सोमवार, 10 जनवरी 2011

गणतंत्र दिवस, बीटिंग रिट्रीट के लिए टिकटों की बिक्री

गणतंत्र दिवस, बीटिंग रिट्रीट के लिए टिकटों की बिक्री
नई दिल्ली (ब्यूरो)। आम जनता के लिए राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड तथा विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट समारोह हेतु टिकटों की बिक्री आरंभ हो गई है। 26 जनवरी, 2011 को गणतंत्र दिवस परेड के लिए आरक्षित सीटों हेतु टिकटों का मूल्य 300. 150 रुपए तथा अनारक्षित सीटों हेतु टिकटों का मूल्य 50,10 रुपए है । 28 जनवरी 2011 को बीटींग रिटरीट समारोह (फुल ड्रेस रिहर्सल) के लिए टिकटों का मूल्य क्रमशः 50. 20. रुपए होगा तथा कोई आरक्षित सीट नहीं होगी।
इस उद्दश्य से जनपथ एवं अशोक होटल के आई टी डी सी ट्रवेल काउंटर, कॉफी होम, बाबा खडग सिंह मार्ग पर डी टी डी सी काउंटरों तथा फूड एवं क्राफ्ट बाजार, दिल्ली हाट आईएनए बाजार के सामने और गांधी आश्रम, चाँदनी चौक पर गैर-विभागीय बिक्री काउंटर स्थापित किए गए हैं। इन काउंटरों पर केवल कार्य दिवस में टिकट उपब्ध रहेंगे।
नौ विभागीय बिक्री काउंटरों पर भी सभी दिन सुबह दस से शाम पांच बजे टिकट उपलब्ध रहेंगे। ये काउंटर स्थापित किए गए हैं नॉर्थ ब्लॉक गोल चक्कर, साउथ ब्लॉक गोल चक्कर, प्रगति मैदान (गेट नं 1, भैरों मार्ग), जंतर मंतर (मुख्य द्वार), शास्त्री भवन (गेट नं 1 के पास), इंडिया गेट (जाम नगर हाउस के पास), लाल किला (पुलिस पिकेट के पास) तथा संसद भवन (स्वागत कक्ष)। संसद भवन स्वागत कक्ष में टिकट 19 से 28 जनवरी, बीच उपलब्ध रहेंगे। भारत सरकार पर्यटन कार्यालय, 88, जनपथ पर भी टिकट उपलब्धध रहेंगे।

नौसेना अध्यक्ष एडमिरल निर्मल वर्मा चार दिन के इंडोनेशिया दौरे पर

नौसेना अध्यक्ष एडमिरल निर्मल वर्मा चार दिन के इंडोनेशिया दौरे पर
नई दिल्ली (ब्यूरो)। नौसेना अध्यक्ष एडमिरल निर्मल वर्मा 10 जनवरी से चार दिन के सरकारी दौरे पर, इंडोनेशिया के लिए रवाना हुए। एडमिरल वर्मा वहां इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री पुरनोमो युस्जिआंतोरो, इंडोनेशियाई नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुपरनो. कानूनी, राजनीतिक तथा रक्षा मामलों में सहायक मंत्री तथा इंडोनेशिया की राष्ट्रीय सेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल आगस सुहारतोनो से बातचीत करेंगे।
अपने चार दिन के दौरे के दौरान एडमिरल इंडोनेशियाई सेना, नौसेना तथा वायु सेना की विभिन्न सुविधा केन्द्रों का दौरा करेंगे तथा जकारता के साथ-साथ बैन्डंग एंड बाली का भी दौरा करेंगे। साझा गश्त व मिलान जैसे अभ्यास द्वारा प्रोत्साहित भारतीय एवं इंडोनेशियाई नौसेना के बीच आपसी सहयोग व समझ पर आधारित एक नियमित पुराना उच्च स्ततरीय संबंध है।

थम नहीं रहा ठंड का कहर

यूरोप की बराबरी में पहुंची दिल्‍ली
नई दिल्ली (ब्यूरो)। राजधानी में अधिकतम तापमान ने पिछले पांच साल का रेकॉर्ड तोड़ दिया है। राजधानी में रविवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री लुढ़ककर 11 डिग्री पर आ गया। न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री खिसककर 5 डिग्री पर आ गया। हालत यह है कि दिल्ली का अधिकतम तापमान यूरोप के बराबर पहुंच गया है। इस समय बार्सिलोना का अधिकतम तापमान 15, मैड्रिड का 9, पैरिस का 8, बर्लिन का 7 और लंदन का 6 डिग्री सेल्सियस है।
मौसम विभाग का कहना है कि अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच कम अंतर के कारण ही ठंड का प्रकोप बढ़ रहा है। पहाड़ी इलाकों में बर्फ बारी और बारिश का असर राजधानी में भी पहुंच रहा है। कोहरा भी पसरा हुआ है और सूर्यदेव के ठीक से दर्शन नहीं हो पा रहे हैं। मौसम विभाग का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में चल रहे मौसमी बदलाव के कारण आने वाले दिनों में राजधानी में बारिश भी हो सकती है। ठंड और कोहरे की मार हर तरह के ट्रैफिक पर पड़ रही है। एयरपोर्ट पर 2 उडान निरस्त हुईं, 7 के मार्ग बदले गए और 80 से ज्यादा विलंब से चलीं। 70 से ज्यादा ट्रेनें 3 से 27 घंटे लेट थीं। 35 को रीशेड्यूल किया गया और 9 ट्रेनें कैंसल की गईं।
0 वेस्टर्न डिस्टर्बेंर्स
 वेस्टर्न डिस्टर्बेंर्स यानी पश्चिमी विक्षोभ दरअसल बादलों और हवा का वह इलाका है, जो पश्चिम से पूर्व की तरफ बढ़ता है। पहले समझा जाता था कि पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागर से नमी लेकर आता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह कैस्पियन सागर से भी नमी ला सकता है। कभी-कभी यह अपने आप ही बन जाता है। सदिर्यों र्में र्दिल्ली में आम तौर पर पश्चिमी विक्षोभ की एक पूरी सीरीज आती हैए जो अपने साथ बारिश लाती है और कोहरे का कारण बनती है, क्योंकि ये नमी में बढ़ोतरी करती हैं।
 
विंड चिल फैक्टर
यह दरअसल वह तापमान है, जब किसी ठंडे दिन तेज हवाएं चलती हैं। शरीर का तापमान, जो तकरीबन 37 डिग्री से. होता है, इन ठंडी हवाओं के कारण नीचे आ जाता है। ये हवाएं तापमान में एकरूपता लाने का भी काम करती हैं। उŸार की ठंडी हवाएं, जो हिमालय की ऊंची बफीर्ली पहाडिय़ों से बहकर आती हैं, तापमान में और कमी लेकर आती हैं। विंड चिल फैक्टर सिर्फ तभी लागू होता हैए जब तापमान 10 डिग्री से. या उससे नीचे हो और हवाओं की रफ्तार 4.8 किमी. प्रति घंटा हो।
पाला
जब न्यूनतम तापमान 3 डिग्री से. से नीचे जाता है, तो नमी पौधों पर जम जाती है। यह आम तौर पर खुले ग्रामीण इलाकों में होता है, जबकि वहां हवाएं, हॉरिजोंटल और वर्टिकल दोनों, बिना रुके चलती रहें।
कोहरा
पृथ्वी की सतह पर यह बहुत हद तक बादलों जैसा होता है। कोहरा तब बनता है, जब पानी की भाप कम तापमान के दौरान सघन हो जाती है। हालांकि, जब पारा 3.5 डिग्री सेल्सियस से कम होता है, कोहरा बनना खत्म हो जाता है, क्योंकि भाप पाला (फ्रॉस्ट) में बदल जाती है। कोहरे के कारण दृश्यता 1000 मीटर से भी कम हो जाती है।
अब वेब कास्टिंग के जरिये हो जाएं लाइव

नई दिल्ली (ब्यूरो)। ब्लाग की दुनिया में कुछ चमत्कार एसे हो रहे हैं जिन पर लोग सहज ही भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इंटरनेट पर ब्लागर्स ने जबर्दस्त तरीके से धूम मचाई हुई है। ब्लागर्स ने ब्लाग मंच को देश का पांचवा स्तंभ भी निरूपित कर दिया है। बीते 9 और 10 जनवरी को ब्लाग जगत में ऐसी घटना हुई जिससे न केवल ब्लाग जगत बल्कि सारे वे लोग आश्चर्य चकित हो गये जो संचार-क्रांति से जुड़े हुए हैं. हुआ यह कि खटीमा उत्तरांचल में एक ब्लागर्स मीटिंग होने वाली थी. इस में देश के कई नामी गिरामी ब्लागर इकट्ठा होने थे. दिल्ली से अविनाश वाचस्पति इस मीटिंग का जीवंत प्रसारण चाहते थे.उनके साथ समस्या यह थी कि उनको मीटिंग में सक्रिय रूप से उपस्थित रहना था और वे वेब पर लाइव भी रहें ऐसा संभव न था. इस समस्या का निदान हिन्दी ब्लाग जगत के प्रसिद्ध हस्ताक्षर गिरीश बिल्लोरे को जो जबलपुर में हैं को सौंप दी गई. विश्व में इन्टरनेट के जरिये हिंदी के प्रचार-प्रसार लिये काम करने वाले गिरीश बिल्लोरे स्वीडन की वेब साईट  www.bambuser.com के सदस्य हैं जिसके जरिये वे अब तक सामाजिक एवम साहित्यिक मुद्दों पर 56 वेब प्रसारण कर 1820 दर्शकों तक पहुंच चुके हैं. जो अपने आप में एक रिकार्ड है . उनके द्वारा जबलपुर के श्री अमृतलाल वेगड़ की कृति- अमृतस्य नर्मदा का पाठ (5 भागों में), बेलफास्ट से हिन्दी कवि दीपक मशाल से भेंट्वार्ता,ब्लागर समीरलाल (कनाडा) तथा बी०एस०पाबला(छतीसगढ़),लिमटी खरे(दिल्ली), डा०सुभाष शर्मा एवम डा० उमाशंकर नगाइच (भोपाल), डा०अजित गुप्ता (मेवाड़-राजस्थान) से बातचीत सर्वाधिक लोकप्रिय रहे प्रसारणों सहित “अब तक 56” प्रसारण किये हैं. गिरीश बिल्लोरे द्वारा सीमित साधन और असीमित प्रयास से खटीमा उतरांचल से प्राप्त वीडियो का लाईव-रिले,(अनुप्रसारण)अपने ब्लाग मिसफिट: सीधीबात http://sanskaardhani-blogspot-com/2011/01/live&from&khateema_08-html पर किया. साथ ही विभिन्न एग्रीगेटर्स खासकर ब्लागप्रहरी (दिल्ली), सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक,ट्विटर, गूगल-बज्ज आदी के जरिये भी वेबकास्टिंग की गई.

वेबकास्टिंग क्या है
बैमबजर एवम नेजममउ नामक दो वेब साइटस अपने पंजीकृत सदस्यों को निःशुल्क वेब पर प्रसारणों का अवसर देती है. थ्री-जी तकनीकि के आने के बाद आप सेलफोन के जरिये भी इसका लाभ ले सकते हैं. वर्तमान में इस तकनीकी का प्रयोग (ब्लाग जगत में ) कम ही लोग कर पा रहे हैं उनमे अविनाश वाचस्पति (दिल्ली), अर्चना चावजी (इन्दौर) तथा गिरीश बिल्लोरे (जबलपुर) . इनका कहना है कि इस कार्य को आसानी से सीखा एवम किया जा सकता है. करने में सतत अभ्यास एवम प्रसारण हेतु सर्व सुविधा युक्त साउन्ड-प्रूफ स्टूडियो आवश्यक होती है किंतु हम देर रात तक काम करके पाडकास्ट और वेब कास्ट तैयार करतें हैं. यह हम शौकिया करते हैं बिना किसी आर्थिक लाभ के.

850वीं पोस्‍ट

जनता मरे प्‍यासी पर बस धुलेंगी आरओ वाटर से

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

जनता के बजाए बसों की चिंता में घुल रही हैं शीला
दिल्ली के बारे में कहा जाता है कि जो भी कंकड़ पत्थर पचाने का हाजमा रखता हो, वह भी अगर छः महीने तक दिल्ली का बिना फिल्टर का पानी पी ले तो उसे पीलिया या पेट की बीमारियां होना निश्चित है। दिल्ली के दो तिहाई इलाकों में साफ पानी भी मयस्सर नहीं है। एसे हालातों में दिल्ली की कुर्सी पर तीसरी बार बैठने वाली मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार ने लाखों रूपयों की लागत वाली लकझक लो फ्लोर बसों की चमक बनाए रखने के लिए रिवर्स आस्मोसिस प्यूरीफायर प्लांट (आरओ वाटर प्लांट) से इन बसों को धोने की सोची है। दिल्ली के डीटीसी के बेड़े मंे वर्तमान में 3200 बस हैं। इनकी चमक दमक बनाए रखने के लिए वर्तमान में 27 डिपो में से 13 में आरओ तो 14 में सॉफ्टनिंग प्लांट लगाने की तैयारियां युद्ध स्तर पर जारी हैं। अभी हसनपुर डिपो में आरओ प्लांट लगा दिया गया है। अब शीला जी को कौन समझाए कि बस खराब होती है तो होती रहे पर दिल्ली के रहवासियों की सेहत खराब होने से बचाया जाए तो बेहतर होगा, बसों की चमक धमक बनी रहे पर उनकी रियाया के चेहरे की चमक चली जाए इससे उनकी सेहत पर कोई अंतर पड़ता नहीं दिखता।
इसे विकास की संज्ञा न दी जाए जयराम जी
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश पर्यावरण के प्रति काफी जागरूक नजर आ रहे हैं। वनों की कटाई और पर्यावरण के नुकसान को वे विनाश के कारण हुआ मानते हैं। रमेश ने पर्यावरण के नाम पर अनेक परियोजनाओं को ग्रीन सिग्नल के बजाए रेड सिग्नल दिखाते हुए अपने कदम मजबूती के साथ जमाए। हाल ही में उनके अधीन आने वाला पर्यावरण मंत्रालय जिस जगह पर बनाया जा रहा है, उसके लिए तीन दर्जन से अधिक पेड़ों की बली चढ़ाई जाने वाली है। अब सवाल यह उठता है कि राजग सरकार की महात्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना और उसके उत्तर दक्षिण गलियारे में वनों की कटाई के चलते अडंगा लगाने वाले वन एवं पर्यावरण मंत्री अपने ही मंत्रालय के भवन के लिए लगभग छः दर्जन पुराने झाड़ों में से तीन दर्जन झाड़ हटाने कैसे राजी हो गए। अब यक्ष प्रश्न यह है कि जयराम रमेश इसे विकास की संज्ञा देंगे या विनाश की।
बिग बी उलझे वन्य जीव नियमों के उल्लंघन में
बीते साल के अंतिम पखवाड़े में एक निजी समाचार चेनल को बाघ बचाने की सूझी और उसने आनन फानन मध्य प्रदेश के पेंच नेशनल पार्क में एक कार्यक्रम का आयोजन कर डाला। इस कार्यक्रम में जान डालने के लिए उसने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को भी आमंत्रित कर लिया। बिग बी आए और कार्यक्रम में हिस्सा लिया। मध्य प्रदेश के बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले और छिंदवाडा संसदीय क्षेत्र में आने वाले इस नेशनल पार्क में वन्य जीवों से संबंधित नियमों का जमकर उल्लंघन किया अमिताभ बच्चन ने। फिर क्या था सिवनी के उत्साही युवा संजय तिवारी ने मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में उच्च न्यायालय में दायर कर दी याचिका। यद्यपि इसमें सीधे सीधे अमिताभ बच्चन को पार्टी नहीं बनाया गया है, फिर भी याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर अगर उच्च न्यायालय ने संज्ञान ले लिया तो आने वाले दिनों में अमिताभ बच्चन को जबलपुर आकर सफाई पेश करनी पड़ सकती है।
घोषणामंत्री बनीं ममता बनर्जी
संप्रग के पहले कार्यकाल में स्वयंभू प्रबंधन गुरू बनकर उभरे तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव का अब नाम लेवा भी नहीं बचा है। उनके बाद रेल महकमा संभालने वाली ममता बनर्जी ने आते ही अनेक चमत्कार कर दिए। सबसे पहले तो उन्होंने लीक से हटकर अपना कार्यकाल ही पश्चिम बंगाल में जाकर संभाला। इसके बाद उन्होंने त्रणमूल कांग्रेस के मंत्रियों को फरमान जारी कर दिया कि मंत्री वेस्ट बंगाल में ज्यादा समय दें। दरअसल ममता की चाहत बंगाल का मुख्यमंत्री बनने की है। रेल मंत्री रहते हुए ममता ने जितनी भी घोषणाएं की वे महज घोषणा ही रहीं, उन्हें अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। अब लोग ममता को भारत गणराज्य की रेल मंत्री के बजाए घोषणा मंत्री के तौर पर अधिक पहचानने लगे हैं। पिछले बजट में ममता ने एक हजार किलोमीटर लंबी रेल लाईन बिछाने की घोषणा की थी, अफसोस नवंबर के अंत तक महज 123 किलोमीटर ही रेल की पांते बिछ पाईं दिसंबर समाप्त होते होते यह आंकड़ा 200 तक बमुकिल पहुंच सका। यद्यपि अधिकारियों का दावा है कि मार्च तक आठ सौ किलोमीटर की पांतें बिछा दी जाएंगी। भगवान ही जानता होगा कि घोषणावीर रेल मंत्री ममता बनर्जी की घोषणाओं को अधिकारी यात्रियों की जान के एवज में आठ सौ किलोमीटर पांते बिछाकर कैसे पूरा करेंगे?
अफसरों से हलाकान लवली
अमूमन देखा गया है कि फोन की घंटी बजती रहे और मंत्री फोन न उठाए, पर दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री अरविंदर सिंह लवली की परेशानी इससे उलट ही है। वे फोन लगाते हैं, और उनके मातहत अफसरान उनका फोन ही उठाने से गुरेज करते हैं। परिवहन मंत्री के सचिव एच.पी.एस.सरीन ने अपने आला मंत्री की नाराजगी का इजहार करते हुए अपने विभाग के अफसरों को पत्र लिखा है। इस पत्र की इबारत में साफ किया गया है कि परिवहन मंत्री के आवासीय या मंत्रालय के कार्यालय से जब भी अफसरों को फोन किया जाता है तो उनके फोन या तो स्विच ऑफ मिलते हैं या फिर घन्टी घनघनाती रहती है। पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर कोई अफसर न्यायालय या जरूरी बैठक मंे व्यस्त है तो उससे कम से कम यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वह मिस्ड काल देखकर कर काल बैक करे, जो अमूमन नहीं होता है। परिवहन उपायुक्त प्रशासन ने मंत्री की नाराजगी से अफसरों को आवगत कराते हुए साफ किया है अवकाश के दिनों में भी अफसर अपना फोन बंद न रखें।
महामहिम को भी नाप दिया कलमाड़ी ने
कामन वेल्थ गेम्स में आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे सुरेश कलमाड़ी की हिमाकत तो देखिए उन्होंने भारत गणराज्य के पहले नागरिक अर्थात महामहिम राष्ट्रपति को भी नहीं बख्शा है। कलमाड़ी की मण्डली ने महामहिम के नाम का सहारा लेकर क्वींस बेटन का बजट आनन फानन छः गुना बढ़ा दिया। मई 2009 में इसका बजट दो करोड़ 20 लाख रूपए था, जो बढ़ाकर 12 करोड़ 77 लाख रूपए कर दिया गया। इसके लिए इवेंट मेनेजमेंट कंपनी मेसर्स जैक मॉर्टन वर्ल्ड वाईड एवं ए.एम.कार एण्ड वैन हायर्स को अक्टूबर 2009 में अतिरिक्त भुगतान भी कर दिया गया। उधर महामहिम के करीबी सूत्रों का कहना है कि महामहिम की लंदन यात्रा का प्रोग्राम महीनों पहले ही बन गया था, जिसका क्वींस बेटन से कोई सरोकार ही नहीं था। घाघ और शातिर राजनेता सुरेश कलमाड़ी ने महामहिम राष्ट्रपति की उपस्थिति को जिस तरह भुनाया है, उसकी जितनी निंदा की जाए कम ही होगा।
बाबा रामदेव को बाजपेयी की चुनौति
इक्कसवीं सदी में अमीरों और पहुंच सम्पन्न लोगों के स्वयंभू योग गुरू बनकर उभरे बाबा रामदेव के मन में भले ही राजनीति करने की बलवती इच्छाएं कुलाचें मार रहीं हों पर देश के अनेक योगियों और अन्य लोगों से उन्हें निरंतर चुनौतियां मिल रही हैं। यह अलहदा बात है कि रामकिशन उर्फ बाबा रामदेव इन चुनौतियों पर कान न दे रहे हों। हाल ही में बाराबंकी जिले के शरीफाबाद निवासी भारतीय पर्वतारोही फाउंडेशन के लाईजनिंग अफसर अजय कुमार बाजपेयी ने बाबा रामदेव को नए तरीके की चुनौति दे दी है। यूपी के एक योग प्रशिक्षक और पर्वतारोही बाजपेयी का कहना है कि बाबा रामदेव भी बाजपेयी की तरह ही बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच शून्य से कम तापमान पर खुले बदन योग कर दिखाएं तब दुनिया उनका लोहा मानेगी। गौरतलब है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया को अपनी जेब में रखते हुए चुनिंदा आध्यामिक चेनल्स के माध्यम से बाबा रामदेव ने अपने आप को स्थापित कर लिया है, किन्तु आज भी बाबा की कीर्ति उन्हीं के बीच है जिनकी जेबें गर्म हैं।
चोर के हाथ खजाने की चाबी!
पुरानी कहावत है कि चोर के हाथ खजाने की चाबी देने से क्या खजाना सुरक्षित रह सकता है? जवाब नकारात्मक ही आएगा। महाराष्ट्र प्रदेश के नए निजाम पृथ्वीराज चव्हाण ने एक दागी नौकरशाह को ही सूबे का मुख्य सचिव बना दिया है। आदर्श घोटाले में महती भूमिका निभाने वाले नौकरशाह रत्नाकर गायकवाड़ जो मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमआरआरडीए) के आयुक्त थे ने सूबे के नए चीफ सेकेरेटरी की भूमिका संभाल ली है। आदर्श हाउसिंग सोसायटी को मंजिल दर मंजिल निर्माण की अनुमति देने में एमआरआरडीए की भूमिका सबसे अहम रही है। एमआरआरडीए ने आठ करोड़ 11 लाख 80 हजारख् 436 रूपए लेकर 27 मंजिला इमारत की अनुमति प्रदान कर दी थी। इस अनुमति पत्र पर गायकवाड़ की सही है। इसके बाद इसमें 31 मंजिल हो गईं और एमआरआरडीए ने 39 लाख 74 हजार 235 रूपए प्रति मंजिल के हिसाब से जुर्माना वसूला था। माना जा रहा है कि आदर्श हाउसिंग घोटाले के मामले को डाल्यूट करने के लिए गायकवाड़ की तैनाती की गई है ताकि अन्य महकमों के अफसरान को हड़का कर फाईलों को दुरूस्त किया जा सके।
माननीयों के पास महंगी कार का क्या काम
हरयाणा सरकार ने कामकाज को सुगम तरीके से संचालित करने की गरज से नौ मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है। इन सीपीएस के आवागवमन को सुलभ बनाने के लिए सरकारी खजाने पर जमकर बोझ डाला गया है। सरकार ने इनके लिए नौ हॉंडा सीआरवी कार खरीदने का फरमान जारी किया है। एक कार की कीमत 21 लाख रूपए है, इस लिहाज से 1 करोड़ 89 लाख् रूपए महज खरीदी में ही खर्च हो जाएंगे। हरियाणा के एक अधिवक्ता जेएस.भट्टी को यह नागवार गुजरा और उसने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की शरण ले ली है। उधर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि राज्य में दस मंत्री हैं, जिनके पास एक से अधिक विभाग हैं, जिससे काम सुगम तरीके से नहीं हो पा रहा है, इसीलिए सीपीएस की नियुक्ति की गई है। वकील भट्टी की दलील है कि ये नियुक्तियां राजनैतिक हित साधने और सामंजस्य बनाने के लिए की जाती हैं। गौरतलब होगा कि पूर्व में हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा इस तरह की नियुक्तियों को अवैध ठहराया जा चुका है।
राजनेताओं की भाषा बोलते नौकरशाह
अपने राजनैतिक नफा नुकसान के राजनेता तो चाहे जो भाषा का इस्तेमाल कर लेते हैं किन्तु अब तक नौकरशाहों द्वारा जनता के हितों को ध्यान में रखकर ही बयान जारी किए जाते रहे हैं, संभवतः यह पहला ही मौका होगा जब किसी सूबे के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी द्वारा राजनेताओं की भाषा बोली गई हो। हाल ही में देश की सबसे बड़ी अदालत द्वारा महाराष्ट्र के मुख्य सचिव द्वारा की गई टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर करते हुए तीन सप्ताह में स्पष्टीकरण देने की बात कही है। महाराष्ट्र के एक एनजीओ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र के मुख्य सचिव जे.जे.डांगे का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोई योजना आरंभ नहीं कर सकते। यह बेघर लोगों का मामला है, इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है। एसे बहुत से आदेश हैं और हम इनकी परवाह नहीं करते। बेघर लोग महाराष्ट्र से नहीं वरन बाहरी राज्यों से हैं। यद्यपि डांगे को सीएस के पद से हटाया जा चुका है, किन्तु उन्होंने जो कुछ कहा वह चीफ सेकेरेटरी की हैसियत से कहा तो राज्य सरकार को इसका भोगमान तो आखिर भोगना ही होगा।
कमजोर हो गए हैं अहमद पटेल
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल के सितारे इन दिनों गर्दिश में ही दिख रहे हैं। कांग्रेस के एक ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह की सोनिया गांधी से नजदीकी के बाद अहमद पटेल का ग्राफ नीचे की ओर आने लगा है। पटेल के दरबार में अब भीड़ भी कम दिखने लगी है। महाराष्ट्र के एक क्षत्रप कांग्रेस महासचिव और केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक जो कल तक अहमद पटेल के नौ रत्नों में से एक हुआ करते थे, ने नजाकत को भांपते हुए अपना गाड फादर ही बदल लिया है। वैसे भी मौसम और कपड़ों की तरह अपने आका बदलना वासनिक की फितरत में शामिल है। वासनिक को एनएसयूआई में रमेश चेन्नीथेला लाए फिर सीताराम केसरी और आस्कर फर्नाडिस इनके आका रहे। इसके बाद गुलाम नवी आजाद फिर अंबिका सोनी के रास्ते वासनिक पटेल के पास पहुंचे। वासनिक आजकल गुलाम नवी की देहरी चूम रहे हैं। वैसे यह बात है कि वासनिक जिसके दरबार में हाजिरी बजाते हैं वह राजनैतिक शिखर पर गुंजायमान ही रहता है।
दिग्गी राजा हुए बाग बाग
महाराष्ट्र एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ हुई बातचीत का ब्योरा देने कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह द्वारा प्रेस कांफ्रेस का आयोजन किया गया। रफी मार्ग पर कांस्टीट्यूशन सेंटर में हाल मीडिया कर्मियों से लबालब भरा था। एक के बाद एक प्रश्नों के जवाब दिग्गी राजा दे रहे थे। इसमंे खास बात यह थी कि प्रश्न का जवाब देते समय दिग्विजय सिंह द्वारा पत्रकार को बाकायदा नाम से पुकारा जा रहा था। मीडिया पर्सन्स कायल थे, कि राजा इतने सारे लोगों को नाम से पहचानते हैं। पत्रकार वार्ता के उपरांत चाय और चिरपरिचित ‘‘दिग्गी ठहाकों‘‘ का दौर चला। चुनिंदा मीडिया पर्सन्स ने राजा दिग्विजय सिंह को घेर रखा था। कुछ राजा की तारीफों में कशेदे गढ़ रहे थे। राजा भी चश्मे के भीतर से चिरपरिचित अंदाज में झांकते हुए मंद मंद मुस्करा रहे थे। इसी बीच किसी ने कह ही दिया -‘‘प्रधानमंत्री के बाद मीडिया का हाउस फुल आपकी पीसी अर्थात प्रेस कांफ्रेंस में ही रहता है।‘‘ राजा पहले तो चौंके फिर सहज होकर मुस्कराकर बोले -‘‘नहीं एसा नहीं है, भई।‘‘ आखिर तारीफ सुनना किसे बुरा लगता है।
शीला रमेश आमने सामने
कांग्रेस के अंदरखाने में नंबर दो नेताओं के बीच जबर्दस्त जंग छिड़ी हुई है। चिदम्बरम प्रणव, अहलूवालिया कमल नाथ, श्रीप्रकाश जास्वाल, वीरप्पा माईली, एस.एम.कृष्णा, आदि की आपस में नहीं बन रही है। हाल ही में पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर और खेल गांव के बारे में बयान दे डाला कि पर्यावरण अनुमति के बिना ही इन दोनों का निर्माण हो गया। दिल्ली की निजाम शीला दीक्षित को यह नागवार गुजरा। शीला ने हुंकार भरी और कह डाला कि अक्षरधाम और खेल गांव को यमुना के तट पर बनाने के लिए पर्यावरण विभाग की बाकायदा अनुमति ली गई थी। अब कौन है सच्च कौन है झूठा हर चेहरे पर नकाब है की तर्ज पर यह कहना मुश्किल है कि सच कौन कह रहा है। रमेश पर्यावरण मंत्री हैं, सो उन्हें वास्तविक स्थिति पता होना स्वाभाविक है, वहीं दूसरी ओर शीला दीक्षित तीसरी बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी हैं इस लिहाज से उनकी जानकारी को भी कमतर नहीं आंका जा सकता है।
पुच्छल तारा
दिल्ली में ठंड पड़ रही है, सारी दिल्ली जम चुकी है। तापमान नीचे आता जा रहा है। ठंड के कारण लोग घरों में दुबके पड़े हैं। अपने अपने कार्यालयों से झूठ बोलकर अवकाश ले रहे हैं। कोई बीमारी का तो कोई किसे के फायनल होने का बहाना बना रहा है। 
दिल्ली में रोहणी में रहने वाले संजय पोतदार ने ईमेल भेजा है, 
संजय लिखते हैं कि एक बॉस ने अपने मातहत से पूछा -‘‘क्या तुम मृत्यु के बाद जीवन पर यकीन करते हो?‘‘
कर्मचारी बोला -‘‘जी नहीं साहेब।‘‘
बॉस फिर बोला -‘‘ठीक बात है, पर अब करने लगो। जिस दादी की मौत पर तुमने परसों अवकाश लिया था, उनका फोन तुम्हारे जाने के बाद आया था, कि तुम्हें जतला दिया जाए कि बाजार से एक पाव प्याज जरूर ले आना।‘‘

प्रहलाद का प्रथम नगर आगमन हुआ भव्यता पूर्ण

नेताओं का विरोध भी नहीं रोक पाया जन सैलाब
 
(मनोज मर्दन त्रिवेदी)
 
सिवनी :- पूर्व केन्द्रीय मंत्री और महाकौशल के कद्दावर नेता प्रहलाद सिंह पटेल की भाजपा में सक्रिय राजनीति में वापसी से भाजपाई हल्के के ऐसे नेता जो भाजपा की लोकप्रियता के कारण  सतासुख भोग रहे हैं, और पब्लिक में कोई इमेज नहीं है ऐसे नेताओं में हड़कंप मच गया है, सत्ता की बैशाखी पर खड़े होकर जिन्होनें  जन हितों को दर किनार कर जनकल्याण की योजनाओं में दलाली खाने तक अपने आप को सीमित रखा है प्रहलाद पटेल का आगमन उनके लिए अनेक मुश्किलें  खड़ी कर सकता है यह भय दलाली खाने वाले नेताओं को बुरी तरह सता रहा यह सर्व विदित है कि प्रहलाद पटेल ने अपने सार्वजनिक राजनैतिक जीवन की शुरूआत सिवनी से की थी, उनका का यहां  प्रारंभिक दौर ही पार्टी से नहीं आम जनता के विश्वास से प्रारंभ हुआ था, भारतीय जनता पार्टी ने उस समय भी चुनाव चिन्ह आवंटित करने के पश्चात अपना अधिकृत प्रत्याशी उन्हें घोषित नहंीं किया था, पार्टी के हर बड़े नेता ने हाई कमान के निर्देश पर उन्हे बीच मंझधार में में छोड़ दिया था,  परंतु सिवनी जिले की जनता ने उनकी स्पष्ट वादिता, जुझारूपन,पर अटूट विश्वास व्यक्त किया था। प्रहलाद पटेल ने जनता के उस विश्वास को आज भी कायम रखा है और सिवनी जिले से  अपने गहरे संबंध स्थापित कर लिये हैं,  सिवनी जिले का  ऐसा कोई दरवाजा नहीं होगा जहां प्रहलाद पटेल ने जीवंत संपर्क नहीं किया है यही कारण है कि केवल प्रहलाद पटेल के नाम पर सिवनी में अपार जनसमुदाय एकत्रित होकर उनका नेतृत्व स्वीकार करता रहा है। जिले में इस प्रकार का विश्वास आम जनता में पैदा करने में अन्य कोई नेता सफल नहीं हो पाया आज भी बड़े-बड़े पदों पर भाजपाई नेता विराजमान हैं,  परंतु आम जनता का आकर्षण उनके प्रति नहंी बन पाया है और वे नेता आम जनता  और भाजपा कार्यकर्ताओं मे ंवैसा विश्वास पैदा नहीं कर पाये जैसा प्रहलाद पटेल ने किया है। परिणाम सामने हैं जिला भाजपा के और जिले के सभी जिम्मेदार नेताओं के सहयोग के बिना प्रहलाद पटेल का आगमन सुनकर ही भाजपा के सभी मंडलों के अध्यक्ष जिले के पदाधिकारी उनका का गर्म जोशी से स्वागक करने के लिए आतुर दिखाई दे रहे थे। जिला मुख्यालय के जिस मार्ग से उनका जुलुस निकला स्वागत के लिए भाजपा कार्यकर्ता और उनके समर्थक टूट पड़े इतना ऐतिहासिक स्वागत भाजपा के अन्य किसी नेता का न होना भी ईर्षा का कारण बना हुआ है । हालांकि  अपने आपको जो बड़ा नेता समझने लगे हैं, ऐसे नेताओं के जन्मदता भी प्रहलाद पटेल ही हैं परंतु राजनैतिक क्षेत्र में काम करते हुए इन नेताओं ने अपने पदों का उपयोग अपने व्यक्तिगत लाभ तक सीमित रखा है, जनहित की उपेक्षा के कारण जनता में वह सम्मान नहीं बन पाया जो प्रहलाद पटेल का बना हुआ है। शासकीय योजनाओं में कमीशन आम जनता से केवल वोट तक के संबंध और सस्ती लोक प्रियता के लिए की जानेवाली बयानबाजी इन नेताओ का सगल बन गया है,न क्षेत्र के विकास की और न क्षेत्र की समस्याओं से इनका कोई वास्ता है बड़ी-बड़ी किसानों से संबंधित समस्याओ गरीब मजदूरों की समस्याओं पर, बेरोजगारों की समस्याओं पर, छात्रों की समस्याओं पर भी नेताओं का कोई ध्यान नहीं है एसे असंवेदनशील नेताओं को यदि सम्मान नहीं मिल पा रहा है, तो इसमे ईष्र्या का कोई स्थान नहीं होना चाहिए जनता के हितों के लिए संघर्ष करने की क्षमता ऐसे नेताओं को पैदा कर जनता में विश्वास बनाने का प्रयास करना चाहिए प्रहलाद पटेल के आगमन पर यदि भव्य स्वागत होने की संभावना का विरोध करने का प्रयास किया जाये तो इस प्रकार जनाधार विहीन नेताओं को मुंह की खाना पड़ेगी।
गत ४ जनवरी को पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भारतीय जनता असंगठित् कामगार मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के पश्चात जब प्रथम बार सिवनी आये तो उनका जिला मुख्यालय में अभूतपूर्व स्वागत हुआ है। जिसकी चोरी छिपे विरोध करने वालों ने विडियों रिकार्डिंग भी बुलवाई है, जिन्हे वे अभी तक अपना खास समझ रहे थे। ऐसे कार्यकर्र्ता और पदाधिकारियों को प्रहलाद जी के कार्यक्रम में शामिल होने पर अनेक तरह की धमकियां भी देने से नहीं चूक रहे हैं। भाजपाई खेमे में प्रहलाद जी का आगमन व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है, हालांकि उनके कार्यक्रम में पूर्व त्रिविभागीय मंत्री डॉ. ढालसिंह बिसेन, बरघाट विधायक कमल मर्सकोले, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष अशोक तेकाम, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष, पार्वती जंघेला जिला भाजपा के अधिकांश पदाधिकारी शामिल रहे। सभी मंडलों के अध्यक्ष शामिल रहे , भाजपा समर्थित जनपद अध्यक्ष जिला पंचायत सदस्य शामिल रहे, शामिल नहीं रहने वालों में भाजपा जिला अध्यक्ष सुजीत जैन, सिवनी जिला मुख्यालय की विधायक श्रीमती नीता पटेरिया, लखनादौन विधायक श्रीमती शशि ठाकुर, पूर्व विधायक नरेश दिवाकर, शामिल नहीं रहे। भाजपा नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी ने प्रहलाद पटेल का गर्मजोशी से भारी जन सैलाब के साथ उनकी अगवानी की और स्थानीय बाहुबली लॉन में प्रहलाद पटेल का जैसा गरिमामय कार्यक्रम संपन्न हुआ वैसा जिला भाजपा के इतिहास में कोई कार्यक्रम संपन्न हुआ हो ऐसा याद नहीं है।