शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

एमपी में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा देने की मांग उठी

एमपी में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा देने की मांग उठी

पंजाब राज्य चाहता है 9 राज्यों में मिले पंजाबी को पूरा सम्मान

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। पंजाब सरकार द्वारा पंजाबी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए फिर प्रयास आरंभ किए जा रहे हैं। पंजाब के विधायक चाहते हैं कि मध्य प्रदेश सहित देश के नौ राज्यों मंे पंजाबी भाषा को लेग्वेज नंबर टू का दर्जा दिया जाए। गौरतलब है कि इसके लिए पंजाब सरकार ने पिछले ही साल विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया था। पंजाब के अधिकांश विधायकों का मानना है कि मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एण्ड काश्मीर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र एवं उत्तराखण्ड में चूंकि पंजाबी समुदाय के लोग बहुतायत में हैं इसलिए यहां पंजाबी भाषा को दूसरी भाषा का दर्जा दिया जाए।

विधायकों का मानना है कि पंजाबी, चंकि पंजाबियों की मातृभाषा, उनकी पहचान और पंजाब प्रदेश की राजभाषा है, और इन राज्यों में पंजाबी को अहमियत नहीं दी जा रही है जो चिंता का विषय है। विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया था कि पंजाबी को मध्य प्रदेश नौ राज्यों में दूसरी भाषा का दर्जा दिया जाकर इन सूबों में पंजाबी को पढ़ाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। ज्ञातव्य है कि दिल्ली और हरियाणा सरकार ने इस भाषा को अपने राज्य की दूसरी भाषा बना दिया है।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि भारत गणराज्य में अंग्रेजी को अघोषित तौर पर लैंग्वेज नंबर टू का दर्जा हासिल है। एक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया के चौधरी अमेरिका के 26 हजार 30 लाख लोग अंग्रेजी बोलते हैं। इंग्लिश स्पोकन के मामले में अमेरिका नंबर एक पर है तो भारत में साढ़े बारह करोड़ लोग अंग्रेजी बोलकर नंबर टू पर हैं। देश में बोली जाने वाली टाप फाईव भाषाओं में हिन्दी के बोलने वाले साढ़े पचपन करोड़, अंग्रजी के बारह करोड़ तिरेपन लाख, बंगाली के नौ करोड़ ग्यारह लाख तो तेलगू के साढ़े आठ करोड़ एवं मराठी के आठ करोड़ बयालीस लाख लोग हैं। ये आंकड़े वर्ष 2001 की जनसंख्या के आधार पर निकाले गए हैं।

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