मंगलवार, 19 जुलाई 2011

अनेक जिलों में नामों पर बनी सहमति

अनेक जिलों में नामों पर बनी सहमति

कांग्रेस की जिला इकाई घोषित करने भूरिया को आया पसीना

राहुल सिंह ने दिखाई अपनी ताकत

निर्वाचित जिलाध्यक्ष हैं 63 जिलों में

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस संगठन में तेरह महीने पहले मध्य प्रदेश में जिला अध्यक्षों के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाने के बाद भी जिलाध्यक्षों की घोषणा न तो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी कर पाए और न ही वर्तमान अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया द्वारा ही की पा रही है। इसका कारण निर्वाचितअध्यक्षों के नामों पर उनके क्षेत्र के प्रभावशाली नेताओं की आपत्ति ही है। प्रदेश की राजनैतिक राजधानी भोपाल, आर्थिक राजधानी इंदौर और संस्कारधानी जबलपुर को लेकर जबर्दस्त घमासान मचा हुआ है।

गौरतलब है कि चार जुलाई को कांग्रेस संगठन के 63 में से 34 जिलों के कांग्रेस अध्यक्षों की घोषणा कर दी गई थी। एआईसीसी के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे और नियमों के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही इन अध्यक्षों का कार्यकाल तीन साल अर्थात छत्तीस माह का होता है, जिसमें से 13 महीने तो बीत ही चुके हैं। कांतिलाल भूरिया का कहना है कि वे जल्द ही प्रदेश के क्षत्रपों से चर्चा के उपरांत नामों की घोषणा कर देंगे।

प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद, एमपी चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेंद्र बुढ़ानिया, नेशनल चुनाव प्राधिकर के अध्यक्ष आस्कर फर्नाडिस, कांग्रेस के एमपी के क्षत्रप कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी आपस में सर जोड़कर इस मामले में बैठ चुके हैं। उधर विन्ध्य क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाने की गरज से नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा अपने पिता स्व.अर्जुन सिंह के खासुलखास रहे आला दर्जे के राजनेताओं के माध्यम से इस क्षेत्र में अपनी पसंद के जिलाध्यक्षों को सत्तासीन करने की कवायद की जा रही है।

एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि जब जिला अध्यक्षों को चुनाव द्वारा निर्वाचित घोषित किया गया है तब बड़े नेताओं की पसंद नापसंद का सवाल ही कहां से उठता है। अगर निर्वाचित अध्यक्ष के बजाए किसी अन्य नाम की घोषणा की जाती है तो यह तो कांग्रेस संगठन के अंदर प्रजातंत्र के बजाए हिटलरशाही ही मानी जाएगी।

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