शनिवार, 31 अगस्त 2013

जिला हॉकी संघ का अस्तित्व शून्य!

जिला हॉकी संघ का अस्तित्व शून्य!

एस्ट्रोटर्फ मसले पर होने लगी राजनीति, उपयोग के पूर्व ही टर्फ होने लगी खराब

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। हॉकी के लिए सुविख्यात सिवनी जिले में, अब हॉकी रसातल की ओर अग्रसर है। बाबा राघवदास टूर्नामेंट जैसी प्रतियोगिताएं जिसमें दर्शकों का उत्साह देखते बनता था, इतिहास की बात हो चुकी हैं। भाजपा सरकार ने शहर को एस्ट्रोटर्फ का एक झुनझुना पकड़ाया है। मुख्यमंत्री के हाथों उद्घाटन की जिद में इस स्टेडियम का लोकार्पण नहीं हो पा रहा है जिससे करोड़ों रूपयों की लागत के स्टेडियम का उपयोग स्थानीय हॉकी खिलाड़ी नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर तथाकथित जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष का तमगा लगाकर घूमने वाले धन्नालाल गौर की पोल खेल दिवस के दिन ही भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान मधु यादव ने एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल में चल रहे तलाश ध्यान कीकार्यक्रम में खोलकर रख दी। धन्नालाल गौर की पोल खुल जाने के बाद अब यह तो तय हो गया है कि धन्नालाल गौर जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष है ही नहीं और न ही प्रदेश में ऐसी कोई संस्था अस्तित्व में है।
असल में खेल दिवस के दिन इलेक्ट्रॉनिक चैनल एसएमबीसी में सिवनी के एस्ट्रोटर्फ को लेकर आधा घंटे का विशेष एपिसोड तैयार किया गया था, जिसमें स्टुडियो में अखिल भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान मधु यादव को आमंत्रित किया गया था और कार्यक्रम का नाम तलाश ध्यान कीरखा गया था। कार्यक्रम में सिवनी में 05 वर्ष बाद भी एस्ट्रोटर्फ का न बन पाना मुख्य मुद्दा था, जिसमें महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर का साक्षात्कार दिखाया गया।
इसी कार्यक्रम में महाकौशल एक्सप्रेस के संपादक का लाईव फोनो लेते हुए यह पूछा गया था कि खेल संगठनों ने प्रशासन के ऊपर दबाव क्यों नही बनाया? तब संपादक ने उनसे कहा कि सिवनी जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष धन्नालाल गौर हैं जो हॉकी की ओर ध्यान ही नहीं देते हैं, उन्होंने कभी प्रशासन को न तो ज्ञापन सौंपने की पहल की और न ही कोई ठोस कदम उठाया, जिस पर मधु यादव ने कहा कि सिवनी में कोई जिला हॉकी संघ अस्तित्व में ही नहीं है। उन्होंने कहा कि न तो कोई गौर इसके अध्यक्ष हैं और न ही उनकी संस्था को मान्यता है।
टीव्ही में चल रहे सीधे प्रसारण में मधु यादव द्वारा यह कहा जाना आश्चर्यजनक इसलिए है, क्योंकि अभी तक धन्नालाल गौर ने अपनी तरफ से कभी यह बताने का प्रयास नहीं किया कि उनका संघ अस्तित्व में है ही नहीं और उन्हें कोई मान्यता नहीं है। कुल मिलाकर धन्नालाल गौर एक पद के लिए हॉकी खिलाड़ियों और हॉकी प्रेमी दर्शकों के साथ धोखा करते रहे, तभी तो जब से धन्नालाल अध्यक्ष बने तब से आज तक एक-दो स्थानीय प्रतियोगिताओं को छोड़ दिया जाए तो आज तक उन्होंने कोई बड़ी प्रतियोगिता आयोजित ही नहीं करवाई है।

ऐसे में जो लोग धन्नालाल को खेल के प्रति समर्पित मानते हैं, वह उनसे यह पूछने की जहमत अवश्य उठायें कि आखिर श्री गौर ने आज तक हॉकी खिलाड़ियों, दर्शकों और क्लबों के लोगों को धोखे में क्यों रखा? क्यों उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि जिला हॉकी संघ अस्तित्व में है ही नही? क्यों वह अपने नाम के आगे अध्यक्ष जिला हॉकी संघ का तमगा लगाकर घूमते रहे?

अस्पताल में नहीं हुआ इलाज, दिनेश मिश्रा का निधन!

अस्पताल में नहीं हुआ इलाज, दिनेश मिश्रा का निधन!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। अपने जमाने के हरफनमौला ठेकेदार दिनेश मिश्रा का आज जिला चिकित्सालय में निधन हो गया। गत रात्रि लगभग डेढ़ बजे उन्हें स्वांस लेेने में तकलीफ होने पर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। आज लगभग साढ़े ग्यारह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बरघाट क्षेत्र के कांग्रेस के पूर्व विधायक पंडित महेश प्रसाद मिश्रा के अनुज दिनेश मिश्रा को गत रात्रि, घर पर ही सांस लेने में तकलीफ हुई। उनके परिजनों ने उन्हें तत्काल जिला चिकित्सालय में उन्हें दाखिल करवाया। बताया जाता है कि रात्रि में मौजूद चिकित्सक ने उनका परीक्षण कर एक बोतल लगवा दी।
बताया जाता है कि सुबह जब काफी देर तक राउंड पर कोई चिकित्सक नहीं आया, तो उनके परिजनों ने वहां उपस्थित पेरामेडीकल स्टाफ से इस बावत् चर्चा की। जिस पर उन्हें जवाब मिला कि उन्हें देखने कंसल्टेंट चिकित्सक जल्द ही आएंगे।
जब काफी देर तक कोई उन्हें देखने नहीं आया तो उनके परिजनों ने महिला वार्ड में राउंड ले रहे डॉ.नेमा से अर्ज किया कि वे चलकर उन्हें देख लें। डॉ.नेमा ने हठधर्मिता दिखाते हुए साफ तौर पर यह कह दिया कि वह उनका वार्ड नहीं है, उस वार्ड में जो चिकित्सक होगा वही उन्हें देखेगा।
बताया जाता है कि जब काफी देर तक कोई भी चिकित्सक उन्हें देखने नहीं आया तो उनके परिजनों ने अपने रिश्तेदारों के माध्यम से उनकी ईसीजी करवाई और उन्हें नागपुर ले जाने की तैयारी की गई। अस्पताल से बाहर निकलते समय ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनका अंतिम संस्कार आज कटंगी रोड स्थित मो़क्षधाम में शाम लगभग साढ़े पांच बजे कर दिया गया। उन्हें उनके ज्येष्ठ पुत्र सोनू ने मुखाग्नी दी। दिनेश मिश्रा अपने पीछे दो पुत्र, पुत्रवधू, पत्नि का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
वहीं दूसरी ओर जिला चिकित्सालय में बरती गई घोर लापरवाही के कारण लोगों में जमकर आक्रोश भरा हुआ है। गौरतलब होगा कि अस्सी के दशक से सिवनी में पदस्थ निश्चेतक डॉ.सत्यनारायण सोनी को जबसे जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन की कमान सौंपी गई है तबसे जिला चिकित्सालय के हाल बेहाल हो गए हैं। चिकित्सा कर्मियों के बीच चल रही चर्चा को सच माना जाए तो पांच अंको की राशि खर्च कर उन्हें सीएस का पद मिला है।

काले पैसे वाले शराब कारोबारी के चक्कर में नहीं पड़ना: असलम

काले पैसे वाले शराब कारोबारी के चक्कर में नहीं पड़ना: असलम

नेहा सिंह, आशुतोष वर्मा, इमरान पटेल, हीरा आसवानी, पप्पू खुराना, मोहन चंदेल, धर्मेद्र ठाकुर जमकर बरसे भाजपा पर

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। अवैध तरीके से काले पैसे कमाकर, धार्मिक आयोजनों में चंदा देने वाले लखनादौन के शराब कारोबारी के चक्कर में नहीं पड़ना है। वह भाजपा का एजेंट है, और भाजपा के नेताओं से पूछ पूछकर ही वह अपने कार्यक्रम तय करता है।उक्ताशय की बात कांग्रेस की संदेश यात्रा के दौरान बस स्टैंड पर आयोजित सभा में कां्रग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद असलम पत्ते वाले ने कही।
मोहम्मद असलम ने चुन्नू मुन्नू का हवाला देकर लोगों को दिल से गुदगुदाया। मो.असलम की बात पर लोग दिन भर पेट पकड़कर हंसते रहे। उन्होंने कहा कि चुन्नू मुन्नू जिले भर में शराब बंटवा रहे हैं। शराब के पैसों से मुन्नू धार्मिक आयोजनों में सम्मान पा रहे हैं। जगह जगह चार पहिया वाहन लगकर शराब बेची जा रही है, पर भाजपा की सरकार के नुमाईंदों में इतना साहस नहीं है कि वे मुन्नू की अवैध बिकने वाली शराब को पकड़ सकें।
इसके साथ ही साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजकुमार खुराना और धर्मेंद सिंह ठाकुर ने भी कमोबेश इसी तरह की बातें लखनादौन के एक शराब करोबारी के बारे में कहकर अपनी भड़ास जमकर उतारी। लगभग दो दशक के उपरांत यह पहला मौका था जब कांग्रेस के नेता बिना किसी दबाव के आक्रमक होकर अपनी बात कह रहे थे।
आज कांग्रेस की संदेश यात्रा भैरोगंज से आरंभ होकर छिंदवाड़ा चौक, बस स्टैंड, शुक्रवारी, डूंडा सिवनी होते हुए बारापत्थर जाकर समाप्त हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता घनश्याम जाड़ेजा ने कहा कि कांग्रेस की संदेश यात्रा के जवाब में भाजपा द्वारा जन आर्शीवाद यात्रा का आयोजन किया जा रहा है जो पूरी ही तरह असफल है।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आशुतोष वर्मा का कहना था कि भाजपा सरकार द्वारा जिओ और खाने दोका नारा बुलंद किया हुआ है। उन्होंने कहा कि यह प्रचार भाजपा का हो रहा है या मुनमुन को महिमामण्डित किया जा रहा है। वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ने शेरो शायरी के माध्यम से अपनी बातें रखीं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज कुमार खुराना का कहना था कि पिछले छः दिनों में कांग्रेस की संदेश यात्रा ने 870 किलोमीटर का पड़ाव तय किया है। कुछ डिप्लोमेटिक अंदाज में राजकुमार खुराना ने कहा कि कांग्रेस अगर भाजपा का विरोध करती है तो यह बात सिद्धांततः समझ में आती है, पर जब भाजपा के लोग ही भाजपा का विरोध करने लगें तब समझ लेना चाहिए कि अब खतरे की घंटी बज चुकी है।

भारतीय जनता पार्टी की पूर्व विधायक और कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री श्रीमती नेहा सिंह ने कहा कि सड़क, बिजली और पानी के मुद्दे पर भाजपा को प्रदेश में सत्ता हासिल हुई थी, पर अब भाजपा उन्ही मुद्दों को तिलांजली दे चुकी है। शिवराज सिंह चौहान की जुंडाली को अली बाबा और चालीस चोर की उपाधि से नवाजते हुए श्रीमती नेहा सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार की घोषणाएं कोरी घोषणाएं ही साबित हुई हैं, जो योजनाएं प्रदेश में चलती दिख रही हैं, वे सारी की सारी केंद्र की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश को दी हैं।

सकरी होती सड़कें

सकरी होती सड़कें

(शरद खरे)

सिवनी जिले में अतिक्रमण हर तरफ जोर शोर से फैल रहा है। संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि मौन ही रहकर सब देख सुन रहे हैं। सिवनी शहर के चारों ओर कैंसर के मानिंद, अतिक्रमण पसर चुका है, जिसकी परवाह किसी को नहीं है। शहर की सीमाओं पर चेचक के मानिंद पसरा अतिक्रमण वाकई दुखदायी साबित होता जा रहा है। महाकालेश्वर टेकरी, जनता नगर, झिरिया, हड्डी गोदाम, डूंडा सिवनी, लूघरवाड़ा आदि क्षेत्रों में जिसका मन जहां चाहा वहां उसने अपना आशियाना या दुकान बना ली। धीरे धीरे ये अतिक्रमणकारी इसे अपनी निजी संपत्ति समझने लगते हैं। एक समय के बाद इन्हें विस्थापित करने में जिला प्रशासन की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक जाती हैं।
सिवनी शहर के अंदर भी अतिक्रमण का यही आलम है। दुकानदारों ने सड़कों को सकरा कर दिया है। नगर पालिका परिषद् के कार्यालय के सामने ही अतिक्रमण का बुरा हाल है। सालों से सरकारी कार्यालयों के आसपास केंटीन के लिए निर्धारित स्थान न होने के चलते चाय पान की गुमटियां भी वर्षों से यहां लग रही हैं। युवा एवं उत्साही जिला कलेक्टर भरत यादव ने सिवनी शहर को अतिक्रमण से मुक्त करवाने का प्रयास किया था, पर उनकी मुहिम को बीच में ही अपरिहार्य कारणों से रोकना पड़ा है। अब एक बार फिर शहर की सड़कें अतिक्रमण से पट गई हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुए बिना नहीं है। इसके बाद मानो नगर पालिका ने अतिक्रमण विरोधी अभियान को तिलांजली ही दे दी है।
1991-92 में तत्कालीन स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर द्वारा प्रदेश में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया था। उस समय भोपाल की सड़कें देखने लायक हुआ करती थीं। भोपाल सहित प्रदेश भर में सड़कों के हाल इस कदर बेहतर हो गए थे कि लोगों ने दिल से बाबू लाल गौर को धन्यवाद दिया था। उस समय सिवनी के तत्कालीन जिला कलेक्टर पुखराज मारू ने सिवनी में डोजर, बुलडोजर का उपयोग कर अतिक्रमण को ढहाया था। उसके बाद सिवनी में सड़कें कुछ हद तक चलने लायक हो पाई थी। शहर की जीवन रेखा जीएन रोड़ भी उस समय काफी साफ सुथरी दिखाई पड़ती थी।
उसके पहले नेहरू रोड़ पर व्यापारियों द्वारा सड़कों पर सामान फैलाए जाने की शिकायतें आम हुआ करती थी। उस दौर में कोतवाली के पास एक बड़ा वाहन होता था। कोतवाली का यह डग्गा जब नेहरू रोड पर निकलता तो व्यापारी न केवल अपना सामान अंदर कर लिया करते थे, वरन् साईकिलों के उस दौर में साईकिल तक दुकानों के अंदर हो जाया करती थीं।
शनैः शनैः प्रशासन के ढीले रवैए के चलते जिला मुख्यालय में अतिक्रमण एक बार फिर सुरसा की तरह मुंह उठाने लगा है। शहर में अनेक बैंक ऐसे हैं जिनके पास पार्किंग का अभाव है। किराए के भवनों में लग रहे इन बैंक के सामने वहां आने वालों की भीड़ लगी होती है जिसके चलते आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है।
बड़े जैन मंदिर के बाजू में महाराष्ट्र बैंक के सामने तो सड़क पर खड़े वाहनों के चलते आवागमन दिन में कई बार अवरूद्ध हो जाता है, इसके अलावा कचहरी चौक पर स्टेट बैंक की शाखा के सामने भी यही आलम रहता है। मजे की बात तो यह है कि अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यालय के बाहर मुख्य सड़क पर अतिक्रमण कर साईकल स्टेंड बना दिया गया है जिससे कलेक्टोरेट, सिंधी कॉलोनी और कचहरी जाने आने वालों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। गांधी भवन से पोस्ट ऑफिस तक के हिस्से में सड़कों पर ही वाहन सुधारने का काम धड़ल्ले से होता है। वहीं गांधी भवन से गणेश चौक तक के मार्ग में सड़कों पर भवन निर्माण सामग्री, टेंकर, ट्रेक्टर, डंपर आदि की भीड़ से आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है। कुछ दिन पूर्व दिखावे के लिए ही सही यातायात पुलिस ने सड़कों पर खड़े वाहनों को उठा लिया था, पर यह कार्यवाही भी मात्र दिखावे की ही कार्यवाही साबित हुई।
बारापत्थर क्षेत्र में भी भारी वाहन, डंपर, दस चका से बड़े वाहनों की रेलमपेल भी दुर्घटनाओं को न्योता देती नजर आती है। पता नहीं शहर के नाकों पर यातायात पुलिस के कारिंदे होने के बाद भी ये वाहन शहर के अंदर नो एंट्री वाले समय में कैसे घुस आते हैं? शहर में न जाने कितने बस स्टैंड बन चुके हैं। मुख्य बस स्टैंड, प्राईवेट बस स्टैंड, बरघाट नाका, कचहरी चौक, मिशन स्कूल के सामने, गणेश चौक, सर्किट हाउस,, छिंदवाड़ा चौक, शंकर मढ़िया न जाने कहां कहां, निजी वाहन रूक रूककर सवारी भरते नजर आते हैं। पर इन्हें देखने की फुर्सत यातायात पुलिस के पास शायद नहीं है। शहर में जहां देखो वहां यात्री बस खड़ी दिखाई दे जाती है। ज्यारत नाके के पास, पोस्ट आफिस से भैरोगंज पहुंच मार्ग, दलसागर तालाब के मुहाने से हनुमान मंदिर होकर भैरोगंज पहुंच मार्ग आदि स्थानों पर यात्री बस, डम्पर, निजी वाहन यातायात को प्रभावित करते नजर आते हैं। शहरों में सुबह आठ से रात्रि आठ तक भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है। इसको धता बताकर भारी वाहन, दस चका डंपर आदि यमराज बनकर सड़कों पर बेलगाम दौड़ रहे हैं। नाकों पर तैनात नगर सेना के कर्मी महज दस से बीस रूपए लेकर इन वाहनों को प्रवेश दिलवा रहे हैं, क्या यह सब कुछ आला अधिकारियों से छिपा है? जाहिर है नहीं, पर इसके बाद भी वाहनों के प्रवेश पर अंकुश आखिर क्यों नहीं लग पा रहा है यह शोध का ही विषय है।

जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने की गई प्रभावी पहल को पुनः आरंभ किया जाए, एवं शहर भर में बेतरतीब तरीके से खड़े होने वाहनों को रोकने के लिए यातायात पुलिस को निर्देश दिए जाएं। साथ ही साथ शहर में प्रवेश के समस्त स्थानों पर तैनात पुलिस या नगर सेना के नुमाईंदों को स्पष्ट तौर पर ताकीद किया जाए कि नो एंट्री वाले समय में शहर में प्रतिबंधित वाहनों का प्रवेश रोका जाए।

शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

झाबुआ पावर करेगा पहले से ही प्रदूषित नर्मदा को और गंदा

आदिवासियों को छलने में लगे गौतम थापर . . . 9

झाबुआ पावर करेगा पहले से ही प्रदूषित नर्मदा को और गंदा

नर्मदा का पीएच दर्ज किया गया 9.02

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। तरह तरह के प्रदूषणों के चलते पुण्य सलिला नर्मदा अपने उदगम अमरकंटक से दाहोद के बीच बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। इसका पीएच 9.02 दर्ज किया गया है जो मानक से कहीं अधिक है। संस्कारधानी जबलपुर के समीप बरगी बांध के मुहाने पर लगने वाले मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के कोल आधारित पावर प्लांट से इसका प्रदूषण कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।
प्रचलित मान्यता यह है कि यमुना का पानी सात दिनों में, गंगा का पानी छूने से, पर नर्मदा का पानी तो देखने भर से पवित्र कर देता है। साथ ही जितने मंदिर व तीर्थ स्थान नर्मदा किनारे हैं उतने भारत में किसी दूसरी नदी के किनारे नहीं है। लोगों का मानना है कि नर्मदा की करीब ढाई हजार किलोमीटर की समूची परिक्रमा करने से चारों धाम की तीर्थयात्रा का फल मिल जाता है। परिक्रमा में करीब साढ़े सात साल लगते हैं।
जाहिर है कि लोगों की परंपराओं और धार्मिक विश्वासों में रची-बसी इस नदी का महत्व कितना है। लेकिन दुर्भाग्य से जंगल तस्करों, बाक्साइट खदानों और हमारी विकास की भूख से यह वादी इतनी खोखली और बंजर हो चुकी है कि आने वाले दिनों में उसमें नर्मदा को धारण करने का सार्म्थय ही नहीं बचेगा। इसकी शुरुआत नर्मदा के मैलेपन से हो चुकी है।
मजे की बात है कि सरकार का जल संसाधन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण मंडल नदी जल में प्रदूषण की जांच करता है और प्रदूषण स्तर के आंकड़े कागज़़ों में दर्ज कर लेता है, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए सरकार कोई भी गंभीर उपाय नहीं कर पाता है। सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अमरकंटक और ओंकारेश्वर सहित कई स्थानों पर नर्मदा जल का स्तर क्षारीयता पानी में क्लोराईड और घुलनशील कार्बनडाईऑक्साइड का आंकलन करने से कई स्थानों पर जल घातक रूप से प्रदूषित पाया गया।

भारतीय मानक संस्थान ने पेयजल में पीएच 6.5 से 8.5 तक का स्तर तय किया है, लेकिन अमरकंटक से दाहोद तक नर्मदा में पीएच स्तर 9.02 तक दर्ज किया गया है। इससे स्पष्ट है कि नर्मदाजल पीने योग्य नहीं है और इस प्रदूषित जल को पीने से नर्मदा क्षेत्र में गऱीब और ग्रामीणों में पेट से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां फैल रही है, इसे सरकारी स्वास्थ्य विभाग भी स्वीकार करता है। जनसंख्या बढऩे, कृषि तथा उद्योग की गतिविधियों के विकास और विस्तार से जल स्त्रोतों पर भारी दबाव पड़ रहा है।

कांग्रेसियों को भय कि कहीं भारी ना पड़ जाए ‘प्यारेलाल कांग्रेस‘

कांग्रेसियों को भय कि कहीं भारी ना पड़ जाए प्यारेलाल कांग्रेस

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। सिवनी में कांग्रेस के अंदर ही अंदर चल रही चर्चाएं अब सार्वजनिक होने लगी हैं। लोगों का मानना है कि कांग्रेस के साथ ही साथ चल रही समानांतर यानी पैरेलल जिसे मजाक में कां्रग्रेसी प्यारेलाल (पैरेलल) कांग्रेस भी कह रहे हैं वास्तविक कांग्रेस पर भारी ना पड़ जाए।
कांग्रेस द्वारा गत दिवस जारी सूची में पांच स्थाई एवं 10 विशेष आमंत्रित सदस्यों का समावेश किया गया है। इस सूची को लेकर ही कांग्रेस के अंदर जमकर घमासान मच गया है। सालों से कांग्रेस का झंडा डंडा, दरी फट्टा उठाने वाले नेताओं को यह सूची और प्यारेलाल कांग्रेस का रवैया रास नहीं आ रहा है।

सदस्यता रिन्यू नहीं, कैसे बना दिया आमंत्रित!
एक सांध्य दैनिक ने अपनी खबर में इस बात का उल्लेख किया है कि इस सूची में शामिल सुबोध मालू की सदस्यता का रिन्यूवल लंबे समय से नहीं किया गया है, एवं इन्हें इस सूची में शामिल कर लिया गया है। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि सुबोध मालू की सदस्यता दस साल से रिन्यू ही नहीं हुई है।

अंधेरे में रखा जा रहा है नाथ को
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के करीबी अबरार अहमद को सिवनी का प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अबरार अहमद की इस सूची को फायनल कराने में महती भूमिका रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि दरअसल, सिवनी में अबरार अहमद को कुछ नेताओं ने हाईजेक कर लिया है। देर रात चलने वाली बैठकों में सोडे की डकारों और धुएं के छल्लों के बीच कांग्रेस की भविष्य की रणनीति तय की जाती है। कहा जा रहा है कि इन सारे मामलों में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ को अंधेरे में ही रखा जा रहा है। चर्चा है कि कांग्रेस के कुछ नेता षणयंत्र के तहत पहले फोरलेन के लिए परोक्ष रूप से कमल नाथ को दोषी ठहराते हुए लोगों को उकसाते रहे, फिर बाद में अब अबरार अहमद को मिसगाईडकर कमल नाथ के खिलाफ कांग्रेस में ही माहौल बनाने का जतन कर रहे हैं।

कांग्रेस से निष्काशित बन गए सदस्य!
कांग्रेस के एक अन्य नेता ने भी नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि इस समिति के एक अन्य सदस्य कांग्रेस से निष्काशित हैं। उन्होंने बताया कि मोहम्मद आरिफ को पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू के खिलाफ कुल्हाड़ी का काम करने पर कांग्रेस से निष्काशित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि इनकी बहाली अब तक कांग्रेस में नहीं की गई है, फिर कैसे इन्हें समिति का सदस्य बना दिया गया है।

इस संबंध में जब जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी (9425176341) से वास्तविकता का पता करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाईल स्विच्ड आफ मिला।

किसकी सदस्यता रिन्यू हुई किसकी नहीं, इस बात के बारे में जिला अध्यक्ष ही आपको बता सकते हैं। वैसे बूथ वाईज सदस्यता पंजी देखकर ही बताया जा सकेगा कि किसकी सदस्यता हुई किसकी नहीं। रही बात मो.आरिफ के निष्काशन की तो उनके निष्काशन को वापस लिया गया या नहीं इस बारे में भी जिला अध्यक्ष ही आपको पूरी जानकारी दे पाएंगे। सिवनी प्रभारी मोहम्मद अबरार ने हमसे भी इस बारे में मशविरा किया गया था।

इमरान पटेल, नगर अध्यक्ष, शहर कांग्रेस कमेटी, सिवनी

बारूद के ढेर पर है सिवनी!

बारूद के ढेर पर है सिवनी!

(शरद खरे)

दीपोत्सव और चुनाव दोनों ही नजदीक हैं। सिवनी में बात बात पर हत्याएं हो रही हैं। लोग खुलेआम हथियार लेकर घूमते दिख जाते हैं। शाम ढलते ही लोग शराब के नशे में झूमते दिख जाते हैं। देर रात तक चौक चौराहों पर लोग शराब के नशे में बर्राते नजर आते हैं। सिवनी शहर में कभी भी किसी भी दुर्घटना के घटने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका कारण शहर में जहां तहां एक्सप्लोसिव एक्ट का उल्लंघन ही प्रमुख वजह माना जाएगा। शहर के अंदर फटाखों के अलावा बारूद का ढेर लगा हुआ है। हाल ही में महावीर मढिया के सामने अनुग्रह गैस एजेंसी के बाजू में एक गोदाम में बड़ी तादाद में माचिस के खोके उतारे गए। राहगीरों की आपत्ति के बाद पुलिस ने लारी के कागज बुलवा लिए किन्तु इसके बाद क्या कार्यवाही हुई इस बारे में सिवनी पुलिस मौन ही है।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में जब सिवनी में मीनाक्षी शर्मा जिला पुलिस अधीक्षक थीं, उस वक्त एन बुधवारी बाजार से लगे दारोगा मोहल्ले में बारूद फटने से एक व्यक्ति के चिथड़े उड़ गए थे। वह घर पर बारूद क्यों रखा हुआ था? घर पर वह बारूद के साथ खेल रहा था या फिर बम बना रहा था, डेटोनेटर बना रहा था, इस बारे में सिवनी पुलिस ने मौन ही साधे रखा था। पिछले दिनों सिवनी में हड्डी गोदाम से बड़ी तादाद में बम गोले असलाह बरामद हुआ था। इसके तार दारोगा मोहल्ला के हादसे से जुड़ सकते हैं। हो सकता है दारोगा मोहल्ला में भी बन बनाने का काम चल रहा हो। सिवनी में बड़ी संख्या में बम मिलना वाकई चिंताजनक ही माना जाएगा।
सिवनी शहर में घनी आबादी में अगर इस तरह के हादसे हो रहे हों तो यह निश्चित तौर पर पुलिस की असफलता ही मानी जाएगी। बार बार चेताने के बाद भी किराएदारी या मुसाफिरी दर्ज कराना आवश्यक ना बनाया जाना और इसको कड़ाई से लागू ना किया जाना वाकई आश्चर्यजनक ही कहा जाएगा। कुछ माह पूर्व पुलिस महानिरीक्षक संजय झा ने जिले में किराएदारी की सूचना देना और मुसाफिरी दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया था। दो वर्ष पूर्व भाजपा के युवा नेता नरेंद्र ठाकुर ने मुसाफिरी और किराएदारी अनिवार्य कराने की मांग की थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई है। आज भी आई जी के निर्देशों के बाद भी पुलिस प्रशासन इस दिशा में ध्यान नहीं दे रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक संजय झा के आदेश के उपरांत भी सिवनी में किराएदारी के सत्यापन का काम अभी तक आरंभ नहीं हो सका है, जो वाकई अपने आप में आश्चर्यजनक के साथ ही साथ अनेक संदेहों को जन्म देने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। दक्षिण भारत का एक कातिल हत्यारा सिवनी की अभिषेक कालोनी में ना केवल रहकर चला गया वरन् नगर पालिका परिषद ने सारी सीमाएं पार कर उसका राशन कार्ड तक बना दिया था। सिवनी शहर में माचिस का बल्क में स्टोरेज भी किसी दिन किसी अनहोनी को जन्म दे सकता है। इसका सबसे खतरनाक पहलु यह है कि यह आबादी वाला क्षेत्र है। साथ ही साथ महज दस कदम पर ही अनुग्रह गैस एजेंसी है। सिवनी में फटाखा व्यवसाई भी अपना माल कहां रखते हैं यह बात भी शोध का ही विषय है।
क्या कभी जिला प्रशासन ने कभी फटाखा व्यवसाईयों से यह पूछने की जहमत उठाई है कि वे अपना स्टोरेज कहां रखते हैं। दीपावली के पहले फटाखा व्यवसाईयों को ज्वलनशील फटाखे बेचने के लिए लाईसेंस दिया जाता है। दीप पर्व और ग्यारस के उपरांत जिन फटाखा व्यवसाईयों को लाईसेंस दिया जाता है उनसे यह पूछने की जहमत भी प्रशासन नहीं उठाता कि उनके पास कितना माल बचा है और वह उन्होंने कहां खुर्द बुर्द किया है।
सिवनी शहर के हड्डी गोदाम और बारापत्थर की एकता कालोनी में बम मिले और आरोपी भी। इसका मतलब साफ है कि अब शहर का कोई भी क्षेत्र सुरक्षित नहीं बचा है। हर ओर डर ही डर है कि पुलिस की मुखबिर सूचना तंत्र के पंगु होने के चलते और नेताओं तथा मीडिया पर्सन्स की अनावश्यक तांक झांक और दबाव के कारण ही शहर के हालात बद से बदतर हो चुके हैं।
पिछले दिनों एक के बाद एक हत्याएं होती रहीं, शहर दहल गया पर नहीं दहला तो पुलिस प्रशासन। जिले भर में अवैध शराब का विक्रय खुलेआम हो रहा है। ठेकेदार पुलिस की मिली भगत से गांव गांव में चार पहिया वाहन लगाकर शराब को बेच रहे हैं। लखनादौन, घंसौर, केवलारी, छपारा, आदेगांव यहां तक कि बादलपार में भी अवैध शराब बिकने की खबरें आम हो गई हैं। दो माह पहले हुई जिला सर्तकर्ता समिति की बैठक में भी यह बात जमकर उछली थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि आज संपन्न हुई जिला योजना समिति की बैठक में एक बार फिर प्रभारी मंत्री को अवैध शराब के लिए ताकीद करना पड़ रहा है। जाहिर है कि जिले में आबकारी और पुलिस महकमा इन दिनों शराब ठेकेदारों के हाथों में नाच रहा है।

दीपावली और विधानसभा चुनाव दोनों ही जल्द होने वाले हैं। दीपावली में पटाखों का भण्डारण होगा, तो चुनाव में मसल पावर दिखाने के लिए हथियारों का जमकर इस्तेमाल हो सकता है। पुलिस ने असमाजिक तत्वों की फेहरिस्त तैयार कर ली है, जो सात आठ सौ के करीब बताई जा रही है। पता नहीं क्यों पुलिस इन्हें अपना मेहमान बनाने के लिए चुनाव की आचार संहिता लगने का इंतजार कर रही है। अगर कोई अवैध काम में लिप्त है तो उसे तो तत्काल ही धर दबोच लेना बेहतर होगा। इसके साथ ही साथ जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से एक ही अपेक्षा है कि वह अपना गोपनीय सूचना तंत्र मजबूत करे, एवं साथ ही साथ किराएदारी तथा मुसाफिरी दर्ज करवाने के काम को प्राथमिकता के आधार पर संपन्न करवाया जाए, ताकि शहर में अमन चैन वापस लौट सके और नागरिक एक बार फिर चैन की सांस ले सकें।

बुधवार, 28 अगस्त 2013

स्वास्थ्य विभाग में मची है अंधेरगर्दी

स्वास्थ्य विभाग में मची है अंधेरगर्दी

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं। स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों कर्मचारी अधिकारी बुरी तरह बेलगाम हो गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के निर्वाचन कक्ष लिपिक द्वारा अधिकारी को अंधेरे में रखते हुए निर्दाेष कर्मचारियों के खिलाफ मनगढंत एवं झूठे आरोप लगाया जाकर कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, तथा निर्वाचन संबंधी नियमों को ढाल बनाकर बिना वजह कार्यवाही किये जाने हेतु डराया धमकाया जा रहा है।
शासन द्वारा निर्वाचन पूर्व व्यवस्था बनाये जाने के उद्देश्य से कर्मचारियों की सेवा संबंधी जानकारी जिला स्तर पर विभागवार संकलित की जा रही है। इसी संदर्भ में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सिवनी के कार्यालय द्वारा जिला क्षय केंद्र सिवनी में कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी  चाही गई थी तथा संबंधित सभी कर्मचारियों की जानकारी चाही गई थी तथा संबंधित कर्मचारियों के द्वारा भी निर्धारित समय सीमा के पूर्व ही चाही गई जानकारी शाखा प्रमुख को प्रस्तुत किये जाने के प्रलस्वरूप उक्त जानकारी भी विभागीय प्रक्रिया के अनुरूप कार्यालय सीएमएचओ को भेजी जाकर पावती प्राप्त कर ली गई है।

इस संबंध में मप्र स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष टीकाराम बघेल, सचिव संजय दुबे, प्रांतीय संगठन सचिव प्रदुम्र चतुर्वेदी के द्वारा आशा व्यक्त की जाकर ऐसे कर्मचारी के विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही किये जाने की मांग की गई है। वहीं कार्यालय निर्वाचन अधिकारी सिवनी से भी अपेक्षा की गई है कि निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्याे का दुरूपयोग कर स्वार्थ सिद्धि करने वाले कर्मचारी/ अधिकारी के प्रति तत्काल कठोर कार्यवाही की मांग की है। 

सिवनी आ सकते हैं अनिल माधव दुबे

सिवनी आ सकते हैं अनिल माधव दुबे

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। विधानसभा चुनावों में सिवनी जिले के चारों विधानसभा चुनावों में कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ रायशुमारी के लिए राज्य सभा सदस्य अनिल माधव दुबे सितम्बर के पहले सप्ताह में सिवनी आ सकते हैं। सिवनी भाजपा में मची सर फुटव्वल के लिए हाईकमान ने अनिल माधव दुबे को मामला निपटाने के लिए पाबंद किया है।
भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी में दो बार नाराज कार्यकर्ताओं द्वारा की गई जबर्दस्त नारेबाजी की गूंज भोपाल और दिल्ली तक सुनाई दी है। सोशल मीडिया सहित कुछ न्यूज वेब साईट्स पर इन खबरों के चलन से शीर्ष नेतृत्व के कान खड़े हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि आज भी रायशुमारी के दौरान कुछ नेताओं के खिलाफ लगे नारों ने शीर्ष नेताओं की नींद में खलल डाला है।

सूत्रों की मानें तो भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सदस्य अनिल माधव दुबे सितम्बर के पहले सप्ताह संभवतः अगले सप्ताहांत तक सिवनी पहुंचकर कार्यकर्ताओं से रूबरू हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार अनिल माधव दुबे को सिवनी में कार्यकर्ताओं के प्याले में उठे तूफान को थामने की जवाबदेही सौंपी गई है।

रायशुमारी: भाजपा में प्रजातंत्र का अभाव झालका!

रायशुमारी: भाजपा में प्रजातंत्र का अभाव झालका!

बदनामी के डर से मीडिया को रखा रायशुमारी से दूर!, नरेश नीता हटाओ के लगे नारे

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। विधानसभा चुनावों में टिकिट वितरण पूर्व भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की औपचारिक रायशुमारी आज संपन्न हो गई। इस रायशुमारी में मीडिया को दूर ही रखा गया। रायशुमारी स्थल पर नरेश नीता हटाओ भाजपा बचाओ के गगन भेदी नारे लगाए जाते रहे।
आज अपरान्ह भाजपा के पर्यवेक्षक डॉ.तेजबहादुर एवं दिलीप परिहार कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए। जबलपुर रोड़ स्थित सांझी साई लॉन में सुबह से ही कार्यकर्ताओं का जमावड़ा जमकर हो रहा था। दोपहर होते होते नेशनल हाईवे पर वाहनों की कतारें देखते ही बन रही थी। इन वाहनों में अधिकांश विलासिता पसंद लोगों के वाहन ही नजर आ रहे थे।

बनाए गए पांच लिफाफे
आज हुई रायशुमारी में सिवनी, बरघाट, केवलारी और लखनादौन विधानसभाओं के लिए अलग अलग रायशुमारी की गई। इस रायशुमारी में पार्टी के वर्तमान और पूर्व कार्यकर्ताओं के अलावा मीसाबंदियों से भी तीन तीन नाम मांगे गए थे। इन सभी की राय को लिफाफे में बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही साथ एक अन्य लिफाफा आम कार्यकर्ताओं की मंशा का भी बनाया गया जिसमें कार्यकर्ताओं ने अपनी पसंद के प्रत्याशी का नाम सुझाया। मीसाबंदियों को लाने ले जाने के लिए सरकारी लाल बत्ती के वाहन का उपयोग चर्चा का केंद्र बना रहा। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार पर्यवेक्षक द्वय एवं उनके साथ आए पार्षद भी महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर के वाहन में बैठकर रायशुमारी स्थल तक पहुंचे।

देशमुख को बोलने से रोका!
जब पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओं को संबोधित कर चुके तब भाजपा के राधेश्याम देशमुख ने माईक संभाला और पार्टी की वर्तमान हालत पर प्रकाश डालना आरंभ ही किया था कि पर्यवेक्षक ने उन्हें बोलने से रोक दिया। पर्यवेक्षक का कहना था कि जिसे जो कहना है वह लिखकर दे दे, उनकी बात उपर तक पहुंचाई जाएगी।

दिखा प्रजातंत्र का अभाव!
आज संपन्न हुई रायशुमारी में एक बात उभरकर सामने आई कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर प्रजातंत्र में आस्था कम होती जा रही है। रायशुमारी में आमंत्रितों को तीन तीन नाम लिखकर देने थे। यह मामला पार्टी स्तर का और गोपनीय था। इस काम के आरंभ होते ही मीडिया को वहां से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। मीडिया के लोग मुख्य द्वार के बाहर सड़क के आहते में ही खड़े देखे गए। उपस्थित मीडिया में कुछ इस तरह की सुगबुगाहट भी देखी गई कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों में जहां मतदान के वक्त सबसे ज्यादा गोपनीयता बरती जाती है वहां मतदान कक्ष में भी मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी नहीं होती है।

पर्यवेक्षक ने दिया आदेश
वहीं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने जब इस बात पर भाजपा के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर से अपनी आपत्ति दर्ज करवाई गई तो महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने कहा कि पर्यवेक्षक की मंशा के अनुरूप मीडिया को रायशुमारी स्थल से बाहर किया गया है।

नरेबाजी संस्कृति का उदय

भारतीय जनता पार्टी को काडर बेस्ड अनुशासित पार्टी माना जाता है, किन्तु पिछले कुछ सालों से भाजपा में भी अनुशासनहीनता चरम पर दिखाई दे रही है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2008 के चुनावों में तत्कालीन विधायक नरेश दिवाकर की टिकिट काटकर तत्कालीन सांसद श्रीमति नीता पटेरिया को दिए जाने पर नरेश दिवाकर समर्थकों ने बाहर से आए बड़े नेताओं को सर पर उठा लिया था। उस वक्त की गई नारेबाजी और अनुशासनहीनता, पोस्टर आदि फाड़े जाने, बी फार्म पर प्रश्न चिन्ह लगाने आदि जैसी कार्यवाहियों से भाजपा के अंदर एक नई परंपरा का आगाज हुआ। उस वक्त भले ही यह सब अनुकूल लग रहा हो, किन्तु कालांतर में अब नीता नरेश हटाओ पार्टी बचाओ के नारे उसी अनुशासनहीनता की परिणति ही माना जा रहा है। सिवनी में भाजपा संगठन को देखकर शीर्ष नेतृत्व यह बात कतई नहीं कह सकता है कि सिवनी में चाल चरित्र और चेहरे आधारित राजनीति करने वाली भाजपा का संगठन अस्तित्व में है।

नही हो पा रहा बाहरी लोगों का चरित्र सत्यापन!

नही हो पा रहा बाहरी लोगों का चरित्र सत्यापन!

(शरद खरे)

जिलाधिकारी भरत यादव और जिला पुलिस अधीक्षक लगातार इस बात को दुहरा रहे हैं कि बाहर से आकर रहने वालों और बाहरी काम करने वाले लोगों का चरित्र सत्यापन प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। यह बात उस समय से जोर शोर से उठ रही है जबसे घंसौर की गुड़िया के साथ दुष्कर्म के उपरांत उसकी मौत का मामला सामने आया था। विभागीय, समयसीमा, एवं अन्य बैठकों में दोनों ही वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बाहर के लोगों के चरित्र सत्यापन की बात पुरजोर तरीके से की जा रही है। इसमें ठेकेदारों के पास काम करने वालों के साथ ही साथ किराए से मकान लेकर रहने वालों के चरित्र सत्यापन की बात सामने आ रही है।
विडम्बना ही कही जाएगी कि जिला मुख्यालय में ही अब तक किराएदारी, मुसाफिरी आदि जैसी बातों के लिए ना तो पुलिस ने कोई फार्मेट ही तय किया है और ना ही इसके बारे में वह संजीदा ही नजर आ रही है। माना कि पुलिस के पास कानून और व्यवस्था के साथ ही साथ व्हीव्हीआईपी मूवमेंट का जबर्दस्त दबाव है।
पिछले दिनों जिला सतर्कता एवं मानीटरिंग समिति की बैठक में लखनादौन विधायक श्रीमति शशि ठाकुर के प्रतिनिधि प्रदीप पटेल ने जिले में चल रहे निर्माण कार्यों, मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड में कार्यरत कर्मचारियों, शराब व्यवसाईयों के पास कार्यरत कर्मियों के साथ ही साथ सड़कों के किनारे बैठकर पंचर सुधारने वाले कर्मियों के चरित्र सत्यापन की मांग की गई। प्रदीप पटेल की इस मांग का स्वागत किया जाना चाहिए। इस बैठक में अन्य सदस्य तेई सिंह उईके एवं बिसन सिंह परतेती ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि केवलारी, घंसौर, धनोरा, लखनादौन, छपारा आदि क्षेत्रों में शराब वाहनों में रखकर बेची जा रही है।
देखा जाए तो इन प्रतिनिधियों की बात में दम नजर आता है। वस्तुतः शराब को ठेके पर से ही बेचा जाना चाहिए, पर ठेकेदार के आदमी गांव गांव फेरीवालों की तरह शराब बेच रहे हैं। यह शराब वाणिज्यिक कर अदा की हुई है या अवैध, कोई नहीं जानता है। पिछले दिनों लखनादौन क्षेत्र में गोवा एवं दमन से आई, कर मुक्त शराब बिकने की खबरें भी आई थीं। इस तरह कर मुक्त शराब बेचकर ठेकेदार शासन को सीधे सीधे चपत तो लगा ही रहे हैं, इसके अलावा ठेकेदारों द्वारा आबकारी महकमा जिसका काम अवैध शराब पकड़ना है के साथ सांठगांठ करने के दो नंबर की अवैध, नकली शराब को भी बेचा जा रहा है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिला कलेक्टर के कड़े निर्देशोंके बाद भी अवैध शराब बिक ही रही है।
इस कार्य में स्थानीय लोगों की संलिप्तता कम ही है। इसमें ज्यादा से ज्यादा तादाद में बाहर से आए गुंडानुमा तत्व ही सक्रिय नजर आ रहे हैं। सिवनी शहर में ही मिशन स्कूल के पीछे एक गली में देशी शराब खुले आम बिकती नजर आती है। शराब के आदियों की मानें तो पेकर्सके जरिए यह शराब ठेके से कम कीमत पर यहां बेची जाती है। पिछले दिनों जिले भर में अबोध बच्चों के साथ दुराचार की खबरें तेजी से बढ़ी हैं। घंसौर में जिस फिरोज द्वारा गुड़िया के साथ दुराचार किया था वह मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का वेल्डर था और बिहार का रहने वाला था। इस संबंध में घंसौर पुलिस ने ही कहा था कि फिरोज का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं हुआ था। इन परिस्थितियों में पुलिस ने मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के खिलाफ कोई कदम शायद ही उठाया हो। उसके बाद झाबुआ पावर के एक अन्य कर्मचारी ने भी एक बालिका के सामने अश्लील हरकतें कीं।
जिले भर में प्रदेश और केंद्र सरकार पोषित निर्माण कार्यों की बड़ी तादाद है। इन कार्यों को करने के लिए देश भर से मजदूर और अन्य विशेषज्ञों ने सिवनी में डेरा डाला हुआ है। किसके मन में क्या है यह जानना बहुत मुश्किल है। कोई भी कहीं भी वारदात करके भाग सकता है। इसीलिए पहले के समय में बाहर से आने वाले की मुसाफिरी दर्ज करवाई जाती थी। सिवनी जिला अतिसंवेदनशील जिलों की फेहरिस्त में है। सिवनी में पिछले दिनों बड़ी मात्रा में बम गोले और असलहा बरामद हुआ था। इस लिहाज से सिवनी के लॉज होटलों की सतत निगरानी भी आवश्यक है। आज यह काम होता है पर महज रस्म अदायगी के लिए।
सिवनी में दुपहिया और चौपहिया वाहनों की तादाद तेजी से बढ़ी है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसी के मद्देनजर जिले भर में सड़कों के किनारे टायर के पंचर बनाने वालों की भी तादाद बढ़ी है। ये कहां से आए हैं?, इनका मूल नाम पता क्या है? अगर ये कोई वारदात करके फरार होते हैं तो इन्हें कहां ढूंढा जाएगा? यह तो राहत की ही बात मानी जा सकती है कि कम से कम सालों बाद, जिले के दो प्रमुख अधिकारी किराएदारी, बाहर से आए लोगों के चरित्र सत्यापन और मुसाफिरी के मामले में संजीदा दिख रहे हैं। सिवनी में कौन आता है कौन चला जाता है यह बात किसी को पता नहीं होती है। भागमभाग में आज लोग भी अपने आस पड़ोस में कौन आया कौन गया से ज्यादा मतलब नहीं रख रहे हैं।
इन परिस्थितियों में सिवनी अपराधियों के लिए शरण स्थली बन जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। पहले भी दक्षिण भारत से आए एक अपराधी ने अभिषेक कालोनी में निवास किया और अपना राशन कार्ड तक बनवा लिया था। इसके बाद बुधवारी में दरोगा मोहल्ला में बारूद फटने से एक व्यक्ति के चीथड़े उड़े, और एकता कालोनी में एक संदिग्ध आरोपी को पुलिस ने धर दबोचा था।

जिले के मुखिया संवदेनशील कलेक्टर भरत यादव एवं युवा एवं उर्जवान जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला के द्वारा अनेकानेक बार कड़े और स्पष्ट निर्देश दिए किन्तु उनके मातहतों ने इन निर्देशों को हवा में ही उड़ा दिया है। अब जिले के निवासी जिले के शीर्ष अधिकारियों से स्पष्ट और कड़ेनिर्देशों के बजाए उनके कड़े कदमों की अपेक्षा रख रहे हैं। जिले के मुखिया अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे चरित्र सत्यापन के मामले में अधीनस्थों को टाईम फ्रेम में बांधकर काम करने के लिए ताकीद करें, ताकि जिले का अमन चैन कायम रह सके।