सोमवार, 3 मई 2010

संघ की मजबूरी है : शिबू सोरेन जरूरी है

संघ की मजबूरी है : शिबू सोरेन जरूरी है

गडकरी की अग्निपरीक्षा है झारखण्ड में

मरांडी पर हाथ फेरा कांग्रेस ने

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 03 मई। झारखण्ड के सांसद मुख्यमंत्री शिबू सोरेन चाहे जितनी भी अत्त कर लें पर भाजपा को उन्हें साधना ही पडेगा, एसा इसलिए क्योंकि सोरेन अब संघ के लिए मजबूरी बन गए हैं। सोरेन के प्रति भाजपा के आक्रमक तेवरों के बाद अब कुछ ढिलाई हुई है तो उसके पीछे संघ का कोडा ही नजर आ रहा है। देखा जाए तो संघ को सोरेन से बहुत ज्यादा प्रेम नहीं है, पर सोरेन की काबिलियत पर संघ प्रश्न चिन्ह लगाने की स्थिति में भी नहीं है।

संघ के सूत्रों का कहना है कि संघ को पता है कि उत्तर भारत में झारखण्ड ही एक ऐसा राज्य है जहां ईसाई मशीनरियों द्वारा युद्ध स्तर पर धर्मांतरण कराया जा रहा है। झारखण्ड में ईसाई मशीनरियों के जमे पांव उखाडने के लिए आक्रमक तेवर वाले गुरूजी ने बहुत काम किया है। इतिहास गवाह है कि गुरूजी इन मशीनरियों के खिलाफ खडे नजर आए हैं। सूत्रों ने कहा जब संघ नेतृत्व ने भाजपा के शीर्ष नेताओं को अपनी मंशा से आवगत कराया तब भाजपा के नेताओं को मानो सांप सूंघ गया, वे बस इतना ही कह सके कि ठीक है पर कम से कम क्रास वोटिंग करने वाले को सबक तो मिलना ही चाहिए।

संघ के डंडे के बाद झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल के नेता और शिबू के पुत्र हेमंत और भाजपा नेता सर जोडकर बैठे। बैठक से बाहर आए हेमंत के चेहरे पर विजयी मुस्कान बता रही थी, कि संघ की फटकार ने असर दिखाया है। बकौल हेमंत ‘‘शिबू सोरेन झारखण्ड के मुख्यमंत्री थे, और बने रहेंगे।‘‘ महज चार माह के भाजपा और झामुमो के गठबंधन का हनीमून इतनी जल्दी समाप्त हो जाएगा किसी ने सोचा भी न था। नए नवेले अध्यक्ष नितिन गडकरी के लिए यह परीक्षा की घडी से कम नहीं है।

गुरूजी जानते हैं कि भाजपा के निजाम नितिन गडकरी के अध्यक्ष बनने के बाद यह उनका सबसे बडा फैसला था, जिसे हर कीमत पर बचाने के लिए गडकरी प्रयास करेंगे। गुरूजी की निष्फिकरी को देखकर लगता है कि उन्होंने अपने पत्ते बहुत ही सोच समझकर चले हैं, और वे निश्चिंत हैं कि अगर सरकार गिरती है तो इसका नुकसान उनसे ज्यादा भाजपा को होने वाला है।

उधर इस अस्थिरता को भंजाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं हट रही है। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ से छन छन कर बाहर आ रही खबरो ंपर अगर यकीन किया जाए तो सोनिया गांधी ने झारखण्ड विकास मोर्चा के बाबू लाल मरांडी की पीठ पर हाथ रख दिया है। कहा जा रहा है कि मरांडी को फ्री हेण्ड देकर कहा गया है कि वे झामुमो और दूसरे विधायकों को एकजुट कर लें तो मुख्यमंत्री की कुर्सी उनकी ही होगी।

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