गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

6800 करोड़ रूपए हो गई पावर प्लांट की लागत


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 26

6800 करोड़ रूपए हो गई पावर प्लांट की लागत

आवश्यक्ता से अधिक जमीन का किया झाबुआ पावर ने अधिग्रहण

गुपचुप जनसुनवाई से प्रदूषण नियंत्रण मण्डल भी है संदेह के दायरे में


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। उद्योग के क्षेत्र में मशहूर हस्ती गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा गु्रप के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा देश के हृदय प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से महज सौ किलोमीटर दूर बनाए जा रहे 1260 मेगावाट के पावर प्लांट की 22 नवंबर को जनसुनवाई की गुपचुप तरीके से हुई कार्यवाही से मध्य प्रदेश का प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (पीसीबी) भी संदेह के दायरे में आ गया है।

संयंत्र के निर्माण स्थल के करीब ही हुई जनसुनवाई में मौके पर संयंत्र के अधिकारियों और पीसीबी के कारिंदों ने मण्डल की वेब साईट पर पूरी जानकारी नहीं डलने की बात स्वीकार कर सभी को आश्चर्य में डाल दिया था। उसी वक्त लगने लगा था कि गौतम थापर के मुलाजिमों ने मध्य प्रदेश की पीसीबी को पूरी तरह सैटकर रखा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2900 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाले इस पावर प्लांट की लागत रातोंरात आश्चर्यजनक तरीके से बढ़कर 6800 करोड़ रूपए हो गई है।

22 नवंबर को हुई जनसुनवाई की कार्यवाही का सारांश भी इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वेब साईट पर नहीं डाला गया है, जनसुनवाई के एक पखवाड़े के उपरांत भी इस कार्यवाही का विवरण वेब साईट पर उपलब्ध न होने से मध्य प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की नीयत पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं। पीसीबी की वेब साईट में सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला में प्रस्तावित झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट के डाले गए कार्यकारी सारांश में महज 600 एकड़ भूमि की आवश्यक्ता दर्शाई गई है।

जनसुनवाई के दौरान संयंत्र के प्रभारी मिश्रा ने बताया कि झाबुआ पावर लिमिटेड ने वहां आठ सौ एकड़ से ज्यादा जमीन खरीद ली है एवं अभी डेढ़ दो सौ एकड़ भूमि और खरीदा जाना बाकी है। इस तरह पीसीबी के पास जमा कराए गए दस्तावेज और जमीनी हकीकत दोनों ही अलग अलग होने से अनेक संदेह अपने आप उतपन्न हो जाते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि जनसुनवाई के वक्त मौके पर प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के जिम्मेदार अधिकारियों के सामने यह तथ्य उजागर किया गया फिर भी वे खामोशी से सब कुछ सुनते रहे। जनचर्चा है कि पीसीबी के अधिकारियों को गौतम थापर ने अपनी जेब में ही रख लिया है।

(क्रमशः जारी)

कोई टिप्पणी नहीं: