सोमवार, 12 अगस्त 2013

सरकारी संपत्ति से छेड़छाड़, मौन हैं अधिकारी नेता

सरकारी संपत्ति से छेड़छाड़, मौन हैं अधिकारी नेता

एग्रीमेंट हुआ नहीं, तो किसने खोदी लखनादौन की मुख्य सड़क!, गोंगपा कराएगी प्राथमिकी दर्ज, अरविंद मेनन के सामने भाजपाई उठा सकते हैं संगठन के लचीले रवैये का मामला!

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। लखन कुंवर की नगरी लखनादौन में सरकारी संपत्ति के साथ सरेआम छेड़छाड़ हो रही है और अधिकारी तथा नेता हाथ पर हाथ रखे चुपचाप सब देख रहे हैं। नगर परिषद् में मुंह की खाने के बाद भी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का मौन आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। वहीं, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा इस मामले की सच्चाई सोमवार को पता कर पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कही गयी है।
बताया जाता है कि लखनादौन शहर में नगर परिषद् द्वारा सब्जी मण्डी का निर्माण करवाया जा रहा है। इस मण्डी के निर्माण में अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा स्थगन दिए जाने की खबर है। इसके बावजूद भी इस मण्डी का काम युद्ध स्तर पर जारी है। इस संबंध में लखनादौन मण्डल अध्यक्ष और पार्षद नरेश सेन का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में लिखित तौर पर अनुविभागीय दण्डाधिकारी लखनादौन, जिला कलेक्टर सिवनी यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष नरेश दिवाकर के संज्ञान में यह बात लाई थी। उन्होंने बताया कि इसके बावजूद भी अब तक इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

कांग्रेस रणछोड़दास, भाजपा को लेना चाहिए हार का बदला!
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि नगर पंचायत लखनादौन के अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी ने बी फॉर्म जमा करने के पहले ही मैदान छोड़ दिया था। वहीं निर्दलीय सुधा राय ने भाजपा की प्रत्याशी को चारों खाने चित् कर दिया था। लखनादौन और सिवनी में चल रही चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस तो रणछोड़दास अपने आप को साबित करने में लगी ही है पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा तो कम से अपनी सरकार और पराजय की लाज बचाने के लिए इस संबंध में संज्ञान लेकर कार्यवाही की जानी थी।

बारिश में भी सुस्सुप्तावस्था में कांग्रेस!
लखनादौन के प्रकरण में कांग्रेस के मौन रवैए को देखकर अब यह चर्चा तेज हो गई है कि वैसे तो बारिश में मेंढक भी अपनी सुस्सुप्तावस्था त्याग देता है पर कांग्रेस है कि चुनावों को देखकर भी अपनी तंद्रा नहीं तोड़ रही है। कांग्रेस के नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि अगर मामला शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सिवनी छोड़कर प्रदेश में कहीं भी घटा होता तो कांग्रेस के प्रवक्ताओं की फौज अब तक पूरी तरह चार्ज होकर गोलीबारी आरंभ कर चुकी होती, पर स्थानीय मामलों में सदा ही बोलने से बचने वाली कांग्रेस इस बार भी अपने चिरपरिचित अंदाज में खामोश ही नजर आ रही है। यही आलम जनपद अध्यक्ष कंचन डोंगरे की गिरफ्तारी के समय कांग्रेस का था। कांग्रेस द्वारा भाजपा के भ्रष्टाचारी अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास तक नहीं किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।

व्हीव्हीआईपीज रहते हैं इस सड़क पर!
वहीं, दूसरी ओर लखनादौन शहर के अंदर जिस मार्ग पर अनुविभागीय दण्डाधिकारी लता पाठक, विधायक श्रीमती शशि ठाकुर सहित अन्य वरिष्ठ लोगों के आवास हैं उस मार्ग का ठेका अनुबंध किए बिना ही उस पर काम आरंभ करवा दिया गया है। इस मार्ग में सड़क की खुदाई आरंभ हो चुकी है। यह सरकारी संपत्ति के नुकसान का मामला है।
यह माना जा सकता है कि जिस ठेकेदार को काम मिला है वह इस पर काम कर सकता है, किन्तु नियमानुसार ठेका अनुबंध होने के उपरांत पांच परसेंट परफार्मेंस गारंटी राशि जमा करने के उपरांत ही इस सड़क पर ठेकेदार हाथ लगा सकता है। चर्चा है कि नगर परिषद् लखनादौन में अब सरकारी टकसाल के सिक्कों के बजाए चमड़े के सिक्केचल रहे हैं।

नेता विशेष से भयाक्रांत हैं लोग
वहीं यह चर्चा भी जोरों पर है कि नगर परिषद् द्वारा किए जा रहे नियम विरूद्ध काम करने के खिलाफ आवाज बुलंद करने का साहस किसी में नहीं है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि नेता विशेष की दबंगई के चलते लखनादौन में कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ता और नेता जो बाहर तो शेर बने घूमते हैं पर नगर परिषद् के मामलों में अपनी पूंछ दबाकर भीगी बिल्ली बन जाते हैं।

गोंगपा ने लिया संज्ञान
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिलाध्यक्ष हरीश चंद उईके ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि उनके संज्ञान में यह बात आ गई है और वे लखनादौन के नेताओं को निर्देश दे रहे हैं कि अगर इस काम का अनुबंध नहीं हुआ है और कोई काम कर रहा है तो उसके खिलाफ लखनादौन थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई जाए। वहीं लखनादौन के निवासी तथा गोंगपा के जिला उपाध्यक्ष सुरेश पंद्रे ने तल्ख तेवर अपनाते हुए कहा कि वे अभी लखनादौन से बाहर हैं और अगर नियम विरूद्ध किसी ने भी काम किया है तो वे वस्तु स्थिति का पता लगाने के उपरांत अगर गलत मिलता है तो इसके खिलाफ कार्यवाही अवश्य करेंगे, यहां तक कि वे कोतवाली लखनादौन में प्राथमिकी दर्ज करवाने से भी नहीं चूकेंगे।
माना जा रहा है कि सोमवार को लखनादौन थाने में इस काम की प्राथमिकी दर्ज हो सकती है। वहीं गोंगपा प्रवक्ता विवेक डहेेरिया ने आज हिन्द गजट कार्यालय में चर्चा के दौरान कहा कि सोमवार को वे स्वयं लखनादौन जाएंगे और अगर इस काम का एग्रीमेंट नहीं हुआ है तो वे भी इस संबंध में कार्यवाही करेंगे।

मेनन के सामने उठ सकता है मामला!

13 अगस्त को भाजपा के संगठन महामंत्री अरविंद मेनन सिवनी आ रहे हैं। माना जा रहा है कि लखनादौन में नगर परिषद् द्वारा सरेआम नियम विरूद्ध किए जाने वाले कामों की फेहरिस्त बनाकर कुछ भाजपाई इसे अरविंद मेनन के समक्ष रख सकते हैं। एक भाजपा नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर यह भी कहा कि एक निर्दलीय ने पहले विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी नीता पटेरिया को नाकों चने चबवाए। उस समय जिला संगठन पर भाजपा की मुखालफत के आरोप लगे थे। इसके उपरांत उक्त निर्दलीय प्रत्याशी की माताजी ने लखनादौन नगर पंचायत के अध्यक्ष के चुनावों में भाजपा को चारों खाने चित् कर दिया। अब जबकि नगर परिषद् के खिलाफ भाजपा के हाथ कोई मामला आया है तब भाजपा खामोश बैठी है। इस मामले को निश्चित तौर पर संगठन महामंत्री अरविंद मेनन के समक्ष रखा ही जाना चाहिए।

नकली खाद बीज और किसान!

नकली खाद बीज और किसान!

(शरद खरे)

किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है इस बात को आजादी के पहले से नेता कहते आए हैं। किसान असली अन्नदाता है। अगर किसान मेहनत करना छोड़ दे तो लोग भूखे मर जाएं। किसानों की बदहाली भी आजादी के उपरांत किसी से छिपी नहीं है। किसानों की दुर्दशा पर आंसू बहाने की फुर्सत किसी को नहीं है। किसानों के हित की बातें राजनेताओं के भाषणों में तो स्थान पा जाती हैं, पर जब अमली जामा पहनाने की बारी आती है तो मामला ठंडे बस्ते के हवाले हो जाता है।
सिवनी जिले में नकली खाद बीज बिकने की खबरें सालों से सुनी जाती रही हैं। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि प्रदेश सरकार की ओर से नकली खाद बीज रोकने की जवाबदेही जिन सरकारी अमलों पर आहूत होती है उन्हीं के द्वारा नकली खाद बीज प्रदाय किया जाए। पिछले दिनों छपारा में नकली खाद बीज बिकने की खबर आई वह भी सरकारी सिस्टम से। जैसे ही यह बात सामने आई वैसे ही देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ किसान की रूह कांप गई। अगर बीज ही नकली और घटिया क्वालिटी का होगा तो भला किसान को उपज का पूरा पैसा कैसे मिल सकेगा?
यह सब तब हो रहा है जबकि जिला कलेक्टर भरत यादव पूरी तरह संवदेनशील हैं और वे कई बार स्पष्ट निर्देश दे चुकेे हैं कि घटिया खाद बीज अगर बेचा गया तो अधिकारियों की खैर नहीं। कलेक्टर के निर्देश पर संबंधितों की टीम बनाकर भी जांच की जाने की बातें प्रकाश में आई हैं।
वहीं, शिकायतें यह भी हैं कि एफ वन क्वालिटी की गुणवत्ता वाले बीजों के स्थान पर एफ टू क्वालिटी की गुणवत्ता के बीज किसानों को बांटे जा रहे हैं। किसानों को बीज की क्वालिटी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है पर अधिकारी जो इसके विशेषज्ञ हैं वे तो हर बात से वाकिफ हैं, फिर आखिर इस धांधली को कैसे अंजाम दिया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि सालों से किसानों को सरकारी नुमाईंदे छलते आ रहे हैं। किसानों का हक मारा जा रहा है और जिला प्रशासन भी मूक दर्शक बना ही बैठा है। वैसे यह बात संतोषजनक मानी जाएगी कि युवा एवं उर्जावान जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा इस संबंध में स्पष्ट आदेश जारी कर इसे रोकने की बात कही है।
जिला कलेक्टर खुद तो एक एक सोसायटी में जाकर इसे देख नहीं सकते हैं। इसे देखने का काम तो जमीनी स्तर के अधिकारी कर्मचारियों को ही करना है। पर जब सारे कुंए में ही भांग घुली हो तो किया भी क्या जा सकता है। कलेक्टर के अधीन अनुविभागीय दण्डाधिकारी होते हैं।
एसडीएम के पास काम का बोझ होता है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, किन्तु एसडीएम के मातहत तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी आदि तो इस काम को अंजाम दे सकते हैं, पर वे भी नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजा रहे हैं मानो कुछ हुआ ही नहीं हो।
सुरसा की तरह बढ़ती मंहगाई के चलते किसानों की कमर पहले से ही टूटी पड़ी है। किसान किसी तरह जोड़ तगाड़ कर अपना घर चलाते हुए पैदावार बढ़ाने का जतन कर रहे हैं। किसानों को पानी के अभाव का सामना करना पड़ता है उपर से दूबरे पर दो आषाढ़ की कहावत चरितार्थ कर उन्हें नकली खाद और बीज टिकाया जाए तो उनकी पैदावार कैसे बढ़ेगी?
वैसे भी किसानों का ज्यादातर पैसा साहूकारों की तिजोरियों में ही ब्याज़ भरते भरते चला जाता है। प्राकृतिक आपदाएं भी किसानों की रीढ़ तोड़कर रख देती हैं। आपदाओं के चलते शासन द्वारा तय की जाने वाली आनावारी भी किसानों के बीच की लागत तक नहीं निकाल पाती है। इन परिस्थितियों में किसान आखिर जाए तो जाए कहां?
एक ओर तो प्रदेश और केंद्र सरकार अपने बड़े बड़े विज्ञापनों में अपने आप को किसान हितैषी बताने से नहीं चूक रही है वहीं दूसरी ओर उनके ही कारिंदे अगर थाली में छेद पर आमादा हैं तो फिर गलती तो निश्चित तौर पर निज़ामों की ही मानी जाएगी, क्योंकि उनके राज में कसावट का अभाव है।
बहरहाल, किसानों के साथ सिवनी जिले में होने वाले इस छल के लिए जवाबदेह अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ जिला प्रशासन समयसीमा में कठोर कार्यवाही करे ताकि आने वाले समय में कोई भी सरकारी नुमाईंदा किसानों को छलने की बात सपने में भी न सोच सके।

लगता है सिवनी में राजनीति अब प्रशासन पर भारी पड़ चुकी है। वरना क्या कारण है कि जिले का प्रशासनिक प्रमुख स्पष्ट और कड़े निर्देश जारी करे और उनके मातहत उनकी हुकुम उदूली करें। किसान हैरान परेशान है बीज तो जैसे तैसे उसने बो दिया है, पर बारिश की मार से फसल चौपट होने की आशंका सता रही है। जिनकी फसलें बची हैं वे खाद के नकली होने पर आशंकित हैं। कुल मिलाकर देश के अन्नदाता किसान की सुध लेने की फुर्सत न तो प्रशासन के अमले को है और न ही चुने हुए जनसेवकों को। अब इन परिस्थितियों में किसान अपनी पीड़ा का इजहार करे तो किससे?