सोमवार, 24 जून 2013

आपदा में फंसे लोगों के लिये करें प्रार्थना- नरेंद्र ठाकुर

आपदा में फंसे लोगों के लिये करें प्रार्थना- नरेंद्र ठाकुर

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा के शिकार हुए लोगों के लिये प्रार्थना जगह- जगह हो रही है। इसी के चलते आज लक्ष्मीनारायण मंदिर में शाम साढ़े चार बजे कथा का आयोजन हुआ। कथा के पश्चात यज्ञ व शाम के समय गरीबों को भोजन के भोजन की व्यवस्था रखी गई। उक्ताशय की जानकारी मंदिर समिति के नरेंद्र ठाकुर ने देते हुए सभी से प्रार्थना करने की अपील की है।

श्री ठाकुर ने बताया कि आज बस स्टेंड स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में सत्यनारायण भगवान की कथा, विष्णु सहस्त्रार्चन, हवन आदि संपन्न कराया जाकर लक्ष्मीनारायण भोज का आयोजन भी किया गया, जिसमं बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जानवरों की तरह भरकर आ रही थी भीड़

मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जानवरों की तरह भरकर आ रही थी भीड़

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। शिवराज सिंह चौहान के कार्यक्रम में जो भीड़ उमड़ी थी, वह अपने आप आई भीड़ थी या फिर कहीं से लाई गई भीड़? यह प्रश्र इसलिए भी उठ रहे हैं कि क्योंकि गत दिवस धूमा परिक्षेत्र के अधीन आने वाले वनविकास समिति के कुछ लोगों को वनविभाग के अफसरों ने जानवरों की तरह पिकअप वाहन क्रं. एमपी 29 जीए 3626 में भरकर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को सफल बनाने सिवनी पहुंचाया, जिसमें लगभग 30 से 35 लोग शामिल थे, लेकिन जैसे ही यह वाहन बम्होड़ी के पास पहुंचा। वैसे ही उक्त वाहन पलटा, जिससे 16 लोग घायल हुये, जिनमें से 03 गंभीर घायल हो गये, जिन्हें सिवनी रेफर किया गया।

इस संबंध में जब वनविकास समिति जालौन के अध्यक्ष महेश उइके से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वनविभाग के अफसरों ने उन्हें सिवनी पहुंचने के निर्देश दिये। ऐसे में यह तो स्पष्ट है कि धूमा वनपरिक्षेत्र के अधिकारी सहित अन्य परिक्षेत्र के अधिकारियों ने वनविकास समिति के ज्यादा से ज्यादा लोगों को सिवनी पहुंचाने की व्यवस्था की ताकि उनके शीर्ष अधिकारी शाबाशी दे और इसी शाबाशी के चक्कर में धूमा के वनपरिक्षेत्र अधिकारी ने जानवरों की तरह भरकर लोगों को सिवनी पहुंचाने की व्यवस्था की। सवाल यह भी उठता है कि आखिर वनविभाग अमले ने किस आदेश के तहत वनविकास समिति के लोगों को सिवनी पहुंचाने की व्यवस्था की।

अनुज्ञा नियम को धत्ता बताती खवासा चैक पोस्ट

अनुज्ञा नियम को धत्ता बताती खवासा चैक पोस्ट

(ब्यूरो कार्यालय)

खवासा (साई)। नागपुर से जबलपुर, म.प्र. से महाराष्ट्र और कन्याकुमारी से कश्मीर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 7 पर, सिवनी जिले के खवासा स्थित कृषि उपज मंडी चैकपोस्ट इन दिनों खासी चर्चा मंे है। बताया जाता है कि यहां अपनी नियुक्ति करवाने के लिये दूर-दूर से मंत्री और अन्य रसूखदार, अपनी पूरी ताकत लगाकर अपने सगे संबंधियों को फिट करते हैं। और इसके एवज मंे मोटी रकम का लेनदेन होता है।
उक्त कृषि उपज मंडी चैकपोस्ट में न तो कोई आधुनिक उपकरण नजर आता है न ही कोई ईमानदार शासकीय कर्मी । यहां से प्रतिदिन कई सौ ट्रक हमारे प्रदेश का अनाज महाराष्ट्र की मंडी मंे पार हो जाता है। और शासकीय अमला उनसे अनुज्ञा तक नहीं पूछता बल्कि ये अल्प शिक्षित ट्रक ड्रायवर भी इस चैकपोस्ट से पार होने की कीमत जानते हैं। बताया यह भी जाता है कि सिवनी के व्यापारियों का सीधा सामंजस्य सहायक निरीक्षक से है, और वे इसका मासिक लेनदेन करते हैं। प्रदेश शासन को प्रतिदिन हजारों,लाखों का चूना लगाकर ये अधिकारी अपना घर भरने मंे लगे हुए हैं।
उक्त चैकपोस्ट के ही कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त में बताया है कि यह कार्य हमारे हाथ में नही है बल्कि सिवनी में ही पदस्थ बडे अधिकारियों के इशारे पर हो रहा है। बिना अनुज्ञा के ट्रक म.प्र. से महाराष्ट्र की ओर इन्ही अधिकारियों की सहमति से भेजे जाते हैं।

जब उक्त घटनाक्रम की सत्यता जानने का प्रयास किया गया तो सभी चैकपोस्ट कर्मचारी संपर्क क्षेत्र से बाहर थे। इतना ही नही नियुक्तियों मंे भी सारे नियमों को ताक में रखते हुए मंडी निरीक्षक प्रभुदयाल गेडाम को नियुक्त किया गया है। और इन्हें सहायक निरीक्षक का प्रभार भी नियम विरूद्ध तरीके से सौंपा गया है। उक्त निरीक्षक  के पद पर खासकर इतनी संवेदनशील चैकपोस्ट में एक सहायक निरीक्षक की तैनाती भी दाल में कुछ काला होने का संकेत देती है। इस प्रश्न का जवाब भी सिवनी में पदस्थ मंडी सचिव ही दे सकते हैं।

उत्तराखण्ड पीड़ितों के लिए आगे आया संघ

उत्तराखण्ड पीड़ितों के लिए आगे आया संघ

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। उत्तराखण्ड में आई प्राकृतिक आपदा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी द्रवित है। आज संघ के स्वयंसेवकों ने शाखा वेश में उत्तराखण्ड के पीड़ितों के राशि का एकत्रीकरण किया गया। आज दिन में बारिश की परवाह किए बिना संघ के कर्मठ स्वयंसेवकों ने शहर के प्रमुख व्यापारिक प्रतिष्ठानों में जाकर राहत राशि का संकलन किया गया।
उत्तराखण्ड की त्रासदी के उपरांत वहां पीड़ित परिवारों एवं आहतों के लिए राहत राशि के लिए संघ के स्वयंसेवक सड़कों पर उतरे। शहर में आज 40 तरूण और 10 बाल स्वयंसेवकों द्वारा शहर से 65 हजार 825 रूपए की राहत राशि संकलित की गई।
शहर के सभी क्षेत्रों से सभी वर्गों के स्वयंसेवकों ने अपनी व्यक्तिगत रूचि दिखाकर पीड़ितों के लिए लोगों से सड़कों पर उतरकर मदद मांगी। आज शाम तक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा 65 हजार 825 रूपए की राशि संकलित की गई।
इस कार्यक्रम आ आरंभ गांधी चौक स्थित श्रीराम मंदिर से किया गया। आज दिन में अपरान्ह डेढ़ बजे से रात्रि साढ़े सात तक संकलन का कार्य किया गया। स्वयंसेवक आज श्रीराम मंदिर से बुधवारी होते हुए नगर पालिका, छिंदवाड़ा चौक, फिर मठ, शुक्रवारी, गणेश चौक होते हुए बाहुबली चौक पहुंचे, जहां इसका समापन किया गया।
सिवनी शहर में संघ का यह अभिनव कार्यक्रम सोमवार और मंगलवार को जारी रहेगा, साथ ही साथ संघ सिवनी जिले की प्रत्येक तहसीलों में भी जारी रहेगा। मंगलवार और बुधवार को शहर के प्रत्येक वार्ड के प्रत्येेक घर में जाकर संघ के कार्यकर्ता लोगों से मदद का आव्हान करेंगे, एवं संघ ने अपेक्षा की है कि शहर के लोग अधिक से अधिक संख्या में इस काम में सहयोग करें।
इस राशि को उत्तराखण्ड के पीड़ित एवं जिनके घरबार उक्त आपदा से प्रभावित हुए हैं उनके पुर्नवास हेतु उत्तराखण्ड भेजी जाएगी। इस हेतु दानदाता अधिवक्ता राजेंद्र सिंह सियोदिया 9425847274, शिक्षक हेमराज सनोडिया 9300033133, यूक्लिड क्लासेस के संचालक प्रवीण मिश्रा 9425446202, अग्रवाल मेडीकोज के संचालक रवि अग्रवाल 9425175152, अनुराग हाण्डा के संचालक अखिलेश चौहान 9425962300, सृष्टि इंजीनियरर्स के संचालक ब्रजेश गौतम 9424966095 से संपर्क कर सकते हैं।

स्वयंसेवकों ने बताया कि संग्रहित राशि को उत्तरांचल देवीय आपदा पीड़ित सहायकता समिति राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को भेजा जाएगा।

क्रिकेट सट्टे के साए में सिवनी जिला!

क्रिकेट सट्टे के साए में सिवनी जिला!

(शरद खरे)

कुरई क्षेत्र में पर्यटन की दृष्टि से बनाए गए रिसोर्ट में पुलिस ने एक बार फिर सटोरियों को घेरने की नाकाम कोशिश की है। इस बार पुनः पेंच के जंगल होम रिसोर्ट में क्रिकेट का सट्टा खिलवाने वालों को पकड़ना चाहा पर वे भाग खड़े हुए।
इसके पहले सिवनी जिले में आईपीएल के दौरान पुलिस ने दो बार सटोरियों को पकड़ने में सफलता हासिल की थी। पुलिस निस्संदेह बधाई की पात्र है कि सिवनी में इस तरह की गतिविधियों पर कम से कम अंकुश लगाने की कार्यवाही तो की गई। सालों से सटोरियों को पकड़ने की कार्यवाही जारी है पर पुलिस के हाथ छुटभैया सटोरिए ही लगते आए हैं। इनके सरपरस्त कौन है यह बात सभी जानते हैं पर उन पर हाथ डालने से पता नहीं क्यों पुलिस हिचकती आई है।
इक्कीसवीं सदी के आरंभ से ही क्रिकेट के सट्टे का दौर जारी हुआ। सिवनी में ना जाने कितने परिवार इस सट्टे के चलते बिखर चुके हैं। पांच से दस परसेंट महीना की दर पर आज भी बाजार में निजी दबंग लोगों द्वारा, ब्याज पर पैसे देने का काम बदस्तूर जारी है। पिछले दिनों जब तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार ने इसके खिलाफ अभियान चलाया था, तब पुलिस को सटोरियों के पास से हस्ताक्षरित चैक बुक और एटीएम कार्ड भारी मात्रा में मिले थे। कहा जा रहा था कि सरकारी कर्मचारियों को एक तारीख को ये सटोरिए और अवैध रूप से ब्याज का धंधा करने वाले अपना ब्याज का पैसा काटकर वेतन का भुगतान करते थे।
आज सिवनी में करोड़ों रूपयों की सट्टे की लगवाड़ी की खबर है। मिथलेश शुक्ला के पुलिस अधीक्षक पद संभालने के उपरांत दो बड़ी सफलताएं पुलिस के हाथ लगी हैं। एक पेंच नेशनल पार्क में तो दूसरा चलित कार में पकड़ाया है। पुलिस ने इन्हें किस आधार पर पकड़ा, यह तो वह ही जाने पर पुलिस का लचर हो चुका मुखबिर तंत्र एक बार फिर अपने आप को खड़ा करने के प्रयास में नजर आ रहा है, इसके लिए मिथलेश शुक्ला बधाई के पात्र हैं।
पुलिस ने दोनों ही बार कुछ मोबाईल और अन्य यंत्र भी बरामद किए हैं। इन मोबाईल की डिटेल भी जाहिर है अब तक निकलवाई जा चुकी होगी। इन मोबाईल को किसने किसके नाम की आईडी और फोटो के साथ जमा किया है यह बात भी पुलिस के पास आ चुकी होगी, फिर देर किस बात की। पुलिस को उन लोगों की कालर पकड़ ही लेना चाहिए। बीएसएनएल में एक व्यक्ति नौ सिम तक जारी करवा सकता है।
जरायमपेशा लोगों ने अपने इस धंधे के लिए किन लोगों को आधार बनाया है, इस बारे में पुलिस को अपना शिकंजा कसना होगा। इन मोबाईल पर किन किन लोगों ने फोन कर पैसा लगाया है, यह बात भी पुलिस को देखना ही होगा। जिन्होंने इन नंबर्स पर फोन लगाया है उन्हें पकड़कर उनसे भी कड़ी पूछताछ की आवश्यक्ता है। पुलिस के पास बल की कमी है, यह बात भी आईने की तरह ही साफ है। पुलिस को सीमित संसाधनों में ही काम करना है, यह भी सही बात है।
इस बार आरोपी तो फरार हो गए किन्तु कुछ मोबाईल मिले हैं। पता नहीं क्यों पुलिस इन मोबाईल की सिम के जरिए, किन्होंने इसे जारी करवाया है तक नहीं पहुंच पा रही है। यह पुलिस के लिए बाएं हाथ का खेल है। आज के समय जब सिम की खरीदी के नियम कड़े हैं, तब सिम फर्जी नाम से खरीदा जाना संभव नहीं है। पिछले दो बार के छापों में भी पुलिस को भारी मात्रा में मोबाईल फोन मिले थे, उनके बारे में तो पुलिस ने अब तक पता कर ही लिया होगा। उनके आउट गोईंग और इनकमिंग काल्स का पता करना बड़ी बात नहीं है।
विडम्बना ही कही जाएगी कि अब तक इस संबंध में पुलिस की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाई है, और अगर बढ़ी भी है तो इस संबंध में मीडिया को पुलिस ने भरोसे में नहीं लिया है। हो सकता है कि इसमें हाई प्रोफाईल या व्हाईट कालर लोगों के सीधे या परोक्ष कनेक्शन हों, इसलिए भी पुलिस कोई कार्यवाही से हिचक रही हो। वरना, पुलिस चाहे तो एक मिनिट में सिम के सेवा प्रदाता से यह पता कर सकती है कि वह सिम किसके नाम पर जारी हुई है।
पुलिस को चाहिए कि तीनों ही वारदातों में जप्त सारे मोबाईल और अन्य फोन की आउट गोइंग अवश्य ही चेक करवाए, क्योंकि ये छोटे धंधेबाज हैं जो पकड़े गए हैं। असल कारिंदे तो कहीं और बैठे अपने आप को व्हाईट कालर जता रहे हैं। इस संभावना में भी दम है कि अब तक कुल पचास लाख रूपए की लगवाड़ी को पचाने में पकड़े गए आरोपी सक्षम नहीं हैं। निश्चित तौर पर यह लगवाड़ी आगे सट्टे की भाषा में पानाबनाकर उतार दी जाती होगी।
पुलिस अगर आउट गोईंग काल्स के बारे में पता करके उन नंबरों की सिम किसने, किसके नाम जारी करवाई इस दिशा में प्रयास करे तो पुलिस के हाथ अप्रत्याशित सफलता लगे, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिन नंबर्स से इन मोबाईल पर काल आई है उनके भी काल डिटेल अगर निकलवाएं जाएं और उन नंबर्स से लगातार किन नंबर्स पर काल की जा रही है, इसकी मानिटरिंग भी की जाए तो अन्य सटोरियों की कालर भी पुलिस की पकड़ में होगी।
पुलिस को इसके लिए कड़ी मेहनत करना होगा, साथ ही अपने विभाग के ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ अफसरों और कर्मचारियों को इस काम में लगाना होगा, क्योंकि पुलिस की छवि अब भ्रष्ट और लोगों को बचाने वाली बन चुकी है। सिवनी में जंगलों में जुंआ खिलाए जाने की खबरें जब तब आती रहती हैं, आए दिन अपराध घटित हो रहे हैं।

इस सबसे निपटने और आम जनता को राहत देने के लिए पुलिस को अपना सूचना तंत्र दुरूस्त करने के साथ ही साथ विकसित भी करना होगा। पुलिस को मुखबिर तंत्र को भी चाक चौबंद बनाना होगा। पुलिस अधीक्षक की कार्यप्रणाली से आम जनता राहत महसूस कर रही है इस बात में संदेह नहीं, फिर भी पुलिस के मुखिया को अधीनस्थ स्टाफ को पूरी तरह नियंत्रण में ही रखना आवश्यक है।