गुरुवार, 5 मई 2011

निजी भूमि पर शासन द्वारा करोड़ों के भवन निर्माण

निजी भूमि पर शासन द्वारा करोड़ों के भवन निर्माण
(अभिषेक दुबे)
सिवनी (मध्य प्रदेश)। गोपालगंज में निर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ कर्मचारियों के लिए निर्मित आवासीय भवन जो करोड़ों रूपये से निर्मित हुए हैं, अभी तक प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर एवं शासकीय अधिकारियों के कथन अनुसार वे निजी स्वामित्व की भूमि पर निर्मित हुए हैं। हालांकि शासन द्वारा अवैध रूप से निर्मित किये गये भवनों पर अपना कब्जा करने के लिए कोई न कोई रास्ता अवश्य खोज लिया जायेगा। परंतु सवाल यह उठता है कि आखिर करोड़ों रूपये के भवन किसी अन्य की भूमि पर बिना किसी स्वीकृति के निर्मित कैसे कर लिये गये और अब जब भूमि स्वामी द्वारा आपत्ति लगायी जा रही है तो जिम्मेदार अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। जिस भूमि पर करोड़ों रूपये के उक्त भवन निर्मित हुए हैं वह भूमि न तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकार क्षेत्र की है और न अन्य किसी शासकीय मद की। इसके बावजूद भी यह बात समझ से परे है कि उक्त भवनों के निर्माण के लिए तकनीकि स्वीकृति एवं प्रशासकीय स्वीकृति बिना खसरा नंबर और नक्शे के कैसे प्राप्त हुई होगी? जानकारी के अनुसार इन भवनों के निर्माण के लिए पंचायत का भी कोई प्रस्ताव नहीं है। भूमि विक्रय के लिए भू-स्वामी द्वारा भूमि विक्रय प्रमाणपत्र हेतु जब नायब तहसीलदार के यहां आवेदन लगाया गया तो तहसीलदार द्वारा पटवारी का अभिमत एवं सीमाकंन के लिए निर्देश दिये गये। संबंधित पटवारी द्वारा पूरा मामला स्पष्ट करते हुए नक्शा सहित प्रतिवेदन सौंपा गया जिसमें उसने उल्लेख किया है कि खसरा क्र. 71,73 का रकबा सिमरत सिंह पाल के नाम पर दर्ज है। खसरा कालम 12 में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र निर्मित है। पटवारी द्वारा मौके का सीमांकन किया गया। सीमांकन के दौरान सिमरत पाल द्वारा नियुक्त मुख्तयार नरेंन्द्र ठाकुर एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से गोपालगंज के कर्मचारी उपस्थित रहे हैं। इस भूमि के स्वामित्व को लेकर नायब तहसीलदार न्यायालय द्वारा स्वास्थ्य विभाग से दस्तावेजों की मांग की जाती रही परंतु स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किसी भी प्रकार के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गये। तब भूमि स्वामी सिमरत पाल के मुख्तयार को जमीन विक्रय प्रमाणपत्र नायब तहसीलदार द्वारा जारी कर दिया गया। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग के लिए निर्मित करोड़ों रूपये के भवन सिमरत पाल की भूमि पर बने हैं, जिसके पास की खाली जगह उसके द्वारा निशा ठाकुर को बेच दी गई है। जानकारों का कहना है कि करोड़ों रूपये के भवन शासन द्वारा किसी के भी अधिकार क्षेत्र की भूमि पर बिना उसकी स्वीकृति के नहीं बनाये जा सकते। यदि मामला न्यायालय में जायेगा तो निर्णय शासन के पक्ष में आना संभव नहीं है। ऐसी स्थिती में शासन का करोड़ों रूपये बर्बाद हो सकता है और यह जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का बड़ा कारण साबित होगा। भवन निर्माण की स्वीकृति बिना खसरा नंबर, नक्शा और भूमि पर अधिकार के पत्र के बिना कैसे प्राप्त हुई और भवनों का निर्माण कैसे हुआ यह पूरा मामला बुरी तरह उलझ गया है। काम का पूर्णता प्रमाणपत्र (सी.सी.) जारी भी हो चुकी है और अंकेक्षण भी इतने सारे चरणों से भवन निर्माण की प्रक्रिया गुजरने के पश्चात यदि यह मामला बिना भूमि अधिकार पत्र के सामने आता है तो अंधेरगर्दी ही कही जायेगी। इस पूरे प्रकरण में जिला कलेक्टर द्वारा नायब तहसीलदार को निलंबित कर दिया गया है, जिससे पूरा मामला और अधिक उलझता दिखायी दे रहा है।
 
क्या कहती हैं आरोपी अधिकारी
निलंबित नायब तहसीलदार, अनीता भोयर का कहना है कि उनकेे द्वारा राजस्व नियमों के अनुसर ही पटवरी का प्रतिवेदन प्राप्त होने पर भूमि स्वामी के अधिकार क्षेत्र की भूमि होने के दस्तावेज अवलोकन तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा भूमि के किसी भी प्रकार के दस्तावेज प्रस्तुत न करने के कारण विक्रय प्रमाणपत्र जारी किया गया था। उनका निलंबन किस कारण किया गया है इसकी उन्होंने कोई जानकारी नहीं है वे अभी शहर से बाहर हैं, सिवनी पहुंचने पर कलेक्टर से चर्चा की जाएगी।
दूसरी ओर सिवनी के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी का कहना है डॉ. वाय.एस. ठाकुर का कहना है कि जिला कलेक्टर द्वारा हुई रजिस्ट्री को शून्य कराने के लिए निर्देश प्राप्त हुए हैं, जिसके लिए आवेदन लगाना है, कानूनी सलाहकारों से इस संबंध में सलाह ली जा रही है। निर्मित भवनों की भूमि पर आधिपत्य से संबंधित कोई दस्तावेज या दानपत्र विभाग के पास उपलब्ध नहीं है, परंतु ऐसा कहा जा रहा था कि भू-स्वामी हरनाम सिंह पाल (जो अब इस दुनिया में नहीं है) के द्वारा भूमि दान में देने के लिए कहा गया था परंतु विभाग न तो दान पत्र लिखा पाया और न भूमि का विभाग के पक्ष में नामांतरण हुआ। स्वास्थ्य विभाग को भवन निर्माण कर पी.डब्ल्यू.डी. ने दिया है। हमारी कोशिश होगी कि निर्मित भवनों की भूमि का दान पत्र भू-स्वामी से लिखा लिया जाये ।

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