शुक्रवार, 10 मई 2013

स्टार कापीराईट की धमक से बाजार में सन्नाटा


स्टार कापीराईट की धमक से बाजार में सन्नाटा

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। स्टार कापीराईट प्रोटेक्शन नामक संस्था के द्वारा गत दिवस सिवनी में की गई छापेमारी से बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। शहर के मोबाईल से संबंधित कारोबारियों में स्टार कापीराईट की दहशत मची हुई है। स्टार कापी राईट की ओर से शहर के व्यापारियों को एक पर्चा भी थमाया गया है जिसमें कुछ मोबाईल नंबर्स के साथ समझाईश भी दी गई है।
बताया जाता है कि इस पर्चे में स्टार कापीराईट का मुख्यालय भोपाल के बैरसिया रोड़ पर नारियल खेड़ा स्थित तक्षशिला कालेज के पास की दो नंबर दुकान को दर्शाया गया है। इसका ब्रांच आफिस जबलपुर में होना दर्शाया गया है। इस पर्चे में एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर व्यापार करने का मशविरा दिया गया हैं
इसमें उल्लेख किया गया है कि बिना एनओसी के डाउनलोड़िंग या डाउन लोडेड कार्ड बेचना अपराध है जिसमें संविधान 1957 की कापीराईट एक्ट की धारा 51, 52, 63, 68ए का उल्लंघन होना बताया गया है। इसके लिए छः माह से तीन साल तक की सजा या फिर पचास हजार से तीन लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को जब यह पर्चा मिला तो उस पर उल्लेखित मोबाईल नंबर 9425466972 पर संपर्क किया गया तो वहां स्टार कापीराईट प्रोटेक्शन के कथित कर्मचारी ने बताया कि मुंबई के संगीत समूह द्वारा उन्हें यह अधिकार दिया गया है कि वे कापीराईट एक्ट के तहत उनके उत्पादों की रक्षा सुनिश्चित करें।
जब उनसे यह पूछा गया कि वह कौन सा समूह है और उस समूह में कौन कौन से संगीतकार, म्यूजिक स्टूडियो, फिल्म स्टूडियो आदि शामिल हैं जिन्होंने यह जवाबदारी इस प्रोटक्शन कंपनी को सौंपी है, इस पर उक्त बंदा खामोश ही रहा। जब उनसे यह पूछा गया कि आपसे अगर एनओसी ले ली जाए तो आप एनओसी की राशि का क्या करते हैं? के जवाब में भी उन्होंने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया।
जब उनसे यह पूछा गया कि आपसे एनओसी कितने लोगों ने ली है और आप कितने लोगों की सूची अगर भेजते हैं तो उपर भेजेंगे? इस प्रश्न पर भी स्टार कापीराईट प्रोटेक्शन का कारिंदा ना केवल मौन साधे रहा वरन उसने एक अन्य नंबर 9200007545 पर बात करके सारी जानकारी लेने की बात कह दी।
ज्ञातव्य है कि मुंबई में संगीत कंपनियों द्वारा मोबाईल पर गाने, वाल पेपर आदि डाउनलोड करने के लिए कापी राईट एक्ट को अवश्य ही प्रभावी बनाने की पहल की होगी, किन्तु प्रश्न यह उठता है कि आखिर एक जिले में कितने छोटे बड़े दुकानदार इस काम को अंजाम दे रहे हैं और कितने एनओसी लेकर काम कर रहे हैं इसकी कोई सूची ना तो इंटरनेट पर ही उपलब्ध है और ना ही किसी के पास।
इन परिस्थितियों में यह भी संभव है कि इस तरह की संस्थाएं जिलों में जाकर दुकानदारों को धमकाकर उनसे अवैध वसूली भी करना चालू कर दें। दुकानदारों के अनुसार इस कंपनी के कारिंदों ने यह चेतावनी भी दी है कि मोबाईल या अन्य काम करने वाले व्यवसाई अपने कंप्यूटर में गाने बिना एनओसी के ना रखें वरना उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
सवाल यह उठता है जब इंटरनेट पर निशुल्क गाने या वाल पेपर्स डाउनलोड की सुविधा उलब्ध है तब भला कोई कैसे अपने आपको रोक सकता है। बेहतर होगा कि इस तरह की संस्थाएं पहले इंटरनेट पर मुफ्त डाउनलोडिंग वाली वेब साईट्स को या तो सशुल्क बनाए या बंद करवाए।

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