गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

मनमर्जी पर उतारू रिलायंस

मनमर्जी पर उतारू रिलायंस

(शरद खरे)

मोबाईल के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस इन दिनों मनमर्जी पर उतारू नजर आ रही है। रिलायंस कंपनी द्वारा सिवनी जिले का सीना छलनी किया जा रहा है। दरअसल, देश की मशहूर कंपनी रिलायंस द्वारा सिवनी जिले में टेलीफोन केबल के लिए खोदी जा रही नाली के कारण, आज बीएसएनएल की ऑप्टीकल फायबर कनेक्टिंग केबल (ओएफसी) कट जाने से सिवनी में बीएसएनएल की सेवाएं दिन भर प्रभावित रहीं। ज्ञातव्य है कि एक ओर जहां फोरलेन सड़क निर्माण के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है, वहीं एक निजी सेवा प्रदाता टेलीफोन कंपनी द्वारा पता नहीं किसकी अनुमति से रक्षित वन क्षेत्र के उस हिस्से में वन विभाग के मुनारे के अंदर खुदाई की जा रही है।
यह सर्वविदित है कि सिवनी से जबलपुर रोड पर बंजारी और छपारा के बीच फोरलेन सड़क के निर्माण का काम इसलिए रूका हुआ है क्योंकि इसे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से क्लियरेंस नहीं मिल सका है। यह मामला वर्ष 2008 से मंत्रालय की सीढ़ियां चढ़-उतर रहा है। गत दिवस बंजारी से छपारा के बीच के जंगल में सड़क से लगे हिस्से में एक निजी सेवा प्रदाता टेलीफोन कंपनी के केबल संभवतः ओएफसी डालने के लिए, खुदाई युद्ध स्तर पर जारी है। इस संबंध में अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि जब सड़क निर्माण के लिए वन विभाग की स्वीकृति नहीं मिल पाई है तो फिर निजी कंपनी को किस आधार पर खुदाई की अनुमति प्रदाय कर दी गई है, अथवा बिना किसी की अनुमति के इस कंपनी के कारिंदों द्वारा वन विभाग के मुनारे के अंदर ही खुदाई के काम को अंजाम दिया जा रहा है।
जब मामला समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने उछाला तो देश भर में अनेक समाचार वेब पोर्टल्स, अखबारों की सुर्खियों में सिवनी जिले का नाम रिलायंस के इस कृत्य के कारण आ गया। जब मामले ने तूल पकड़ना आरंभ किया तो वन विभाग की तंद्रा टूटी। वन विभाग द्वारा अपने अधिकारियों को जांच के लिए मौके पर भेजा गया। पत्रकार राजेश स्थापक के अनुसार संबंधित वनमण्डलाधिकारी ने यह स्वीकार किया है कि रिलायंस द्वारा की जा रही खुदाई, वन विभाग के क्षेत्र के अंदर नियम विरूद्ध की जा रही है। अगर यह बात सत्य है तो फिर वन विभाग द्वारा रिलायंस के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए किस मुहूर्त का इंतजार किया जा रहा है।
गत दिवस, दिन भर बीएसएनएल के मोबाईल और फिक्सड लाईन पूरी तरह प्रभावित ही रहीं। आलम यह था कि डब्लूएलएल का नेटवर्क तो सुबह से ही बंद रहा है। इस संबंध में शाम को जब बीएसएनएल के जिला अभियंता से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि रिलायंस कंपनी द्वारा केबल डालने के लिए जमीन की खुदाई की जा रही है। इसी खुदाई के चलते बीएसएनएल की ओएफसी केबल कट गई है जिससे बीएसएनएल का नेटवर्क प्रभावित हुआ है।
देखा जाए तो बीएसएनएल के ओएफसी केबल जहां जहां से गुजरा है वहां केबल डालते समय इस बात का ऐहतियात रखा जाता है कि भविष्य में अगर कोई खुदाई करे तो उसे यह भान हो जाए कि नीचे से बीएसएनएल का ओएफसी केबल गुजर रहा है। कई स्थानों पर तो बाकायदा बोर्ड तक लगे होते हैं। इतना सब होने के बाद भी रिलायंस के द्वारा आखिर किसकी शह पर खुलेआम वन क्षेत्र में नियम विरूद्ध खुदाई करवाई जा रही है। इतना ही नहीं बीएसएनएल का केबल भी काट दिया जाता है और पहले से ही लंगड़ाकर चलने वाले भारत संचार निगम लिमिटेड के आला अधिकारी अपनी चुप्पी भी इस मामले में बरकरार रखे हुए हैं। पता नहीं बीएसएनएल के अधिकारियों पर उपरया टेबिल के नीचेका कौन सा दबाव है जिसके चलते वे रिलायंस के खिलाफ कार्यवाही से कतरा ही रहे हैं।
अगर किसी आम आदमी के द्वारा सरकारी संपत्ति के साथ छेड़छाड़ की गई होती तो अब तक तो बीएसएनएल का पूरा का पूरा अमला ही कूदकर आम आदमी की हवा गरम कर देता, पर मामला जब रिलायंस जैसी नामचीन कंपनी का आया तो सरकारी महकमे को मानो सन्निपात (लकवा मार गया) हो गया हो।
वैसे भी रिलायंस सालों से निजी क्षेत्र में मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी है। रिलायंस के कारिंदों को यह भान अवश्य ही होगा कि ओएफसी आदि डालते समय किस बात की सावधानी बरतना आवश्यक है। अगर रिलायंस के कारिंदों ने लापरवाही के चलते केबल काटी है तो उन पर सरकारी संपत्ति के साथ छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। मामला चूंकि भारत सरकार के साथ जुड़ा हुआ है, अतः इस मामले में सांसदों का भी दायित्व बनता है कि वे संज्ञान लेकर कार्यवाही करें।
इसके पहले भी पिछले साल एक निजी क्षेत्र की सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा सिवनी शहर का सीना छलनी किया गया था। उस कंपनी द्वारा भी जगह जगह गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए थे। बारिश के मौसम में खोदे गए गड्ढों में अनेक राहगीर गिरकर चोटिल हुए तो वहीं दूसरी ओर अनेक वाहन गड्ढ़ों में फंसे जिससे उनमें टूट फूट हुई थी। इसकी शिकायत करने पर भी ठेकेदारों और कंपनी की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया।
अगर रिलायंस द्वारा केबल काटी गई है और बीएसएनएल के अधिकारियों के संज्ञान में यह बात आ चुकी है तो सेवा प्रदाता कंपनी बीएसएनएल द्वारा निजी क्षेत्र की सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस पर भारी जुर्माना ठोका जाना चाहिए क्योंकि अगर बीएसएनएल के ग्राहकों ने बीएसएनएल पर, सेवा में कमी का मुकदमा दायर कर दिया तो विभाग के लेने के देने पड़ जाएंगे। बीएसएनएल का सीडीएमए इससे, सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। सूत्रों की मानें तो टीएम के प्रभावित होने के कारण अब रायपुर की ओर से शायद लाईन को क्लीयर कराकर वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
देखा जाए तो परोक्ष तौर पर वन विभाग द्वारा देश की मशहूर रिलायंस कंपनी को अपना काम समाप्त करने (चाहे वह नियम विरूद्ध क्योें न हो रहा हो) के लिए पर्याप्त समय दिया जाना ही प्रथम दृष्टया प्रतीत हो रहा है। रिलायंस कंपनी द्वारा मशीनों द्वारा ताबड़तोड़ खुदाई की जा रही है।

कोई टिप्पणी नहीं: