सोमवार, 26 सितंबर 2011

लाख टके का सवाल कौन होगा अड़वाणी का सारथी!


लाख टके का सवाल कौन होगा अड़वाणी का सारथी!

भाजपा में चल रहा है जबर्दस्त मंथन

नितिश दिखाएंगे हरी झंडी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। इस बार पीएम इन वेटिंग की दौड़ से हाल ही में हटे लाल कृष्ण आड़वाणी का सारथी और यात्रा प्रबंधक कौन होगा इस बात पर भाजपा में अंदर ही अंदर मंथन जमकर हो रहा है। दरअसल आड़वाणी की यात्रा का प्रबंधन और उसके लिए फंडिंग के लिए एक बेहतरीन साफ सुथरी छवि के व्यक्तित्व की आवश्यक्ता महसूस की जा रही है। आड़वाणी की पिछली रथ यात्रा में यह जवाबदारी स्व.प्रमोद महाजन द्वारा बेहतरीन तरीके से निभाई गई थी।

भाजपा के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों के अनुसार संघ की नजरों में अपनी छवि बनाने के चक्कर में जो नाम सामने आ रहे हैं उनमें अनन्त कुमार, धर्मेंद्र प्रधान, शहनवाज हुसैन, विजय गोयल, मुख्तार अब्बास नकवी के नाम सामने आ रहे हैं। इसमें अनन्त कुमार दौड़ में सबसे आगे हैं किन्तु नीरा राड़िया से उनके संबध के कारण संघ उनसे परहेज कर रहा है।

महासचिव धर्मेंद्र प्रधान को अच्छा संगठनकर्ता ही माना जाता है। मुख्तार अब्बास नकवी के सिर पार्टी के आयोजनों को सफलता से निपटाने का ताज है। शहनवाज हुसैन एक बार फिर से बड़ी जिम्मेदारी के माध्यम से मुख्यधारा में प्रवेश के इच्छुक हैं। विजय गोयल का नाम सामने आया किन्तु उनकी छवि ही उनकी सबसे बड़ी दुश्मन निकली। आड़वाणी की रथ यात्रा में मार्ग में खर्च का आंकलन करके आड़वाणी जुंड़ाली के हाथ पांव फूल गए। कहा जा रहा है कि खर्च करोड़ों में पहुंच रहा है। अनन्त कुमार और विजय गोयल दोनों ही फंड जुटाने में महारथी माने जाते हैं। अब समस्या यह है कि स्व.प्रमोद महाजन के स्थान पर किसे चुना जाए?

वैसे आड़वाणी की रथयात्रा को नितिश कुमार का हरी झंड़ी दिखाना और उसमें नरेंद्र मोदी सहित भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों का उपस्थित रहना भी अपने आप में एक आश्चर्य होगा। राजनैतिक वीथिकाओं में इसके गूढ़ निहितार्थ भी खोजे जा रहे हैं। गौरतलब है कि एल.के.आड़वाणी ने अपने आप को पीएम इन वेटिंग से हटा लिया है, वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी को पीएम इन वेटिंग का सबसे सशक्त दावेदार माना जा रहा है। उनकी उपस्थिति में नितिश कुमार के द्वारा हरी झंडी दिखाने के भी मायने खोजे जा रहे हैं।

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