सोमवार, 14 सितंबर 2009

मौका है सुधार लो यमुना की हालत

फिर उफनाई शीला की टेम्स

(लिमटी खरे)


विदेशी आक्रांताओं के जुल्मों की गवाह रही इंद्रप्रस्थ, दिल्ली, देहली आदि नामों से पुकारी जाने वाली सदियों से सत्ता का केंद्र बिन्दु रही देश की राजनैतिक राजधानी से कल कल बहने वाली यमुना नदी एक बाद फिर पूरे शबाब पर है। मीडिया चीख चीख कर कह रहा है कि दिल्ली में बाढ़ आ गई है।

दिल्ली में वाकई बाढ़ आई है, किन्तु जीवनदायनी यमुना के कारण नहीं। इस महानगर की जल मल निकासी की खराब और कमजोर प्रणाली के कारण। जरा सी बारिश में दिल्ली मेें यातायात अवरूद्ध हो जाता है। दिल्लीवासी असहनीय जाम से दो चार हो जाते हैं। जाम में फंसे मरीज की सांसे हलक में अटकी होती हैं, किन्तु दिल्ली पर शासन करने वाले निजामों के कानों में जूं भी नहीं रेंगतीं। हमारी आवाज भी उनके दरबार में नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित हो सकती है। किन्तु इसका यह मतलब नहीं कि हम इसका प्रतिकर न करें।

इसी साल जून माह में दिल्ली की कुर्सी पर तीसरी मर्तबा बैठने वाली कांग्रेस की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित ने चिंघाड़ कर कहा था कि यमुना को लंदन की टेम्स नदी नहीं बनाया जा सकता है। तब हमने अपने आलेख ``यमुना को टेम्स नहीं यमुना ही बने रहने दीजिए शीला जी`` यही लिखा था कि कम से कम इसे पुराने स्वरूप में तो लाया ही जा सकता है।
एक दशक से अधिक समय से दिल्ली में शीला दीक्षित निश्कंटक राज कर रहीं हैं। दिल्ली में यमुना नदी गंदे सड़ांध मारते बदबूदार नाले में तब्दील हो चुकी है। एयर कंडीशन्ड वाहनों में बैठकर जाने वाले राजनेता इसकी सड़ांध को महसूस नहीं कर सकते किन्तु अपने अपने साधनों से या ब्लूलाईन में सफर करने वाला आम दिल्ली वासी इस नदी की दुर्दशा महसूस कर आंसू बहाने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकता है।

पिछले दिनों अचानक उफान पर आई यमुना में साफ स्वच्छ जल को देखकर आम दिल्लीवासी आल्हादित हुए बिना नहीं रहा होगा। आदिकाल के कवि रहमान, कबीर आदि आज अगर जिंदा होते तो सालों बाद दिखने वाली यमुना की लहरों की अटखेलियों पर निश्चित तौर पर छंद लिख चुके होते।

यमुनोत्री से इलहाबाद के संगम तक यमुना 1375 किलोमीटर का लंबा सफर तय करती है। दिल्ली से पहले स्वच्छ निर्मल जल को लेकर आने वाली यमुना दिल्ली के बाद बुरी तरह प्रदूषित हो जाती है। यमुना के प्रदूषण में दिल्ली की भागीदारी 80 फीसदी से भी अधिक है। वजीराबाद से ओखला बैराज तक का 22 किलोमीटर लंबा यमुना का हिस्सा सबसे अधिक प्रदूषण की चपेट में है।

मुख्यमंत्री खुद स्वीकार करतीं हैं कि यमुना नाले में तब्दील हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि यमुना एक्शन प्लान एक और दो में 2800 करोड़ रूपए तो खर्च हुए हैं किन्तु ठोस तकनीक न होने से इसका वांछित परिणाम सामने नहीं आया। हम शीला दीक्षित को याद दिलाना चाहते हैं कि जो व्यय हुआ है, वह उन्हीं के शासनकाल में हुआ है, और अगर जनता के गाढ़े पसीने की कमाई को बिना परिणाम या ठोस तकनीक के बहाया गया है तो क्यों न इसे तैयार करने और अमली जामा पहनाने वालों पर जनता के धन के अपव्यय का आपराधिक मुकदमा चलाया जाएर्षोर्षो

कहा जाता है कि मथुरा के उपरांत यमुना का स्वरूप स्याह हो गया है। इसके पीछे कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का जब मर्दन किया था, उसके उपरांत उसके जहर से यह नदी काले रंग में रंग गई थी। यद्यपि भगवान कृष्ण की लीलाओं के चलते यह जहर किसी के लिए प्रणघातक नहीं बना। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में राजनैतिक संरक्षण प्राप्त कालिया नागों (औद्योगिक एवं अन्य प्रकार के प्रदूषण) से जीवनदायनी पुण्य सलिला यमुना दिल्ली से ही स्याह रूप धारण कर आगे बढ़ जाती है।

आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि यमुना की गंदगी को पिछले तीन दशकों में प्रकृति ने महज पांच बार ही धोया है। सितम्बर 1978 में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से काफी उपर (207.49 मीटर) था। इसके एक दशक बाद सितम्बर 1988 में जलस्तर 206.92 पहुंचा फिर सितम्बर 1995 में 206.83, सितम्बर 2008 में 206 मीटर फिर इस साल यह सितम्बर ही माह में 205.28 मीटर तक पहुंचा है।

यमुना में जलस्तर बढ़ने के साथ ही साथ इसकी गंदगी अपने आप ही बहकर आगे चली जाती है। विडम्बना ही कही जाएगी कि यमुना का जलस्तर जैसे जैसे कम होता है वैसे ही दिल्ली से निकलने वाली गंदगी इसे पुन: गंदे नाले में तब्दील कर देती है। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव में यमुना का पुनरूद्धार संभव नहीं हो पा रहा है।

यमुना नदी लंदन की टेम्स नदी नहीं बन सकती, मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की यह बात अक्षरश: सत्य है। यमुना में जलस्तर वर्तमान काफी अधिक है, यमुना की गंदगी इसके पानी में घुलकर दूर जा चुकी है। आने वाले दिनों में यमुना का जलस्तर कम होगा। यही सही मौका है, केंद्र और राज्य सरकार को चाहिए कि अगले साल होने वाले राष्ट्रमण्डल खेल और भविष्य को ध्यान में रखते हुए यमुना में गंदगी का प्रवाह रोकने की दिशा में कठोर कदम उठाए। हो सकता है कड़े कदम राजनैतिक प्रश्रय प्राप्त लोगों के लिए अप्रिय हों, पर बुखार उतारने के लिए ``कुनैन`` की कड़वी दवा खानी ही पड़ती है।

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त्योहारों में खलल डालने की तैयारी में हैं आतंकी संगठन

0 दुनिया के चौधरी ने चेताया पर्याटकों को

0 लंदन के अखबार ने भी किया खुलासा!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मुस्लिमों के पाक महीने रमजान की समाप्ति पर मनने वाली ईद और हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक दशहरा और दीपावली पर दुनिया भर में कहर बरपाने वाले आतंकवादी संगठन भारत में कहर बरपा सकते हैं। दुनिया के चौधरी अमेरिका ने भारत की ओर रूख करने वाले अमरिकी पर्याटकों को इस संबंध में चेतावनी जारी की है। इसके साथ ही साथ लंदन के प्रमुख अखबार संडे टेलीग्राफ ने भी इनकी हरकतों का खुलासा किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बीते शनिवार को भारत यात्रा पर जाने वाले विजिटर्स को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि ईद, दशहरा और दीपावली पर आतंकवादी संगठन हिन्दुस्तान की सरजमीं पर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।
बताया जाता है कि अमेरिका के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि सितम्बर और अक्टूबर माह में हिन्दुस्तान की यात्रा पर जाने वाले अमेरिकी नागरिकी बहुत ज्यादा एहतियात बरतें और यह कोशिश करें कि वे भीड़भाड़ वाले इलाकों से न केवल दूर रहें वरन् लोगों की नजरों में आने से भी बचें।

सूत्र बताते हैं कि अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में मुंबई में हुए देश के सबसे बड़े आतंकवादी हमले का जिकर करते हुए कहा है कि होटल और सार्वजनिक स्थल आतंकवादियों की पहली पसंद होते हैं। यात्रा के दौरान उन्हें हिदायत दी गई है कि वे स्थानीय समाचार पत्रों में छपी खबरों का विशेष ध्यान रखें।

इसके साथ ही साथ होटल, रेस्टारेंट, एंटरटेनमेंट प्लेसेस, धार्मिक स्थानों एवं सार्वजनिक स्थानों में जाने के पूर्व वहां मौजूद सुरक्षा संसाधनों एवं उनके स्तर का भी विशेष ख्याल रखें।
उधर ब्रितनी अखबार संडे टेलीग्राफ ने भी आतंकवादियों की हरकतों का खुलासा करते हुए साफ किया है कि हिन्दुस्तान में 2001 में संसद में हुए हमले के लिए जिम्मेदार अतंकवादी संगठन ``जैश ए मोहम्मद`` एक बार फिर से किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी में है।

अखबार के मुताबिक इस संगठन ने पाकिस्तान के बहावलपुर कस्बे में अपना बेस केम्प बनाया हुआ है। केंप में जगह जगह पर भारत विरोधी नारे और लाल किले का नक्शा भी चिपकाने की बात अखबार द्वारा कही गई है। इसमें प्रकाशित खबर में कहा गया है कि केंप की दीवारों पर हिन्दुओं और यहूदियों के खिलाफ नारे भी बुलंद हैं।

संडे टेलीग्राफ ने आगे कहा है कि इस संगठन के लिए वहावलपुर कस्बा बड़ी ही मुफीद जगह है। यहां संचालित होने वाले एक हजार से अधिक मदरसों में जेहादी पाठ पढाया जा रहा है। गौरतलब होगा कि आईएसआई की मदद से अस्तित्व में आए इस संगठन का मुखिया मसूद अजहर है।

1999 में एक अपहृत विमान के यात्रियों को छोड़ने की कीमत पर अजहर को भारत सरकार द्वारा रिहा किया गया था। दुनिया के चौधरी अमेरिका ने इसे विदेशी आतंकवादी गुट करार दिया जा चुका है। दुनिया भर के दवाब के चलते पाकिस्तान ने इस संगठन पर 2002 में प्रतिबंध लगा दिया था।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

यमुना में बाढ़ के खतरे की खबर टीवी पर सुन रहे हैं.

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.

जय हिन्दी!

Abhishek ने कहा…

आज कल बेबाक बातें करने वाले कम ही मिलते है और आपकी पत्रकारिता उन सबमे अनूठी नज़र आती है,,,,,,,,,,,


जारी रखें यही दुआ है..........