शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

दिग्विजय सिंह से इत्तेफाक नहीं रखती सिवनी की कांग्रेस


दिग्विजय सिंह से इत्तेफाक नहीं रखती सिवनी की कांग्रेस

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह की बात से केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के प्रभाव वाले और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की कर्मभूमि वाले जिले की कांग्रेस ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखती है। यही कारण है कि प्रदेश में आदिवासियों की जमीनों की बिक्री की अनुमति देने की जांच की राजा की मांग से जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी को कोई सरोकार नहीं दिख रहा है।
ज्ञातव्य है कि कांग्रेस महासचिव एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से टीकमगढ, मुरैना और श्योपुर जिलों में आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति देने की जांच कराने का अनुरोध किया है। इसके पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में सिवनी जिले की जमीनों का मामला उठने की खबर है, किन्तु दिग्विजय सिंह ने महाकौशल के बारे में आश्चर्यजनक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।
सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में भाजपा के भ्रष्टाचार निवारण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अनिल माहौर द्वारा लिखे गये पत्र का हवाला देते हुए कहा कि माहौर ने भी उक्त जिलों में आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति देने की जांच कराने का अनुरोध किया है। सिंह ने अपने पत्र में कहा कि इसी प्रकार भिंड जिले में भी इस प्रकार के मामलों में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायते हैं और इस बारे में उन्होंने (सिंह ने) पहले भी शिकायत की थी लेकिन उस बारे में क्या कार्रवाई हुई उसका आज तक पता नहीं चल सका है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब तो भाजपा कार्यकर्ता भी आरोप लगा रहे हैं। उस बारे में क्या कार्रवाई हुई उसके बारे में अवगत कराया जाए। कहा जा रहा है कि अनेक जिलों में जिला भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्षों और पदाधिकारियों द्वारा आदिवासियों की जमीन की दलाली के आरोप लग रहे हैं। कुछ की शिकायतें आज भी जिला कलेक्टर्स के पास लंबित हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासियों की जमीनों की खरीदी बिक्री व्यापक पैमाने पर होने की शिकायतें की गईं थीं। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े जिला इकाई के अनेक सदस्यों पर भी आदिवासियों के द्वारा जमीन खरीदी बिक्री के आरोप हैं। इनकी शिकायतें भी अभी तक लंबित ही हैं। कहा जा रहा है कि प्रशासन भी भाजपा पर दबाव बनाए रखने के लिए इन शिकायतों का निराकरण नहीं कर रहा है।
यहां एक बात गौरतलब है कि सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा पावर प्लांट की स्थापना करवाई जा रही है। इसमें भी आदिवासियों को उनकी जमीनों का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने के आरोप लगे थे। यहां तक कि आदिवासियों ने भरी गर्मी में घंसौर के ग्राम बरेला में संयंत्र के निर्माण स्थल के सामने घरना भी दिया था।
यह सब देखने सुनने के बाद भी जिला कांग्रेस कमेटी, ब्लाक कांग्रेस कमेटी ने गरीब गुरबे आदिवासियों की पीठ पर हाथ रखना अपनी गरिमा के प्रतिकूल ही समझा। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि महाकौशल में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर का झंडा डंडा उठाने वाले नेताओं को झाबुआ पावर प्लांट में करोड़ों के काम दिए गए हैं, जो स्थानीय स्तर पर आदिवासियों को बेवबूफ बनाकर अपना हित साध रहे हैं।

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