शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

निगम ने शैक्षणिक संस्थाओं से स्कूली सामग्री का विक्रय प्रतिबंधित किया

निगम ने शैक्षणिक संस्थाओं से स्कूली सामग्री का विक्रय प्रतिबंधित किया

किताब-कॉपियां, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म दुकान विशेष से क्रय नहीं होंगी

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। म.प्र. पाठ्य पुस्तक निगम प्रबंध संचालक सतीश मिश्र द्वारा एक परिपत्र जारी कर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल सीबीएसई से संबंधित विद्यालयों एवं मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालयों के संबंध में जिले के समस्त विद्यालय परिसरों में किताब, कॉपियां, स्टेशनरी, गणवेश एवं अन्य सामग्री का विक्रय प्रतिबंधित किया गया है। इसके अलावा विद्यालय छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को उक्त सामग्री हेतु किसी विशिष्ट दुकान या संस्थान से क्रय विक्रय हेतु बात भी नहीं कर सकेंगे।
उल्लेखनीय होगा कि कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी की जानकारी में यह बात आई थी कि कतिपय विद्यालय अपने संस्थान से पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रम की पुस्तकें, कॉपी एवं निर्धारित किये गये गणवेश आदि विद्यालय से खरीदने हेतु छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को बाध्य करते हैं। विद्यालयों की इस प्रवृत्ति पर पूर्ण विराम लगाने हेतु निगम द्वारा परिपत्र जारी किया गया हैं। इस परिपत्र के जारी हो जाने पर संस्थानों के इस कृत्य से अभिभावकों पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।

कम से कम आठ दुकानों पर उपलब्ध होंगी पुस्तकें व सामग्री
विद्यालयों में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रम से संबंधित समस्त पुस्तकें कम से कम आठ दुकानों पर उपलब्ध होंगी एवं ऐसी पुस्तकें एवं विक्रेताओं की सूची अपर कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी को शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने से पूर्व उपलब्ध कराई जायेंगी।

गणवेश का नमूना नोटिस बोर्ड पर चस्पा होगा
सभी विद्यालय अपने संस्थान में उपयोग में लाये जाने वाले गणवेश का नमूना तथा पाठ्यक्रम की सूची नोटिस बोर्ड पर चस्पा करेंगे। जिससे अभिभावक उसके अनुसार गणवेश एवं पाठ्यक्रम अपनी सुविधा अनुसार किसी भी विक्रेता से क्रय कर सकेंगे।

डिवीज़नल मजिस्ट्रेट करेंगे आकस्मिक निरीक्षण

प्रबंध संचालक द्वारा आदेशित किया गया है कि समस्त सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट अपने क्षेत्रांतर्गत शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ विद्यालयों में आकस्मिक निरीक्षण कर देखेंगे कि इस आदेश का पालन शैक्षणिक सत्र 2013-14 में किया गया है अथवा नहीं तथा आगामी शैक्षणिक सत्र 2014-15 में इसका प्रभावी रूप से क्रियान्वयन करायेंगे।

लगातार हो रही आगजनी से किसान भयभीत

लगातार हो रही आगजनी से किसान भयभीत

बिजली विभाग की लापरवाही, किसानों ने विद्युत विभाग पर लगाये आरोप

(अरूण चंद्रौल)

केवलारी (साई)। क्षेत्र मंे एक के बाद एक लगातार घटित हो रहीं आगजनी की घटनाओं से क्षेत्र के किसान भयभीत हो गये हैं। गौरतलब है कि अभी कुछ दिनांे पूर्व ही समीपस्थ ग्राम लालोपार टोला में भी लगभग 20 एकड़ गेहूं की खड़ी फसल में बिजली के खंबे की स्पार्किंग से खेत में आग लग गई और देखते ही देखते पूरी फसल जलकर राख हो गयी।
इस घटना से किसानो के आंसू रोके नहीं रूक रहे थे। ज्ञातव्य है कि अन्नदाता कहलाने वाला किसान प्राकृतिक आपदाआंे से वैसे भी परेशान ही है। किसानों द्वारा विद्युत मंडल पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा गया है कि चूंकि यहां से गई लाइन के तार अत्यंत ही ज्यादा झूल रहे हैं और यही कारण था कि विद्युत विभाग को फसल आने बाद जानकारी दी गयी की खेत मे लगे खंबों की लाइन को पूर्णतः बंद कर दिया जाए ताकि झूलते तारों से कोई घटना न घटित हो सके।
इसके बाद भी विद्युत विभाग द्वारा झूलते तारों को दुरूस्त किया जाना तो दूर उनमें जारी विद्युत के प्रवाह को भी बंद नहीं किया गया, जिसके चलते खंबांे के तारों से स्पार्किंग होकर किसानांे की फसलांे पर आग लग रही है। विद्युत विभाग के ऐसे गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते किसान अपनी फसल का उत्पादन आखिर कैसे ले पायगा?
ज्ञातव्य है कि केवलारी विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत ग्वारी (देहवानी) के किसान झामसिंह, ओमकार किरार की छः एकड़ में लगी गेहूं की फसल एवं छोटी बाई, धनराजराजपूत खैररांजी की दो एकड़ में लगी गेहूं की फसल भी जलकर खाक हो गई। किसानो ने बताया कि जिस वक्त कटाई चल रही थी उसी दौरान अचानक आग लगने से उनकी फसल जल कर खाक हो गयी।
इसी तरह नगर के समीपस्थ स्थित बीटीआई के पीछे के खेतों पर बिजली के खंबे की स्पार्किंग से आग लग गई। बताया जाता है कि जैसे ही आग लगी वैसे ही आस-पास के किसान एकत्रित होकर आग को काबू करने में लग गए। इसी के साथ ही तत्काल किसानों के द्वारा फायर ब्रिगेड एवं अन्य अधिकारियों को सूचना दी गई। बताया गया है कि जब तक मौके पर फायरब्रिगेड पहुंचती तब तक क्षेत्र के किसानांे ने मिलकर जैसे तैसे आग पर काबू पाया।
मजे की बात तो यह है कि आग बुझने के बाद फायरब्रिगेड पहुंची, जिसके द्वारा बुझ चुकी आग पर पानी डाला गया। किसान अरूण चौरसिया ने बताया कि किसानों के द्वारा आज लाखों की फसल खाक होने से बचा लिया गया है।
उल्लेखनीय होगा कि केवलारी विधानसभा मुख्यालय होने के बावजूद भी यहां पर फायरब्रिगेड नहीं है। इस क्षेत्र के समस्त किसानों ने जिला कलेक्टर से अपेक्षा व्यक्त करते हुएा कहा है कि मुख्यालय में कम से कम एक फायर ब्रिगेड वाहन का होना अति आवश्यक है, जिससे लगातार हो रही आगजनी की घटनाआंे पर काबू पाया जा सके।

बटन कोई भी दबाओ वोट बीजेपी के खाते में!

बटन कोई भी दबाओ वोट बीजेपी के खाते में!

(पुरबाली हजारिका)

जोरहाट (साई)। असम के जोरहाट में एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की मॉक टेस्ट ने चुनाव कर्मियों के होश उड़ा दिए। कोई भी बटन दबाने पर वोट बीजेपी के खाते में ही जा रहा था।
जोरहाट संसदीय क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर और उपायुक्त विशाल वसंत सोलंकी ने बताया कि सारी मशीनों की टेस्टिंग इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पाेरेशन ऑफ इंडिया के इंजिनियर कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पाेरेशन उन दो कंपनियों में शामिल है, जो ईवीएम बनाती हैं।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजयेंद्र ने बताया, ‘जोरहाट में एक ईवीएम में गड़बड़ी मिली है। यह मशीन खराब है। जब सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों के सामने ईवीएम की जांच की जा रही थी तो मशीन की गड़बड़ी सामने आई।उन्होंने कहा कि इस ईवीएम को किसी भी पोलिंग बूथ पर नहीं भेजा जाएगा।
किसी भी ईवीएम में दो यूनिट होती हैं, कंट्रोल यूनिट और बैलटिंग यूनिट। दोनों यूनिट को केबल के जरिए जोड़ा जाता है। बैलटिंग यूनिट ऊपर होती है और इसी में प्रत्याशियों और उनके चुनाव चिह्न दर्ज होते हैं।
रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया, ‘ये ईवीएम यहां लंबे समय से रखी हुई थीं। सामान्य तौर पर ईवीएम उपायुक्त की निगरानी में जमा रहती हैं और चुनाव के समय स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाती हैं।
कांग्रेस ने यह मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग से न सिर्फ जोरहाट में, बल्कि पूरे राज्य में ईवीएम की जांच कराने की मांग की है। चुनाव आयोग से शिकायत करने वाले प्रदेश कांग्रेस कमिटी के जनरल सेक्रेटरी रंजन बोरा ने बताया, ‘जांच के दौरान हमने पाया कि एक ईवीएम में कांग्रेस के सामने का बटन दबाने के बाद भी वोट बीजेपी के पक्ष में दर्ज हो रहा है।उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद यह आशंका हो रही है कि एक खास पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए मशीनों से छेड़छाड़ की गई है।
हालांकि, गौर करने वाली बात यह है कि 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की भारी जीत के बाद असम गण परिषद ने ईवीएम से छेड़छाड़ की शिकायत की थी। तब कांग्रेस ने शिकायत को खारिज करते हुए कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है।

गौवंश का अवैध परिवहन!

गौवंश का अवैध परिवहन!

(शरद खरे)

प्रदेश का सिवनी जिला मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर अवस्थित है। इस जिले से समीपी प्रदेश में न जाने क्या-क्या जाता है, वह भी संबंधित विभागों की कथित अनदेखी के चलते। इससे प्रदेश को राजस्व की क्षति पहुंचती है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। प्रदेश की सीमा पर अवस्थित इस जिले में खवासा में जांच चौकियां भी अस्तित्व में हैं। सरकारी नुमाईंदों की आंख में धूल झोंककर या कथित तौर पर अधिकारी कर्मचारी अपनी आंखों में धूल झुकवाकर, न जाने क्या-क्या सीमा पार चला जाता है, पता ही नहीं चल पाता है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से सीमा पार गौवंश का अवैध परिवहन तेजी से हो रहा है। इसके लिए पूर्व में पुलिस प्रमुखों ने उड़न दस्तों का गठन भी किया था। याद पड़ता है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ.रमन सिंह सिकरवार द्वारा सिवनी में पुलिस की इस मामले में खासी खबर ली गई थी। उनके कार्यकाल में गौवंश का अवैध परिवहन लगभग थम सा गया था। इसके बाद पूर्व पुलिस अधीक्षक मिथिलेश शुक्ला द्वारा गौवंश के लिए गठित उड़न दस्ते को भंग कर दिया गया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि यह नियमित प्रक्रिया के तहत किया गया है, पर उसके बाद गौवंश का पकड़ा जाना लगभग बंद हो गया है। मजे की बात तो यह है कि रूटिन प्रोसिस के नाम पर भंग किए गए उड़न दस्ते को दुबारा गठित नहीं किया गया है।
पिछले लंबे समय से सिवनी पुलिस ने गौवंश का अवैध परिवहन नहीं पकड़ा है। इससे लगने लगा है कि गौवंश का अवैध परिवहन रूक गया है। जमीनी हकीकत इससे उलट ही सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि गौवंश का अवैध परिवहन जंगल और सड़क मार्ग से आज भी बदस्तूर जारी है और यह पहले की अपेक्षा आज बहुतायत में हो रहा है। खबरें तो यहां तक भी हैं कि अगर पुलिस इन्हें पकड़ती है तो कुछ व्हाईट कॉलर्स के नाम बताकर या उनसे फोन पर बात करवाकर अवैध परिवहन कर्ताओं द्वारा पुलिस को हड़काया भी जा रहा है।
सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। गाय से मनुष्य को न जाने कितनी जरूरत की और लाभ की चीजें प्राप्त होती हैं। आदि अनादि काल से वेद पुराणों में भी गौवंश की महत्ता को रेखांकित किया गया है। प्राचीन गुरूकुलों में भी गौवंश को चित्रित किया गया है। बावजूद इसके गौवंश का अवैध परिवहन बदस्तूर जारी होना वाकई शर्मनाक ही माना जाएगा। पुलिस द्वारा पकड़े गए गौवंश को गौशालाओं में भेज दिया जाता है। इसका बाद में क्या होता है, इस बारे में सुध लेने की प्रशासन को शायद फुर्सत ही नहीं होती है। वहीं, गौवंश के नाम पर सियासत करने वालों को भी इसकी सुध लेने की फुर्सत तक नहीं दिखती है।

संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव और पुलिस अधीक्षक बी.पी.चंद्रवंशी से अपेक्षा है कि जिले में पुलिस को इसके लिए पाबंद किया जाए कि गौवंश का अवैध परिवहन पूरी तरह रूक जाए।