.कलेक्टर की सराहनीय पहल किन्तु . . .
(शरद खरे)
नया शिक्षण सत्र आरंभ हो चुका है। पालकों के सिर पर निजि शालाओं की मंहगी फीस, मंहगे गणवेश, किताबों की आसमान छूती दरें नई समस्या बनकर खडी हैं। इसी बीच संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव का एक आदेश उनके लिए राहत का सबब बनकर सामने आया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी भरत यादव ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) एवं (2) का उपयोग करते हुए आदेश दिया है।
इस आदेश के बंधन में बंधकर, निजि शिक्षण संस्थानों को नियमों का पालन कड़ाई से करना होगा। इस आदेश के तहत कॉपी पर ग्रेड, किस्म, साइज, मूल्य, पेज की संख्या आदि की जानकारी स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिए। संबंधित स्कूल, संस्था किसी एक दुकान, विक्रेता, संस्था से खरीदने हेतु बाध्य नहीं कर सकेगा एवं विद्यालय का नाम मुद्रित नोट बुक्स (कॉपी) पर प्रतिबंधित की गई है।
विद्यालय की यूनिफॉर्म (गणवेश) पर विद्यालय का नाम प्रिंट करवा कर दुकानों से विक्रय करने अथवा एक विशिष्ट दुकान से एक विद्यालय की गणवेश बेचना प्रतिबंधित रहेगा। विद्यालय में कक्षाओं में रिफ्रेन्स बुक के लिए शिक्षाविदों की कमेटी गठित करने के लिए निर्देशित किया गया है। अब संस्थागत पी.टी.ए. द्वारा निर्धारित पुस्तक एवं प्रकाशक के नाम की सूचना शाला प्रबंधक द्वारा सूचना पटल पर चस्पा कर ही जारी की जा सकेगी।
इसी प्रकार पुस्तक एक ही स्थान से क्रय करने संबंधी कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। कोई भी दुकानदार या विक्रेता, कॉपी एवं किताब का सेट बनाकर विक्रय नहीं करेगा। उक्त कक्षाओं की पुस्तकों का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि कम से कम तीन सत्र तक उसमंे परिवर्तन न हो।
स्कूलों में लगने वाले यूनिफॉर्म, टाई, बैच, बेल्ट, कवर, स्टीकर का रंग, प्रकार आदि के संबंध में पी.टी.ए. द्वारा तय करके पूर्व घोषणा विद्यालय द्वारा की जावेगी, जो छात्र, पालकों द्वारा खुले बाजार से क्रय किए जा सकेंगे। मोनोग्राम, कव्हर, स्टीकर विद्यालयों द्वारा न्यूनतम मूल्य पर दिये जा सकते हैं। यूनिफॉर्म बाजार से क्रय करने की छूट रहेगी एवं किसी एक स्थान से क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जावेगा।
जिला कलेक्टर का यह कदम सराहनीय ही माना जाएगा, किन्तु एक बात में संशय ही दिख रहा है। वह यह कि जब निजि शिक्षण संस्थाओं द्वारा देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेशों को ही दरकिनार कर प्रवेश के समय दस से तीस हजार रूपए राशि बिना किसी रसीद के वसूली जा रही है तब जिला कलेक्टर के आदेश की तामीली किस स्तर पर हो पाएगी, कहा नहीं जा सकता है। कमोबेश हर शिक्षण संस्थान में प्रवेश के समय मोटी रकम की मांग की जा रही है। इसकी रसीद मांगने पर बाहर का रास्ता तक दिखाया जा रहा है। जिला कलेक्टर भरत यादव से जनापेक्षा है कि कम से कम इस आदेश को मॉनिटरिंग में रख लें और हर सप्ताह इसकी मानिटरिंग करें, अगर ऐसा हुआ तो निजि शिक्षण संस्थानों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के पालक लंबे समय तक भरत यादव को याद रख पाएंगे।
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