शनिवार, 26 जनवरी 2013

. . . तो हो सकती हैं दो सौ दवाएं प्रतिबंधित


. . . तो हो सकती हैं दो सौ दवाएं प्रतिबंधित

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक निर्देश से कम से कम 200 दवाओं पर बैन लगने की आशंका मंडराने लगी है। मंत्रालय ने फिक्स डोज कॉम्बिनेशन वाली उन दवाओं के मामले में कड़ा रु ख अख्तियार कर लिया है, जिन्हें भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई) की अनुमति के बगैर ही बाजार में उतार दिया गया।
डीसीजीआई के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इन्हें राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स ने अपने स्तर पर मंजूरी दी। अब मंत्रालय ने राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स को निर्देश दिया है कि एक अक्तूबर 2012 से पहले मंजूर किये गये इस तरह के तमाम कॉम्बिनेशन को बनाने वाली कंपनियां अपनी दवाओं की क्षमता और सेफ्टी प्रमाणति करें, वरना उन्हें बैन कर दिया जायेगा।
केंद्र के इस आदेश से दवा कंपनियों में हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि अगर कंपनियां अपनी दवाओं की क्षमता के बारे में पुख्ता सबूत नहीं दे पायीं, तो कम से कम 200 दवाओं पर गाज गिर सकती है। आमतौर पर एफडीसी के नाम से जानी जानेवाली इन दवाओं को कुछ साल्ट्स के साथ मिला कर बनाया जाता है। डीसीजीआइ डॉ जीएन सिंह ने राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स को भेजे एक पत्र में कहा है कि कॉम्बिनेशन के बाद बनने वाली दवा एक नयी मेडिसिन होती है और देश में इसके निर्माण और बिक्री के लिए उनके कार्यालय की अनुमति जरूरी होती है। डीसीजीआइ ने इस काम के लिए 18 महीने का समय दिया है।
दरअसल डीसीजीआइ की नींद भी इस मामले में स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति के कड़े एतराज के बाद खुली है। समिति ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में एफडीसी को मनमाने तरीके से मंजूरी देने पर सख्त नाराजगी जतायी थी। समिति ने कहा था कि देश के बाजारों में बिक रहे कई एफडीसी अवैज्ञानिक तरीके से तैयार किये गये हैं और इनका जनता की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। उसका यह भी कहना था कि कई कॉम्बिनेशंस में तो एक से ज्यादा एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया गया है जो अवैज्ञानिक होने के साथ बैक्टीरिया और वायरस में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध बढ़ा सकता है।
इसके साथ ही कई विटामिन कॉम्बिनेशंस को भी अविवेकपूर्ण पाया गया है। इससे पहले 2007 में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने 294 एफडीसी को अवैध करार देते हुए राज्यों को इन्हें बनाने के लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया था। दवा कंपनियों ने इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दे दी थी। माना जा रहा है कि ऐसा ही इस बार भी हो सकता है।

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