बुधवार, 18 मार्च 2009

१८ मार्च हिन्दी

मध्य भारत में प्रहलाद, उमा बिना भाजपा बौनी!
मध्य प्रदेश में दोनों ही को वापस लाना भाजपा की अजबूरी
प्रहलाद को दिमाग तो उमा को काया मानते हैं भाजपाई
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 18 मार्च। राजग के पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आड़वाणी हर हाल में 7 रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री के अधिकृत आवास) पर कब्जा जमाना चाहते हैं, अपनी इस मुहिम में उन्हें संघ के साथ ही साथ कभी भाजपा की तेज तर्रार नेत्री रहीं उमाश्री भारती एवं राजनैतिक बिसात बिछाने के धनी प्रहलाद सिंह पटेल की जरूरत महसूस हो रही है।सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश सहित अन्य सूबों में लोधी मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में करने की गरज से आड़वाणी ने भाजश की फायर ब्रांड नेत्री उमाश्री भारती और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की घर वापसी की संभावनाअों पर गभीरता से विचार आरंभ कर दिया है।भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रहलाद सिंह पटेली के भाजपा प्रवेश में सबसे बड़ा अडंगा सूबे के भाजपाध्यक्ष नरेंद्र तोमर ने लगाया हुआ है। सूत्रों की माने तो इस मामले में तोमर और शिवराज सिंह चौहान के बीच गर्मागर्म बहस भी हो चुकी है। भाजपा के आला नेता वैसे भी प्रहलाद पटेल की राजनैतिक समझबूझ के कायल रह चुके हैं, साथ ही वे उमाभारती के तीखे तेवरों और हिन्दुत्व के मुद्दे पर उनके आक्रमक रूख से भाजपा को काफी लाभ पहुंचा है। कई भाजपा नेता तो भारतीय जनशक्ति पार्टी के दिमाग के रूप में प्रहलाद तो काया के रूप में उमाश्री भारती को आंकते नजर आते हैं।पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजश के एक गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रहलाद पटेल के भाजपा प्रवेश एवं होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से टिकिट देने हेतु भाजपा का एक घड़ा आतुर दिखाई दे रहा है। सूत्रों का दावा है कि होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र पर चर्चा शुरू होने पर जैसे ही शिवाराज ने प्रहलाद पटेल का मामला रखा वैसे ही तोमर हत्थे से उखड़ गये और उन्होंने कहा कि आप अपने साथियों को पुरुस्कार देने के बजाय गद्दारों को क्यों इनाम देना चाहते हैं।बताते है कि तोमर ने यह धमकी भी दी कि यदि प्रहलाद पटेल को टिकिट के साथ प्रवेश दिया जाता है तो भाजपा के चालीस से अधिक विधायक भाजपा से त्यागपत्र दे देंगें। तोमर के तीखे तेवरों और राजनाथ और सुषमा स्वराज के सपोर्ट के रहते और इस मौके पर आडवानी की चुप्पी से ना केवल मामला टल गया वरन शिवराज के खास रामपाल सिंह को टिकिट भी दे दिया गया।भाजपायी सूत्रों का दावा है कि इस मामले में तोमर को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा और सुषमा स्वराज के साथ ही पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह का भी परोक्ष रूप से सहयोग मिल रहा हैं। पटवा का प्रहलाद विरोधी होना और सुषमा की उमा भारती से तनातनी जगजाहिर हैं। इन कारणों से यह समीकरण बना हैै। बताया जाता है कि इसी राजनैतिक समीकरण के तहत प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन तमाम सीमाओं को लांघकर प्रहलाद पटेल का विरोध कर रहें हैं और आचार संहिता उल्लंधन के मामले में बिसेन के खिलाफ बाकायदा पुलिस में जिला निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट पर मामला दर्ज होने के बाद भी सुषमा स्वराज खुलकर बिसेंन के पक्ष में खड़ी दिखायी दे रहीं हैं।उधर प्रदेश के भाजपायी सूत्र बताते है कि पिछले दिनों दक्षिण भारत के दौरे पर जाते वक्त आडवानी ईंधन भराने भोपाल में उतरे थे उस दौरान मुख्यमंत्री शिराज सिंह से हवाई अìे पर हुई चर्चा में आडवानी ने उन्हें हरी झंड़ी दे दी थी। इसके बाद ही प्रहलाद की शीघ्र वापसी की खबरों ने जोर पकड़ लिया था। लेकिन तनातनी के दौरान मौजूद आडवानी की चुप्पी रहस्यमयी हो गयी हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का मनना है कि प्राइमिनिस्टर इन वेटिंग आडवानी जेटली राजनाथ विवाद, मोदी मुद्दे आदि से इतने परेशान हो चुके हैं कि किसी नये विवाद में अपने आप को उलझाना उचित नहीं समझ रहें हैं। भाजपा के इस लोह पुरुष की यह राजनैतिक लाचारी पार्टी में उनकी पकड़ के बारे में बिना कुछ कहे बहुत कुछ अपने आप ही बहुत कुछ कह जाती हैं।जानकार सूत्रों का यह भी दावा है कि भाजपा के पास अब कद्दावर लोधी नेता का आभाव हो गया हैं। हाल ही में कल्याण सिंह के मुलायम के साथ हो जाने तथा साक्षी महाराज और साध्वी उमा भारती के नाता तोड़ लेने के बाद लोधी नेता की कमी प्रहलाद की वापसी में निर्णायक साबित हो सकती हैं।
आडवाणी पितातुल्य हैं, बीजेपी का प्रचार करूंगी उमा
(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली।बीजेपी के सीनियर नेता लाल—ष्ण आडवाणी को हाल तक अपना निशाना बनाती रहÈ भारतीय जनशक्ति पार्टी सुप्रीमो उमा भारती ने कहा कि आडवाणी उनके पितातुल्य और राजनाथ सिंह भाई समान हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करेंगी।वैसे भी टीकमगढ़ से विधानसभा चुनाव में करारी हार का स्वाद चख चुकीं उमाश्री भारती के घर वापसी के मार्ग प्रशस्त होते दिखाई पड़ रहे हैं, इन परिस्थितियों में उनके नरम तेवर एक राजनीति का हिस्सा ही माना जा रहा है। दिल्ली में संवाददाताओं से चर्चा के के दौरान उन्होंने अपना इरादा साफ करते हुए कहा कि दो महीने तक ऐसा कोई काम नहÈ करना चाहती जिससे आडवाणी के लिए समस्या खड़ी हो। मैं उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती हूं और इसके लिए भरपूर प्रयास करूंगी। उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी बीजेएस का बीजेपी में विलय नहÈ करेंगी, लेकिन बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करेंगी

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