सोमवार, 4 जून 2012

राहुल को नहीं परवाह पूर्वजों की!


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

राहुल को नहीं परवाह पूर्वजों की!

नेहरू घंादी परिवार के नाम पर जमकर मलाई काटी है इस परिवार की पांचवी पीढ़ी के प्रतिनिधि अर्थात राहुल घांदी ने। सोने का चम्मच लेकर राजनीति में अवतरित (बिना किसी मेहनत के सीधे सांसद और महासचिव बने) हुए राहुल ने महासचिव बनते ही यहां तक कहा कि राजनीति में वंशवाद समाप्त होना चाहिए, पर खुद त्यागपत्र देकर नजीर पेश नहीं की। वस्तुतः आज राहुल सोनिया को जमीनी हकीकत पता ही नहीं है। वे भारत गणराज्य की दशा और दिशा उसी रंग में देखते हैं जिस रंग का चश्मा उन्हें लगा दिया जाता है। हाल ही में नेहरू गांधी परिवार के भाजपाई चिराग और सांसद वरूण घांदी ने बिहार के गयाजी जाकर अपने पूर्वजों का पिण्ड दान किया। उन्होंने अपने दादा फिरोज घांदी, दादी इंदिरा घांदी, पिता संजय घांदी, चाचा राजीव घांदी का पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म किया। देखा जाए तो बड़े होने के नाते यह काम राजीव पुत्र राहुल को करना चाहिए था, पर उन्होने इस मामले में दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। चर्चा है कि भारतीय मूल की मेनका के पुत्र वरूण को यहां की संस्कृति के बारे में इटली मूल की सोनिया पुत्र राहुल के मुकाबले कहीं ज्यादा मालुमात है।

प्रभाव छोड़ने में असफल रही प्रतिभा ताई

जब भी भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने वाला होता है, तब निर्वतमान महामहिम के दुबारा चुने जाने की बात सामने आती है। इसके पहले 2007 में अब्दुल कलाम के नाम पर जमकर चर्चा हुई थी। भारत गणराज्य के इतिहास में संभवतः पहला मौका होगा जब महामहिम का कार्यकाल समाप्त होने को हो और उनके दुबारा इस पद के लिए चुने जाने की बात ना की जा रही हो। लगता है कांग्रेस भी महामहिम के कार्यकाल से संतुष्ट नहीं है, संभवतः यही कारण है कि 25 जुलाई को उनके कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व ही सरकार द्वारा पुणे में उनके आशियाने की नींव रख दी गई थी। अमूमन महामहिम के चुनाव के आसपास ही अगर उनकी उम्मीदवारी ना हो तब उनके निवास के स्थान के लिए कवायद की जाती है। इस बार केंद्र सरकार ने काफी पहले से ही यह प्रयास आरंभ कर संकेत दे दिए थे प्रतिभा ताई पाटिल अब दुबारा महामहिम पद की उम्मीदवार नहीं होंगी।

मुलायम को पटाने में लगी कांग्रेस

महामहिम राष्ट्रपति के चुनावों में परचम लहराने के लिए कांग्रेस के राजनीतिक प्रबंधकों ने एड़ी चोटी एक कर रखी है। उनकी हर संभव कोशिश है कि इसके लिए जादुई आंकड़ा पा लें। इसी के मद्देनजर आजकल यूपी के सपाई क्षत्रप मुलायम सिंह यादव की पूछ परख बढ़ गई है। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को मशविरा दिया है कि महामहिम के चुनावों तक मुलायम को प्रसन्न रखा जाए। फिर क्या था, मुलायम को तवज्जो देना आरंभ हो गया। मुलायम ने सबसे पहले यूपी के निजाम बी.एल.जोशी को बदलने की मंशा जाहिर की। कांग्रेस के प्रबंधक मुलायम के हुकुम की तामीली में लग गए। काफी विचार विमर्श के बाद यूपी के लिए मोतीलाल वोरा का नाम सामने आया। उमर दराज वोरा को वैसे भी इसलिए वहां भेजा जाना उचित माना जा रहा है क्योंकि राहुल गांधी द्वारा सत्ता और संगठन में युवाओं की भूमिका पर जोर दिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि वोरा के लिए मुलायम ने भी हंसी खुशी हामी भर दी है।

आड़वाणी की चिंगारी से भड़की भाजपा में आग!

भाजपा के उमर दराज और सबसे सीनियर लीडरान में शुमार राजग के पीएम इन वेटिंग रहे एल.के.आड़वाणी की उपेक्षा भाजपा को भारी पड़ सकती है। मुंबई कार्यकारिणी के बाद जिस तरह से आड़वाणी को किनारे किया गया उससे आड़वाणी बेहद आहत बताए जा रहे हैं। मोदी को परोक्ष तौर पर पीएम इन वेटिंग का ताज पहनाने से आड़वाणी इतने खफा हुए कि उन्होंने अपनी पीड़ा को पार्टी मंच के बजाए ब्लागके माध्यम से उजागर किया। आड़वाणी ने भाजपा को जमकर कोसा। चर्चा है कि अगर कोई और नेता एसा करता तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब तक डिसीप्लीनरी एक्शन (अनुशासनात्मक कार्यवाही) की धमकी दे चुका होता। आड़वाणी के मुखर होते ही झारखण्ड में हटाए गए राज्य सभा प्रत्याशी अंशुमान ने उन्हें खुला पत्र लिखकर नसीहत दे डाली के वे इस उमर में राजनीति से बाज आकर पोते पोतियों का मन बहलाएं। उधर आड़वाणी के हनुमान एमपी बीजेपी के सुप्रीमो प्रभात झा ने मोदी पर पलटवार करते हुए परोक्ष तौर पर उन्हें पैजामे में रहने की सीख दे डाली।

राजमाता फिर मेडीकल लीव पर

कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को कौन सी बीमारी हुई है और वे किसकी शल्य क्रिया कराकर लौटी हैं इस बारे में आज भी देश के किसी नागरिक को कुछ नहीं पता है, यहां तक कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि आखिर सोनिया का मर्ज क्या है। इस माह एक बार फिर सोनिया अपने रूटीन चेकअप या आपरेशन के लिए विदेश जाने वाली हैं। ज्ञातव्य है कि पिछले साल दो अगस्त को कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी दुनिया के चौधरी अमरीका की शरण में गईं थीं। भारत गणराज्य में आयुर्विज्ञान, आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथ आदि मामलों में नित नए प्रयोग करने वाली कांग्रेस की अध्यक्षा को देश की चिकित्सा प्रणाली और चिकित्सकों पर रत्ती भर विश्वास नहीं था तभी उन्होंने अपनी इस रहस्यमय बीमारी के लिए अमरिका की उंगली थामी। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इस माह के मध्य में एक बार फिर सोनिया गांधी अमरीका जा रही हैं। इस बार मेडीकल लीव पर जाने पर कांग्रेस की कमान संभवतः राहुल गांधी के हाथों में सीधे सीधे सौंपकर एक प्रयोग किया जा सकता है।

सरकार है गौतम थापर की जेब में!

देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में कंट्रोल ब्लास्टिंग का अभाव साफ तौर पर देखा जा रहा है। असुरक्षित ब्लास्टिंग में केंद्र सरकार, एमपी गर्वमेंट, जिला प्रशासन, खनिज विभाग और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारियों की भूमिका संदेहास्पद ही मानी जा रही है। संयंत्र प्रबंधन के सूत्रों का दावा है कि यहां निर्माण कार्य के दौरान होने वाले ब्लास्ट में दस मीटर की सीमा तय की गई है। कई मर्तबा तो ब्लास्ट इतने जबर्दस्त होते हैं कि मानकों को धता बताते हुए टुकड़े और पत्थर काफी दूर तक उड़ते नजर आते हैं।  बताया जात है कि अनेक बार ब्लास्ट के दौरान उड़ने वाले पत्थर संयंत्र में स्थित महाप्रबंधक के अस्थाई कार्यालय पर भी जाकर गिरे हैं।

जया पर फिदा भाजपा!

समाजवादी पार्टी में जया का जबर्दस्त बोलबाला रहा है। चाहे जया बच्चन रही हों या फिर जया प्रदा, दोनों उत्तर प्रदेश में जमकर हावी रहीं हैं। समाजवादी से टूटकर प्रथक हुए कुटिल राजनीति के माहिर समझे जाने वाले अमर सिंह के साथ जया प्रदा ने भी मुलायम सिंह से नाता तोड़ लिया है। उत्तर प्रदेश में अमर सिंह और जया प्रदा पर भाजपा की नजरें गड़ गई हैं। कांग्रेस के दरवाजे पर बार बार दस्तक देने के बाद भी दरवाजे नहीं खुलने पर चतुर सुजान अमर सिंह ने भाजपा से पींगे बढ़ाईं। उत्तर प्रदेश चुनावों के पहले यूपी में भाजपा अमर सिंह का अघोषित गठजोड़ भी चमत्कार नहीं कर सका। बावजूद इसके नितिन गड़करी के लिए आज भी अमर सिंह दुलारे बने हुए हैं। कहा जा रहा है कि अगर अमर सिंह अपनी नवगठित पार्टी को भाजपा में विलीन कर देते हैं तो उन्हें भाजपा में ससम्मान एंट्री मिल जाएगी। साथ ही साथ जया प्रदा को रामपुर से ही भाजपा की टिकिट पर चुनाव लड़वाने का वायदा भी गड़करी ने कर दिया बताया जाता है।

मीडिया से दूरी बनाते पत्रकार मंत्री!

कांग्रेस के पक्ष में लिख लिखकर पत्रकार से सांसद बने राजीव शुक्ला अब लाल बत्ती में बैठकर एयर कंडीशन्ड कार के मजे ले रहे हैं। कलम को हाशिए पर रखकर सियासी पायदान इस कदर चढ़ी पंडित जी ने कि आज देश की सबसे धनी खेल संस्था बीसीसीआई में उनका सिक्का चलता है। कांग्रेसी असमंजस में हैं कि मूलतः पत्रकार कांग्रेस के राज्य सभा सांसद राजीव शुक्ला के रहते कांग्रेस में प्रवक्ताओं की तोपें खामोश बैठी हैं। सिंघवी के सीडी प्रकरण के बाद अब कांग्रेस में प्रवक्ताओं की खोज जमकर की जा रही है। मूलतः कांग्रेस को मीडिया में जिंदा रखने के लिए राजीव शुक्ला को बतौर राज्य सभा सांसद बनाया गया था, पर सांसद बनने के बाद राजीव शुक्ला अपना मूल काम छोड़ प्रबंधन में जुट गए और लाल बत्ती प्राप्त कर ली। अब राजीव शुक्ला की मीडिया से दूरी को लेकर तरह तरह की चर्चाएं चल पड़ी हैं। कहा जा रहा है कि कहीं पंडित जी के चयन को लेकर राजमाता का चयन गलत तो नहीं था!

दबे पांव बढ़ रहे जेतली!

भारत गणराज्य के वजीरे आज़म के बारे में एक किंवदंती है कि जिसके नाम में अक्षर होगा वही देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर डॉक्टर मनमोहन सिंह तक सभी के नाम में र अक्षर है। अब भाजपा के अंदर नए पीएम इन वेटिंग में नरेंद्र मोदी का नाम सबसे आगे है। इसके अलावा नितिन गड़करी, सुषमा स्वराज के साथ ही साथ अरूण जेतली को भी इस पद के लिए दावेदार माना जा रहा है। इन सभी के नामों अक्षर आता है। नरेंद्र मोदी पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं कि उनका हिन्दुत्ववादी चेहरा आगे कर भाजपा चुनावी समर में उतरेगी। भाजपा में अरूण जेतली दबे और सधे कदमों से धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं, जिनकी ओर किसी की नजर नहीं है। जेतली के चाहने वाले भाजपा के अलावा कांग्रेस और अन्य दलों में भी हैं। जेतली पार्टी के असंतुष्ट गुट को साधने के साथ ही साथ सरकार के अनेक विधेयकों में भाजपा के अंदर आम राय बनाने का काम बखूबी अंजाम देते हैं।

यह है शिक्षा का हाल सखे

झारखंड में शिक्षा का आलम क्या है, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सूबे के शिक्षा मंत्री के घर के बच्चे ही फेल हो गए। एकेडमिक काउंसिल ने शुक्रवार को इंटर वार्षिक परीक्षा 2012 (साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स) का रिजल्ट जारी किया। झारखण्ड में शिक्षा मंत्री के बच्चों ने राज्य की शिक्षा प्रणाली, अध्ययन अध्यापन के स्तर आदि पर प्रश्न चिन्ह ही लगा दिया है। सूबे के शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ राम के दोनों बच्चे एक बार फिर इंटर की परीक्षा में फेल हो गए। दोनों के नाम प्रभात कुमार व पूनम कुमारी हैं। ये दोनों रांची स्थित डोरंडा कालेज के छात्र थे। पिछले साल भी शिक्षा मंत्री के बच्चे परीक्षा में फेल गए थे। गत वर्ष की तुलना में इस साल रिजल्ट में सुधार होने का दावा करने वाला शिक्षा विभाग इस मामले में पूरी तरह मौन है कि सूबे के शिक्षा मंत्री के बच्चे आखिर असफल कैसे हो गए!

पुच्छल तारा

गर्मी पूरे शबाब पर है। मयकदे गर्मी में बीयर का आनंद उठा रहे हैं। पेट्रोल की कीमतों में आग लगी हुई है। केंद्र सरकार इसे नियंत्रण मुक्त बता रही है और कंपनियां मनमाना रेट बढ़ा रही हैं। गर्मी के मौसम में युवा तरूणाई शाम ढलते ही मोटर सायकल उठाकर फर्राटे भरती नजर आती है। देश के हृदय प्रदेश में पेट्रोल और शराब दोनों ही के दाम आसमान छू रहे हैं। इन्हीं बातों को जोड़ते हुए सिवनी से अजय मुठाल ने एक ईमेल भेजा है। अजय लिखते हैं -‘‘एक लीटर पेट्रोल और एक बीयर का रेट बराबर है!
‘‘झूम लो, या घूम लो . . . !‘‘
‘‘फैसला आपका . . .!‘‘
विजय माल्या, (लिकर किंग) द्वारा जनहित में जारी!

कोई टिप्पणी नहीं: