शनिवार, 21 जुलाई 2012

बिग बी रहे हैं काका के मुरीद


बिग बी रहे हैं काका के मुरीद

(दीपक अग्रवाल)

नई दिल्ली (साई)। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी एक समय में राजेश खन्ना यानी काका के खासे मुरीद रहे हैं। भले ही अमिताभ बच्चन से हाथ मिलाकर लोग अपने आपको धन्य समझते हों पर, काक ने जब एक बार बिग बी से हाथ मिलाया तो अमिताभ की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
टाइम हो गया है।। पैकअप,अपनी पूरी जिदगी को सिनेमाई ठाठ-बाट के साथ जीने वाले देश के पहले सुपस्टार राजेश खन्ना के मरने से पहले यह आखिरी शब्द थे। यह बताया है उनके साथ काम कर चुके और कभी उनके प्रतिद्वंदी कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन ने।
अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि जब वह राजेश खन्ना को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके बंगले श्आशीर्वादश् में पहुंचे तो वहां काम करने वाले एक व्य्क्ति ने उन्हें इसकी जानकारी दी। अमिताभ ने राजेश खन्ना को याद करते हुए लिखा है कि उन्होंने काका को पहली बार फिल्मफेयर - माधुरी टेलेंट प्रतियोगिताके विजेता के तौर में देखा था। अमिताभ ने अगले ही साल खुद भी इसमें भाग लिया था लेकिन जीत न सके।
अमिताभ लिखते हैं,दूसरी बार मैंने उन्हें दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित रिवोली सिनेमा में लगी उस जमाने की सुपर डुपर हिट उनकी फिल्म आराधना में देखा। मेरी मां मुझे वह फिल्म दिखाने ले गई थीं। खचाखच भरे सिनेमा हॉल में इस नए और युवा अभिनेता के लिए दर्शकों की प्रतिक्रिया वाकई जबरदस्त दी।
अमिताभ लिखते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के लिए वह कलकत्ता में अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ कर आए थे। लेकिन राजेश खन्ना को एक झलक देखने के बाद मुझे अहसास हो गया कि इस तरह के आदमी के सामने इस नए पेशे में जगह बनाना मेरी लिए बहुत मुश्किल होगा।
इसके बाद अमिताभ को अपनी पहली फिल्म सात हिंदुस्तानीमें अपने सहयोगी कलाकार और दोस्त अनवर अली के भाई और महान हास्य कलाकार महमूद के जरिए एक बार किसी फिल्म के सेट पर राजेश खन्ना से एक औपचारिक सी मुलाकात करने का मौका मिला।
अमिताभ लिखते हैं, ‘मैंने उनसे हाथ मिलाया और यह उनके लिए एक सामान्य सी मुलाकात थी, लेकिन में लिए यह एक बहुत बड़े सम्मान की बात थी।इसके बाद जब अमिताभ को आनंदमें उनके साथ काम करने का मौका मिला, जिसे वह भगवान का चमत्कारमानते हैं। अमिताभ लिखते हैं कि जैसे ही लोगों को पता चला कि मैं उनके साथ काम कर रहा हूं लोगों की नजरों में उनकी इज्जत बढ़ गई।
अमिताभ लिखते हैं कि अपने कुर्ता पायजामे के पहनावे की वजह से वह एक सामान्य से लड़के लगते थे और लड़कियां उन्हें अपनी मां से मिलवाने के लिए अपने घर ले जाना चाहती थीं। लेकिन इस सब के बीच राजेश बेहद शिष्टता के साथ रहते थे। वह लिखते हैं, ‘एक सामान्य से लड़के जैसी शालीनता के साथ-साथ उनका अंदाज बेहद शाही किस्म का होता था। यह एक चुंबक की तरह था जो लोगों को उनकी ओर आकर्षित करते था और लोग उनके सामने कभी-कभी दास के समान नजर आते थे।

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