है कि सोनिया गांधी उनसे त्यागपत्र मांगने का साहस भी नहीं जुटा पा रही हैं।
सोनिया ने किया राजकाज से किनारा
दस जनपथ के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों के अनुसार वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह के रवैऐ से नाराज कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने आप को राजकाज से दूर कर लिया है। सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी को लगने लगा है कि मनमोहन सिंह अब कांग्रेस के सलाहकारों से ज्यादा भरोसा नौकरशाहों पर करने लगे हैं। कहा जा रहा है कि दस जनपथ की सलाह पर बात बात में उखड़ने भी लगे हैं मनमोहन इतना ही नहीं अनेक मर्तबा तो वजीरे आजम ने त्यागपत्र दे देने की धमकी भी आला कमान को दी जा चुकी है। यही कारण है कि पिछले कुछ माहों में सोनिया गांधी ने समाचार चेनल्स से दूरी बनाना भी आरंभ कर दिया है। अब सोनिया गांधी का पब्लिक एपीयरेंस भी बहुत ही सीमित हो चुका है।

निदेशक विहीन एमपी के 15 आकाशवाणी केंद्र

निदेशक विहीन एमपी के 15 आकाशवाणी केंद्र
नई दिल्ली (ब्यूरो)। सूचना प्रसारण मंत्रालय में मनमानी का यह आलम है कि देश के हृदय प्रदेश के आकाशवाणी केंद्रों में निदेशक के स्थान पर कार्यकारी निदेशक ही कमान संभाले बैठे हैं। मध्य प्रदेश में इकलौती स्टेशन डायरेक्टर प्रभा सोलंकी हैं जो जबलपुर में पदस्थ हैं, वे भी 28 फरवरी को सेवानिवृत हो जाएंगी, उसके उपरांत सूबे में एक भी आकाशवाणी केंद्र में स्टेशन डायरेक्टर नहीं बचेगा।
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में तीन केंद्रों में सहायक स्टेशन डायरेक्टर प्रभार में हैं। ग्वालियर में रामस्वरूप रतोनिया, भोपाल में अनिल श्रीवास्तव और इंदौर में प्रकाश शुजालपुरकर की तैनाती प्रभारी के तौर पर है। गौरतलब होगा कि आकाशवाणी की लोेकप्रियता आज भी ग्रामीण अंचलों में पहले ही की तरह बरकरार है, फिर भी मंत्रालय के तुगलकी रवैए के चलते संचालक विहीन केंद्रों मंे रामभरोसे ही प्रसारण का काम हो रहा है।
 
मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे भारत भर में यही हाल है। प्रभा सोलंकी के सेवानिवृत्त होने के उपरांत मध्य प्रदेश के 15 आकाशवाणी केंद्र में केंद्र निदेशक का काम प्रभारी ही देखेंगे। वैसे वरिष्ठ अधिकारी प्रभारी हो जाते हैं जिससे काम प्रभावित नहीं होता है।
- वी.के.येण्डे
डिप्टी डायरेक्टर जनरल, भोपाल