मंगलवार, 27 मार्च 2012

आदिवासियों को छलने आ गई एक और कंपनी!

0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  81

आदिवासियों को छलने आ गई एक और कंपनी!

झाबुआ पावर के बाद एसईडब्लू ने की भूअर्जन की तैयारी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान के बाद अब केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में शामिल आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर के आदिवासियों को छलने दक्षिण भारत की एक और कंपनी सदर्न इंजीनियरिंग वर्क्स (एसईडब्लू) मैदान में आ गई है। यह भी कोल आधारित पावर प्लांट लगाने की तैयारी में है, इसके लिए एसईडब्लू ने आदिवासियों की जमीनें खरीदने का काम आरंभ कर दिया है।
आरोपित है कि दलालों के चंगुल में फंसे आदिवासियों को उनकी जमीनों का मुआवजा पर्याप्त ना मिल पाने की शिकायतें तेजी से मिल रही हैं। इसके पहले भी मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड पर आदिवासियों के साथ छल करने के गंभीर आरोप लगे थे किन्तु जिला प्रशासन सिवनी, मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार की अस्पष्ट नीतियों रीतियों के चलते आदिवासियों की आवाज की कोई सुनवाई नहीं हो सकी।
अब घंसौर के ग्राम बरोदा के आसपास की जमीनों की खरीदी बिकावली का काम जोरों पर चलने की बाज प्रकाश में आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1959 में वल्लुरूपल्ली नागेश्वर राव द्वारा विजयवाड़ा में स्व.वाय पूरनचंद राव और वायएमजी नागेश्वर राव के साथ मिलकर सदर्न इंजीनियरिंग वर्क्स की स्थापना की थी। इस कंपनी ने अपने पहले प्रोजेक्ट के बतौर आंध्र प्रदेश के नागार्जुन सागर बांध निर्माण का काम हाथ में लिया था। एसईडब्लू के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना की लागत अधिक होने से कंपनी का विस्तार किया गया जिसमें अनेक लोगों की भागीदारी हो गई।
कंपनी के द्वारा अनेक परियोजनाओं को अपने हाथ में लिया गया है। कंपनी सूत्रों ने बताया कि एसईडब्लू ने कांग्रेस के एक केंद्रीय मंत्री से नजदीकी (15 फीसदी उनका हिस्सा देकर) का फायदा उठाकर महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में वाटर सप्लाई का काम भी हासिल कर लिया है। सूत्रों की मानें तो अब कपंनी उन्हीं केंद्रीय मंत्री के संपर्कों (15 फीसदी उनका कमीशन देकर) मध्य प्रदेश में बड़े ठेके हासिल करना चाह रही है।

(क्रमशः जारी)

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