आखिर सोनिया ने क्यों फटकारा हुड्डा को
दलितों को महफूज रखने में नाकामयाब रहे हैं हुड्डा
दलित हितैषी छवि बनाने की जुगत में राहुल
(लिमटी खरे)
देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा सूबे में हिसार के मिर्चपुर गांव में एक दलित पिता पुत्री को जिन्दा जलाए जाने की घटना से खफा होकर कांग्रेस की राजमाता ने सूबे के निजाम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रति अपनी तल्ख नाराजगी जाहिर की है। हुड्डा को लिखे पत्र में सोनिया ने इसे न केवल शर्मनाक बताया है, वरन कहा है कि इस तरह की घटनाओं के होने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कांग्रेस शासित राज्य में ही जब दलितों के साथ इस तरह का बर्ताव होगा तो भला दूसरे दलों की सरकारों से क्या उम्मीद की जा सकती है।
गौरतलब है कि 21 अप्रेल को मिर्चपुर में दलितों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया था, जिसमें एक सत्तर वर्षीय वृद्ध के साथ ही साथ उसकी 17 साल की कमसिन पोलियोग्रस्त बेटी भी आग के दावानल में भुंज गई थी। यह सब हुआ एक पुलिस अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट नायब तहसीलदार की मौजूदगी में। यह घटना अपने आप में सरकार का शर्म नीचा करने वाली ही कही जा सकती है।
यहां यह भी उल्लेखनीय होगा कि कांग्रेस की नजर में देश के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित अन्य सूबों में अपने आप और कांग्रेस को दलित हितैषी बताने का जतन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस शासित हरियाणा में गोहना के बाद हिसार में भी दलितों के खिलाफ बलशाली लोग हिंसा पर उतर आए हैं। सबसे अधिक आश्चर्य तो तब हुआ जब पता चला कि दो दलितों की हत्या, 26 लोगों के बुरी तरह घायल होने के एक सप्ताह बाद हुक्मरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने घटनास्थल का दौरा करने की जहमत उठाई हो।
जब कांग्रेस के मैनेजरों को लगा कि इस घटना के बाद दलितों के मन में कांग्रेस के प्रति रोष और असंतोष पनप जाएगा तब उन्होंने कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को मशविरा दिया होगा कि बेहतर होगा कि वे हुड्डा को कडा पत्र लिखें और इस पत्र को मीडिया में अवश्य लीक करवाएं ताकि दलितों का विश्वास जीता जा सके। संभव है प्रबंधन में कौशल रखने वाले इन्हीं जाबांजों ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को भी पूर्व सूचना के बिना मिर्चपुर जाने की सलाह दे दी हो ताकि उनकी छवि भी दलित हितैषी की बन सके।
अब तक मिर्चपुर में वैसे भी कोई नामी नेता नहीं पहुंचा है। राहुल गांधी के पहुंचने के बाद अब जो भी नेता जाएगा उसका कद उतना नहीं बढ सकेगा जितना कि राहुल गांधी ने अपना बढा लिया है। हुड्डा के लिए शर्म की बात तो यह है कि सबसे पहले उन्हें उनकी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लताड भरा खत लिख फिर कांग्रेस के ही सबसे शक्तिशाली महासचिव ने उन्हें बिना बताए ही मिर्चपुर जाकर दलितों को गले लगाया। यह भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सबसे बडी नाकामी माना जा सकता है।
हरियाण में वैसे भी जाट और गैर जाट दोनों ही समुदाय रेल की पटरी की तरह साथ साथ तो चलते हैं, पर मिलते कभी नहीं है, कहावत को चरितार्थ करते हैं। जाटों के बीच कांग्रेस ने सदा ही जगह बनाने का प्रयास किया है। हरियाणा का इतिहास गवाह है कि छोटूराम से लेकर चौटाला के शासन तक कांग्रेस का बडा वोट बैंक गैर जाट समुदाय ही रहा है। सूबे में दलितों की तादाद खासी है। हरियाणा में बीते दिनां गोहना के बाद मिर्चपुर की घटना से हुड्डा पर उंगलियां उठना स्वाभाविक ही है। हालात देखकर यही कहा जा सकता है कि जाट जाति से संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा दलितों के प्रति बहुत ज्यादा संवदन हीन ही हैं। हुड्डा के शासन काल में खाप पंचायतें भी सर उठाने लगी हैं।
जब कांग्रेस के प्रबंधकों को लगा कि हरियाणा में दलितों के साथ होने वाले अत्याचारों के बाद कांग्रेस के ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसे रोकने में नाकामयाब रह रहे हैं, तब उन्होंने ब्रम्हास्त्र के तौर पर सोनिया गांधी से पत्र लिखवाकर राहुल गांधी को बिना पूर्व सूचना के ही वहां भेजने की तैयारी की। सोनिया गांधी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इसलिए फटकारा कि वे दलितों को सर उठाकर जीने का अधिकार देने में नाकामयाब रहे हैं। कांग्रेस को चाहिए कि दलित वोट बैंक सहेजने के साथ ही साथ भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री पद से हटाकर किसी एसी सुलझी सोच वाले को इस पर काबिज करवाएं कि सूबे में कम से कम दलित पिछडे तो भारत गणराज्य में सर उठाकर भरपूर सांस ले सकें।
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