बुधवार, 1 सितंबर 2010

700वीं पोस्ट फोरलेन विवाद का सच ------------------- 20

उसी से ठंडा उसी से गरम!

मिडिल स्कूल में अंग्रेजी की एक कहानी जिसका भावार्थ था कि मुट्ठी बंद कर फूंक मारने से ठंड के समय में गरमी किन्तु उबले आलू को ठंडा करते समय फूंक मारने से वह ठंडा हो जाता है, कमोबेश हर किसी ने पढ़ी होगी। बचपन में कोतुहल अवश्य ही हुआ करता होगा कि उसी काम को करने से चीज ठंडी हो जाती है, पर ठंड के दिनों में फूंक मारने से मुट्ठी गरम कैसे हो जाती है। उसी तर्ज पर वाईल्ड लाईफ के काल्पनिक कारीडोर को आधार बनाकर किसी एनजीओ ने सर्वोच्च न्यायालय में सिवनी खवासा से होकर जाने वाले चतुष्गामी मार्ग को रोकने की अपील दायर की है, जबकि दूसरी ओर प्रस्तावित एनएच छिंदवाड़ा सौंसर सावनेर नागपुर मार्ग को तो अस्तित्व में आने वाला सतपुड़ा टाईगर कारीडोर दो जगह बाधित कर रहा है, फिर भी सब ओर खामोशी ही पसरी नजर आ रही है।

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 01 सितम्बर। स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे से सिवनी जिले का नामोनिशान मिटाने का षणयंत्र किसका है इस बात से अभी तक कुहासा हट नहीं सका है। लखनादौन से सिवनी होकर नागपुर जाने वाले 1545 में शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित मार्ग का अस्तित्व मिटाने की सजिश की जा रही है। वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट नामक एक गैर सरकारी संगठन इस साजिश में एक इंस्टूमंेट की तरह सामने आया है। इस एनजीओ को सिवनी जिले से क्या बुराई है, यह बात अभी तक साफ नहीं हो सकी है।
 
बताया जाता है कि उक्त एनजीओ द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर सिवनी से खवासा के बीच सड़क मार्ग में पड़ने वाले रक्षित वन एवं पेंच नेशनल पार्क के हिस्से से सड़क न गुजारने का अनुरोध किया है। इसके उपरांत का जो घटनाक्रम प्रकाश में आया उसके अनुसार सर्वोच्च न्यायालय की साधिकार समिति (सीईसी) ने गुपचुप तरीके से विवादित स्थलों का निरीक्षण किया। चूंकि उस समय तक चतुष्गामी सड़क के निर्माण का काम मोहगांव तक पहुंच चुका था, अतः सीईसी ने संभवतः आगे के काम को रूकवाने की गरज से तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि से इस मार्ग में पेड़ कटाई की अनुमति न देने का अनुरोध किया।
 
तत्कालीन कलेक्टर नरहरि ने सीईसी के अनुरोध को यह कहकर स्वीकार कर लिया कि इस संबंध में राज्य शासन से निर्देश प्राप्त होना अभी बाकी है, पर मोहगांव से खवासा तक वन एवं गैर वन क्षेत्र में पेड़ कटाई की पूर्व कलेक्टर द्वारा दी गई अनुमति को निरस्त कर दिया गया। प्रपत्रों में सार्वजनिक दिखने वाला यह आदेश इतने गोपनीय तरीके से जारी किया गया कि सिवनी वासियों और उनका प्रतिनिधित्व करने वाले जनसेवकों को भी इसकी भनक नहीं लग पाई।
 
बताया जाता है कि मोहगांव से खवासा तक के सड़क निर्माण के काम को इसलिए रोका गया है क्योंकि यह सड़क रिजर्व फारेस्ट के साथ ही साथ पेंच और कान्हा के बीच के काल्पनिक वाईल्ड लाईफ कारीडोर को बाधित कर रही है, जिससे यहां से गुजरने वाले वाहन वन्य जीवों की आजादी में खलल डालेंगे, साथ ही साथ शिकारियों के लिए वन्य जीवों का शिकार बहुत ही आसान होगा।
 
वहीं दूसरी ओर वर्ष 2009 में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मध्य प्रदेश के सतपुड़ा और पेंच नेशनल पार्क के साथ ही साथ महाराष्ट्र के मेलघाट को मिलाकर सतपुड़ा टाईगर कॉरीडोर पर काम आरंभ करवा दिया गया है। इसके बन जाने से आने वाले समय में तीनों नेशनल पार्क के वन्य जीव विशेषकर बाघों का दायरा बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
 
इस मामले में सबसे हैरानी वाली बात यह सामने आ रही है कि वन्य जीवों के प्रति एकाएक हमदर्दी जताकर सिवनी के साथ अपना प्रत्यक्ष बैर दर्शाने वाले वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट की नजरें अब तक सतपुड़ा टाईगर कॉरीडोर पर इनायत क्यों नहीं हो सकी हैं। गौरतलब होगा कि छिंदवाड़ा से नागपुर रेलमार्ग के अमान परिवर्तन और नरसिंहपुर छिंदवाड़ा, सौंसर नागपुर मार्ग इस टाईगर कॉरीडोर को दो मर्तबा बाधित कर रहा है। एक साल से अधिक समय से चालू की गई उक्त परियोजना में अब तक उक्त पर्यावरण और वन्य जीव प्रेमी एनजीओ की चुप्पी आश्चर्य का विषय ही मानी जा रही है।
 
\उक्त एनजीओ की चुप्पी से उन अफवाहों को बल मिल रहा है, जिनमे यह कहा जा रहा है कि किसी नेता विशेष द्वारा सिवनी के नागरिकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर उत्तर दक्षिण चतुष्गामी फोरलेन को छीनने का प्रयास किया जा रहा है। पेंच कान्हा के काल्पनिक कॉरीडोर को आधार बनाकर सिवनी से नागपुर के मार्ग का काम रोका गया है, उससे गंभीर प्रकृति तो छिंदवाड़ा जिले से होकर गुजरने वाले प्रस्तावित नरसिंहपुर छिंदवाड़ा सौंसर, सावनेर नागपुर सड़क मार्ग और छिंदवाड़ा नैनपुर के ब्राडगेज की है।
 
अगर एनजीओ ने सिर्फ सिवनी के मामले में दिलचस्पी दिखाई है तो उससे इस मामले का कुहासा कुछ साफ होने लगा है कि किसी नेता विशेष के निर्देश या इशारों पर सिवनी जिले को एनएचएआई के उत्तर दक्षिण गलियारे के नक्शे से गायब करने का प्रयास पूरी शिद्दत और गंभीरता के साथ किया जा रहा है, जिस मामले में सिवनी के नेतृत्व कर्ता या तो अनजान हैं या फिर अनजान बनने का स्वांग रच रहे हैं।

उसी फॅूक (वाईल्ड लाईफ करीडोर) से सिवनी से नागपुर के मार्ग को रोकने का जतन किया जाता है, किन्तु उसी फॅूक (सतपुड़ा टाईगर कारीडोर) के मामले में एनजीओ सहित सांसद, विधायक और अन्य नेताओं के खेमे में खामोशी पसर जाती है, तो कहा जा सकता है कि ‘‘उसी से ठंडा, उसी से गरम।‘‘

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