सोमवार, 10 जनवरी 2011

थम नहीं रहा ठंड का कहर

यूरोप की बराबरी में पहुंची दिल्‍ली
नई दिल्ली (ब्यूरो)। राजधानी में अधिकतम तापमान ने पिछले पांच साल का रेकॉर्ड तोड़ दिया है। राजधानी में रविवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री लुढ़ककर 11 डिग्री पर आ गया। न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री खिसककर 5 डिग्री पर आ गया। हालत यह है कि दिल्ली का अधिकतम तापमान यूरोप के बराबर पहुंच गया है। इस समय बार्सिलोना का अधिकतम तापमान 15, मैड्रिड का 9, पैरिस का 8, बर्लिन का 7 और लंदन का 6 डिग्री सेल्सियस है।
मौसम विभाग का कहना है कि अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच कम अंतर के कारण ही ठंड का प्रकोप बढ़ रहा है। पहाड़ी इलाकों में बर्फ बारी और बारिश का असर राजधानी में भी पहुंच रहा है। कोहरा भी पसरा हुआ है और सूर्यदेव के ठीक से दर्शन नहीं हो पा रहे हैं। मौसम विभाग का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में चल रहे मौसमी बदलाव के कारण आने वाले दिनों में राजधानी में बारिश भी हो सकती है। ठंड और कोहरे की मार हर तरह के ट्रैफिक पर पड़ रही है। एयरपोर्ट पर 2 उडान निरस्त हुईं, 7 के मार्ग बदले गए और 80 से ज्यादा विलंब से चलीं। 70 से ज्यादा ट्रेनें 3 से 27 घंटे लेट थीं। 35 को रीशेड्यूल किया गया और 9 ट्रेनें कैंसल की गईं।
0 वेस्टर्न डिस्टर्बेंर्स
 वेस्टर्न डिस्टर्बेंर्स यानी पश्चिमी विक्षोभ दरअसल बादलों और हवा का वह इलाका है, जो पश्चिम से पूर्व की तरफ बढ़ता है। पहले समझा जाता था कि पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागर से नमी लेकर आता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह कैस्पियन सागर से भी नमी ला सकता है। कभी-कभी यह अपने आप ही बन जाता है। सदिर्यों र्में र्दिल्ली में आम तौर पर पश्चिमी विक्षोभ की एक पूरी सीरीज आती हैए जो अपने साथ बारिश लाती है और कोहरे का कारण बनती है, क्योंकि ये नमी में बढ़ोतरी करती हैं।
 
विंड चिल फैक्टर
यह दरअसल वह तापमान है, जब किसी ठंडे दिन तेज हवाएं चलती हैं। शरीर का तापमान, जो तकरीबन 37 डिग्री से. होता है, इन ठंडी हवाओं के कारण नीचे आ जाता है। ये हवाएं तापमान में एकरूपता लाने का भी काम करती हैं। उŸार की ठंडी हवाएं, जो हिमालय की ऊंची बफीर्ली पहाडिय़ों से बहकर आती हैं, तापमान में और कमी लेकर आती हैं। विंड चिल फैक्टर सिर्फ तभी लागू होता हैए जब तापमान 10 डिग्री से. या उससे नीचे हो और हवाओं की रफ्तार 4.8 किमी. प्रति घंटा हो।
पाला
जब न्यूनतम तापमान 3 डिग्री से. से नीचे जाता है, तो नमी पौधों पर जम जाती है। यह आम तौर पर खुले ग्रामीण इलाकों में होता है, जबकि वहां हवाएं, हॉरिजोंटल और वर्टिकल दोनों, बिना रुके चलती रहें।
कोहरा
पृथ्वी की सतह पर यह बहुत हद तक बादलों जैसा होता है। कोहरा तब बनता है, जब पानी की भाप कम तापमान के दौरान सघन हो जाती है। हालांकि, जब पारा 3.5 डिग्री सेल्सियस से कम होता है, कोहरा बनना खत्म हो जाता है, क्योंकि भाप पाला (फ्रॉस्ट) में बदल जाती है। कोहरे के कारण दृश्यता 1000 मीटर से भी कम हो जाती है।

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