मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता का आक्रोश निकलने से राहत है कांग्रेस में


हजारे के अनशन की सफलता से गदगद हैं सोनिया 
बीस साल को फुर्सत हो गया भ्रष्टाचार का मसला
 
अन्ना के अनशन से साधे एक तीर से कई निशाने
 
बाबा रामदेव को ढकेला हाशिए पर
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। गांधीवादी समाज सेवी अन्ना हजारे के द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में किए गए अनशन को देशव्यापी समर्थन मिलने पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी बेहद ही प्रसन्न नजर आ रही हैं। कांग्रेस के प्रबंधकों ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेसनीत केंद्र सरकार इस बात पर राहत महसूस कर रही है कि घपले, घोटालों, भ्रष्टाचार पर जनता का आक्रोश निकालने में वह आखिर सफल हो गई है।
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अन्ना हजारे के द्वारा अनशन पर बैठने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की पेशानी पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही थीं, किन्तु कांग्रेस के ही प्रबंधकों ने इस मामले में पर्दे के पीछे रहकर जो भूमिका अदा की है उससे कांग्रेस के खिलाफ उपजा रोष असंतोष का शमन काफी हद तक शमन कर दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस प्रबंधकों ने श्रीमति सोनिया गांधी को समझाया है कि गांधी वादी अन्ना हजारे की मुहिम को मिले व्यापक समर्थन से एक ओर जनता का भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्ला बोल कार्यक्रम काफी हद तक सफल रहा किन्तु इतिहास को साक्षी मानते हुए प्रबंधकों ने कांग्रेसाध्यक्ष को बताया कि 1975 में लोकनायक जयप्रकाश के द्वारा चलाए गए आंदोलन के उपरांत भ्रष्टाचार का मामला लगभग तीन दशकों के लिए स्थगित हो गया था। अस्सी के दशक के आगाज के साथ ही नौकरशाह, न्यायपालिका, मीडिया और जनसेवकों के गठजोड़ ने देश की नींव को खोखला किया गया किन्तु भ्रमित जनता चुपचाप सब कुछ देखने सुनने को मजबूर रही।
सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी को बताया गया है कि अबकी बार भ्रष्टाचार के मामले में दो दशकों तक का युद्ध विराम माना जा सकता है। इसी दौरान कांग्र्रेस के युवराज राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद पर ताजपोशी की जा सकेगी और उन पर भ्रष्टों को संरक्षण देने के आरोप लगाने वालों की धार बोथरी की जा सकती है।
उधर राजनीति के पंडितों का कहना है कि इस मुहिम के दरम्यान ही कांग्रेस के प्रबंधकों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शंखनाद करने वाले बाबा रामदेव के तेवरों को भी ढीला कर दिया है। भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ होने वाली देश की जनता अब बाबा रामदेव के बजाए अन्ना हजारे को अपना पायोनियर (अगुआ) मान रही है। उधर कांग्रेस के रणनीतिकार अब अन्ना हजारे को शीशे में उतारने का प्रयास कर रहे हैं।

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