गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

अब आदिवासी महामहिम की मांग!


अब आदिवासी महामहिम की मांग!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के पहले नागरिक के लिए 2007 में जहां पहली महिला श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को रायसीना हिल्स तक पहुंचाया गया था, वहीं अब इस पद के लिए देश के आदिवासियों में से किसी को चुनने की बात चल पड़ी है। सियासी हल्कों में इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया जा रहा है कि इस साल जुलाई में होने वाले महामहिम राष्ट्रपति के चुनावों में किसी आदिवासी को इस पद पर बिठाया जाए।
आदिवासी समुदाय के नेताओं का आरोप है कि आदिवासियों के बल पर सदा ही सत्ता की मलाई चखने वाली कांग्रेस ने आदिवासियों को हमेशा ही छला है। देश की आजादी में आदिवासी योद्धाओं के बलिदान को भी कांग्रेस और भाजपा ने भुला ही दिया है। आदिवासियों के हित संवंर्धन की बातें अब महज भाषणों तक ही सीमित होकर रह गई हैं।
महामहिम की इस दौड़ में पी.ए.संगमा अब कूद चुके हैं। अपने आप को रायसीना हिल्स में स्थापित करने के लिए संगमा ने मुलायम सिंह यादव के साथ हाथ मिला लिया बताया जाता है। संगमा के पुराने हमदर्द शरद पवार ने अभी अपना मुंह सिला हुआ है। पवार के करीबी लोगों का कहना है कि पंवार अपने पत्ते बाद में खोलेंगे।
संगमा ने अपनी उम्मीदवारी को पुख्ता करने के लिए 9 मई को मावलंकर हाल में एक सम्मेलन का आगाज भी किया है। यद्यपि यह सम्मेलन दलगत राजनीति से उपर उठकर आदिवासी संगठनों का आयोजन है पर कहा जा रहा है कि इसकी पृष्ठभूमि में संगमा ही छवि ही नजर आ रही है। इस सम्मेलन में भी आदिवासी व्यक्ति को ही देश का पहला नागरिक बनाने की मांग को रखा जाएगा।
संगमा द्वारा परोक्ष तौर पर फेंके गए आदिवासी कार्ड ने कांग्रेस और भाजपा को सकते में डाल दिया है क्योंकि आदिवासी नेतृत्व के मामले में दोनों ही दल बहुत ज्यादा गंभीर नजर नहीं आ रहे थे। केंद्र में दो चार लाल बत्ती और राज्यों में भी लाल बत्ती देकर अब तक आदिवासियों को भरमाया जाता रहा है पर पहली बार आदिवासियों से दोनों ही दलोें को कुछ चुनौति मिलने की उम्मीद दिख रही है।

कोई टिप्पणी नहीं: