मंगलवार, 4 अगस्त 2009

0 फोरलेन विवाद
पुरातन महत्व का है एन एच 7

0 शेरशाह सूरी के जमाने के मुख्य मार्ग के अवसान की तैयारी!

(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। मुगल शासक शेरशाह सूरी के जमाने में मुख्य मार्ग का खिताब पाने वाले बनारस से कन्याकुमारी तक जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात के अवसान की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। देश भर में वनों की कटाई एवं वन्य जीव संरक्षण को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित एक याचिका एवं सिवनी जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी पिरके चलते इसकी बली चढ़ाई जाने वाली है।
गौरतलब होगा कि इस मार्ग का मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा राजमार्ग विकास प्राधिकरण (एनएचएआई) ने अधिगृहित कर इसको अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की महात्वाकांक्षी स्विर्णम चतुभुZज के उत्तर दक्षिण गलियारे में शामिल कर लिया गया है। 2396 किलोमीटर लंबे इस राजमार्ग का लखनादौन से कन्याकुमारी तक का 1828 किलोमीटर का हिस्सा उत्तर दक्षिण गलियारे तो बंगलुरू से कृष्णागिरी तक का 94 किलोमीटर का हिस्सा स्विर्णम चतुभुZज में शामिल कर लिया गया है। यह अलहदा बात है कि भूतल परिवहन मंत्रालय की वेव साईट में अभी भी यह हिस्सा एनएच 7 का ही हिस्सा दर्शाया जा रहा है।
देश के सबसे लंबे और व्यस्ततम राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात उत्तर प्रदेश के बनारस से आरंभ होकर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिल नाडू राज्यों से होकर गुजरता है। इन राज्यों में इसकी लबाई यूपी में 128, एमपी में 504, महाराष्ट्र मे 232, आंध्रा में 753, कर्नाटक में 125 एवं तमिल नाडू में 627 किलोमीटर है।
यह एनएच देश के अनेक एन एच को स्पर्श करता हुआ जाता है। एनएच 2, 29 एवं 56 को बनारस, 27 को मनगवां, 75 को रीवा, 78 को कटनी, राष्ट्रीय राजमार्ग 12 को जबलपुर, 26 को लखनादौन, 69 एवं 6 को नागपुर, 16 को आमरोन, 202 एवं 9 को हैदराबाद, 18 को कुरनोल, 63 को गोटी, 206 को अनंतपुर, 4 एवं 209 को बंगलुरू, 44, 66 एवं 219 को कृष्णागिरी, 68 एवं 47 को सेलम, 67 को कारूर एवं 209 एवं 45 को डिंडीगुल 49, 208 एवं 45 बी को मदुरई, 7 ए को लुरनालवली एवं 47 को कन्याकुमारी में स्पर्श करता है।
चूंकि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 07 पूर्व में सैकड़ों साल से उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच जीवन रेखा के तौर पर संचालित होता रहा है, इसलिए इसके पुरातन महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके बड़े भाग को एनएचएआई द्वारा उत्तर दक्षिण गलियारे में लिए जाने से इसकी महत्ता और अधिक बढ़ गई है, किन्तु बताया जाता है कि विघ्नसंतोषियों के चलते मध्य प्रदेश में नरसिंहपुर से बरास्ता लखनादौन, सिवनी नागपुर को इससे अलग करने का सुनियोजित षणयंत्र भी चलाया जा रहा है।

---------------------------

चालक को बना दिया अधिकारी!

0 केट ने भेजा उपसंचालक भोपाल को नोटिस!

0 आई एण्ड बी मिनिस्ट्री के पास अधिकारियों का टोटा!

(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की फील्ड पब्लिसिटी की भोपाल स्थित शाखा प्रमुख द्वारा एक चालक को फील्ड पब्लिसिटी असिस्टेंट (एफपीए) बनाने के मामले में शास्त्री भवन स्थित सूचना प्रसारण मंत्रालय में हड़कम्प मचा हुआ है। इस मामले में केट ने उक्त अधिकारी को एक नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की महात्वाकांक्षी योजना ``भारत निर्माण`` के मध्य प्रदेश और गुजरात प्रमुख विजय अग्रवाल द्वारा स्वेच्छिक सेवानिवृति लिए जाने के उपरांत दूरदर्शन भोपाल में पदस्थ डिप्टी डायरेक्टर न्यूज मनीष गौतम को इसका प्रभार दे दिया गया है।
आई एण्ड बी मिनिस्ट्री के पास अधिकारियों की कमी इस कदर है कि भोपाल में सूचना प्रसारण मंत्रालय की तीन शाखाओं दूरदर्शन, आकाशवाणी और फील्ड पब्लिसिटी का कार्यभार अकेले मनीष गौतम ही संभाल रहे हैं।
शास्त्री भवन स्थित मंत्रालय के मुख्यालय में चल रही चर्चाओं के अनुसार सेटिंग के धनी उक्त अधिकारी ने भोपाल में अंगद की तरह पांव जमा लिए हैं। दूरदर्शन हो या आकाशवाणी या फिर फील्ड पब्लिसिटी का कार्यालय हर जगह उक्त अधिकारी की ही तूती बोल रही है।
उधर बताया जाता है कि इनकी बात न मानने वाले कर्मचारियों का तबादला तक कराने की कूबत रखने वाले उक्त अधिकारी ने पिछले अपने भोपाल के कार्यकाल में व्यापक फेरबदल करवाकर अपनी कुर्सी सलामत रखी है। आई एण्ड बी मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि उक्त अधिकारी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की जांच भी विभाग के पास लंबित है, जिसमें जिलों में पदस्थ संवाददाताओं से इन्होंने प्रशस्ति पत्र बुलवाकर मुख्यालय को भी भेजे थे।

कोई टिप्पणी नहीं: