शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

डरपोंक हैं मामा के भांजे भांजी


डरपोंक हैं मामा के भांजे भांजी

दो दर्जन बच्चों में एक भी एमपी का नहीं!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। गणतंत्र दिवस पर देश के वजरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह समूचे भारत के 24 बच्चों को वीरता पुरूस्कार से सम्मानित करेंगे। संभवतः यह पहला मौका होगा जब देश के वीर बच्चों में मध्य प्रदेश के नौनिहालों को स्थान नहीं मिल पा रहा होगा। एक तरफ तो मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान खुद को हृदय प्रदेश के बच्चों का मामा जताते हैं वहीं दूसरी ओर उनके सूबे से इस बार एक भी बच्चा बहादुर की श्रेणी में स्थान नहीं पा सका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गणतंत्र दिवस पर परेड़ से पहले देश के प्रधानमंत्री द्वारा भारत के 16 बेटों और 8 बेटियों को वीरता पुरूस्कार से सम्मानित करेंगे। इनमें से पांच बच्चों को मरणोपतरांत यह पुरूस्कार दिया जाएगा। भारतीय बाल कल्याण परिषद की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने पुरूस्कृत होने वाले बच्चों के नामों की घोषणा की है।
इन बच्चों में राजस्थान का सबसे कम उम्र का बच्चा सात वर्षीय डूंगर सिंह है जिसने झोपड़ी में लगी आग में फंसे अपने विकलांग भाई को बचाने के लिए छलांग लगा दी थी। ग्यारह साल पहले मध्य प्रदेश का विखंडन नहीं हुआ होता तो एमपी से तीन बच्चों को यह ईनाम मिल पाता। छत्तीसगढ़ से अंजली गौतम, शीतल सलूजा और रंजन प्रधान को पुरूकार दिए जाने का निर्णय लिया गया है।
इसी तरह दिल्ली के उमाशंकर और गुजरात की मित्तल पाटलिया और दिव्याबेन चौहान, आंध्र प्रदेश के अमरा उदय किरण, शिवप्रसाद, ओम प्रकाश यादव, पश्चिम बंगाल से सौधिया बर्मन (मरणोपरांत), तमिलनाडू के जी.परमेश्वरन, केरल के आशिफ सीके, मोहम्मद निशाद, शहसाद, यूपी की लवली वर्मा (मरणोपरांत), कर्नाटक की सिन्धुश्री बीए, संदेश पी. हेगड़े, उड़ीसा के प्रसन्न शाण्डिल्य, मणिपुर के खेत्रीमयुम राकेश सिंह, जानसन तोरंगबम, उत्तराखण्ड के कपिल नेगी (मरणोपरांत), अरूणाचल प्रदेश के आदित्य गोपाल को यह पुरूकार मिलने की घोषणा की गई है।
इन पुरूस्कारों में मध्य प्रदेश का नाम न होने की चर्चाओं का बाजार राजधानी दिल्ली में गर्मा चुका है। लोगों का कहना है कि सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान अपने आप को भाजपा की दलगत राजनीति से निकाल पाने में अक्षम पा रहे हैं, जिसका लाभ सूबे के नौकरशाह उठा रहे हैं। अफसरशाही के मकड़जाल में उलझे शिवराज सिंह चौहान अपने किसी भांजे या भांजी को इस साल इस पुरूस्कार दिलाने में अपने आप को असफल ही रहे हैं।

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