शुक्रवार, 1 जून 2012

कॉल सेन्टर में प्राप्त हुए 26 लाख कॉल्स

कॉल सेन्टर में प्राप्त हुए 26 लाख कॉल्स
(शिल्‍पा) 
भोपाल (साई)।आम लोगों की शिकायतें दर्ज करने और शासन की योजनाओं तथा कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए भोपाल में स्थापित कॉल सेन्टर में अभी तक 27 लाख 7 हजार से अधिक कॉल्स प्राप्त हुए हैं। इनमें से एक लाख 3 हजार से अधिक कॉल्स शिकायत निवारण के संबंध में तथा शेष कॉल्स जानकारी प्राप्त करने के लिए हैं। कॉल्स से प्राप्त शिकायतों में से 91 हजार 454 का निराकरण हो गया है।
शासन स्तर पर निर्णय लिया गया है कि कॉल सेन्टर परियोजना की समीक्षा प्रतिमाह मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में नियमित विषय के रूप में की जाएगी।
कॉल सेन्टर की स्थापना सितंबर 2008 में की गयी थी। टोल फ्री नंबर पर फोन कर किसी भी स्थान से किसी के भी द्वारा काल सेन्टर में शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है और शासन की योजनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
भोपाल स्थित इस कॉल सेन्टर की क्षमता 45 सीट की है। सेन्टर रोजाना सुबह 7 बजे से रात 11 बजे तक काम करता है। इसकी वेबसाइट का यूआरएल http://www.telesamadhan.mp.gov.in/ है। इस पर मध्यप्रदेश के किसी भी जिले से टोल फ्री नंबर 155343 एवं 1800-233-5343 पर किसी भी टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनी के नेटवर्क से निःशुल्क फोन लगाया जा सकता है।
वर्तमान में कॉल सेन्टर के माध्यम से राज्य शासन के 20 विभाग/कार्यालय की 325 सेवाओं के संबंध में जानकारी देने तथा शिकायत निवारण का कार्य किया जा रहा है। शिकायत संबंधी कॉल्स के प्रभावी निराकरण के लिए संबंधित विभाग में चार स्तर पर चिन्हित अधिकारियों को सक्षम अधिकारी बनाया गया है। प्रत्येक स्तर पर शिकायत निवारण के लिए समय-सीमा निर्धारित है। कॉल सेन्टर के माध्यम से दर्ज की गयी शिकायतों का पूरा विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध रहता है।
कॉल सेन्टर परियोजना से जुड़े सभी विभागों से विभाग स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है। विभागों से कहा गया है कि वे शिकायतों का निराकरण यथासंभव अपने ही स्तर पर कर लें। यदि शिकायत चौथे स्तर तक पहुँच भी गई हो तो उसका समय-सीमा में निराकरण हो जाए। कलेक्टरों से कहा गया है कि वे जिले में पदस्थ राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को संपूर्ण जिले का नोडल अधिकारी बनाएँ। उनसे कहा गया है कि वे यथासंभव प्रथम या द्वितीय स्तर पर ही शिकायत का निराकरण कर लें। तृतीय और चतुर्थ स्तर पर शिकायत पहुँच भी जाए, तो उसका समय-सीमा में निराकरण किया जाए।

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