गुरुवार, 25 जुलाई 2013

क्या नाव किराए पर लेगी नगर पालिका!

क्या नाव किराए पर लेगी नगर पालिका!

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। शहर में यह चर्चा आम हो गई है कि अपने कर्तव्यों के निर्वहन में पूरी तरह असफल नगर पालिका परिषद को अब नाव किराए पर ले लेनी चाहिए, क्योंकि जरा सी बारिश होने पर सारा शहर तालाब में तब्दील हो जाता है। सड़कों पर भरे पानी के कारण सड़कों के गड्ढ़े दिखाई नहीं पड़ते हैं और लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि शहर में लगातार हो रही बारिश के कारण शहर की अधिकांश सड़कें जलमग्न हो जाया करती हैं। कहा जा रहा है कि दूरदृष्टि के अभाव में पहले आओ पहले पाओ (कमीशन) के चलते जहां देखो वहां मनमर्जी की सीमेंट की कमजोर सड़कें बन चुकी हैं। इन सड़कों के आजू बाजू नालियां ही नहीं हैं। जहां नालियों के टेंडर हो चुके हैं वहां महीनों से नालियां नहीं बन पाई हैं।
वार्डवासियों के अनुसार जब नालियों का टेंडर लेने वाले ठेेकेदार से पूछा जाता है तो उनके द्वारा स्पष्ट कहा जाता है कि टेंडर लेने से क्या होता है। अध्यक्ष जी ने मना किया है कि फलां वार्ड का पार्षद, फलां पत्रकार, फलां नेता बदमाश है उसके वार्ड में, उसके घर के पास काम अभी नहीं करना है।
इसी के चलते नालियां ना होने, होने तो सफाई ना हो पाने के कारण गंदा बदबूदार पानी सड़कों पर से बहकर बीमारी को न्योता दे रहा है। दुर्गाचौक में मंदिर के सामने से नेहरू रोड़ को जोड़ने वाले मार्ग पर तो जरा सी बारिश में पानी सड़क के उपर लबालब हो जाता है जिसमें नाली की गंदगी उतराती दिख जाती है।
सड़कों पर भरे पानी के कारण दुपहिया वाहन सवारों को यह अंदाज लगाना मुश्किल होता है कि सड़क पर कहां, कितना बड़ा, कितना गहरा गड्ढ़ा है, और फिर क्या छपाकवाहन गड्ढ़े में जाकर समा जाता है एवं सवार गंदे पानी में ढेर। स्कूली छात्र छात्राओं को कमोबेश रोजना ही इस तरह की समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है।
सावन आने के पहले अषाढ़ माह में ही इंद्रदेव पहले तो मेहरबान दिखे पर फिर लगा कि प्रकृति से छेड़छाड़ से वे कुपित हो गए हैं और धरती वासियों को अपने कोप का भाजन बना रहे हैं। अषाढ़ में हुई अनवरत बारिश से शहर जब तब तालाब में तब्दील हो चुका है।

शहर की इस बदहाल स्थिति को देखकर अब लोग मन ही मन यह कहने पर मजबूर हो रहे हैं कि नगर पालिका परिषद को चाहिए कि लोकल ट्रांसपोटेशन (स्थानीय परिवहन) के लिए पालिका को अब बारिश के चार माह के लिए नाव किराए पर ले लेना चहिए, ताकि लोग नाव से एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले आ-जा सकें, इससे लोगों के वाहन के तेल की बचत के साथ ही साथ दुर्घटनाएं भी कम हो जाएंगी।

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