मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

बढता ही जा रहा है लाल गलियारा 350 वी पोस्ट

देश को परिपक्व गृह मन्त्री की दरकार - - - (4)
   
350 वी पोस्ट

बढता ही जा रहा है लाल गलियारा 
उत्तर भारत में नक्सलियों की बढ रही है पैठ
 
(लिमटी खरे)

भाजपा के नए अध्यक्ष का यह कहना कि नक्सलवाद की पैठ पशुपतिनाथ से लेकर तिरूपति तक है, को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। आज के परिदृश्य को देखकर लगने लगा है कि नक्सलवाद का जहर आधे से अधिक हिस्से को लकवाग्रस्त कर चुका है और देश प्रदेश के शासक नीरो की तरह चैन की बंसी बजा रहे हैं, मानो कुछ हुआ ही न हो। एक के बाद एक जवानों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, और देश के शासक कह अपनी भूल मानकर ही कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। सबसे बडे विपक्षी दल का खिताब हासिल करने वाली भाजपा ने भी इस मामले में एकाध बयान जारी कर अपना कर्म पूरा कर लिया है। जनता मरती है, तो मरती रहे हम तो मलाई काटेंगे की तर्ज पर शासक अपने आवाम का ख्याल रख रही है, जो निन्दनीय ही कहा जाएगा।
 
पहले तो पश्चिम बंगाल, बिहार, उडीसा, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीगढ, आंध्र प्रदेश जैसे सूबों में ही नक्सलवाद का आतंक पसरा हुआ था, अब यह लाल गलियारा तेजी से बढ रहा है। देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए नासूर बन चुकी नक्सली गतिविधयों की उत्ताखण्ड, दिल्ली, पंजाब आदि सूबों में पदचाप सुनाई देने के बाद भी सरकारें सो ही रही हैं। सरकार की कुंभकणीZय निन्द्रा की बानगी था 2006 में 8 और 9 नवंबर को दिल्ली में हुआ नक्सली सम्मेलन। इस दौरान देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में बांटे गए पर्चे और पोस्टर्स में साफ किया गया था कि संसदीय लोकतन्त्र बहुत बडा फ्राड है और इसको समाप्त करने के लिए सशस्त्र क्रान्ति ही इकलौता विकल्प हो सकती है।
 
गृह मन्त्रालय के सूत्र भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि नक्सलियों ने बहुत ही कम समय में पशुपतिनाथ से लेकर तिरूपति तक लाल गलियारे की रेखा खींची जा चुकी है। सूत्रों की मानें तो मार्च 2007 तक नक्सलवादियों ने अपनी गतिविधियां केरल, तमिलनाडू, कर्नाटक में भी बढा लीं थीं। इतना गृह मन्त्रालय को मिलने वाली गुप्तचर सूचनाओं के बावजूद भी तत्कालीन गृह मन्त्री शिवराज पाटिल देश की आन्तरिक सुरक्षा अभैद्य ही होने का दावा करते रहे।
 
नक्सलवाद का गढ बन चुके छत्तीसगढ के बस्तर, दन्तेवाडा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, राजनान्दगांव सहित अनेक जिलों के लगभग तीन हजार गांव इसकी चपेट में हैं। इस सूबें में लगभग 15 हजार किलोमीटर के दायरे में पसरी है, नक्सलियों की सल्तनत। सूबे के आला सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ के हालात इतने भयावह हैं कि अनेक इलाकों में शाम पांच बजे के बाद कोई घटना होने पर पुलिस को घटनास्थल पर जाने की मनाही की गई है। अनेक थाना क्षेत्रों में तो नक्सलियों से पुलिस इतनी खौफजदा है कि वह वदीZ के बजाए सिविल यूनीफार्म में ही रहकर अपना काम चलाती है। इतना ही नहीं अतिसंवेदनशील थाना क्षेत्रों में तो पुलिस को थाने से अकेले निकलने पर भी मनाही ही है। सूबे में बडे नक्सलियों नेताओं में कोसा उर्फ बीकेएस रेड्डी का नाम सबसे उपर है।
 
नक्सलवाद को जन्म देने वाले पश्चिम बंगाल में हालात बहुत ही नाजुक हैं। यहां नेता किशनजी खुद प्रेस कांफ्रेंस करते हैं पर अपना चेहरा नहीं दिखाते हैं। इसी तरह झारखण्ड में 18 से अधिक जिलों में नक्सल आतंक गरज रहा है। यहां गणपति और किसन वैंकटेशराव उर्फZ किसन दा का जलजला कायम है। इसी तरह आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश में भी इनका आतंक पसरा हुआ है। मध्य प्रदेश के बालाघाट के साथ ही साथ मण्डला और डिण्डोरी को इन्होंने अपने कब्जे में ले रखा है। राज्य में हालात इतने सगीन हैं कि बालाघाट में शासन द्वारा एक पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को तैनात कर रखा है। पहले इसका मुख्यालय यहां से ढाई सौ किलोमीटर दूर जबलपुर में रखा गया था फिर इसे बालाघाट स्थानान्तरित कर दिया गया था। नौ साल पहले राज्य के परिवहन मन्त्री लिखीराम कांवरे की गला रेतकर की गई हत्या का प्रमुख आरोपी सूरज तेकाम यहां का सर्वेसर्वा है।
(क्रमश: जारी)

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

३५० वीं पोस्ट की बधाई..ऐसे ही खबरें देते रहें. अन्क शुभकामनाएँ.