गुरुवार, 10 मार्च 2011

भूतल परिवहन मंत्रालय तैयार है मार्ग के अवरोध दूर करने हेतु


लखनादौन नागपुर फोरलेन बनने के मार्ग प्रशस्त
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। स्वर्णिम चतुर्भुज के अंग उत्तर दक्षिण गलयारे में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में लगे फच्चर जल्द ही हट सकते हैं। भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा सैद्धांतिक तौर पर इस बात के लिए सहमति बना ली गई है कि पेंच टाईगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले हिस्से को छोड़कर शेष भाग में सड़क निर्माण का काम आरंभ कर लिया जाए। इस मामले में सिवनी जिले के कुरई घाट और बंजारी के कुछ हिस्सों में वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुमति अभी लंबित है।
 
गौरतलब है कि सड़क निर्माण का यह मुद्दा सियासी दांवपेंच में फंसकर रह गया है। इस मार्ग को लेकर कांग्रेस और भाजपा नाहक ही आमने सामने दिखाई पड़ रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसकी रोक के लिए तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री और वन एवं पर्यावरण मंत्री को जिम्मेदार बता रहे थे, तो दूसरी ओर सिवनी जिले में भी आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ा था। समय बीतते ही यह मुद्दा लोगों के ध्यान से हट गया और इस पर सियासत करने वालों ने भी इसे गर्माना कतई उचित नहीं समझा। यहां तक कि सिवनी के जनप्रतिनिधियों ने अपने ‘अहम‘ के चलते केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री या केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से मिलकर वस्तु स्थिति को साफ करना भी उचित नहीं समझा।
 
भूतल परिवहन मंत्रालय के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि चूंकि मामाला सर्वोच्च न्यायालय मे लंबित है इसलिए कोई भी किसी भी तरह की टिप्पणी करने से बच रहा है, फिर भी मामला स्पष्ट न होने के चलते सिवनी जिले में लखनादौन से महाराष्ट्र की सीमा तक का काम लंबित है। सूत्रों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की साधिकार समिति (सीईसी) के आग्रह पर जिला कलेक्टर द्वारा रोके गए काम के बारे में विभाग के भ्रम का कुहासा छटने लगा है। सूत्रों ने कहा कि विभाग के आला अधिकारियों को अंदेशा था कि सीईसी ने लखनादौन से बरास्ता सिवनी, खवासा के कुल लगभग 120 किलोमीटर लंबे मार्ग पर निर्माण पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। बाद में सिवनी जिले के कुछ लोगों द्वारा भूतल परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों के समक्ष जो दलीलें दीं उससे मंत्रालय सहमत होता दिख रहा है।
 
सूत्रों ने कहा कि विभाग द्वारा जल्द ही सर्वोच्च न्यायालय में अपनी दलील पेश कर इस बारे में दिशा निर्देश चाहे जाएंगे, जिसमें पेंच राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र वाले आठ दशमलव सात किलोमीटर को छोड़कर शेष भाग में क्या काम आरंभ किया जा सकता है? उधर कानून के जानकारों का मानना है कि इस बारे में न्यायालय द्वारा कोई रोक संभवतः नहीं लगाई गई है अतः जिस हिस्से में विवाद नही है उस हिस्से में काम करने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए।
 
एनएचएआई के सूत्रों ने यह भी कहा कि लखनादौन से खवासा तक के मार्ग को बनाने के लिए प्रयासरत लखनादौन जनमंच के दिनेश राय द्वारा बार बार भूतल परिवहन मंत्रालय के आला अधिकारियों के सामने वास्तविकता लाने और ठोस तर्क रखने के चलते एनएचएआई के अधिकारियों के सामने जमीनी हकीकत आ सकी है। सूत्रों के अनुसार श्री राय ने कुछ संसद सदस्यों के माध्यम से भी एनएचएआई पर यह दबाव बनाया है कि इस मार्ग में जहां रोक नहीं है वहां काम आरंभ कराया जाए। यही कारण है कि 8.7 किलोमीटर के पेंच के हिस्से को छोड़कर शेष भाग में काम करने के लिए एनएचएआई ने सैद्धांतिक तौर पर अपनी सहमति देने का मन बना लिया है, जिससे अब सिवनी जिले से होकर गुजरने वाले उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारा कुरई घाटी के हिस्से को छोड़कर शेष भाग में फोरलेन होने के मार्ग प्रशस्त हो गए हैं।

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