सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

केंद्र के पास लंबित एमपी की अनेक योजनाएं


केंद्र के पास लंबित एमपी की अनेक योजनाएं

बाईस सालों से झूला झूल रही कोलार परियोजना

ग्यारह सालों से लंबित है पेंच परियोजना

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में किसी की भी सरकार रहे और केंद्र में चाहे जिस दल की देश के हृदय प्रदेश के वासियों के खाते में बस रोना ही लिखा हुआ है। राजनेता चुनावों के दौरान बड़े बड़े वायदे कर लोगों को लुभा लेते हैं फिर उन वादों को अमली जामा पहनाने से वे हिचकते ही हैं। पराजित उम्मीदवार भी विजयश्री का वरण करने वाले के चुनावी वायदों का ध्यान नहीं दिलाना चाहते हैं। इसी तारतम्य में मध्य प्रदेश की दस वृहद सिंचाई परियोजनाएं आज भी केंद्र सरकार के पास लंबित ही पड़ी हुई हैं।

केंद्रीय जल संसाधन विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मण्डला जिले की ए श्रेणी की हेलोन सिंचाई परियोजना केंद्र सरकार के पास जनवरी 2000 में आई थी। इस योजना से 11 हजार 736 हेक्टेयर रकबा लाभांवित होने की उम्मीद थी। 249.90 लाख रूपए लागत की यह परियोजना नर्मदा हेलोन बेसिन पर प्रस्तावित है। इसी तरह मण्डला एवं शहडोल जिले की उपरी नर्मदा परियोजना सितम्बर 1996 में केंद्र को सौंपी गई थी। इससे लाभांवित रकबा 18.61 हजार हेक्टेयर है। नर्मदा नदी पर गोई बेसिन की यह परियोजना 381 करोड़ 71 लाख रूपए की है।

बड़वानी जिले की निचली गोई परियोजना जो नर्मदा नदी पर बनना है केंद्र को जुलाई 2003 में सौंपी गई थी। 13.76 हजार हेक्टैयर सिंचाई वाली यह परियोजना 189.56 लाख रूपए की थी। इसके साथ ही मंदसौर जिले की भानपुरा नहर स्कीम जो चंबल नदी पर बनना प्रस्तावित थी वह दिसंबर 2002 में 9.2 हजार हे. के लिए 59.49 करोड़ रूपए की थी। जुलाई 2004 में केंद्र को सौंपी गई मध्य प्रदेश जल पुनसंरचना परियोजना जो चंबल, बेतवा, सिन्ध, केन नदी पर थी जिससे 495 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होनी थी एवं जिसका प्राक्कलन 1919 करोड़ रूपए था भी ए श्रेणी की ही परियोजना थी।

बी श्रेणी की जिन परियोजनाओं को केंद्र को भेजा गया था उनमें जुलाई 2000 में सिवनी एवं छिंदवाड़ा जिले की महात्वाकांक्षी पेंच डायवर्शन जिसमें 96.52 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती एवं यह 641.35 करोड़ रूपए की थी शामिल थी। इसके अलावा 139.14 करोड़ रूपयों की लागत वाली सीहोर जिले की कोलार परियोजना जो नर्मदा नदी पर प्रस्तवित थी सितम्बर 1991 में केंद्र को सौंपी गई थी।

बी श्रेणी की अन्य तीन परियोजनाओं में मण्डला की थनवर टैंक जो कि 18.21 हेक्टेयर एवं 24.38 करोड़ रूपए की, दतिया, भिण्ड, ग्वालियर, गुना, शिवपुरी और टीकमगढ़ जिलों के लिए राजघाट परियोजना जो यमुना नदी पर प्रस्तावित थी को फरवरी 1990 में केंद्र को सौंपा गया था। इसकी लागत 309.21 करोड़ रूपए थी एवं इससे 121.45 हजार हेक्टेयर सिंचाई प्रस्तावित थी। अंत में खण्डवा जिले की नर्मदा नदी पर बनने वाली नुनासा लिफ्ट सिंचाई परियोजना जो 185.03 लाख रूपए की थी एवं इससे 36.758 हेक्टेयर रकबा सिंचित होता को मार्च 2003 में केंद्र को सौंपा गया था।

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