बुधवार, 10 जुलाई 2013

चुनावों में टीम अण्णा नहीं उतारेगी अपने प्रत्याशी

अण्णा दिखे पूरी तरह भ्रमित

चुनावों में टीम अण्णा नहीं उतारेगी अपने प्रत्याशी

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। प्रख्यात गांधी वादी समाजसेवी अण्णा हजारे आज पत्रकारों से रूबरू होते समय बहुत अधिक भ्रमित ही दिखे। पत्रकारों के सवाल का उन्होंने मुस्कुराकर जवाब अवश्य दिया किन्तु जवाब गोलमोल ही रहे। युवाओं को जागृत करने के बाद क्या कार्ययोजना है के प्रश्न पर वे मुस्कुराते रह गए। अण्णा हजारे ने साफ तौर पर कहा कि वे विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपने समर्थित प्रत्याशी कतई नहीं उतारेंगे।
शायद अण्णा को कान से कम सुनाई देने लगा है, इसलिए वे कान की मशीन लगाए हुए थे, किन्तु थोड़ी ही देर बाद उन्होंने मशीन कान से हटा ली। इसके उपरांत पत्रकारों के प्रश्न को उनके कान में पूर्व विधायक सुनीलम और पत्रकार संतोष भारतीय द्वारा जोर से दुहराया गया तब जाकर उन्होंने पत्रकारों के सवाल के जवाब दिए।
देश में सूचना का अधिकार अधिनियम की कथित तौर पर सौगात देने वाले प्रख्यात गांधीवादी सामाज सेवी अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के लिए सत्ता और विपक्ष को जिम्मेदार मानते हैं, परंतु वह यह नहीं बता पा रहे हैं कि सत्ता और विपक्ष के अलावा भ्रष्टाचार मुक्त समाज के लिए तीसरा विकल्प क्या है?
सर्किट हाऊस में आयोजित हुई प्रेस वार्ता में अन्ना हजारे ने कहा कि देश में वर्तमान परिस्थिति में जो हालात है, वह सत्ता पक्ष और विपक्ष के कारण है। यह दोनों ही देश में परिवर्तन नहीं लाना चाहते, जब उनसे पत्रकारो ने पूछा कि यदि सत्ता और विपक्ष दोनों जिम्मेदार है तो फिर तीसरा रास्ता क्या है तो अन्ना हजारे कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं दिखे।
पत्रकारों ने अन्ना हजारे से यह भी पूछा कि अपनी टीम में कभी अरविंद केजरीवाल, कभी किरण बेदी और कभी जनरल वीके सिंह जैसे लोग जुड़ते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद बहुत सारे लोग अलग हो जाते है? इसके पीछे क्या कारण है तो अन्ना हजारे ने यह कहकर अपनी बात समाप्त कर दी कि किसी के मन की बात मैं कैसे बता सकता हूं।
एक पत्रकार ने अन्ना हजारे से पूछा कि 2011 के आंदोलन में जो सफलता मिली थी, अब वह सफलता दिखाई नही देती, अन्ना का जादू खत्म तो नहीं हुआ, जिस पर अन्ना ने कहा कि आज भी लोग मेरे साथ है, जब उनसे यह पूछा गया कि जब- जब आप रामलीला मैदान या जंतर- मंतर में आंदोलन करते हैं, तब-तब देश में आई एम अन्नाकी टोपी निकल जाती है लेकिन कुछ दिन बाद टोपी और टोपी पहनने वाले नदारत हो जाते हैं, तब भी अन्ना हजारे जी ने यही कहा कि किसी के दिल में क्या है, मैं कैसे बता सकता हूं।

कुल मिलाकर पत्रकारों ने अन्ना हजारे से जितने भी सवाल किये, उन सभी सवालों का जवाब देने में अन्ना हजारे भ्रमित ही नजर आए, क्योंकि अन्ना हजारे यह बता ही नहीं पाए कि आखिर आंदोलन की दिशा क्या होगी, उनके समर्थको को गांव और शहर में कौन एकजुट करेगा और स्थानीय स्तर पर आंदोलन की दशा क्या होगी? इन सभी बिंदुओ पर अन्ना हजारे ने जवाब दिया और न ही चर्चा किये, उनके इस व्यवहार से स्पष्ट हो गया कि अन्ना हजारे सिर्फ मंच में अपने उद्देश्यो को पहुंचाने में सफल है, लेकिन उन उद्देश्यो को अमलीजामा पहनाने में अन्ना हजारे भ्रमित है।

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