मंगलवार, 1 नवंबर 2011

ट्रेन प्यासी, यात्री हलाकान


ट्रेन प्यासी, यात्री हलाकान

देश भर में अधिकतर रेलगाडियों को नहीं मिल पा रहा पानी

सालों साल सफाई नहीं हो रही पानी के टेंक की

गंदे पानी से ही कुल्ला करने मजबूर यात्री

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारतीय रेल अपने यात्रियों के लिए बीमारी का सामन ढो रहा है। कहीं रेल प्यासी दौड़ रहीं हैं तो कहीं रेल के कोच में बनी पानी की टंकी की सालों साल सफाई न होने से उनमें बीमारी के जनक जीवाणु पनप रहे हैं। रेल यात्रियों का स्वास्थ्य ताक पर रख रही है भारतीय रेल किन्तु लोकसभा और राज्य सभा जैसी देश की सबसे बड़ी पंचायत में बात रखने का दुस्साहस कोई भी जनसेवक नहीं कर पा रहा है। कमोबेश यही आलम साफ सफाई का है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय रेल में साफ सफाई का ठेका प्रति रेल करोड़ों रूपयों महीने का होता है। इसमें रेल के प्रस्थान स्थल से लेकर गंतव्य तक बीच की निर्धारित दूरी के बाद रेल में टायलेट आदि की साफ सफाई निरंतर किए जाने का प्रावधान है। इसका ठेका भी बाकायदा दिया जाता है। अमूमन रेलों में वातानुकूलित श्रेणी के डब्बों की सफाई कर ठेकेदार अपने कार्याें की इतिश्री समझ लेते हैं। सूचना के अधिकार में ही अगर प्रति रेल साफ सफाई पर व्यय होने वाली राशि की जानकारी निकलवाई जाए तो लोग दांतों तले उंगली दबा लेंगे। इतना ही नहीं सीएजी अगर बारीकी से इसकी जांच कर ले तो आदिमत्थू राजा के बाजू वाली कोठरियों में भारतीय रेल के अधिकारी नजर आ सकते हैं।

भारतीय रेल की अधिकतर रेल गाडियां इस वक्त ठंड के आगाज के बावजूद भी प्यासी ही दौड़ने पर मजबूर हैं। बताया जाता है कि रेल गाडियों को चार पांच सौ किलोमीटर के बाद भी पानी नहीं मिल पा रहा है, जिससे रेल यात्री कोच में मारा मारी की स्थिति निर्मित हो रही है। पानी के अभाव में शौचालय बुरी तरह दुर्गंध से बजबजा रहे हैं। इस सबके बाद भी रेल्वे प्रबंधन मुस्कुराते हुए अपने यात्रियों के स्वागत में जुटा हुआ है।

रेल्वे के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भारतीय रेल के कोच में दोनों सिरों पर पानी की टंकी बनाई जाती है जिसको शौचालयां से जोड़ा जाता है। इन टंकियों की नियमित अंतराल में सफाई का प्रावधान होने के बाद भी इनकी साफ सफाई की दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। अनेक कोच तो एसे हैं जो ट्रेक पर उतरकर अपना जीवन पूरा कर ऑफट्रेक भी हो गए और उनकी पानी की टंकियों को एक बार भी साफ नहीं किया गया। गौरतलब है कि पानी में ही तरह तरह के जानलेवा विषाणु पनपते हैं और सालों साल सफाई के अभाव में भारतीय रेल अपने यात्रियों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

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