शनिवार, 25 जून 2011

कमल नाथ बन सकते हैं रेल मंत्री


मदाम तय करेंगी फेरबदल का आकार!

फ्री हेण्ड न मिल पाने से दुखी हैं मनमोहन

सहयोगियों ने मनमोहन की छवि कर दी मटियामेट

अनेक मंत्रियों को बदलना चाह रहे वजीरे आजम

एमपी कोटा भी हो सकता है जबर्दस्त तरीके से प्रभावित

विस्तार तय करेगा राहुल का भविष्य का रोड़ मेप

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी के बीच हुई लगभग ढाई घंटे की मुलाकात के बाद अब मंत्रीमण्डल में फेरदबल की सुगबुगाहट एक बार फिर तेज हो गई है। वजीरे आजम चाहते हैं कि वे भ्रष्ट और नाकार मंत्रियों को हटाकर अपनी छवि को पुनः साफ सुथरा बनाएं किन्तु इसके लिए उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष से फ्री हेण्ड की दरकार है। उधर कहा जा रहा है कि यह तो मदाम (श्रीमति सोनिया गांधी) की इच्छा पर ही है कि यह फेरबदल बड़ा होगा या छोटा। इस मंत्रीमण्डल विस्तार से इस बात के संकेत मिल सकेंगे कि कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह की राहुल को पीएम बनाने की बयानबाजी कब आकार ले सकेगी।

प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि वजीरे आजम चाह रहे हैं कि पवन बंसल, पलनिअप्पम चिदम्बरम, वीरप्पा माईली, आनंद शर्मा, गुलाम नवी आजाद, कांतिलाल भूरिया, सी.पी.जोशी, अश्विनी कुमार आदि को या तो बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए या विभागों में फेरबदल कर कम महत्व के मंत्रालय सौंपे जाएं। इसके अलावा कपिल सिब्बल से भी मानव सांसाधन मंत्रालय वापस ले लिया जाए।

चिदम्बरम पर बाबा रामदेव से निपटने में असफल होने का आरोप है जिससे सरकार की खासी किरकिरी हुई है। इसके साथ ही साथ उन पर टूजी मामले में दाग भी लग रहे हैं। चिदंबरम का स्थान लेने के लिए गुलाम नवी आजाद आतुर दिख रहे हैं। उधर सुशील कुमार शिंदे चाह रहे हैं कि वे गृह मंत्रालय की कमान संभालें। सोनिया मण्डली चाह रही है कि कपिल सिब्बल से मानव संसाधन विभाग वापस लेकर परिवार के वफादार जनार्दन द्विवेदी या अस्कर फर्नाडिस के हाथों सौंप दिया जाए ताकि राहुल के प्रधानमंत्री बनने के मार्ग शनैः शनैः प्रशस्त किए जा सकें।

पीएम को वीरप्पा मोईली फूटी आंख नहीं सुहा रहे हैं, किन्तु वे दस जनपथ के करीबी हैं सो पीएम का उन पर बस नहीं चल पा रहा है। हिमाचल चुनाव तक वीरभद्र को झेलना मनमोहन की मजबूरी है। यूपी मंे बहिराईच से दलित सांसद कमल किशोर को कैबनेट मंत्री बनवाना चाह रहे हैं युवराज राहुल गांधी साथ ही बेनी प्रसाद वर्मा को भी कैबनेट का दर्जा दिलवाना चाह रहे है वे। इसके लिए वर्मा को इस्पात मंत्रालय से रूख सती डालनी होगी।

रिलायंस से करीबी का भोगमान मुरली देवड़ा को भोगना पड़ सकता है। उनके स्थान पर किसी अन्य को उपकृत किया जा सकता है। उधर पीएम चाहते हैं कि गुजरात की सांसद अलका क्षत्री को मंत्री मण्डल में शामिल किया जाए, किन्त अलका का ऋणात्मक पहलू यह है कि वे सोनिया के आंख नाक और कान बने अहमद पटेल के विरोधी खेमे से हैं।

सूत्रों की मानें तो इस फेरबदल में मध्य प्रदेश कोटा काफी हद तक प्रभावित होने की उम्मीद है। वर्तमान में मध्य प्रदेश से लोकसभा के चार सदस्य कमल नाथ, कांति लाल भूरिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरूण यादव केंद्र में मंत्री हैं। कहा जा रहा है कि इस फेरबदल में कांतिलाल भूरिया को ड्राप किया जा सकता है तथा कमल नाथ का विभाग एक बार फिर बदला जा सकता है, भूतल परिवहन मंत्रालय के उनके परफारमंेस को देखकर त्रणमूल कांग्रेस से रेल मंत्रालय वापस लेकर कमल नाथ को सौंपा जा सकता है। इसके साथ ही साथ चार बार राज्यसभा के रास्ते संसदीय सौंध पहुंचने वाले सुरेश पचौरी को भी सरकार में शामिल कराकर उन्हें पांचवी बार भी राज्य सभा से संसद में भेजा जा सकता है।

उधर कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी की नजरें उत्तर प्रदेश महासमर पर टिकी हुईं हैं इसलिए वे यूपी से आधिक चेहरों को लाल बत्ती से नवाजने में विश्वास रख रहे हैं। कांग्रेस के सियासी गलियारों के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि सलमान खुर्शीद को बेहतर विभाग दिलवाने के लिए जबर्दस्त लाबिंग चल रही है, क्योंकि वे अल्पसंख्यक मामलों से आजिज आ चुके हैं। उधर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व राज्य सभा सांसद सुरेश पचौरी भी पुनर्वास के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। उनके लिए भी लाल बत्ती के जुगाड़ में अहमद पटेल संभावनाएं टटोल रहे हैं।
युवाओं (राजनीति में युवा अर्थात 45 से 65) को आगे लाने के राहुल और दिग्विजय सिंह के संयुक्त एजेंडे के तहत राजीव शुक्ला, जगदंबिका पाल, कमल किशोर, मनीष तिवारी आदि के नामों पर चर्चाएं गर्म हैं। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के सूत्रों का कहना है कि मनमोहन सिंह ने अपनी समस्याओं से सोनिया गांधी को आवगत कराकर, अपनी और पार्टी की गिरती साख पर चिंता जताते हुए उनसे फ्री हेण्ड मांगा है, जिस पर सोनिया ने मौन रहना ही उचित समझा है।

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