शनिवार, 2 जनवरी 2010

नये साल की खुशी में डूबने से पहले

नये साल की खुशी में डूबने से पहले

एडविन

साल 2010 की पहली भोर हमारे जीवनों में शामिल हो चुकी है और हमारे चेहरे की उमंग ये बताने के लिए काफी है कि हमारे मन में किस कदर खुशी से लवरेज़ हैं। लेकिन नववर्ष की खुशी में डूबने से पहले हमारे लिए इन महत्वपूर्ण बातों पर गौर करना भी बेहद जरूरी है। मसलन बीते साल की मंहगाई ने जिस बेरहमी से गरीबों की थाली से रोटी छीनीए वो अपने आप में तकलीफ देने वाला है। साल के शुरूआत में दाल जहां 40 रूपए किलो मिल रही थी वहीं अब इसकी कीमत 110 रूपए से भी ऊपर पहुंच चुकी है। इसके अलावा ट्रेनए बसए पानीए बिजली के साथ ही दूसरी चीजों पर बढ़े दामों ने आम आदमी का जीना दुश्वार कर दिया। वहीं गरीबी कम होने का झूठा खेल खेलने वाली सरकार का काला चिठ्ठा एक सरकारी रिपोर्ट ने खोल कर रख दी। इस रिपोर्ट के तहत देश का हर तीसरा आदमी दो वक्त की रोटी के लिए भी तरस रहा है लेकिन सरकार सिर्फ आंकड़े गिनाने में ही जुटी हुई है। वहीं सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि देश के आधे से अधिक हिस्से पर नक्सलियों का कब्जा है। खुद ग़ृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा है कि देश के 20 राज्यों के 223 जिलों पर नक्सलियों अपनी पकड़ काफी मज़बूत कर चुके हैं। राजनीति में भी मधु कोड़ा ने चार हज़ार करोड़ रूपए का घोटाला करके हड़कंप मचा दिया तो आन्ध्रप्रदेश के राज्यपाल एनडी तिवारी के सेक्स स्कैंडल ने भारतीय सियासत को शर्मसार कर दिया। इसके अलावा जनता की हिफाजत करने वाली पुलिस के एक अधिकारी एसपीएस राठौर ने रूचिका को अपने पद के रसूख के चलते खुदकुशी के लिए मजबूर करके पुलिस की वर्दी पर एक और बदनुमा दाग़ लगा दिया है। बहरहाल ये सब ऐसे सवाल हैं जो मुल्क़ की आने वाली रणनीति तय करेंगे। इसलिए अगर हम इस नये साल के जश्न में पूरे देश के लोगों के साथ शामिल हों तो ये इन दागदार और बदनाम जमात के लोगों को सिस्टम से बाहर खदेड़ने के लिए काफी अहम और महत्वपूर्ण कदम होगा।

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