शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

बंग्लादेश विवाद खा गया हरीश खरे को


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 83

बंग्लादेश विवाद खा गया हरीश खरे को



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। तीक्ष्ण बुद्धि के धनी प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाईजर हरीश खरे को पीएमओ से रूखसत कराने में बंग्लादेश का विवाद भी प्रमुख भूमिका निभा गया। हरीश खरे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के बीच की खटापटी भी हरीश खरे की बिदाई में अहम भूमिका निभा गई। मध्य प्रदेश काडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी उदय कुमार वर्मा की टीप अंततः खरे को पीएमओ से निकलवाने में सहायक साबित हुई।
गौरतलब है कि जब संपादकों की टोली से चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने ऑफ द रिकार्ड बंग्लादेश पर बयान दिया और वह पीएमओ के माध्यम से पत्र सूचना कार्यालय की वेब साईट पर आ गया तब जमकर हंगामा हुआ। इसी बीच इस विवाद के लिए जिम्मेदार शख्स को खोजने के लिए एक समीति का गठन किया गया। इसके लिए गठित औपचारिक आंतरिक जांच समिति के गठन के साथ ही शिवशंकर मेनन और हरीश खरे में मनमुटाव आरंभ हुआ।
पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि हरीश खरे और मेनन दोनों ही एक दूसरे पर यह आरोप मढ़ रहे थे कि पीआईबी की वेब साईट पर यह अपलोड उन्हीं के कारण हुआ है। इस विवाद में मेनन भारी पड़े क्योंकि उन्होंने कहा कि पीआईबी की वेब साईट पर अपलोड करने के पहले हरीश खरे ने टांसस्क्रिप्ट नहीं देखी। हरीश खरे को इसकी कीमत अंततः चुकाना ही पड़ा। सूत्रों के अनुसार चूंकि शिवशंकर मेनन प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी के नवरत्नों में से हैं इसलिए उनकी जान बच गई और हरीश खरे को पीएमओ से रूखसत होना पड़ा।
सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के करीबी सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी के नयनों के तारे पुलक चटर्जी के पीएमओ में प्रधान सचिव के पद पर आसीन होने के उपरांत चटर्जी ने सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी को बुलवाकर पीएम के मीडिया एडवाईजर की खोज करने को कहा। अंबिका सोनी ने तत्काल अपने सबसे विश्वस्त और मध्य प्रदेश काडर के आईएएस एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव उदय कुमार वर्मा को इस काम के लिए पाबंद कर दिया।
सूत्रों की मानें तो उदय कुमार वर्मा ने अपने मध्य प्रदेश के संबंधों का इस्तेमाल करते हुए तीन नाम सुझाए जिसमें पंकज पचौरी के अलावा मध्य प्रदेश कोटे से केंद्रीय मंत्री का पीआर देखने वाले एक पत्रकार का नाम भी शामिल था। अंत में हरीश खरे को विश्वास में लिए बिना ही पीएमओ में पंकज पचौरी की तैनाती का फरमान आ गया। फिर क्या था हरीश खरे को मजबूरन त्यागपत्र देना पड़ा। सूत्रों ने कहा है कि पंकज पचौरी पीएम के मीडिया एडवाईजर का काम अवश्य देख रहे हैं पर अभी भी पुलक चटर्जी पीएम के सटीक मीडिया एडवाईजर की खोज में लगे ही हैं।

(क्रमशः जारी)

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