शनिवार, 12 नवंबर 2011

रेल के मामले में उदासीन हैं एमपी के क्षत्रप


रेल के मामले में उदासीन हैं एमपी के क्षत्रप

केंद्र में मंत्री भी नहीं ले रहे रेल्वे की सुध

ग्वालियर से इटारसी तीसरी लाईन की दरकार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। दिल्ली को दक्षिण, पश्चिम और पूर्व से जोड़ने वाले महात्वपूर्ण रेल खण्ड ग्वालियर इटारसी के बारे में मध्य प्रदेश के सांसदों की कोई दिलचस्पी नहीं है। मध्य प्रदेश कोटे से मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने अपने संसदीय क्षेत्रों में रेल गाडियों की तादाद अवश्य बढ़वा ली हो पर मध्य प्रदेश में रेल की पांतों की सुध किसी ने भी नहीं ली है।

रेल्वे की रीढ़ माने जाने वाले ग्वालियर इटारसी रेलखण्ड पर यातायात का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि यात्री गाडियों को छोड़ गुड््स रेल गाडी चीटियों से भी धीरी चाल चल रही हैं। सबसे बुरे हाल इटारसी से बरास्ता भोपाल, विदिशा होकर बीना के रेल खण्ड के हैं। इस खण्ड पर यातायात का दबाव इस कदर है कि यहां पैसेंजर रेल गाडियां तो कमोबेश ठीक समय पर चल रही हैं, किन्तु इस रेल खण्ड पर माल गाडियां अपनी बारी के इंतजार में घंटों खड़े रहने पर मजबूर हैं।

एमपी कोटे से केंद्र में मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने अपने क्षेत्रों में तो रेल्वे को समृद्ध कर लिया है, किन्तु जब बारी सूबे की आती है तो ये मौन साध लेते हैं। वहीं दूसरी ओर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज भी अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा के मामले में पूरी तरह ही उदासीन नजर आ रही हैं। उनके लोकसभा क्षेत्र में एक एक रेल्वे स्टेशन पर तीन से चार मालगाडियां खड़ी होकर अपनी बारी का इंतजार करती नजर आ रहीं हैं, फिर भी उन्होंने अब तक लोकसभा में इस मामले को उठाने का जतन नहीं किया है।

रेल्वे बोर्ड के सूत्रों के अनुसार इटारसी से भोपाल और भोपाल से बीना के बीच के रेल खण्ड पर माल गाडियां महज सौ सवा  सौ किलोमीटर का सफर बीस से बाईस घंटे में पूरा कर रही हैं। कई बार तो चालक की दिहाड़ी खड़े खड़े ही पक जाती है। सूत्रों ने कहा कि रेल्वे बोर्ड इस स्थिति से बुरी तरह चिंतित है। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के 11 राज्य सभा और 29 लोकसभा सांसद जिनमें दो केंद्रीय मंत्री एक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं की चुप्पी इस मामले में आश्चर्यजनक ही मानी जाएगी।

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