रविवार, 13 जून 2010

500वीं पोस्‍ट

मतलब आडवाणी ने किया था बाजपेयी को कमजोर!
जेठमलानी के मामले में होने लगे हैं खुलासे

. . . तो आडवाणी के कहने पर खडे हुए थे जेठमलानी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 13 जून। प्रसिद्ध अधिवक्ता राम जेठमलानी को राज्यसभा का टिकिट देने के मामले में भारतीय जनता पार्टी में विद्रोह के स्वर मुखर होने लगे हैं। अब भाजपाई दबी जुबान से राम जेठमलानी और बाजपेयी की युती के चलते पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के मौखटा रहे अटल बिहारी बाजपेयी के बीच खुदी खाई के बारे में नित नए तथ्यों को उजागर करते जा रहे हैं। अटल बिहारी बाजपेयी के खिलाफ 2004 में निर्दलीय के तौर पर चुनाव लडने वाले जेठमलानी के बारे में असंतोष और रोष की स्थिति गहराती ही जा रही है।

भाजपा में चल रही बयार के अनुसार राम जेठमलानी सिंधी समाज के होने के बाद भी गांधीनगर से आडवाणी के खिलाफ चुनाव मैदान में नहीं उतरे जबकि गांधी नगर और गुजरात में सिंधी समाज के लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। इससे उलट वे 2004 में अटल बिहारी बाजपेयी के खिलाफ लखनउ से चुनावी समर में उतरे थे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि आडवाणी और जेठमलानी की युती के चलते जेठमलानी ने अटल बिहारी के खिलाफ चुनाव मैदान में कमान संभाली थी।
भाजपा के सूत्रों की माने तो राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आडवाणी पिछले कुछ सालों से राम जेठमलानी पर खासे महरबान हैं। इस बार भी उन्हें राज्यसभा के रास्ते संसदीय सौंध तक पहुंचाने में आडवाणी ने एडी चोटी एक कर दी। आडवाणी ने दांव फेंका था कि जेठमलानी को मध्य प्रदेश से राज्य सभा में भेजा जाए, किन्तु सुषमा स्वराज और शिवराज के विरोध के चलते आडवाणी की चल नहीं पाई।

आडवाणी के करीबी सूत्रों का दावा है कि इसी महीने पांच तारीख को एक नेता नुमा व्यक्ति ने आडवाणी के आवास से बाबू लाल मरांडी को फोन पर इस बात के लिए तैयार किया जा रहा था कि अगर मरांडी सहयोग करें तो जेठमलानी को झारखण्ड से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार राज्य सभा में पहुंचाया जा सकता है। इस पर मरांडी ने साफ इंकार कर दिया था। जेठमलानी पर मेहरबान आडवाणी ने अंततः सभी के पुरजोर विरोध के बावजूद भी जेठमलानी को राजस्थान से भाजपा का घोषित उम्मीदवार बनवाने में सफलता हासिल कर ही ली।

एसा नहीं कि आडवाणी की इन चालों का अटल बिहारी बाजपेयी को भान न हो। 2006 में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री केलाश जोशी की पुस्तक ‘‘अध्यक्ष जी‘‘ के विमोचन समारोह में जब एल.के.आडवाणी भाषण देने खडे हुए उस वक्त अटल बिहारी बाजपेयी लघु शंका को बाहर गए थे। वापस आने पर जब उनकी बारी आई तो उन्होंने इशारों ही इशारों में कहा था कि उनके पहले आडवाणी ने उद्बोधन में क्या कहा उन्हें नहीं पता, पता नहीं आडवाणी कब क्या कह जाते हैं। अटल की इस बात से आडवाणी की पेशानी पर बल साफ दिखाई दे रहे थे।

2 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

500 bi post par bahut bahut badhai evam shubhkamnayen

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

बेनामी ने कहा…

बकवास