शुक्रवार, 2 मार्च 2012

उर्जा मंत्री आज करेंगे बरेला में चिमनी का उद्यघाटन!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  75

उर्जा मंत्री आज करेंगे बरेला में चिमनी का उद्यघाटन!

जनप्रतिनिधियों को खबर नहीं थापर दिखा सकते हैं कमाल



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजेन्द्र शुक्ल 3 मार्च को हेलीकाप्टर से सिवनी जिले के ग्राम बरेला, सागर जिले के ग्राम सिरचोपी पहुँचकर वहाँ स्थापित होने वाली ताप विद्युत परियोजनाओं का स्थल-भ्रमण करेंगे। श्री शुक्ल डेव्हलपर के साथ परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा भी करेंगे। श्री शुक्ल शाम को भोपाल लौट आयेंगे। उक्ताशय की जानकारी मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी की गई है। महज चार लाईन के भ्रमण कार्यक्रम से मंत्री का भ्रमण चर्चाओं में आ गया है।
उधर, उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ला के करीबी सूत्रों का कहना है कि उर्जा और खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर के ग्राम बरेला में मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा निर्माणाधीन 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट के संयंत्र का निरीक्षण करेंगे। सूत्रों ने यह भी कहा कि संयंत्र प्रबंधन ने मंत्री ने निर्माण कार्यों की आधारशिला रखने का आग्रह भी किया गया है। सूत्रों की मानें तो उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल द्वारा इस आग्रह को स्वीकार कर लिया गया है।
बरेला स्थित पावर प्लांट के संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा ने दूरभाष पर चर्चा के दौरान कहा कि उन्हें प्रशासन की ओर से यह जानकारी मिली है कि खनिज और उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल तीन मार्च प्रातः साढे ग्यारह बजे हेलीकाप्टर से बरेला पहुंचेगे, जहां वे संयंत्र के निर्माण कार्यों का रिव्यू करेंगे। श्री मिश्रा ने कहा कि उर्जा मंत्री के भ्रमण के दौरान जिन जिन कामों को जल्द ही आरंभ करवाना है उनकी आधारशिला भी लगे हाथ रखवा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि संयंत्र की 275 मीटर (लगभग एक हजार फिट) उंची चिमनी की आधारशिला भी शनिवार को उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल के हस्ते रखवा दी जाएगी।
वहीं चर्चाओं के अनुसार उर्जा मंत्री के इस भ्रमण या आधारशिला के प्रोग्राम की खबर स्थानीय विधायक सांसद सहित सिवनी जिले के जनप्रतिनिधियों को नहीं दी गई है। गौरतलब है कि आदिवासियों के छले जाने और पर्यावरण मानकों को ताक पर रखने की खबरें धीरे धीरे सार्वजनिक हो रहीं हैं। यह मामला मध्य प्रदेश के एक सांसद सहित सिवनी बालाघाट के भाजपा सांसद केशव दयाल देशमुख द्वारा भी लोकसभा में उठाए जाने की बात कही गई है।
कहा जा रहा है कि इससे संयंत्र प्रबंधन सकते में है। संभवतः यही कारण है संयंत्र प्रबंधन ने अपने उंचे राजनैतिक रसूख का उपयोग कर आनन फानन संयंत्र में निर्माण कार्यों की आधार शिला रखवाने का काम प्रदेश सरकार के मंत्री के हाथों करवाना आरंभ कर दिया है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि बरेला में मंत्री के उड़न खटोले (हेलीकाप्टर) के लिए जो हेलीपेड बनाया गया है उसका भोगमान भी संयंत्र प्रबंधन द्वारा ही भोगा गया है। क्षेत्र में भाजपा सरकार के मंत्री से इस तरह के काम गुपचुप तरीके से करवाने की प्रतिक्रियाएं अच्छी नहीं कही जा सकती हैं।

(क्रमशः जारी)


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 97

चमक रहा है त्रिवेदी का चेहरा

मणिशंकर परा डोरे डाल रहीं हैं ममता



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर पर त्रणमूल कांग्रेस की निगाहें गड़ रही हैं। बड़बोलेपन के कारण कांग्रेस के आला नेताओं की आंखों की किरकिरी बन चुके अय्यर इन दिनों इस खुर्दबीनी में लगे हैं कि त्रणमूल कोटे से रेल मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी कब तक अपनी आसनी (कुर्सी) बचा पाते हैं। उधर, त्रणमूल के नेता खुद ही त्रिवेदी और ममता बनर्जी के बीच के रिश्तों को सुधारने की खबरों को हवा दे रहे हैं।
कांग्रेस और त्रणमूल कांग्रेस के बीच चल रही रस्साकशी और बयानबाजी से लगने लगा था कि बजट के आसपास ममता बनर्जी अपने मंत्रियों को सरकार से बाहर कर लेंगी। उधर, कांग्रेस भी ममता के विकल्प की तलाश में लगी हुई थी। कांग्रेस के पास मुलायम सिंह यादव का तगड़ा विकल्प उभरकर सामने आया है। ममता के तेवरों से दिनेश त्रिवेदी भी सहमे सहमे नजर आ रहे थे।
रेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी बेहद उहापोह में थे कि न जाने कब उन्हें कुर्सी छोड़ने का फरमान जारी कर दिया जाए। घाटे की ओर अग्रसर भारतीय रेल के आला अधिकारियों ने दिनेश त्रिवेदी को मशविरा दिया है कि रेल में यात्री किराया बढ़ाया जाए वरना भारतीय रेल का लोगो बना हाथी भी हाथ में लालटेन के बजाए एयर इंडिया के महाराजा की तरह कटोरा लेकर भीख मांगता नजर आएगा।
त्रणमूल कांग्रेस अचानक ही बैकफुट पर नजर आ रही है। मीडिया में रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी और त्रणमूल कांग्रेस सुप्रीमो सुश्री ममता बनर्जी के बीच अनबन की खबरों के आने के चार पांच माह तक त्रणमूल कांग्रेस ने खामोशी ही अख्तियार कर रखी थी। अचानक ही त्रणमूल के आला नेता सक्रिय नजर आए और उन्होंने ममता और त्रिवेदी के बीच खटास की अफवाहों को सिरे से खारिज करना आरंभ कर दिया।
पिछले दिनों मणिशंकर अय्यर और त्रणमूल नेता सुदीप बंदोपाध्याय के बीच एक घंटे रायशुमारी ने सियासी हल्के में हलचल मचा दी है। कहने को तो यह अनोपचारिक बैठक पिछले तीन सालों से नहीं दिए गए बी.सी.राय अवार्ड के सिलसिले में थी किन्तु जानकार इसके निहितार्थ खोज रहे हैं। मणिशंकर की किचिन कैबनेट से छन छन कर बाहर आ रही खबरों के अनुसार बंदोपाध्याय से चर्चा के दौरान वे पूरे समय इस बात को जानने के इच्छुक रहे कि ममता और दिनेश त्रिवेदी के बीच संबंध कैसे हैं?
सूत्रों ने यह भी बताया कि जब पासा पलटते हुए सुदीप बंदोपाध्याय ने मणिशंकर को यह बताया कि जिस बैरकपोर संसदीय क्षेत्र से कभी मणिशंकर खुद उम्मीदवार हुआ करते थे, उसी सीट से त्रणमूल ने दिनेश त्रिवेदी को उतारा था। बंदोपाध्याय के खुलासे के साथ ही अय्यर को मानो बिच्छू का डंक लग गया हो। उन्होंने आश्चर्य के साथ कहा कि क्या हमारे संसदीय क्षेत्र से दिनेश त्रिवेदी को त्रणमूल ने उतारा!
सूत्रों के अनुसार इस पर सुदीप बंदोपाध्याय ने लोहा गरम देखकर वार करते हुए कहा कि अरे अब आपका संसदीय क्षेत्र कहां बचा है। अगर आप त्रणमूल में होते तो दिनेश त्रिवेदी के स्थान पर आप ही रेल मंत्री होते! सुदीप बंदोपाध्याय ने इशारों ही इशारों में मणीशंकर अय्यर के अंदर खदबदाती भावनाओं को परवान चढ़ा दिया है। अब देखना यह है कि आने वाले समय मणिशंकर कौन सा रास्ता अख्तियार करते हैं।

(क्रमशः जारी)