शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

कमल नाथ की खामोशी का राज

सडक निर्माण के लिए कटिबद्ध कमल नाथ सिवनी के नाम पर क्यों रहते हैं खामोश
 
विवाद से परे रहने का दावा करने वाले नाथ सिवनी के मामले में क्यों नहीं देते बयान
 
(लिमटी खरे)

सिवनी 23 जुलाई। वाकई कमल नाथ एक एसी शक्सियत का नाम है, जो अपने आपको हर स्थिति, परिस्थिति, वातावरण आदि में ढालकर शिखर पर ही रहने का आदी है। वे चाहे वन एवं पर्यावरण मंत्री रहे हों, वस्त्र अथवा वाणिज्य और उद्योग, कमल नाथ की सकारात्मक सोच के चलते भारत गणराज्य के नागरिक इन विभागों की कार्यप्रणाली से परिचित हो सके हैं, वरना तो ये विभाग गुमनामी के अंधेरे में ही रहे हैं। वर्तमान में केंद्र में भूतल परिवहन मंत्रालय (इतिहास में पहली बार इस विभाग से जहाजरानी को प्रथक किया गया है) की महती जवाबदारी  कमल नाथ ने सडकों के निर्माण के प्रति अपनी कटिबद्धता जाहिर कर अपने स्वभाव के अनुरूप ही काम किया है।
 
मीडिया को जब तब दिए साक्षात्कार में कमल नाथ ने साफ किया है कि वे किसी तरह के विवाद में पडना नहीं चाहते। वे मध्य प्रदेश के छिंदवाडा जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं, सो उनकी पहली प्राथमिकता प्रदेश के विकास की है। उन्हें इस बात से कोेई लेना देना नहीं है कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है या किसी अन्य पार्टी की। कमल नाथ की विकास की इस सोच के आगे तो हर कोेई नतमस्तक ही हो जाए।
 
राजनैतिक वीथिकाओं में यह प्रश्न रह रह कर घुमड रहा है कि इसके पहले जब कमल नाथ केंद्र में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का प्रभार संभाले हुए थे, तब भी मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार रही है। कमल नाथ की किचिन केबनेट से छन छन कर बाहर आ रही खबरों के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबू लाल गौर और वर्तमान निजाम शिवराज सिंह चौहान भी कमल नाथ के घर ‘‘डिनर पालीटिक्स‘‘ में शिरकत कर चुके हैं। एसी परिस्थिति में उद्योग धंधों के मामलों में मध्य प्रदेश विशेषकर महाकौशल में आने वाला उनका संसदीय क्षेत्र छिंदवाडा जिला क्यों पिछडा है।
 
बहरहाल कमल नाथ ने मध्य प्रदेश में सडकों के निर्माण, रखरखाव आदि के लिए केंद्र से खजाना खोल दिया है। कमल नाथ महाकौशल के नेता माने जाते हैं सो महाकौशल क्षेत्र में नरसिंहपुर से बरास्ता छिंदवाडा, नागपुर मार्ग मण्डला से छत्तीसगढ जाने वाले मार्ग के साथ ही साथ बालाघाट जिले के लिए 125.90 किलोमीटर सडक के चौडीकरण और सुदृढीकरण के लिए सौ करोड सोलह लाख का आवंटन गत वर्ष जारी किया है, साथ ही 140 करोड रूपए लागत से दो सडकों का निर्माण भी प्रस्तावित है।
 
यह तो हुई माईनस सिवनी महाकौशल में सडकों का जाल बिछाने की बात। सिवनी की जनता भी कमल नाथ से यह पूछना चाह रही है कि क्या महाकौशल के नक्शे से कमल नाथ ने सिवनी जिले को बाहर कर दिया है? अगर नहीं तो फिर क्या कारण है कि कमल नाथ ने रमेश जैन, हरवंश सिंह, स्व.रणधीर सिंह, राजकुमार खुराना, प्रसन्न चंद मालू के चुनावों में अपनी लुभावनी घोषणाअें के दरम्यान अपनी गोद में बिठाए सिवनी के साथ आज तक सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? क्या कमल नाथ या उनके समर्थकों के पास इसका जवाब है कि आज तक सिवनी जिले के लिए कमल नाथ ने क्या दिया है? जाहिर है उत्तर नकारात्मक ही आएगा।
 
बहरहाल जहां तक रही कमल नाथ के नेतृत्व वाले भूतल परिवहन मंत्रालय की बात तो जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लखनादौन के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष दिनेश राय के सामने ही माननीय न्यायधीशों द्वारा यह कह दिया गया है न तो न्यायालय ने इस मार्ग को रोकने का कोई आदेश दिया है और न ही इसे बनाने में उसे कोई आपत्ति है, तब कमल नाथ निर्माण एजेंसी एनएचएआई और ठेकेदार सद्भाव और मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन को काम चालू करने दवाब क्यों नहीं बना रहे हैं।

मीडिया में आकर कमल नाथ यह साबित करने का प्रयास अवश्य ही कर रहे हों कि वे मध्य प्रदेश के विकास के प्रति संजीदा हैं, और मध्य प्रदेश में सडकों का जाल बिछ जाए यह उनकी पहली प्राथमिकता है, किन्तु अगर कमल नाथ अपने दिल पर हाथ रखकर इस बात को सोचें तो कारण चाहे जो भी हो पर निश्चित तौर पर वे पाएंगे कि उनके हर कदम के चलते अन्याय सिर्फ और सिर्फ सिवनी की जनता के साथ ही हो रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं: