सोमवार, 27 जून 2011

नहीं रूक रहा विद्यार्थियों का फिजिकल पनिशमेंट


नहीं रूक रहा विद्यार्थियों का फिजिकल पनिशमेंट

शारीरिक दण्ड के डर से बच्चों मंे शाला जाने से पैदा हो रही अरूचि

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। शालाओं मंे बच्चों को शारीरिक दण्ड देने पर रोक होने के बाद भी इसका सिलसिला नहीं रूक पा रहा है। देश भर में रोजाना अनेक अंचलों में इसकी खबरें आती हैं। शालाओं में फिजिकल पनिशमेंट के प्रकरण बढ़ने पर नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाईल्ड राईट्स (एनसीपीसीआर) ने शालाओं में शारीरिक दण्ड रोकने के लिए दिशा निर्देश तैयार करना आरंभ कर दिया है।

एनसीपीसीआर के अधिकारियों का मानना है कि शालाओं में शारीरिक दण्ड देना एक गंभीर मसला है। इसके साथ ही साथ बच्चों की यूनीफार्म खराब होने, कंघी ठीक न होने, जूते गंदे होने आदि पर दिया जाने वाला अर्थ दण्ड भी पालकों की जेब से ही जाता है जो अनुचित है। इस तरह के मामलों के कारण बच्चा स्कूल जाने से कतराने लगता है, साथ ही उसके मन में शाला और अध्यापक के प्रति डर बैठ जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों से इस तरह के मामले सामने आने से एनसीपीसीआर हरकत में आ गया है।

यद्यपि राईट टू एजूकेशन की धारा 17 में इस पर पाबंदी आहूत की गई है, पर शाला प्रबंधन, शिक्षक आदि इसका खुलेआम माखौल उड़ा रहे हैं। पूर्व में कमीशन द्वारा इस तरह के प्रकरणों की गंभीरता को देखते हुए एक वर्किंग गु्रप का गठन भी किया था, जिसे एसे दिशा निर्देश तैयार करने थे, जिससे शालाओं में शारीरिक दण्ड पर रोक लगाई जा सके। विडम्बना ही कही जाएगी कि इस वर्किंग गु्रप ने निर्धारित समयावधि में कोई ठोस काम नहीं कर दिखाया। उम्मीद की जा रही है कि एनसीपीसीआर द्वारा जल्द ही इस दिशा में काम किया जाकर कठोर दिशा निर्देश जारी किए जा सकेंगे।

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