शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

डरपोंक हैं मामा के भांजे भांजी


डरपोंक हैं मामा के भांजे भांजी

दो दर्जन बच्चों में एक भी एमपी का नहीं!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। गणतंत्र दिवस पर देश के वजरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह समूचे भारत के 24 बच्चों को वीरता पुरूस्कार से सम्मानित करेंगे। संभवतः यह पहला मौका होगा जब देश के वीर बच्चों में मध्य प्रदेश के नौनिहालों को स्थान नहीं मिल पा रहा होगा। एक तरफ तो मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान खुद को हृदय प्रदेश के बच्चों का मामा जताते हैं वहीं दूसरी ओर उनके सूबे से इस बार एक भी बच्चा बहादुर की श्रेणी में स्थान नहीं पा सका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गणतंत्र दिवस पर परेड़ से पहले देश के प्रधानमंत्री द्वारा भारत के 16 बेटों और 8 बेटियों को वीरता पुरूस्कार से सम्मानित करेंगे। इनमें से पांच बच्चों को मरणोपतरांत यह पुरूस्कार दिया जाएगा। भारतीय बाल कल्याण परिषद की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने पुरूस्कृत होने वाले बच्चों के नामों की घोषणा की है।
इन बच्चों में राजस्थान का सबसे कम उम्र का बच्चा सात वर्षीय डूंगर सिंह है जिसने झोपड़ी में लगी आग में फंसे अपने विकलांग भाई को बचाने के लिए छलांग लगा दी थी। ग्यारह साल पहले मध्य प्रदेश का विखंडन नहीं हुआ होता तो एमपी से तीन बच्चों को यह ईनाम मिल पाता। छत्तीसगढ़ से अंजली गौतम, शीतल सलूजा और रंजन प्रधान को पुरूकार दिए जाने का निर्णय लिया गया है।
इसी तरह दिल्ली के उमाशंकर और गुजरात की मित्तल पाटलिया और दिव्याबेन चौहान, आंध्र प्रदेश के अमरा उदय किरण, शिवप्रसाद, ओम प्रकाश यादव, पश्चिम बंगाल से सौधिया बर्मन (मरणोपरांत), तमिलनाडू के जी.परमेश्वरन, केरल के आशिफ सीके, मोहम्मद निशाद, शहसाद, यूपी की लवली वर्मा (मरणोपरांत), कर्नाटक की सिन्धुश्री बीए, संदेश पी. हेगड़े, उड़ीसा के प्रसन्न शाण्डिल्य, मणिपुर के खेत्रीमयुम राकेश सिंह, जानसन तोरंगबम, उत्तराखण्ड के कपिल नेगी (मरणोपरांत), अरूणाचल प्रदेश के आदित्य गोपाल को यह पुरूकार मिलने की घोषणा की गई है।
इन पुरूस्कारों में मध्य प्रदेश का नाम न होने की चर्चाओं का बाजार राजधानी दिल्ली में गर्मा चुका है। लोगों का कहना है कि सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान अपने आप को भाजपा की दलगत राजनीति से निकाल पाने में अक्षम पा रहे हैं, जिसका लाभ सूबे के नौकरशाह उठा रहे हैं। अफसरशाही के मकड़जाल में उलझे शिवराज सिंह चौहान अपने किसी भांजे या भांजी को इस साल इस पुरूस्कार दिलाने में अपने आप को असफल ही रहे हैं।

होली तक होगा ठिठुरना


होली तक होगा ठिठुरना

मार्च तक नहीं मिलेगी सर्दी से राहत



(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। इस साल शीतलहर से जल्द छुटकारा मिलने की उम्मीद नहीं है। सूर्यनारायण मकर संक्रांति के बाद भी अपना पूरा तेज नहीं दिखा पाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल सर्दी मार्च तक रह सकती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्लोबल क्लाइमेट को देखते हुए साफ लगता है कि इस साल फरवरी और मार्च में भी तापमान सामान्य से कम रहेगा यानी अगले दो महीनों में भी ठंड रहेगी।
जानकारों का मानना है कि ठंड बढ़ाने में ‘‘ला नीन्या‘‘ का अहम योगदान रहेगा। ला नीनिया के चलते भारत में सर्दी का जोर मार्च तक कायम रह सकता है। असल में ला नीन्या का स्पैनिश में अर्थ होता है- द गर्ल यानी लड़की। ला नीन्या ऐसी परिस्थिति को कहते हैं, जो दक्षिणी प्रशांत महासागर के तटीय तापमान सामान्य से कम रहने का कारण बनती है। यह भारतीय जलवायु को प्रभावित करनी वाली वह परिस्थिति है जिसके असर से हमारे देश में मॉनसून अच्छा रहता है।
पुणे के इंडियन मीटिरियॉलॉजिकल डिपार्टमेंट के लॉन्ग रेंज फॉरकास्टिंग डिविजन के सूत्रों का कहना है, कि कुछ क्लाइमेट मॉडल ला नीन्या और भारत में सामान्य से कम टेंपरेचर के बीच संबंध की ओर इशारा कर रहे हैं। इन दोनों में ऐसा संबंध सामान्य तौर पर देखा नहीं जाता है लेकिन ऐसा पहले भी हो चुका है।
उधर नैशनल ऐटमोसफेरिक रिसर्च लैबोरट्री के सूत्रों का कहना है कि ला नीन्या भारत में सर्दियों के तापमान को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, हालांकि यह असर पड़ता कम ही देखा गया है। दिसंबर के बाद भारत के कई हिस्सों में तापमान में खासी गिरावट आई है। पश्चिमी हिमालय पर असामान्य बर्फबारी हुई है। उत्तरी मैदानी इलाकों में अत्याधिक ठंड पड़ी है और सेंट्रल व साउथ इंडिया के कई हिस्सों में रिकॉर्ड ब्रेकिंग ठंड देखी गई है।
उत्तर भारत में लगातार हो रही बर्फबारी से लोगों की परेशानी अपने चरम पर है। शुक्रवार रात हिमाचल के चंबा में भारी बर्फबारी और बर्फीले तूफान के चलते एक घर की छत गिर गई जिसमें कुछ लोगों के मारे जाने की खबर है। चंबा के डिप्टी कमिश्नर ने इस घटना की पुष्टि की है। वहीं दिल्ली में गुरुवार रात को तापमान 56 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया।
घने कोहरे के कारण शुक्रवार रात को राजधानी सहित 54 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। उत्तर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खराब मौसम की वजह से आठ राजधानी ट्रेनों के रवानगी समय में फेरबदल किया गया। मगध एक्सप्रेस और रेवा एक्सप्रेस निर्धारित समय से 11 घटे जबकि फरक्का एक्सप्रेस 10 घटे देरी से चल रही है।
पहाड़ों पर जबरदस्त बर्फबारी के बाद अब बर्फीले तूफान का कहर शुरू हो गया है। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के खजुआ गांव में बर्फीले तूफान की चपेट में आकर पांच लोगों की मौत हो गई है। कश्मीर घाटी में बर्फीले तूफान की चेतावनी पहले ही जारी की जा चुकी है। उत्ताराखंड में भी बर्फबारी का दौर अभी थमा नहीं है। दूसरी ओर मैदानी इलाकों में कोहरा गुरुवार को भी जन-जीवन अस्त-व्यस्त किए रहा। चंबा जिले की जुंगर पंचायत अंतर्गत खजुआ गांव गुरुवार को बर्फीले तूफान की चपेट में आ गया। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार तूफान में फंसकर लाल सिंह, युसूफ, रफी मुहम्मद, हनीफ मुहम्मद व बाग हुसैन की मौत हो गई। मूसा व हनीफ गंभीर रूप से घायल हैं। घायलों को तीसा अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
बताया जा रहा है कि सभी लोग अपने घर जा रहे थे कि रास्ते में अचानक बर्फीला तूफान शुरू हो गया। इसकी चपेट में आते ही सभी लोग बिखरकर एक-दूसरे से दूर हो गए। हादसे में जिंदा बचे दो लोगों ने इसकी सूचना लोगों व पुलिस को दी। इसके बाद प्रशासन ने राहत व बचाव कार्य शुरू किया। तूफान से क्षेत्र में दूरसंचार व मोबाइल संपर्क गड़बड़ाने के कारण राहत व बचाव कार्य में जुटे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। उपायुक्त शरभ नेगी ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि पीड़ित परिवारों के लिए राहत का इंतजाम किया जा रहा है।
प्रशासन की तरफ से टीम को मौके पर भेजा गया है। एसडीएम चुराह को घटनाक्रम पर नजर रखने को कहा गया है। कश्मीर घाटी में गुरुवार की सुबह हुई भारी बर्फबारी के बाद एकतरफा खुला जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग फिर बंद हो गया है। जगह-जगह बर्फ में हजारों वाहन फंस गए हैं, जिन्हें निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी है।
हाइवे बंद होने से जम्मू और श्रीनगर में फंसे यात्रियों का जमावड़ा भी बढ़ता जा रहा है। श्रीनगर में बर्फबारी से शीतलहर का प्रकोप और बढ़ गया है और अधिकतम तापमान में फिर से गिरावट आ गई है। जम्मू-कश्मीर स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री माता वैष्णो देवी भवन व त्रिकुटा पर्वत तथा सुखाल घाटी, सूर्य कुंड, पांच पांडव पर बुधवार रात को भी हिमपात हुआ।
लेकिन कड़ाके की सर्दी के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी देखने को नहीं मिली। उत्ताराखंड को बर्फबारी और बारिश से अभी तक निजात नहीं मिल पाई है और न ही फिलहाल इसकी संभावना है। इसका नतीजा लोगों को कड़ाके की ठंड रूप में भुगतना पड़ रहा है। गुरुवार को भी प्रदेश के कई हिस्सों में बर्फबारी और बारिश हुई। कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी, चंडाक, अल्मोड़ा के जागेश्वर के अलावा गढ़वाल में ऊंची चोटियों पर हिमपात हुआ, जबकि अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत में बारिश हुई।
मैदानी क्षेत्रों में घने बादल और ठंडी हवा के कारणों लोगों का घर से निकलना दूभर रहा। दूसरी ओर राजधानी दिल्ली सहित उत्तार भारत के मैदानी इलाके गुरुवार को भी घने कोहरे में घिरे रहे। अधिकतम तापमान में 5 से लेकर 9 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट के कारण दिन में लोग ठिठुरते नजर आए। कोहरे के कारण रेल यातायात भी बुरी तरह लड़खड़ाया रहा। पंजाब और हरियाणा में नारनौल सबसे ज्यादा सर्द रहा। पूर्वी उत्तार प्रदेश के कई इलाकों में बारिश ने ठंड में इजाफा किया है।
देहरादून साई ब्यूरो दिशा ने बताया कि प्रदेश में कड़ाके की ठण्ड से लोगों की मुष्किलें बरकरार हैं। हमारे संवाददाता ने बताया है कि देहरादून में आज पूर्वाह्न में हल्की धूप हुई, लेकिन अपराह्न होते ही एक बार फिर बादल छा गए साथ ही ठण्डी हवाएं भी चलीं। मौसम विभाग ने अगले चौबीस घंटों में राज्य के ऊंचाई वाले इलाकों में कहीं-कहीं हल्की बर्फबारी के साथ ही बारिष की भी सम्भावना व्यक्त की है। साथ ही मैदानी इलाकों में कोहरे का अनुमान व्यक्त किया है। चमोली जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में आज भी हल्का हिमपात होने तथा निचले इलाकों में बादल छाए रहने से समूचा जिला कड़ाके की शीत के चपेट में है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संवाददाता ने बताया कि जोषीमठ प्रखण्ड के बावन ग्राम सभाओं में बीते एक सप्ताह से हिमपात के कारण विद्युत आपूर्ति ठप पड़ी हुई है, जिसमें जोषीमठ नगर व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल औली भी शामिल है। विद्युत आपूर्ति ठप होने से औली में आए देष विदेष के पर्यटकों को भारी मुष्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उधर, विद्युत विभाग द्वारा बताया गया कि पूरे क्षेत्र में विद्युत लाइनों की मरम्मत में कम से कम एक माह का समय लग जाएगा। 
अल्मोड़ा, जागेश्वर, जैंती जनपद के उच्च क्षेत्रों में मौसम के छठे हिमपात से पहाड़ियां लकदक हो गई। जागेश्वर में बर्फ ने पिछले पांच सालों का रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया है। उच्चयूर पट्टी के तमाम हिस्सों में भी अच्छीखासी बर्फ गिरी। हिमपात से आरतोला के पास नैनी-जागेश्वर मुख्य मार्ग घंटों ठप रहा। इससे दर्जनों वाहन जाम में फंसे रहे। इधर पर्वतीय अंचल के मध्य व निचले इलाकों में सर्द हवा के थपेड़ों के साथ वर्षा से जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। हालांकि शाम के वक्त बारिश बंद थम गई, पर सर्दी का सितम बरकरार रहा। क्षेत्र में अधिकतम तापमान 9 जबकि न्यूनतम 0.1 जा पहुंचा है।
बाबा जागनाथ की नगरी जागेश्वर धाम में गुरुवार को छठी बार बर्फबारी हुई है। सुबह क्षेत्र में हल्की बूंदाबांदी के साथ हिमपात शुरुहुआ। दोपहर तक समूचे क्षेत्र ने बर्फ की चादर ओढ़ ली। वृद्घ जागेश्वर, शौकियाथल, भगरतोला, चमुवां, आरतोला, गरुड़ाबांज आदि क्षेत्रों में जनजीवन ठहर सा गया। आरतोला के समीप नैनी-जागेश्वर मोटर मार्ग पर एक फीट बर्फ जमने से घंटों यातायात बाधित रहा। हालांकि शाम को वर्षा होने पर बर्फ पिघलनी शुरु हो गई।
वहीं उच्चयूर पट्टी के शीतोष्ण इलाके मोरनोला, शहरफाटक, दुर्गानगर व मोतियापाथर आदि में भी अच्छीखासी बर्फबारी हुई। इससे जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। लोग घरों में ही कैद रहे। इसके अलावा नगर क्षेत्र में दिन भर वर्षा से बाजार में रौनक गायब रही। माल रोड पर सन्नाटा पसर गया। कुछेक लोग ही छातों के साथ नजर आए।
हरिद्वार से साई ब्यूरो अमिता ने बताया कि पावन धरा हरिद्वार में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। बर्फीली हवाओं ने लोगों के होश उड़ा दिए हैं। शाम ढलते ही लोग घरों में कैद होने को विवश हो रहे हैं। स्कूल और कॉलेजों में उपस्थिति घटकर आधी रह गई है। बाजारों की रौनक गायब हो गई है। इससे कारोबार पर असर पड़ रहा है। अलसुबह और शाम ही नहीं अब दोपहर में भी ठंड का एहसास होने लगा है। पिछले दिनों हुई बूंदाबादी के बाद के बाद लगातार तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। गुरुवार को शहर और आसपास के क्षेत्र का अधिकतम तापमान 17.5 और न्यूनतम 8.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ठंड और ठिठुरन ने शाम ढलते ही बाशिंदों को घरों में कैद होने को विवश कर दिया है। बाजारों से रौनक गायब हो गई है। ग्राहकों के नदारद होने से दुकानों के शटर भी जल्दी गिर रहे हैं। इससे कारोबार पर असर पड़ रहा है। तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते मौसमी बीमारियों ने भी लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है। अस्पतालों में खांसी, जुकाम, बुखार आदि की शिकायतें लेकर बड़ी संख्या में मरीज इलाज को पहुंच रहे हैं। निजी चिकित्सकों के पास भी ऐसे मरीजों की लंबी लाइनें देखी जा सकती है। इधर ठंड बढ़ते ही बिजली की आंख मिचौली शुरू हो गई है। इससे लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। कारोबार से लेकर दफ्तरों के कामकाज पर भी असर पड़ रहा है।
साई ब्यूरो से देहरादून का मौसम का हाल बताते हुए कहा कि दून की कंपकपाती ठंड, तापमान पांच से छह डिग्री और हाथों में आइसक्रीम। जी हां कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है इन दिनों दून के बाजारों में। मस्तमौला और बिंदास दून नाइट्स के तो बस क्या कहने, इनकी मस्ती के आगे तो मौसम भी रुकावट नहीं बनता। हर तरफ जब लोग ठंड से राहत पाने के लिए उपाय ढूंढ रहे हो ऐसे में दून नाइट्स ठंड की परवाह किए बिना आइसक्रीम खाना नहीं भूलते। राजधानी में पलटन बाजार की गलियों में यह नजारा तो बस आम है। मौसम कोई भी हो इन गलियों से गुजरने वालों में एक चीज जो कॉमन होती है वह सभी के हाथों में सॉफ्टी। करे भी तो क्या आइसक्रीम के इतने फ्लेवर और टेस्ट देख तो कोई भी खुद को रोक न पाए। एसजीआरआर कॉलेज की कक्षा 11 की छात्रा गौरी गुप्ता बताती है उन्हें दून की सॉफ्टी का स्वाद इतना पसंद है कि सर्दियों में भी इसे मिस नहीं करना चाहती। वहीं पेशे से शिक्षक नवनीत रतूड़ी का कहना है कि ठंड में आइसक्रीम खाना उन्हें बेहद पसंद है। गर्मियों में जहां सॉफ्टी लोगों की फेवरेट होती है, वहीं सर्दियों में इसका चिलिंग इफेक्ट और भी अच्छा लगता है।
उधर जम्मू से साई ब्यूरो विनोद नेगी ने बताया कि कश्मीर में हो रही भारी बर्फबारी की कीमत अब जम्मू को चुकानी पड़ेगी। मौसम की मार झेल रहे कश्मीरवासियों से बिजली किराया वसूल न होने से राज्य सरकार ने अब जम्मू से इसकी भरपाई करने का फैसला किया है। विभाग ने इस वित्तीय वर्ष के राजस्व वसूली के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जम्मू पर चार करोड़ रुपये का और बोझ डाल दिया है। क्योंकि, कश्मीर का निर्धारित राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल होता दिखाई नहीं दे रहा है।
राज्य को नार्दर्न ग्रिड से मिलने वाली कुल बिजली से 50 से 55 प्रतिशत सप्लाई श्रीनगर, जबकि 45 प्रतिशत जम्मू में दी जाती है। बिजली किराया वसूली की बात आती है तो हर बार सरकार जम्मू का निर्धारित लक्ष्य श्रीनगर के मुकाबले अधिक कर देती है। इस पर सरकार का जवाब होता है कि जम्मू में औद्योगिक इकाइयां अधिक हैं। इस बार भी ऐसा ही किया गया है। श्रीनगर में भारी बर्फबारी के बाद लोगों द्वारा किराया देने से मना करने पर राज्य सरकार ने बिजली खरीद का बजट पूरा करने के लिए निर्धारित लक्ष्य 1500 से बढ़ाकर 1900 करोड़ रुपये कर दिया है।
जम्मू के लिए जहां पहले सात सौ करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, उसे बढ़ाकर 1105 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं, श्रीनगर का लक्ष्य 800 करोड़ रुपये ही रहने दिया गया है। इस अनदेखी के बावजूद बिजली विभाग जम्मू ने अभी तक जहां 575 करोड़ रुपये एकत्र कर लिए हैं वहीं श्रीनगर में तीन सौ करोड़ ही जुटाए जा सके हैं।
साई ब्यूरो श्रीनगर ने बताया कि वहां के चीफ इंजीनियर मुजफ्फर अहमद का कहना है कि बिजली संकट से जूझ रहे श्रीनगर के लोगों ने बिजली किराया देने से मना कर दिया है। वहीं, जम्मू में राजस्व वसूली अभियान तेज करने के लिए विभाग लगातार लोगों पर दबाव बना रही है। उपभोक्ताओं को चेतावनी दी जा रही है कि यदि वे बकायाजात जल्द नहीं चुकाएंगे तो उनके बिजली कनेक्शन काट दिए जाएंगे। ऐसा पहली बार नहीं है। गत वर्ष भी राजस्व मंत्री अब्दुल रहीम राथर ने बिजली खरीद बजट बढ़ने पर जम्मू के लक्ष्य को 576 से बढ़ाकर 814 करोड़ रुपये कर दिया था, जबकि श्रीनगर का लक्ष्य 600 करोड़ रुपये के करीब ही रहने दिया था। वहीं, स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार इस समय भी श्रीनगर में जम्मू से अधिक बिजली सप्लाई दी जा रही है। नार्दर्न ग्रिड से मिल रही 1557 मेगावाट बिजली में से श्रीनगर को 874, जबकि 683 मेगावाट जम्मू को मिल रही है।
बारामुला से साई ब्यूरो ने खबर दी है कि उत्तरी कश्मीर के बारामुला और कुपवाड़ा जिले में भारी बर्फ की वजह से चौबीस घंटों के भीतर नौ मकान क्षतिग्रस्त हो गए। सबसे ज्यादा आठ मकान एलओसी से सटी उड़ी तहसील में क्षतिग्रस्त हुए हैं। हालांकि, इन घटनाओं में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। पुलिस के अनुसार मंगलवार की मध्यरात्रि को कुपवाड़ा जिले के लादेह गांव में मुदसिर अहमद टास का मकान बर्फ का वजन न सह सका और छत क्षतिग्रस्त हो गई। समय रहते टास का परिवार घर से बाहर निकल गया। उधर, उड़ी तहसील के नांबला गांव में मुहम्मद जमाल शेख, शकील अहमद लोन, बशीर अहमद गनई, गुलाम कादिर मलिक, मुहम्मद सईद आवान, गुलाम रसूल शेख, नसीर अहमद चीची व नजीर अहमद खान के मकानों के छत भी गिर गए।
ऊधमपुर साई ब्यूरो ने बताया कि मौसम साफ होने के बाद जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग खुलने पर 12 दिन से फंसे कुछ ट्रकों को ट्रैफिक पुलिस ने मंगलवार दोपहर घाटी की तरफ रवाना किया। पुलिस का कहना है कि पहले जरूरत का सामान ले जा रहे ट्रकों को छोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि भारी बर्फबारी के बाद सात जनवरी को पुलिस ने घाटी जाने वाले ट्रकों को जखैनी सहित शहर के आसपास के इलाकों में रोक दिया था। जहां करीब 12 दिन तक चालक विभिन्न प्रकार की परेशानियों से जूझ रहे थे। दो दिन की मूसलधार बारिश के बाद मंगलवार सुबह मौसम साफ हुआ और आसमान पर सूर्य देवता ने दस्तक दी। इससे ट्रक चालकों व सह चालकों ने राहत की सांस ली। उम्मीद भी जगी कि अब शायद राजमार्ग खुलेगा। सभी दोपहर तक जखैनी के आसपास के इलाकों में धूप सेंककर सर्दी भगाते नजर आए। कई चालकों ने ट्रकों पर पड़े गीले सामान को धूप में सुखाने का प्रयास किया।
दोपहर करीब तीन बजे पुलिस के पास राजमार्ग खुलने की सूचना पहुंची, जिसके बाद जरूरी सामग्री वाले ट्रकों को घाटी की तरफ रवाना किया गया। एसएसपी शकील अहमद बेग ने बताया कि राजमार्ग खुलने पर जखैनी के बाईपास राष्ट्रीय राजमार्ग पर खड़े कुछ ट्रकों को घाटी की तरफ रवाना किया है। उन्होंने बताया कि पहले जरूरत का सामान ले जा रहे ट्रकों को घाटी की तरफ जाने की इजाजत दी गई है। पुलिस जल्द से जल्द ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने का हर संभव प्रयास कर रही है।
साथ ही साथ एक दिन आसमान में धूप खिलने के बाद बुधवार को फिर से मौसम का मिजाज बदल गया है। दिन में कई बार हल्की धूप तो निकली, लेकिन अधिकांश समय आसमान में बादल छाए रहे और दोपहर बाद बीच-बीच में बारिश भी होती रही। शहर के कई इलाके में ओले भी पड़े। मंगलवार को आसमान में धूप खिले होने से लोगों ने राहत की सांस ली थी। उन्हें लगा था कि अब मौसम सुधर जाएगा। लेकिन, आज सुबह से ही फिर आसमान में बादल छाए रहे, हालांकि, बीच-बीच में हल्की धूप भी निकली। वहीं दोपहर बाद तेज बारिश शुरू हो गई। शिव नगर सहित शहर कई हिस्से में हल्की ओलावृष्टि भी हुई। इससे ठंड बढ़ गई है। एयरफोर्स मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को न्यूनतम तापमान चार डिग्री तथा अधिकतम 16.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं, बुधवार को 3.4 मिमी बारिश हुई है। संभावना जताई जा रही है कि वीरवार को भी आसमान में बादल छाए रहेंगे तथा बारिश हो सकती है। वहीं पत्नीटॉप, नत्थाटॉप तथा चनैनी तहसील की अन्य ऊंची पहाड़ियों पर बर्फबारी हुई।
उधमपुर से साई संवाददाता ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग खुलने पर बुधवार सुबह करीब दस बजे तक जरूरत का सामान ले जा रहे ट्रकों को घाटी की तरफ रवाना किया गया। लेकिन, मौसम खराब होते ही वाहनों की आवाजाही पर पुनरू प्रतिबंध लगा दिया गया। वहीं, सुबह के समय रेंग-रेंग कर चल रहे वाहनों के कारण शहर के आसपास जाम की समस्या पैदा हो गई। गौरतलब है कि करीब 12 दिन बाद मंगलवार को राजमार्ग खुलने पर ट्रैफिक पुलिस ने शहर के आसपास के इलाकों में रोके गए कुछ ट्रकों को घाटी की तरफ रवाना किया था। लेकिन, शाम के समय ट्रकों की आवाजाही बंद कर दी गई। बुधवार सुबह मौसम साफ होने पर पुलिस ने रोके गए कुछ वाहनों को घाटी की तरफ रवाना किया। रोके गए वाहनों को छोड़े जाने पर राजमार्ग पर वाहन रेंगते हुए चल रहे थे। जिससे सुबह करीब साढ़े 11 बजे तक राजमार्ग व धार रोड पर बार बार जाम की समस्या पैदा हो रही थी।
ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सुबह से लेकर शाम तक पुलिस के जवान कड़ी मशक्कत करते हुए नजर आ रहे थे। दोपहर करीब 12 बजे पुलिस ने घाटी की तरफ जाने वाले वाहनों को फिर से रोक दिया। जिसके बाद देखते ही देखते शहर के आसपास के इलाकों में ट्रकों की लंबी कतार लग गई। इस संबंध में ट्रैफिक इंस्पेक्टर सुरदीप सिंह ने बताया कि सुबह करीब दस से 12 बजे तक घाटी की तरफ वाहनों को रवाना किया गया था। पहले टैंकर व अन्य जरूरत का सामान ले जा रहे ट्रकों को रवाना किया जा रहा है। 12 बजे के करीब आदेश मिलने पर वाहनों रोक दिया गया है। उन्होंने बताया कि आज वाहनों को छोड़ने की कोई संभावना नहीं है। वीरवार को आदेश मिलने पर कुछ वाहनों को घाटी की तरफ रवाना किया जाएगा। वहीं वाहनों को रोके जाने पर जखैनी बाईपास राष्ट्रीय राजमार्ग, रौं दोमेल व अन्य इलाकों पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई थी।
रियासी से साई संवाददाता ने समाचार दिया है कि बारिश व बर्फबारी के कारण माहौर तहसील के कई इलाकों में लोगों के पालतू पशुओं के मरने व मकानों को नुकसान पहुंचने की सूचना है। वहीं, प्रशासन एक-दो स्थानों पर नुकसान की बात कर रहा है। स्थानीय लोगों ने सरकार व प्रशासन से तत्काल राहत पहुंचाने की मांग की है। लोगों ने बताया कि दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्र वरणसाल, लाद, विगयाला बढ़ोई में हुई बर्फबारी से कुछ लोगों के मवेशी मर गए हैं। कई भेड़-बकरियों के बर्फ में दबने की आशंका भी जताई जा रही है। वरणसाल के सरपंच अब्दुल गफ्फार का कहना है कि बर्फबारी के कारण गांव निवासी अमीन की पांच भेड़ें, अब्दुल रहीम की 13 भेड़-बकरियां, मुहम्मद इकबाल की 12 भेड़ें, अब्दुल रशीद की पांच बकरियां मर चुकी हैं। वहीं, लद गांव के निवासी मुश्ताक अहमद का मकान गिरने से पांच बकरियां, युसफ की सात बकरियां भी मौत का शिकार हो गई। जबकि विगयाला निवासी अब्दुल रहमान का मकान गिरने से अंदर पड़ा सामान दब गया।
देश के हृदय प्रदेश से साई ब्यूरो नंद किशोर जाधव ने बताया कि प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान में एक बार फिर कमी दर्ज की गई है। पिछले चौबीस घंटों के दौरान उज्जैन संभाग शीत-लहर की चपेट में रहा। वहीं, रीवा, सागर, होशंगाबाद, शहडोल, इन्दौर और चम्बल संभागों में पारे में काफी गिरावट दर्ज की गई। प्रदेश का सबसे कम न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस उज्जैन में दर्ज किया गया। मौसम केंद्र भोपाल ने अगले चौबीस घंटों के दौरान उज्जैन संभाग में कहीं-कहीं शीत-लहर चलने की संभावना जताई है। प्रदेश में सभी संभागों में मौसम शुष्क बने रहने का अनुमान जताया गया है। राजधानी भोपाल में न्यूनतम तापमान सात डिग्री सेल्सिय के आसपास रहने की संभावना है। जबलपुर संभाग में शीतलहर का जबर्दस्त प्रकोप देखने को मिला।
जयपुर साई ब्यूरो से शैलेन्द्र ने समाचार दिया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार से शीतलहर और पाले को प्राकृतिक आपदा की श्रेणी मंे शामिल करने की मांग की है । गृह मंत्री पी चिदम्बरम को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि पाले और शीतलहर को इस सूची में तत्काल शामिल किया जाना चाहिए ताकि प्रभावित किसानों को राज्य आपदा निधि से पर्याप्त सहायता
उपलब्ध करवाई जा सके । प्रदेशभर में आज भी तेज सर्दी और शीतलहर के कारण जनजीवन प्रभावित रहा । माउण्ट आबू में पारा जमाव बिन्दु से नीचे ही बना हुआ है। वहां न्यूनतम तापमान शून्य से आधा डिग्री नीचे दर्ज किया गया। इसके अलावा मैदानी इलाकों मेें सबसे कम डेढ़ डिग्री सेल्सियस तापमान एरनपुरा रोड़ में दर्ज हुआ। इसी तरह चूरू में दो डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया । साई संवाददाता के अनुसार कड़ाके की सर्दी के कारण पूरे जिले में जनजीवन पर असर पड़ा है। सवाईमाधोपुर में 2 दशमलव 8, वनस्थली में 3, पिलानी में 3 दशमलव 8, जयपुर में चार, सीकर में 4 दशमलव 8 और अजमेर में साढ़े पांच डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड हुआ। जयपुर के जिला प्रशासन ने कड़ाके की सर्दी के मद्देनजर सभी स्कूलों में नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक के लिए दो दिन के अवकाश की घोषणा की है । यह फैसला सभी सरकारी और निजी स्कूलों पर लागू होगा। 
शिमला साई ब्यूरो से स्वाति सिंह ने खबर दी है कि खराब मौसम के कारण हादसों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है।  प्रदेश के उपरी क्षेत्रों में हो रही भारी बर्फबारी जानलेवा बनती जा रही है। चम्बा जिले के चुराड़ विधानसभा क्षेेत्र के उपमण्डल मुख्यालय तीसा से करीब 20 किलोमीटर दूर जुंगरा पंचायत के खजुआ गांव के पास तींदीनाला में आज सुबह हिमस्खलन की चपेट में आने से 5 लोगों की मृत्यु हो गई तथा तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। तहसीलदार सुरेन्द्र ठाकुर ने हमारे चंबा संवाद्दाता को बताया कि मृतकों के शव अब तक बरामद नहीं हो पाए हैं और भारी बर्फबारी के कारण घायलों को तीसा के अस्पताल में पहुंचाने में कठिनाई आ रही है और उन्हें अब तक विहाली गांव तक पहुंचाया जा सका है। इस हादसे में मारे जाने वालों में विहाली के युसुफ, लाल सेन तथा रसीम मोहम्मद और काराटोट गांव के हनीफ मोहम्मद और बाग हुसैन बताए जा रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ने प्रशासन को मृतकों के आश्रितों को तुरन्त सहायता उपलब्ध करवाने तथा घायलों को समुचित उपचार मुहैया करवाने के निर्देश दिए हैं।  चम्बा जिले के उपरी क्षेत्रों मंे हो रहे भारी हिमपात के मद्देनजर हिमस्खलन व भूस्खलन की आशंका को देखते हुए उपायुक्त चम्बा शरभ नेगी ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। जिले के पर्यटक स्थल डलहौजी तथा खजियार में अब तक तीन फीट बर्फ पड़ चुकी है। कांगड़ा जिले के धौलाधार श्रंखलाओं पर भारीहिमपात हो रहा है तथा उपरी धर्मशाला, मैकलोड़गंज में आज 45 सैंटीमीटर बर्फ दर्ज की गई। प्रदेश के उपरीक्षेत्रों में हो रही बर्फबारी तथा अन्य क्षेत्रों मंे वर्षा के कारण पूरा प्रदेश शीतलहर की चपेट मंे है और अनेक भागों मेें सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त है। किन्नौर जिले में बिजली, पानी तथा संचार व यातायात व्यवस्था आज पंाचवे
दिन भी प्रभावित रही। राष्ट्रीय उच्च मार्ग-22 पर राज्य पथ परिवहन निगम की नियमित रूटों में बसें न चलने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और टैक्सी चालक  मनमाने ढंग से किराया वसूल कर रहे हैं। आज पांचवे दिन एक मात्र संपर्क मार्ग सांगला तक ही बस चल पाई तथा अन्य मार्ग अवरूद्ध पड़े हैं। शिमला जिले के पर्यटक स्थल कुफरी तथा नारकण्डा और मनाली में भी रूक-रूककर हल्की बर्फबारी हो रही है जिसके चलते पर्यटकों का इन स्थलों पर आना जारी है।  प्रदेश के अन्य भागों में हल्के से भारी वर्षा होने का समाचार है। मौसम विभाग ने आने वाले 24 घंटो के दौरान प्रदेश के उपरी क्षेत्रों में बर्फबारी होने की संभावना जताई है। जनजातिय क्षेत्रों के लिए कल 20 जनवरी को हैलीकॉपटर की उड़ान भुंतर और किलाड़-चंबा के बीच भरी जाएगी।

छठवे वेतनमान के व्ययभार की पूर्ति केन्द्र सरकार करे।


छठवे वेतनमान के व्ययभार की पूर्ति केन्द्र सरकार करे

केन्द्रीय बजट पूर्व बैठक में वित्तमंत्री राघवजी

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री राघवजी ने केन्द्रीय बजट के संबंध में आयोजित बैठक में सुझाव दिया कि केन्द्र सरकार राज्य सरकारों को छठवें वेतनमान के कारण हुए व्यय भार वहन करने में मदद करे। वित्तमंत्री राघवजी आज यहां आयोजित बजट पूर्व सुझावों के आमंत्रित राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में संबोधित कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी ने की।
राघवजी ने कहा कि छठवें वेतनमान के कारण राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हुई है। लेकिन अभी तक केन्द्र ने कोई मदद नहीं की। उन्होंने सुझाव दिया कि केन्द्र सरकार इस संबंध में अब मदद करे। राघवजी ने कहा कि केन्द्र सरकार ऐसी वस्तुओं/मदों पर सर्विस टैक्स न लगाये जो राज्य के दायरे में आते हैं। उन्होंने कहा कि मनोरंजन कर विलासिला कर, भवन एवं सम्पत्ति कर आदि राज्यों के दायरे में आते हैं। यदि इन पर केन्द्र सरकार द्वारा सर्विस टैक्स लगाया जाता है तो यह संघीय ढांचे के खिलाफ होगा और नागरिकों पर कर की दोहरी मार पड़ेगी।
राघवजी ने मध्यप्रदेश में औद्योगिक एवं अन्य विकास के लिए रेलवे नेटवर्क को और बढ़ाने पर बल दिया। उन्होेने कहा कि मध्यप्रदेश जो देश के मध्य में है वहां रेलवे नेटवर्क औसत से बहुत कम है। उन्होंने बताया कि ललितपुर-सिंगरौली रेलमार्ग का कार्य 40 साल में भी पूरा नहीं हो पाया है। इसी प्रकार जबलपुर से गोंदिया और खंडवा से रतलाम मार्ग का ब्रॉडगेज में परिवर्तन भी नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि इन मार्गों के ब्रॉडगेज हो जाने से औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। खंडवा-रतलाम मार्ग तो दिल्ली-मुम्बई कॉरीडोर में आता है।
राघवजी ने कहा कि राज्य सरकार ने ओला-पाला प्राभावितों के लिए क्षतिपूर्ति राशि की बार-बार मांग की है। केन्द्र सरकार द्वारा गठित मंत्री समूह ने भी सैद्धांतिक रूप से क्षतिपूर्ति के लिए सहमति दी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने स्वयं के संसाधनों से 1725 करोड़ रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिये हैं। यह राशि केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश सरकार को दी जानी चाहिए। बुंदेलखंड पैकेज के संबंध में राघवजी ने कहा कि इसकी पूरी राशि राज्य सरकार को नहीं मिली है। पैकेज के तीसरे एवं अंतिम वर्ष में इस साल एक भी पैसा केन्द्र सरकार से नहीं मिला है जबकि 750 करोड़ रूपये बकाया हैं। उन्होंने यह राशि अतिशीघ्र दिये जाने पर बल दिया।
वित्त मंत्री ने बताया कि प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे और खेती किसानी के लिए आठ घंटे नियमित रूप से बिजली उपलब्ध कराने के लिए फीडर सेपरेशन का कार्य शुरू किया गया है। यह कार्य दो साल में पूरा करेंगे। इस पर 12 हजार करोड़ रूपये व्यय होना है। केन्द्र सरकार गांवों के सर्वांगीण विकास के इस कार्य में सहयोग करे।
राघवजी ने सुझाव दिया कि ऐसे राज्य जहां क्षेत्रफल ज्यादा है लेकिन आबादी कम एवं बिखरी हुई है उन क्षेत्रों में सड़क, बिजली, स्कूल, अस्पताल आदि आधारभूत संरचनायें उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार केन्द्र स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज राज्यों को दे ताकि ऐसे क्षेत्रों को सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदेश में किराये के भवनों में चल रहे आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवनों के निर्माण के कार्य को ग्राम विकास योजना से जोड़ा जाए। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में 70 प्रतिशत आंगनवाड़ी किराये के भवनों में संचालित हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत बनाये गये स्कूलों की बाड्रीवाल के लिए राज्य सरकार अलग से प्रावधान करे। उन्होंने प्रदेश के वनों के रख-रखाव के लिए विशेष पैकेज अथवा कार्वन क्रेडिट दे क्योंकि वनों के रख-रखाव से पूरे देश के वातावरण को लाभ मिलता है। उन्होंने मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के लिए सिंचाई योजनाओं में केन्द्र द्वारा 90 प्रतिशत राशि तक का सहयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि अभी यह केवल आदिवासी क्षेत्रों के लिए ही है।
वित्तमंत्री ने सुझाव दिया कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए केन्द्र सरकार दो से तीन वर्ष तक का डिप्लोमा शुरू किया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवायें सुचारू रूप से उपलब्ध हो सकें। उन्होंने शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र स्तर पर विशेष कार्यक्रम चालने का सुझाव दिया ताकि शिक्षित बेरोजगारों को उचित रोजगार मिल सके। उन्होंने सुझाव दिया कि रोजगार के अभाव में शिक्षित बेरोजगारों को भत्ता दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिए । 

हरवंश का कद बढ़ा गए जयराम रमेश


हरवंश का कद बढ़ा गए जयराम रमेश

भाजपा के मंत्रियों को आमंत्रित कर इतिहास रचा हरवंश सिंह ने



(साई ब्यूरो)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर ने जिला मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में दलगत राजनीति से उपर उठकर सूबाई भाजपा के मंत्रियों को आमंत्रित कर इतिहास रच दिया है। उधर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश द्वारा इस कार्यक्रम में मंच से हरवंश सिंह की तारीफों में कशीदे गढ़कर महाकौशल में उन्हें एक स्थापित क्षत्रप का अघोषित तगमा दे दिया है।
एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र की संसकारधानी आए केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के व्यस्त क्षणों में से सिवनी के लिए समय निकलवाने को लेकर अब जिले के कांग्रेस के सिपाहियों के सीने हरवंश सिंह ठाकुर के कारण चौड़े होते नजर आ रहे हैं। हरवंश सिंह ठाकुर ने संवैधानिक पद पर रहते हुए भी अनेकों बार इसके पहले कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का उत्साह वर्धन किया है।
गौरतलब है कि वर्चस्व की लड़ाई को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच समस्याएं दूर करने नहीं वरन् एक दूसरे को नीचा दिखाने की गरज से विज्ञप्ति युद्ध एक अरसे से छिड़ा हुआ है जिससे जनता आजिज आ चुकी है। इस बार जब केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश जर्जर और दुर्घटनाओं को न्योता देने वाले खवासा से सिवनी मार्ग से हिचखोले खाते आए तो सिवनी वासियों का दर्द उन्होंने अवश्य ही जाना होगा।
उल्लेखनीय होगा कि उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे में सिवनी जिले में मोहगांव से लेकर खवासा तक मार्ग के निर्माण का काम उस वक्त रोका गया था जब जयराम रमेश खुद वन एवं पर्यावरण मंत्री थे। उन्होंने इशारों ही इशारों में अपने उद्बोधन में इस बात को कह दिया कि उस वक्त उनके हाथ बंधे हुए थे। जयराम रमेश के द्वारा सिर्फ और सिर्फ सिवनी में आकर एक कार्यक्रम करना और वापस जाने के अनेक सियासी अर्थ लगाए जा रहे हैं।
उधर, कांग्रेस के अंदर ही इस बात की चर्चा जोरों पर होने लगी है कि भाजपा के मंत्रियों को तो आमंत्रित कर दिया गया किन्तु हरवंश सिंह द्वारा अपनी ही पार्टी के धुरंधर नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रित नहीं किया गया। उल्लेखनीय है कि नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अपने उद्बोधन में ही अपनी पीड़ा का इजहार किया था कि वे इस कार्यक्रम में अनाधिकृत तौर पर आए हुए हैं। उन्हें सरकारी अथवा जिला कांग्रेस की ओर से कोई न्योता न भेजा जाना आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।
साई के दिल्ली ब्यूरो ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के करीबी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि कांग्रेस की कोर कमेटी ने यह निर्णय लिया है कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार नहीं है उन राज्यों में अगर केंद्रीय मंत्री कोई कार्यक्रम करते हैं तो उसमें उस राज्य के नेता प्रतिपक्ष को जाना अनिवार्य होगा। वही कांग्रेस या सरकार का नुमाईंदा समझा जाएगा। संभवतः इसी नीति के तहत हाई कमान की इच्छाओं का सम्मान करते हुए अजय सिंह ने सिवनी के कार्यक्रम में बिना बुलाए आकर अपना बडप्पन दिखाया।
देखा जाए तो अजय सिंह का इस तरह बिनबुलाए आना जिला कांग्रेस कमेटी के मुंह पर करारा तमाचा था, जिसकी गूंज दिल्ली दरबार तक सुनाई दे सकती है। वहीं दूसरी ओर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो ने बताया कि दिल्ली की सियासी गलियों में रमेश के इस दौरे के अनेक मतलब लगाए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार जयराम रमेश सिवनी गए जो महाकौशल का अभिन्न अंग है। महाकौशल में कांग्रेस के क्षत्रप कमल नाथ के एकाधिकार से इंकार नहीं किया जा सकता है। जब भी कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में कोई केंद्रीय मंत्री आता है तो महाकौशल के सारे जिलों की कांग्रेस कमेटियों के साथ ही साथ समूचे सांसदों को मंच पर स्थान दिया जाता है। यह पहला मौका था जब महाकौशल के सिवनी में हुए कार्यक्रम में स्थानीय कांग्रेसी सांसद बसोरी सिंह मसराम भी अनुपस्थित रहे।
सूत्रों ने कहा कि महाकौशल में पिछले डेढ़ दशक में कांग्रेस के गर्त में जाने की खबरें कांग्रेस हाईकमान को लगातार मिलती रहीं हैं। जयराम रमेश को सोनिया गांधी का अघोषित दूत माना जाता है। बताया जाता है कि सोनिया गांधी ने जयराम रमेश के मार्फत महाकौशल में कांग्रेस की गिरती स्थिति की सच्चाई पता करना चाहा है। केंद्रीय मंत्री के बतौर जयराम रमेश को सिवनी लाकर जिला स्तर पर एक कार्यक्रम कराकर हरवंश सिंह ने अपने आप को निश्चित तौर पर स्थापित कर लिया हो पर इस कार्यक्रम में महाकौशल के क्षत्रप और पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा के सांसद का न होना अनेक प्रश्नों को जन्म दे ही गया है।

आधार परियोजना का कारपोरेट भ्रष्टाचार


आधार परियोजना का कारपोरेट भ्रष्टाचार



(गोपाल कृष्ण / विस्फोट डॉट काम)

13 दिसम्बर को वित्त की संसदीय समिति की जो रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश की गयी उसने ये जगजाहिर कर दिया की भारत सरकार की शारीरिक हस्ताक्षर या जैवमापन (बायोमेट्रिक्स) आधारित विशिष्ट पहचान अंक (यू.आई.डी।/आधार परियोजना) असंसदीय, गैरकानूनी, दिशाहीन और अस्पष्ट है और राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक अधिकारों के लिए खतरनाक है। बायोमेट्रिक पहचान तकनीक और ख़ुफ़िया तकनीक के बीच के रिश्तो की पड़ताल अभी बाकी है। लेकिन ससंदीय समिति की इस सिफारिश के बाद से ही एक बार फिर कारपोरेट घराने आधार परियोजना को जायज ठहराने और इसे किसी भी हाल में जारी रखने के लिए जबरदस्त लॉबिंग शुरू कर दी है। लेकिन आधार परियोजना भारतीय नागरिकों के हित में है या फिर इसके परियोजना के जरिए भारतीय नागरिकों को गुलाम बनाने की कोई और योजना काम कर रही है? आखिर वे कौन से कारण है जिसके मद्देनजर संसदीय समिति ने इस परियोजना को स्वीकृति देने से मना कर दिया?
संसदीय समिति की रिपोर्ट कहती है की सरकार ने विश्व अनुभव की अनदेखी की है। इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया की मौजूदा पहचान प्रणाली को कारगर कैसे बनाया जाए। हैरानी की बात है की जल्दबाजी में ऐसी कोई तुलनात्मक अध्ययन भी नहीं की गयी जिससे यह पता चलता की मौजूदा पहचान प्रणाली कितनी सस्ती है और आधार और जनसँख्या रजिस्टर जैसी योजनाये कितनी खर्चीली है। आज तक किसी को यह नहीं पता है की आधार और जनसँख्या रजिस्टर पर कुल अनुमानित खर्च कितना होगा?
सरकार यह दावा कर रही थी कि यह परियोजना को देशवासियों और नागरिको को सामाजिक सुविधा उपलब्ध कराने की परियोजना है। अब यह पता चला है की इस योजना के पैरोकार गाड़ियो और जानवरों पर भी ऐसी ही योजना लागु करने की सिफारिश कर चुके है, ये बाते परत दर परत सामने आ रही है। यह परियोजना १४ विकासशील देशो में फ्रांस, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की कंपनियों और विश्व बैंक के एक पहल के जरिये लागु किया जा रहा है। दक्षिण एशिया में यह पाकिस्तान में लागु हो चुका है और नेपाल और बंगलादेश में लागू किया जा रहा है।
संसदीय समिति ने कानुनविदों, शिक्षाविदो और मानवाधिकार कार्यकर्ताओ की इस बात को माना है की यह देशवासियों के निजी जीवन पर एक तरह का हमला है जिसे नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार के हनन के रूप में ही समझा जा सकता है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में ब्रिटेन सरकार द्वारा ऐसे ही पहचानपत्र कानून  2006 को समाप्त करने के फैसले का भी जिक्र किया है जिसका उद्धरण देश के न्यायाधिशो ने दिया था। भारत में इस बात पर कम ध्यान दिया गया है कि कैसे विराट स्तर पर सूचनाओं को संगठित करने की धारणा चुपचाप सामाजिक नियंत्रण, युद्ध के उपकरण और जातीय समूहों को निशाना बनाने और प्रताड़ित करने के हथियार के रूप में विकसित हुई है। भारत के निर्धनतम लोगों तक पहुंचने में 12 अंकों वाला आधार कार्ड सहायक होने का दावा करने वाले इस विशिष्ट पहचान परियोजना का विश्व इतिहास के सन्दर्भ में नहीं देखा गया।
खासतौर पर जर्मनी और आमतौर पर यूरोप के अनुभवों को नजरअंदाज करके, निशानदेही को सही मानकर वित्तमंत्री ने 2010-2011 का बजट संसद में पेश करते हुए फर्माया कि यूआईडी परियोजना वित्तीय योजनाओं को समावेशी बनाने और सरकारी सहायता (सब्सिडी) जरूरतमंदों तक ही पहुंचाने के लिए उनकी निशानदेही करने का मजबूत मंच प्रदान करेगी। जबकि यह बात दिन के उजाले की तरह साफ है कि निशानदेही के यही औज़ार किसी खास धर्माे, जातियों, क्षेत्रों, जातीयताओं या आर्थिक रूप से असंतुष्ट तबकों के खिलाफ भी इस्तेमाल में लाए जा सकता हैं। भारत में राजनीतिक कारणों से समाज के कुछ तबकों का अपवर्जन लक्ष्य करके उन तबकों के जनसंहार का कारण बना- 1947 में, 1984 में और सन् 2002 में। अगर एक समग्र अध्ययन कराया जाए तो उससे साफ हो जाएगा कि किस तरह संवेदनशील निजी जानकारियां और आंकड़े जिन्हें सुरक्षित रखा जाना चाहिए था, वे हमारे देश में दंगाइयों और जनसंहार रचाने वालों को आसानी से उपलब्ध थे।
भारत सरकार भविष्य की कोई गारंटी नहीं दे सकती। अगर नाजियों जैसा कोई दल सत्तारूढ़ होता है तो क्या गारंटी है कि यू।आई।डी। के आंकड़े उसे प्राप्त नहीं होंगे और वह बदले की भावना से उनका इस्तेमाल नागरिकों के किसी खास तबके के खिलाफ नहीं करेगा? योजना योग की यूआईडी और गृह मंत्रालय की राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर वही सब कुछ दोहराने का मंच है जो जर्मनी, रूमानिया, यूरोप और अन्य जगहों पर हुआ जहां वह जनगणना से लेकर नाजियों को यहूदियों की सूची प्रदान करने का माध्यम बना। यू।आई।डी। का नागरिकता से कोई संबंध नहीं था, वह महज निशानदेही का साधन है। दरअसल यह जनवरी 1933 से जनवरी 2011 तक के ख़ुफ़िया निशानदेही के प्रयासों का सफरनामा है।
इस पृष्ठभूमि में, ब्रिटेन की साझा सरकार द्वारा विवादास्पद राष्ट्रीय पहचानपत्र योजना को समाप्त करने का निर्णय वैसे ही स्वागत योग्य है जैसे अपनी संसदीय समिति की अनुसंसा ताकि नागरिकों की निजी जिंदगियों में हस्तक्षेप से उनकी सुरक्षा हो सके। पहचानपत्र कानून 2006 और स्कूलों में बच्चों की उंगलियों के निशान लिए जाने की प्रथा का खात्मा करने के साथ-साथ ब्रिटेन सरकार अपना राष्ट्रीय पहचानपत्र रजिस्टर बंद कर देगी। वह की सरकार ने घोषणा की है की अगले कदम में (बायोमेट्रिक) जैवसांख्यिकीय पासपोर्ट, सम्पर्क-बिन्दुओं पर इकट्ठा किये जाने वाले आंकड़ों तथा इंटरनेट और ई-मेल के रिकार्ड का भंडारण खत्म किया जाएगा।
भारत की आधार परियोजना की ही तरह ब्रिटेन में भी इसका कभी कोई उद्देश्य बताया जाता था, कभी कोई। इस परियोजना को गरीबों के नाम पर थोपा जा रहा था। कहा जा रहा है कि पहचान का मसला राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, बैंक खाता, मोबाइल कनेक्शन आदि लेने में अवरोध उत्पन्न करता है। पहचान अंक पत्र गरीब नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं सहित अनेक संसाधन प्राप्त करने योग्य बनाएगा। ब्रिटेन की बदनाम हो चुकी परियोजना के पदचिन्हों पर चलते हुए यह भी कहा जा रहा था कि पहचान अंकपत्र से बच्चों को स्कूल में दाखिले में मदद मिलेगी। ब्रिटेन सरकार के हाल के निर्णय के बाद कहीं भारत में भी इस परियोजना को तिलांजलि न दे देनी पड़े, इस बात की आशंका के चलते अब सरकार के द्वारा कहा जा रहा था यह वैकल्पिक है अनिवार्य नहीं जबकि हकीकत कुछ और ही थी।
योजना मंत्रालय की आधार यानि यूआईडी। योजना से गृह मंत्रालय का राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.) परियोजना शुरू से ही जुडा हुआ था जिसका खुलासा प्रधानमन्त्री द्वारा दिसम्बर ४, २००६ को गठित शक्ति प्राप्त मंत्रिसमूह की घोषणा से होता है जिसकी तरफ कम ध्यान दिया गया है। । यह पहली बार है कि जनसंख्या रजिस्टर बनाई जा रही है। इसके जरिए रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया जो की सेन्सस कमिश्नर भी है देशवासियों के आंकड़ों का भंडार तैयार करेंगे। यह समझ जरुरी है कि जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अलग-अलग चीजें हैं। जनगणना जनसंख्या, साक्षरता, शिखा, आवास और घरेलू सुविधाओं, आर्थिक गतिविधि, शहरीकरण, प्रजनन दर, मृत्युदर, भाषा, धर्म और प्रवासन आदि के संबंध में बुनियादी आंकड़ों का सबसे बड़ा स्रोत है जिसके आधार पर केंद्र व राज्य सरकारें योजनाएं बनती हैं और नीतियों का क्रियान्वयन करती हैं, जबकि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर देशवासियों और नागरिकों के पहचान संबंधी आंकड़ों का समग्र भंडार तैयार करने का काम करेगा। इसके तहत व्यक्ति का नाम, उसके माता, पिता, पति/पत्नी का नाम, लिंग, जन्मस्थान और तारीख, वर्तमान वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, राष्टीयता, पेशा, वर्तमान और स्थायी निवास का पता जैसी तमाम सूचनाओं का संग्रह किया जाएगा। इस आंकड़ा-भंडार में 15 साल की उम्र से उपर सभी व्यक्तियों की तस्वीरें और उनकी उंगलियों के निशान भी रखे जाएंगे।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के आंकड़ो-भंडार को अंतिम रूप देने के बाद, अगला कार्यभार होगा हर नागरिक को विशिष्ट पहचान पत्र प्रदान करना। प्रस्तावित यह था कि पहचानपत्र एक तरह का स्मार्ट-कार्ड होगा जिसके उपर आधार पहचान अंक के साथ व्यक्ति का नाम, उसके माता, पिता, पति/पत्नी का नाम, लिंग, जन्मस्थान और तारीख, फोटो आदि बुनियादी जानकारियां छपी होंगी। सम्पूर्ण विवरण का भंडारण चिप में होगा।
ब्रिटेन की ही तरह यहां भी 12 अरब लोगों को विशिष्ट पहचान अंक देने की कवायद को रोके जाने की जरूरत जीप, क्योंकि मानवाधिकार उलंघन की दृष्टि से इसके खतरे कल्पनातीत है इसे संसदीय समिति ने समझा है । बिना संसदीय सहमती के 13वें वित्त आयोग ने प्रति व्यक्ति 100 रूपए और प्रति परिवार 400-500 रूपए गरीब परिवारों को विशिष्ट पहचान अंक के लिए आवेदन करने हेतु प्रोत्साहन के बतौर दिए जाने का प्रावधान किया था। यह गरीबों को एक किस्म की रिश्वत ही है। इस उद्देश्य के लिए आयोग ने राज्य सरकारों को 298910 करोड़ की राशि मुहैया कराने की संस्तुति की है। सवाल यह है की सरकार ने नागरिकों के अंगुलियों के निशान, पुतलियों की छवि जैसे जैवमापक आंकड़ों का संग्रह करने के बारे में विधानसभाओं और संसद की मंजूरी क्यों नहीं ली और इस बात को क्यों नज़र अंदाज़ किया की ऐसी ही परियोजना को ब्रिटेन में समाप्त कर दिया गया है किया है?
प्राधिकरण की ही जैवमापन मानक समिति (बायोमेट्रिक्स स्टैंडर्डस कमिटि) यह खुलासा किया कि जैवमापन सेवाओं के निष्पादन के समय सरकारी विभागों और वाणिज्यिक संस्थाओं द्वारा प्रामाणिकता स्थापित करने के लिए किया जाएगा। यहां वाणिज्यिक संस्थाओं को परिभाषित नहीं किया गया। जैवमापन मानक समिति जैवमापन में अमेरिका और यूरोप के पिछले अनुभवों का भी हवाला दिया और कहा कि जैवमापक आंकड़े राष्ट्रीय निधि हैं और उन्हें उनके मौलिक रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए। समिति नागरिकों के आंकड़ाकोष को राष्ट्रीय निधि बताती है। यह निधि कब कंपनियों की निधि बन जाएगी कहा नहीं जा सकता।
विशिष्ट पहचान अंक और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर सरकार द्वारा नागरिकों पर नजर रखने के उपकरण हैं। ये परियोजनाएं न तो अपनी संरचना में और न ही अमल में निर्दाेष हैं। विशिष्ट पहचान अंक प्राधिकरण के कार्य योजना प्रपत्र में कहा गया है कि विशिष्ट पहचान अंक सिर्फ पहचान की गारंटी है, अधिकारों, सेवाओं या हकदारी की गारंटी नहीं। आगे यह भी कहा गया है कि यह पहचान की भी गारंटी नहीं है, बल्कि पहचान नियत करने में सहयोगी है।
एक गहरे अर्थ में यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति विशिष्ट पहचान अंक जैसे ख़ुफ़िया उपकरणों द्वारा नागरिकों पर सतत नजर रखने और उनके जैवमापक रिकार्ड तैयार करने पर आधारित तकनीकी शासन की पुरजोर मुखालफत करने वाले व्यक्तियों, जनसंगठनों, जन आंदोलनों, संस्थाओं के अभियान का समर्थन करती है। समिति यह अनुसंसा करती है की संसद बायोमेट्रिक डाटा को इकठ्ठा करने के कृत्य की जांच करे। जनसंगठनों की मांग है की सी.ए.जी। विशिष्ट पहचान अंक प्राधिकरण की कारगुजारियों की जांच करे और इसके और जनसँख्या रजिस्टर द्वारा किये जा रहे कारनामो को तत्काल रोका जाये। देशवासियों के पास अपनी संप्रभुता को बचाने के लिए आधार अंक योजना और जनसँख्या रजिस्टर का बहिष्कार ही एक मात्र रास्ता है।
गौरतलब है की कैदी पहचान कानून, १९२० के तहत किसी भी कैदी के उंगलियों के निशान को सिर्फ मजिसट्रेट की अनुमति से लिया जाता है और उनकी रिहाई पर उंगलियों के निशान के रिकॉर्ड को नष्ट करना होता है। कैदियों के ऊपर होनेवाले जुल्म की अनदेखी की यह सजा की अब हर देशवासी को उंगलियों के निशान देने होंगे और कैदियों के मामले में तो उनके रिहाई के वक्त नष्ट करने का प्रावधान रहा है, इन योजनाओं के द्वारा देशवासियों के पूरे शारीरिक हस्ताक्षर का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। यह एक ऐसे निजाम के कदमताल की गूंज है जो नागरिको को कैदी सरीखा मानता है। बायोमेट्रिक डाटाबेस आधारित राजसत्ता का आगाज हो रहा है बावजूद इसके जानकारी के अभाव में कुछ व्यस्त देशवासियों को बायोमेट्रिक तकनीक वाली कंपनियों के प्रति प्रचार माध्यम द्वारा तैयार आस्था चौकानेवाली है। मगर लाजवाब बात तो यह है की उन कर्मचारियों से यह आशा कैसे की जा सकती है की वो बायोमेट्रिक निशानदेही की मुखालफत करेंगे जो अपने दफ्तरों में बायोमेट्रिक हस्ताक्षर करके अन्दर जाते है। ऐसे में संसदीय समिति की सिफारिशों में एक उम्मीद की किरण दिखती है। कुछ राज्यों ने भी केंद्र सरकार को ऐसी परियोजनायो के संबध में आगाह किया है। संसद और राज्य की विधान सभाओ को संसदीय समिति के सिफारिशों को सरकार से अमल में लाने के लिए तत्काल निर्णय लेने होंगे।

(साई फीचर्स)

सदाबहार: मधुमेह में कारगर


हर्बल खजाना ----------------- 11

सदाबहार: मधुमेह में कारगर



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। घरों के आँगन, क्यारियों और उद्यानों में उगाए जाने वाला यह एक अतिमहत्वपूर्ण औषधिय पौधा है जिसका वानस्पतिक नाम कैथेरेन्थस रोसियस है । इस वनस्पति में विन्कामाईन, विनब्लास्टिन, विन्क्रिस्टीन, बीटा- सीटोस्टेराल जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते है ।
पातालकोट के आदिवासी नींद न आने की स्थिति में इसके पत्तियों का मुरब्बा बनाकर अल्पमात्रा में सेवन करते है, इनका मानना है कि ये नींद कारक होता । इसकी पत्तियों के रस को ततैया या मधुमख्खी के दंश होने पर लगाने से अतिशीघ्र आराम मिलता है । आदिवासियों का मानना है कि सदाबहार के लाल फ़ूलों का सेवन उच्च रक्तचाप में फ़ायदा करता है ।
डाँग - गुजरात के आदिवासी लाल और गुलाबी पुष्पों का उपयोग मधुमेह में लाभकारी मानते है । आधुनिक विज्ञान भी इन फ़ूलों के सेवन के बाद रक्त में शर्करा की मात्रा में कमी को प्रमाणित कर चुका है । दो फ़ूलों को एक कप उबले पानी या बिना शक्कर की उबली चाय में डालकर ढाँककर रख दिया जाता है और फ़िर इसे ठंडा होने पर पी लिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि इसका लगातार सेवन मधुमेह में हितकारी है ।
अब वैज्ञानिक सदाबहार के फ़ूलों का उपयोग कर कैंसर जैसे भयावह रोगों के लिये भी औषधियाँ बनाने पर शोध कर रहें है । इसकी पत्तियों को तोडे जाना पर जो दूध निकलता है उसे घाव पर लगाने से घाव पर किसी तरह का संक्रमण नहीं होता और घाव जल्दी सूख भी जाता है ।

(साई फीचर्स)

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