सोमवार, 22 अगस्त 2011

. . . मन में एक बात उठ रही है: नरेंद्र ठाकुर

. . . मन में एक बात उठ रही है: नरेंद्र ठाकुर

सिवनी। ‘‘भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा हजारे ने जो अलख जगाई है वह तारीफे काबिल है। इस मामले में सिवनी के निवासियों का बढ़ा हुआ मनोबल साफ दर्शाता है कि वे किसी से कम नहीं हे। सिवनीवासियों के जज्बे को निश्चित तोर पर सलाम किया जाना चाहिए। यह सब देखकर मन में एक बात उठ रही है, जिसे जनता जनार्दन से बांटने की तमन्ना है।‘‘ उक्ताशय की बात भाजपा युवा नेता नरेंद्र ठाकुर ‘‘गुड्डू‘‘ ने यहां जारी विज्ञप्ति में कही है।

श्री ठाकुर ने कहा है कि 16 अगस्त से ही अण्णा हजारे के समथ्रन में सिवनी के निवासी चाहे वे रिक्शे वाले हों, मोटर सायकल वाले, कार वाले, विद्यार्थी, राजनेता, धार्मिक ओर सामाजिक संगठन या कारोबारी। सभी ने कंधे से कंधा मिलाकर अण्णा का समर्थन किया है। सिवनी वासियों का अपने अपने तरीके से विरोध का तरीका बहुत ही प्रशंसनीय कहा जा सकता है। उन्होंने सिवनी वासियों को इसके लिए साध्ुावाद दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है और युवाओं के भविष्य से जुड़ा अहम मुद्दा है अतः भ्रष्टाचार का प्रतिकार अत्यावश्यक है, किन्तु जब परिसीमन में सिवनी लोकसभा और घंसौर विधानसभा के विलोपन, ब्राडगेज, फोरलेन आदि की बात आती है तब सिवनी वासियों का यह जज्बा कहां चला जाता है? उन्होंने कहा कि सिवनी वासियों ने सिवनी लोकसभा के विलोपन के वक्त ‘जनता कफर््यू‘‘ लगाकर और फिर फोरलेन के मामले में 21 अगस्त को एकजुटता दिखाकर साबित कर दिया था कि वे सिवनी के विकास में बराबरी के भागीदार हैं।

सिवनी वासियों के सिवनी के विकास के लिए संजीदा होने को उन्होंने सलाम किया है, किन्तु य़़क्ष प्रश्न फिर भी वही खड़ा हुआ है कि आखिर इस तरह के आंदोलन टॉय टॉय फिस्स क्यों हो जाते हैं? इसका सीधा सा जवाब इन आदोलन के नेतत्व कर्ताओं की कार्यप्रणाली पर जाकर टिक जाता है। लोकसभा के विलोपन के दरम्यान भी सिवनी जिले के माहरथी राजनेताओं की अति सक्रियता के उपरांत बली चढ़ गया। इसके बाद परिसीमन में तीस साल पुरानी लोकसभा नक्शे से ही गायब हो गई। इतना ही नहीं जब जब ब्राडगेज की बात आई तब तब एक नई रेल लाईन को बीच में डालकर इन्हीं राजनेता द्वारा छिंदवाड़ा नैनपुर ब्राडगेज को भी लंबित करनवाने में महती भूमिका निभाई है।

यह सब सहने के बाद जब सिवनी के निवासियों के मुंह से फोरलेन का निवाला छीनने का प्रयास किया गया, तब एक बार फिर सिवनी की जनता सड़कों पर आ गई, और गजब के जोश और जुनून के साथ इसका प्रतिकार किया। यह मामला भी वक्त के राजनेताओं ने इसे भी साथ ठण्डे बस्ते में डालने का प्रयास किया। अब आधी अधूरी सड़क पर टोल टेक्स वसूलने का काम आरंभ किया जा रहा है। फिर बारी आई संभाग मुख्यालय की, इसमें भी लोग आंदोलित हुए पर नतीजा सिफर ही रहा।

भाजपा के युवा नेता ने कहा कि आत्मावलोकन पर उन्होंने यह पाया कि कहीं न कहीं इन आंदोलनों में राजनैतिक तौर पर सक्रिय रहने वालों ने सुनियोजित तरीके से इन सारे आंदोलनों का गला घोंटा है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि सिवनी के हित को सर्वोपरि मानने वालों को ही नेतृत्व थमाया जाए। राजनेतिक रोटियां सेकने वालों का बहिष्कार यदि नहीं किया गया तो आने वाले समय में हमारी अगली पीढ़ी शायद ही हमें माफ कर पाए।

गुड्डू ठाकुर ने कहा कि उनके मन में यह बात रह रहकर उभर रही है कि जब अण्णा के समर्थन में सिवनी के हजारों हाथ एक साथ खड़े हो सकते हैं तो फिर हम सब मिलकर नैनपुर छिंदवाड़ा ब्राडगेज ओर फोरलने के लिए इस तरह का आंदोलन क्यों नहीं कर सकते? इसका जवाब शायद यही है कि जब भी आंदोलन में भीड़ दिखाई पड़ती है, तब तब अपना लाभ देखकर राजनेता इसका सूत्र अपने हाथों में लेने का प्रयास करते हैं, और आंदोलन अपने आप ही दम तोड़ देता है।

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