शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

सीबीएसई बोर्ड की तथा कथा

सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी शाला ने नान कमर्शियल होने का शपथ पत्र दिया है : खुशाल सिंह

सिवनी केंद्रीय शिक्षा बोर्ड की मान्यता के संबंध में मध्य प्रदेश के

सिवनी जिले के सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल के पिछले साल के निरीक्षण

में अनेकानेक कमियां पाई गईं थीं, जिसके चलते शाला का आवेदन निरस्त कर

दिया गया था। शाला ने अब अंडरटेकिंग दी है कि उसके द्वारा कमियां पूरी कर

दी गईं हैं, जिसके चलते एक बार फिर से निरीक्षण दल का गठन किया गया है,

जो मौके पर जाकर वास्तविकता का पता लगाकर अपना प्रतिवेदन केंद्रीय शिक्षा

बोर्ड को सौंपेगा, उसी आधार पर तय हो सकेगा कि इस शाला को सीबीएसई का

एफीलेशन दिया जा सकता है अथवा नहीं, उक्ताशय की बात केंद्रीय शिक्षा

बोर्ड के नई दिल्ली में प्रीत विहार स्थित एफीलेशन ब्रांच के सहायक सचिव

खुशाल सिंह ने दैनिक यशोन्नति के साथ दूरभाष पर चर्चा के दौरान कही।

श्री सिंह ने कहा कि सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल का प्रकरण उनकी

जानकारी में है, इस शाला के बारे में उन्हें काफी मात्रा में पत्र और फोन

भी प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि पिछली बार के निरीक्षण

के दौरान मिले प्रतिवेदन के उपरांत शाला के आवेदन को निरस्त करने संबंधी

पत्र क्रमांक सीबीएसई-एफी-एसएल-१७०१-१०११-२०१० दिनांक १२ मई २०१० श्री

सिंह के हस्ताक्षरों से ही जारी हुआ था। उन्होंने कहा कि पिछले साल

निरीक्षण के दौरान मिली विसंगतियों के बारे में शाला प्रबंधन द्वारा

अंडरटेकिंग देने के बाद ही दुबारा आईसी कमेटी का गठन किया गया है।

उपरोक्त संदर्भित पत्र में नया आवेदन देने की बात पर श्री सिंह ने चुप्पी

साध ली कि नए आवेदन के बजाए पुराने आवेदन पर अंडरटेकिंग देने पर निरीक्षण

दल का गठन किस आधार पर कर दिया गया।

इसके अलावा सीबीएसई की एफीलेशन ब्रांच के सहायक सचिव ने कहा कि शाला

प्रबंधन ने यह कम्पलायंस भी दिया है कि उन्होंने कमियों को पूरा कर दिया

गया है। इसी कम्पलायंस के आधार पर सीबीएसई बोर्ड द्वारा कमेटी का गठन कर

दिया गया है। अब यह कमेटी मौके पर जाकर देखेगी कि पिछली बार जो कमियां

पाई गईं थीं, वे वास्तव में दुरूस्त कर दी गई हैं अथवा नहीं। गौरतलब होगा

कि पिछली बार निरीक्षण दल द्वारा दिए गए प्रतिवेदन में छ: कंडिकाओं वाला

निरस्तीकरण पत्र शाला प्रबंधन को सौंपा गया था, जिसमें साफ तौर पर कमियां

पाए जाने का उल्लेख किया गया था, इसके अलावा शाला नए भवन में स्थानांतरित

हो चुकी है, इस नए भवन में विद्यार्थियों की सुविधाओं के अनुरूप माहौल है

अथवा नहीं, पठन पाठन का स्तर कैसा है, आदि बातों का निरीक्षण भी निरीक्षण

दल द्वारा किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि शाला प्रबंधन द्वारा किसी भी प्रकार की केपीटेशन फीस

नहीं ली जा सकती है, जिसमें बिल्डिंग फंड आदि का समावेश है। दूरभाष पर

चर्चा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि इसके साथ ही शाला प्रबंधन से सीबीएसई

ने नान कमर्शियल होने का शपथ पत्र भी लिया है। गौरतलब होगा कि

कुकुरमुत्ते के मानिंद खुल चुकी शालाओं में शिक्षा को व्यवसाय बना दिया

गया है।

श्री सिंह ने आगे कहा कि अगर किसी पालक या नागरिक को किसी भी तरह की

आपत्ति है तो वे अपनी आपत्ति को सचिव, सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकन्ड्री

एजूकेशन, शिक्षा केंद्र, 2, कम्युनिटी सेंटर, प्रीत विहार, विकास मार्ग,

नई दिल्ली ११००९२ के पते पर लिखित तौर पर अथवा दूरभाष क्रमांक ०११ -

२२५०९२५६ अथवा २२५०९२५९ पर सचिव या उनसे चर्चा कर दे सकता है। बताया जाता

है कि निरीक्षण दल में शामिल एक सदस्य प्राचार्य केंद्रीय विद्यालय,

खमरिया, जबलपुर भी हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे बहुत ही ज्यादा

नियमपसंद हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर किसी को किसी भी प्रकार की शंका

कुशंका हो तो वे प्राचार्य से ०७६१ - २६०१७०३ पर सूचना दे सकते हैं। इन

सूचनाओं पर कार्यवाही करना अथवा नहीं करना प्राचार्य के विवेक पर ही

निर्भर करता है। वैसे निरीक्षण दल में शामिल दोनों ही मेम्बर पिछली बार

भी निरीक्षण में शामिल थे।

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