सोमवार, 9 सितंबर 2013

प्राईवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध व आईएमए का रूदन!

प्राईवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध व आईएमए का रूदन!

(शरद खरे)

सरकार ने शासकीय चिकित्सकों की प्राईवेट प्रेक्टिस पर प्रतिबंध क्या लगाया, इलाज के नाम पर मरीजों का गला रेतने वाले सरकारी चिकित्सकों की सांसे थमती नजर आ रही हैं। सरकारी चिकित्सक का काम क्या है? वह किस बात की मोटी पगार हर माह लेता है? जनता के हित में जारी किए गए सरकारी आदेश के खिलाफ इंडियन मेडीकल एसोसिएशन और चिकित्सा अधिकारी संघ ने रूदन आरंभ कर दिया है।
आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में जिस दिन ये चिकित्सक अध्ययन हेतु जाते हैं सबसे पहले इन्हें एक कसम दिलवाई जाती है। वह कसम क्या होती है? उसका क्या मतलब होता है? उसका पालन जीवन के हर मोड़ पर करने का वादा करते हैं ये चिकित्सक। यह इसलिए क्योंकि मानव जीवन बेशकीमती है, और इसे हर हाल में बचाना चिकित्सक का पहला दायित्व होता है। बावजूद इसके जैसे ही ये चिकित्सक सरकारी नौकरी मेें आते हैं वैसे ही ये सरकारी पगार के साथ ही साथ निजी चिकित्सा को अपना मूल कर्तव्य मान लेते हैं।
सिवनी जिले में सरकारी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं चुस्त दुरूस्त हुआ करती थीं, इस बारे में प्रौढ़ हो रही पीढ़ी बेहतर जानती होगी। जबसे सुश्री विमला वर्मा को षणयंत्र के तहत कांग्रेस के ही नेताओं ने सक्रिय राजनीति से किनारा कर घर बिठाया है तबसे सिवनी जिला विकास में पिछड़ने लगा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। साथ ही साथ जबसे सिवनी में सियासी कमान हरवंश सिंह ठाकुर के हाथों में आई सिवनी में जनसेवा के मायने बदलकर स्वयंसेवा होकर रह गई।
संभवतः यही कारण था कि सिवनी में चिकित्सकीय सुविधाएं बाबा आदम के जमाने में चली गईं। चिकित्सकों का सिवनी से मोह भंग होने लगा। एक वाक्ये का जिकर यहां लाजिमी होगा। डॉ.एस.के.श्रीवास्तव जैसे बेहतरीन चिकित्सक जो जिला चिकित्सालय की शान हुआ करते थे, को सियासी आकाओं की सरपरस्ती में उस वक्त के स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने इस कदर प्रताड़ित किया कि उन्होंने सिवनी से अपना तबादला भोपाल करवा लिया। इसके बाद भी आला अधिकारियों का दिल नहीं भरा, उन्हें रिलीव नहीं किया गया। बाद में उन्होंने अपने सियासी संपर्कों के सहारे तत्कालीन जिला कलेक्टर मोहम्मद सुलेमान पर दबाव बनाया और यहां से बिदाई ली।
इसके बाद सिवनी विधायक रहे नरेश दिवाकर और वर्तमान विधायक श्रीमती नीता पटेरिया ने सिवनी जिला चिकित्सालय के लिए शायद ही कुछ किया हो। सिवनी में बर्न यूनिट है, आईसीसीयू है, दोनों ही का अस्तित्व स्वास्थ्य संचालनालय में कहीं नहीं है। अब चूंकि ऊपर इसका अस्तित्व नहीं है, इसलिए इसके लिए अलग से स्टाफ नहीं है। एसटबलिशमेंट में इसका उल्लेख नहीं होने से अलग से तैनाती भला कैसे होगी? क्या इस बात से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अनिभिज्ञ हैं? जाहिर है नहीं?
कितने आश्चर्य की बात है कि सिवनी का यह सौभाग्य भी है कि दो विधायकों के पति सिवनी में चिकित्सक हैं और सरकारी तैनाती में भी हैं, फिर भी सिवनी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं अत्याधुनिक होने के स्थान पर बाबा आदम के जमाने की हैं। जिसका जो मन आ रहा है वह कर रहा है। सिवनी में ट्रामा यूनिट का निर्माण हो रहा है। ट्रामा यूनिट किसके लिए होता है? इसे कहां बनना चाहिए, इस बारे में भी चिकित्सा स्टाफ मौन ही है।
देश की राजधानी दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरज़ंग अस्पताल के मध्य भगवान वर्धमान ट्रामा सेंटर है। इसे रिंग रोड से सटाकर ही न केवल बनाया गया है वरन् इसमें प्रवेश के लिए सड़क भी सीधी प्रथम तल तक ले जाई गई है। ऐसा इसलिए कि कोई भी दुर्घटना के घायल को बिना किसी विध्न के तत्काल इस यूनिट में पहुंचाया जा सके। विडम्बना देखिए सिवनी में यह यूनिट घुमावदार रास्ते के बाद ओपीडी के पीछे बन रहा है जिला चिकित्सालय में! वस्तुतः इसे सड़क के किनारे ही बनाया जाना चाहिए था।
वैसे भी यह जवाबदेही एनएचएआई की है कि वह सिवनी में एक ट्रामा यूनिट की संस्थापना करे। एक बार फिर हम अपने आपको असहाय पाते हैं। सियासी नुमाईंदों की नपुंसकता का नतीजा है कि आज हमारे पास एक के बजाए दो सांसद हैं। फिर भी वे संसद में सिवनी की सड़क सुविधा या चिकित्सा सुविधा जो केंद्र से जुड़ी हैं को उठाने में कतराते हैं, कि कहीं महाकौशल के कांग्रेस के क्षत्रप उनसे नाराज न हो जाएं।

बहरहाल, आईएमए और चिकित्सा अधिकारी संघ को गुहार लगाना है तो वह यह कहे कि हम घरों पर मरीजों को निःशुल्क देखेंगे क्योंकि हमें सरकार तन्ख्वाह दे रही है। साथ ही साथ जिला चिकित्सालय को आईपीएचएस के मानकों के हिसाब से तैयार किया जाए। संघ की विज्ञप्ति पढ़कर कोई भी हंस देगा, क्योंकि इसमें डॉ.एच.पी.पटेरिया के बतौर अध्यक्ष हस्ताक्षर हैं। डॉ.पटेरिया की पत्नि श्रीमती नीता पटेरिया सांसद रही हैं और वर्तमान में विधायक हैं। बावजूद इसके वे खुद मांग कर रहे हैं कि चिकित्सालयों को सुसज्जित किया जाए। अगर वे वाकई ऐसा चाह रहे होते तो श्रीमती नीता पटेरिया और सीएमओ वाय.एस.ठाकुर की पत्नि श्रीमती शशि ठाकुर सिवनी की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विधानसभा को सर पर उठा चुकी होतीं, वस्तुतः भाजपा के राज में अब सरकारी कर्मचारी भी विज्ञप्ति जारी करने में माहिर हो चुके हैं, जमीनी हकीकत से उन्हें कोई लेना देना नहीं है।

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